Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   ए    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

6  GEN 1:6  फिर परमेश्‍वर ने कहा*, “जल के बीच ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जा।”
7  GEN 1:7  तब परमेश्‍वर ने अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग-अलग किया; और वैसा ही हो गया।
9  GEN 1:9  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल स्थान में इकट्ठा हो जा और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5)
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में क-की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें,” और वैसा ही हो गया। (1 कुरि. 15:38)
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेड़ जिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज क-की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
17  GEN 1:17  परमेश्‍वर ने उनको आकाश के अन्तर में इसलि रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,
20  GEN 1:20  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जा, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।”
21  GEN 1:21  इसलि परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बड़े-बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और क-जाति के उड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
24  GEN 1:24  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से क-जाति के जीवित प्राणी, अर्थात् घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वन पशु, जाति-जाति के अनुसार उत्‍पन्‍न हों,” और वैसा ही हो गया।
26  GEN 1:26  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरूप के अनुसार* अपनी समानता में बनाँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” (याकू. 3:9)
29  GEN 1:29  फिर परमेश्‍वर ने उनसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे-छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दि हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं; (रोम. 14:2)
30  GEN 1:30  और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिनमें जीवन का प्राण हैं, उन सबके खाने के लिये मैंने सब हरे-हरे छोटे पेड़ दि हैं,” और वैसा ही हो गया।
33  GEN 2:2  और परमेश्‍वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया, और उसने अपने कि हु सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।* (इब्रा. 4:4)
35  GEN 2:4  आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्‍पन्‍न हु अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया।
39  GEN 2:8  और यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर, अदन में वाटिका लगाई; और वहाँ आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया।
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगा, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
41  GEN 2:10  उस वाटिका को सींचने के लिये महानदी अदन से निकली और वहाँ से आगे बहकर चार नदियों में बँट गई। (प्रका. 22:2)
42  GEN 2:11  पहली नदी का नाम पीशोन है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहाँ सोना मिलता है घेरे हु है।
44  GEN 2:13  और दूसरी नदी का नाम गीहोन है; यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हु है।
48  GEN 2:17  पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खागा उसी दिन अवश्य मर जागा।”
49  GEN 2:18  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं*; मैं उसके लिये ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उसके लिये उपयुक्‍त होगा।” (1 कुरि. 11:9)
52  GEN 2:21  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी पसली निकालकर उसकी जगह माँस भर दिया। (1 कुरि. 11:8)
54  GEN 2:23  तब आदम ने कहा, “अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे माँस में का माँस है; इसलि इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।”
55  GEN 2:24  इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्‍नी से मिला रहेगा और वे ही तन बने रहेंगे। (मत्ती 19:5, मर. 10:7,8, इफि. 5:31)
57  GEN 3:1  यहोवा परमेश्‍वर ने जितने जंगली पशु बना थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, “क्या सच है, कि परमेश्‍वर ने कहा, 'तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना'?” (प्रका. 12:9, प्रका. 20:2)
61  GEN 3:5  वरन् परमेश्‍वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्‍वर के तुल्य हो जाओगे।”
