Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   उ    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

3  GEN 1:3  तब परमेश्‍वर ने कहा,जियाला हो*,” तो जियाला हो गया।
4  GEN 1:4  और परमेश्‍वर ने जियाले को देखा कि अच्छा है*; और परमेश्‍वर ने जियाले को अंधियारे से अलग किया।
5  GEN 1:5  और परमेश्‍वर ने जियाले को दिन और अंधियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया।
7  GEN 1:7  तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर करके सके नीचे के जल और सके ऊपर के जल को अलग-अलग किया; और वैसा ही हो गया।
8  GEN 1:8  और परमेश्‍वर ने अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ सको सने समुद्र कहा; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज न्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर गें,” और वैसा ही हो गया। (1 कुरि. 15:38)
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेड़ जिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक-एक की जाति के अनुसार न्हीं में होते हैं गें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
16  GEN 1:16  तब परमेश्‍वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं; नमें से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया; और तारागण को भी बनाया।
17  GEN 1:17  परमेश्‍वर ने नको आकाश के अन्तर में इसलिए रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,
18  GEN 1:18  तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और जियाले को अंधियारे से अलग करें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
20  GEN 1:20  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में ड़ें।”
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बड़े-बड़े जल-जन्तुओं की, और सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और एक-एक जाति के ड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
22  GEN 1:22  परमेश्‍वर ने यह कहकर नको आशीष दी*, “फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।”
24  GEN 1:24  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से एक-एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात् घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वन पशु, जाति-जाति के अनुसार त्‍पन्‍न हों,” और वैसा ही हो गया।
27  GEN 1:27  तब परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार त्‍पन्‍न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्‍वर ने सको त्‍पन्‍न किया; नर और नारी करके सने मनुष्यों की सृष्टि की। (मत्ती 19:4, मर. 10:6, प्रेरि. 17:29, 1 कुरि. 11:7, कुलु. 3:10,1, तीमु. 2:13)
28  GEN 1:28  और परमेश्‍वर ने नको आशीष दी; और नसे कहा, “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और सको अपने वश में कर लो; और समुंद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।”
29  GEN 1:29  फिर परमेश्‍वर ने नसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे-छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं; (रोम. 14:2)
30  GEN 1:30  और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिनमें जीवन का प्राण हैं, सबके खाने के लिये मैंने सब हरे-हरे छोटे पेड़ दिए हैं,” और वैसा ही हो गया।
32  GEN 2:1  इस तरह आकाश और पृथ्वी और नकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया।
33  GEN 2:2  और परमेश्‍वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया, और सने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।* (इब्रा. 4:4)
34  GEN 2:3  और परमेश्‍वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि समें सने सृष्टि की रचना के अपने सारे काम से विश्राम लिया।
35  GEN 2:4  आकाश और पृथ्वी की त्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे त्‍पन्‍न हुए अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया।
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ गा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था।
37  GEN 2:6  लेकिन कुहरा पृथ्वी से ठता था जिससे सारी भूमि सिंच जाती थी।
38  GEN 2:7  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा, और सके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया। (1 कुरि. 15:45)
39  GEN 2:8  और यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर, अदन में एक वाटिका लगाई; और वहाँ आदम को जिसे सने रचा था, रख दिया।
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, गाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
41  GEN 2:10  वाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहाँ से आगे बहकर चार नदियों में बँट गई। (प्रका. 22:2)
43  GEN 2:12  देश का सोना त्तम होता है; वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं।
46  GEN 2:15  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को लेकर* अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह समें काम करे और सकी रखवाली करे।
48  GEN 2:17  पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, सका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू सका फल खाएगा सी दिन अवश्य मर जाएगा।”
