Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   क    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

1  GEN 1:1  आदि में परमेश्‍वर नेाश और पृथ्वी सृष्टि ी। (इब्रा. 1:10, इब्रा. 11:3)
2  GEN 1:2  पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्‍वर आत्मा जल ऊपर मण्डराता था। (2 ुरि. 4:6)
3  GEN 1:3  तब परमेश्‍वर ने हा, “उजियाला हो*,” तो उजियाला हो गया।
4  GEN 1:4  और परमेश्‍वर ने उजियाले देखा ि अच्छा है*; और परमेश्‍वर ने उजियाले अंधियारे से अलग िया।
5  GEN 1:5  और परमेश्‍वर ने उजियाले दिन और अंधियारे रात हा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रार पहला दिन हो गया।
6  GEN 1:6  फिर परमेश्‍वर ने हा*, “जल बीच ऐसा अन्तर हो ि जल दो भाग हो जाए।”
7  GEN 1:7  तब परमेश्‍वर ने अन्तर उसनीचे जल और उसऊपर जल अलग-अलग िया; और वैसा ही हो गया।
8  GEN 1:8  और परमेश्‍वर ने उस अन्तर ाश हा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रार दूसरा दिन हो गया।
9  GEN 1:9  फिर परमेश्‍वर ने हा, “आाश नीचे जल स्थान मेंट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5)
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर ने सूखी भूमि पृथ्वी हा, तथा जो जलट्ठा हुआ उसउसने समुद्र हा; और परमेश्‍वर ने देखा ि अच्छा है।
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने हा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृ्ष भी जिनबीज उन्हीं में-ए जाति अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें,” और वैसा ही हो गया। (1 ुरि. 15:38)
12  GEN 1:12  इस प्रार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेड़ जिनमें अपनी-अपनी जाति अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृ्ष जिनबीज-ए जाति अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देखा ि अच्छा है।
13  GEN 1:13  तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रार तीसरा दिन हो गया।
14  GEN 1:14  फिर परमेश्‍वर ने हा, “दिन रात से अलग रने लियेाश अन्तर में ज्योतियों हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों ारण हों;
15  GEN 1:15  और वे ज्योतियाँाश अन्तर में पृथ्वी पर प्राश देनेवाली भी ठहरें,” और वैसा ही हो गया।
16  GEN 1:16  तब परमेश्‍वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं; उनमें से बड़ी ज्योति दिन पर प्रभुता रने लिये, और छोटी ज्योति रात पर प्रभुता रने लिये बनाया; और तारागण भी बनाया।
17  GEN 1:17  परमेश्‍वर ने उनाश अन्तर में इसलिए रखा ि वे पृथ्वी पर प्राश दें,
18  GEN 1:18  तथा दिन और रात पर प्रभुता रें और उजियाले अंधियारे से अलग रें; और परमेश्‍वर ने देखा ि अच्छा है।
19  GEN 1:19  तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रार चौथा दिन हो गया।
20  GEN 1:20  फिर परमेश्‍वर ने हा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और्षी पृथ्वी ऊपराश अन्तर में उड़ें।”
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति बड़े-बड़े जल-जन्तुओं ी, और उन सब जीवित प्राणियों भी सृष्टि जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और-ए जाति उड़नेवाले्षियों भी सृष्टि ी; और परमेश्‍वर ने देखा ि अच्छा है।
22  GEN 1:22  परमेश्‍वर ने यह उनआशीष दी*, “फूलो-फलो, और समुद्र जल में भर जाओ, और्षी पृथ्वी पर बढ़ें।”
23  GEN 1:23  तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रार पाँचवाँ दिन हो गया।
24  GEN 1:24  फिर परमेश्‍वर ने हा, “पृथ्वी से-ए जाति जीवित प्राणी, अर्थात् घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी वन पशु, जाति-जाति अनुसार उत्‍पन्‍न हों,” और वैसा ही हो गया।
25  GEN 1:25  इस प्रार परमेश्‍वर ने पृथ्वी जाति-जाति वन-पशुओं ो, और जाति-जाति घरेलू पशुओं ो, और जाति-जाति भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं बनाया; और परमेश्‍वर ने देखा ि अच्छा है।
26  GEN 1:26  फिर परमेश्‍वर ने हा, “हम मनुष्य* अपने स्वरूप अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र मछलियों, औराश ्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिार रखें।” (याू. 3:9)