63  GEN 3:7  तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलि उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़कर लंगोट बना लिये।
64  GEN 3:8  तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, उसका शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्‍नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्‍वर से छिप
66  GEN 3:10  उसने कहा, “मैं तेरा शब्द वाटिका में सुनकर डर गया, क्योंकि मैं नंगा था;* इसलि छिप गया।”
70  GEN 3:14  तब यहोवा परमेश्‍वर ने सर्प से कहा, “तूने जो यह किया है इसलि तू सब घरेलू पशुओं, और सब जंगली पशुओं से अधिक श्रापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा;
71  GEN 3:15  और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्‍पन्‍न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी ड़ी को डसेगा।”
73  GEN 3:17  और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्‍नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तूने खाया है, इसलि भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
74  GEN 3:18  और वह तेरे लिये काँटे और ऊँटकटारे उगागी, और तू खेत की उपज खागा;
75  GEN 3:19  और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जागा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जागा।”
77  GEN 3:21  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम और उसकी पत्‍नी के लिये चमड़े के वस्‍त्र बनाकर उनको पहना दि
78  GEN 3:22  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से के समान हो गया है: इसलि अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ कर खा ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14, 19, उत्प. 3:24, प्रका. 2:7)
79  GEN 3:23  इसलि यहोवा परमेश्‍वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिसमें से वह बनाया गया था।
80  GEN 3:24  इसलि आदम को उसने निकाल दिया* और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली अग्निमय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।
81  GEN 4:1  जब आदम अपनी पत्‍नी हव्वा के पास गया तब उसने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, “मैंने यहोवा की सहायता से पुत्र को जन्म दिया है।”
84  GEN 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई पहलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई;* तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)
87  GEN 4:7  यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जागी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तुझे उस पर प्रभुता करनी है।”
91  GEN 4:11  इसलि अब भूमि जिसने तेरे भाई का लहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुँह खोला है, उसकी ओर से तू श्रापित* है।
94  GEN 4:14  देख, तूने आज के दिन मुझे भूमि पर से निकाला है और मैं तेरी दृष्टि की आड़ में रहूँगा और पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा रहूँगा; और जो कोई मुझे पागा, मेरी हत्‍या करेगा।”
95  GEN 4:15  इस कारण यहोवा ने उससे कहा, “जो कोई कैन की हत्‍या करेगा उससे सात गुणा पलटा लिया जागा।” और यहोवा ने कैन के लिये चिन्ह ठहराया ऐसा न हो कि कोई उसे पाकर मार डाले।
97  GEN 4:17  जब कैन अपनी पत्‍नी के पास गया तब वह गर्भवती हुई और हनोक को जन्म दिया; फिर कैन ने नगर बसाया और उस नगर का नाम अपने पुत्र के नाम पर हनोक रखा।
98  GEN 4:18  हनोक से ईराद उत्‍पन्‍न हुआ, और ईराद से महूयाउत्‍पन्‍न हुआ और महूयासे मतूशाल, और मतूशासे लेमेक उत्‍पन्‍न हुआ।
99  GEN 4:19  लेमेक ने दो स्त्रियाँ ब्याह लीं: जिनमें से का नाम आदा और दूसरी का सिल्ला है।
102  GEN 4:22  और सिल्ला ने भी तूबल-कैन नामक पुत्र को जन्म दिया: वह पीतल और लोहे के सब धारवाले हथियारों का गढ़नेवाला हुआ। और तूबल-कैन की बहन नामाह थी।
103  GEN 4:23  लेमेक ने अपनी पत्नियों से कहा, “हे आदा और हे सिल्ला मेरी सुनो; हे लेमेक की पत्नियों, मेरी बात पर कान लगाओ: मैंने पुरुष को जो मुझे चोट लगाता था, अर्थात् जवान को जो मुझे घायल करता था, घात किया है।
104  GEN 4:24  जब कैन का पलटा सातगुणा लिया जागा। तो लेमेक का सतहत्तर गुणा लिया जागा।”
105  GEN 4:25  और आदम अपनी पत्‍नी के पास फिर गया; और उसने पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम यह कहकर शेत रखा कि “परमेश्‍वर ने मेरे लिये हाबिल के बदले, जिसको कैन ने मारा था, और वंश प्रदान किया।” (उत्प. 5:3-4)
106  GEN 4:26  और शेत के भी पुत्र उत्‍पन्‍न हुआ और उसने उसका नाम नोश रखा। उसी समय से लोग यहोवा से प्रार्थना करने लगे।