49  GEN 2:18  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं*; मैं सके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो सके लिये पयुक्‍त होगा।” (1 कुरि. 11:9)
50  GEN 2:19  और यहोवा परमेश्‍वर भूमि में से सब जाति के जंगली पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे, कि वह नका क्या-क्या नाम रखता है; और जिस-जिस जीवित प्राणी का जो-जो नाम आदम ने रखा वही सका नाम हो गया।
51  GEN 2:20  अतः आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के जंगली पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो ससे मेल खा सके।
52  GEN 2:21  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और जब वह सो गया तब सने सकी एक पसली निकालकर सकी जगह माँस भर दिया। (1 कुरि. 11:8)
53  GEN 2:22  और यहोवा परमेश्‍वर ने पसली को जो सने आदम में से निकाली थी, स्त्री बना दिया; और सको आदम के पास ले आया। (1 तीमु. 2:13)
56  GEN 2:25  आदम और सकी पत्‍नी दोनों नंगे थे, पर वे लज्‍जित न थे।
57  GEN 3:1  यहोवा परमेश्‍वर ने जितने जंगली पशु बनाए थे, सब में सर्प धूर्त था, और सने स्त्री से कहा, “क्या सच है, कि परमेश्‍वर ने कहा, 'तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना'?” (प्रका. 12:9, प्रका. 20:2)
59  GEN 3:3  पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, सके फल के विषय में परमेश्‍वर ने कहा है कि न तो तुम सको खाना और न ही सको छूना, नहीं तो मर जाओगे।”
61  GEN 3:5  वरन् परमेश्‍वर आप जानता है कि जिस दिन तुम सका फल खाओगे सी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्‍वर के तुल्य हो जाओगे।”
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब सने समें से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो सके साथ था और सने भी खाया। (1 तीमु. 2:14)
63  GEN 3:7  तब दोनों की आँखें खुल गईं, और नको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए न्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़कर लंगोट बना लिये।
64  GEN 3:8  तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, सका शब्द नको सुनाई दिया। तब आदम और सकी पत्‍नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्‍वर से छिप गए।
66  GEN 3:10  सने कहा, “मैं तेरा शब्द वाटिका में सुनकर डर गया, क्योंकि मैं नंगा था;* इसलिए छिप गया।”
67  GEN 3:11  यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैंने तुझे मना किया था, क्या तूने सका फल खाया है?”
68  GEN 3:12  आदम ने कहा, “जिस स्त्री को तूने मेरे संग रहने को दिया है सी ने वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैंने खाया।”
71  GEN 3:15  और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर त्‍पन्‍न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू सकी एड़ी को डसेगा।”
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से सने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बच्चे त्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
73  GEN 3:17  और आदम से सने कहा, “तूने जो अपनी पत्‍नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू से न खाना, सको तूने खाया है, इसलिए भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू सकी पज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
74  GEN 3:18  और वह तेरे लिये काँटे और ऊँटकटारे गाएगी, और तू खेत की पज खाएगा;
75  GEN 3:19  और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू सी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।”
76  GEN 3:20  आदम ने अपनी पत्‍नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं सब की मूलमाता वही हुई।
77  GEN 3:21  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम और सकी पत्‍नी के लिये चमड़े के वस्‍त्र बनाकर नको पहना दिए।
78  GEN 3:22  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिए अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ कर खा ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14, 19, त्प. 3:24, प्रका. 2:7)
79  GEN 3:23  इसलिए यहोवा परमेश्‍वर ने सको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह भूमि पर खेती करे जिसमें से वह बनाया गया था।
80  GEN 3:24  इसलिए आदम को सने निकाल दिया* और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली अग्निमय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।
81  GEN 4:1  जब आदम अपनी पत्‍नी हव्वा के पास गया तब सने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, “मैंने यहोवा की सहायता से एक पुत्र को जन्म दिया है।”
82  GEN 4:2  फिर वह सके भाई हाबिल को भी जन्मी, हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करनेवाला किसान बना।
83  GEN 4:3  कुछ दिनों के पश्चात् कैन यहोवा के पास भूमि की पज में से कुछ भेंट ले आया। (यहू. 1:11)
84  GEN 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और नकी चर्बी भेंट चढ़ाई;* तब यहोवा ने हाबिल और सकी भेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)