109  GEN 5:3  जब आदम सौ तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा उसकी समानता में उस ही के स्वरूप के अनुसार पुत्र उत्‍पन्‍न हुआ। उसने उसका नाम शेत रखा।
112  GEN 5:6  जब शेत सौ पाँच वर्ष का हुआ, उससे नोश उत्‍पन्‍न हुआ।
113  GEN 5:7  नोश के जन्म के पश्चात् शेत आठ सौ सात वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
115  GEN 5:9  जब नोश नब्बे वर्ष का हुआ, तब उसने केनान को जन्म दिया।
116  GEN 5:10  केनान के जन्म के पश्चात् नोश आठ सौ पन्द्रह वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
117  GEN 5:11  इस प्रकार नोश की कुल आयु नौ सौ पाँच वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया।
124  GEN 5:18  जब येरेद सौ बासठ वर्ष का हुआ, जब उसने हनोक को जन्म दिया।
131  GEN 5:25  जब मतूशेलह सौ सत्तासी वर्ष का हुआ, तब उसने लेमेक को जन्म दिया।
134  GEN 5:28  जब लेमेक सौ बयासी वर्ष का हुआ, तब उसने पुत्र जन्म दिया।
141  GEN 6:3  तब यहोवा ने कहा, “मेरा आत्मा मनुष्‍य में सदा के लि निवास न करेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है; उसकी आयु सौ बीस वर्ष की होगी।”
142  GEN 6:4  उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात् जब परमेश्‍वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्‍पन्‍न हु, वे पुत्र शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है।
148  GEN 6:10  और नूह से शेम, और हाम, और येपेत नामक, तीन पुत्र उत्‍पन्‍न हु
151  GEN 6:13  तब परमेश्‍वर ने नूह से कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलि मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूँगा।
152  GEN 6:14  इसलि तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना।
154  GEN 6:16  जहाज में खिड़की बनाना, और उसके हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की ओर द्वार रखना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।
155  GEN 6:17  और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जल-प्रलय करके सब प्राणियों को, जिनमें जीवन का श्‍वास है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूँ; और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाँगे।
156  GEN 6:18  परन्तु तेरे संग मैं वाचा बाँधता हूँ;* इसलि तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।
157  GEN 6:19  और सब जीवित प्राणियों में से, तू क-जाति के दो-दो, अर्थात् नर और मादा जहाज में ले जाकर, अपने साथ जीवित रखना।
158  GEN 6:20  क-जाति के पक्षी, और क-जाति के पशु, और क-जाति के भूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो-दो तेरे पासँगे, कि तू उनको जीवित रखे।
169  GEN 7:9  और भूमि पर रेंगनेवालों में से भी, दो-दो, अर्थात् नर और मादा, जहाज में नूह के पास, जिस प्रकार परमेश्‍वर ने नूह को आज्ञा दी थी।
171  GEN 7:11  जब नूह की आयु के छः सौवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्रहवाँ दिन आया; उसी दिन बड़े गहरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोखे खुल
174  GEN 7:14  और उनके संग क-जाति के सब जंगली पशु, और क-जाति के सब घरेलू पशु, और क-जाति के सब पृथ्वी पर रेंगनेवाले, और क-जाति के सब उड़नेवाले पक्षी, जहाज में
175  GEN 7:15  जितने प्राणियों में जीवन का श्‍वास थी उनकी सब जातियों में से दो-दो नूह के पास जहाज में
176  GEN 7:16  और जो, वह परमेश्‍वर की आज्ञा के अनुसार सब जाति के प्राणियों में से नर और मादातब यहोवा ने जहाज का द्वार बन्द कर दिया।
179  GEN 7:19  जल पृथ्वी पर अत्यन्त बढ़ गया, यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े-बड़े पहाड़ थे, सब डूब
180  GEN 7:20  जल तो पन्द्रह हाथ ऊपर बढ़ गया, और पहाड़ भी डूब
181  GEN 7:21  और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या जंगली पशु, और पृथ्वी पर सब चलनेवाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी में बहुतायत से भर थे, वे सब, और सब मनुष्य मर।*
183  GEN 7:23  और क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, जो-जो भूमि पर थे, सब पृथ्वी पर से मिट; केवल नूह, और जितने उसके संग जहाज में थे, वे ही बच
184  GEN 7:24  और जल पृथ्वी पर सौ पचास दिन तक प्रबल रहा।
186  GEN 8:2  गहरे समुंद्र के सोते और आकाश के झरोखे बंद हो; और उससे जो वर्षा होती थी वह भी थम गई।
187  GEN 8:3  और सौ पचास दिन के पश्चात् जल पृथ्वी पर से लगातार घटने लगा।
190  GEN 8:6  फिर ऐसा हुआ कि चालीस दिन के पश्चात् नूह ने अपने बना हु जहाज की खिड़की को खोलकर,