Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   भ    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

5  GEN 1:5  और परमेश्‍वर ने उजियाले को दिन और अंधियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर ोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया।
6  GEN 1:6  फिर परमेश्‍वर ने कहा*, “जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो ाग हो जाए।”
8  GEN 1:8  और परमेश्‍वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर ोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।
9  GEN 1:9  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी ूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5)
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर ने सूखी ूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज उन्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें,” और वैसा ही हो गया। (1 कुरि. 15:38)
13  GEN 1:13  तथा सांझ हुई फिर ोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।
15  GEN 1:15  और वे ज्योतियाँ आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देनेवाली ठहरें,” और वैसा ही हो गया।
16  GEN 1:16  तब परमेश्‍वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं; उनमें से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रुता करने के लिये बनाया; और तारागण को बनाया।
18  GEN 1:18  तथा दिन और रात पर प्रुता करें और उजियाले को अंधियारे से अलग करें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
19  GEN 1:19  तथा सांझ हुई फिर ोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।
20  GEN 1:20  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।”
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बड़े-बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही गया और एक-एक जाति के उड़नेवाले पक्षियों की सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
22  GEN 1:22  परमेश्‍वर ने यह कहकर उनको आशीष दी*, “फूलो-फलो, और समुद्र के जल में जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।”
23  GEN 1:23  तथा सांझ हुई फिर ोर हुआ। इस प्रकार पाँचवाँ दिन हो गया।
25  GEN 1:25  इस प्रकार परमेश्‍वर ने पृथ्वी के जाति-जाति के वन-पशुओं को, और जाति-जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति-जाति के ूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
28  GEN 1:28  और परमेश्‍वर ने उनको आशीष दी; और उनसे कहा, “फूलो-फलो, और पृथ्वी में जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुंद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।”
29  GEN 1:29  फिर परमेश्‍वर ने उनसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे-छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दिए हैं; वे तुम्हारे ोजन के लिये हैं; (रोम. 14:2)
31  GEN 1:31  तब परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया था, सबको देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर ोर हुआ। इस प्रकार छठवाँ दिन हो गया। (1 तीमु. 4:4)
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधा ूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और ूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य नहीं था।
37  GEN 2:6  लेकिन कुहरा पृथ्वी से उठता था जिससे सारी ूमि सिंच जाती थी।
38  GEN 2:7  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को ूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया। (1 कुरि. 15:45)
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर ने ूमि से सब ाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और ले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
43  GEN 2:12  उस देश का सोना उत्तम होता है; वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर मिलते हैं।
47  GEN 2:16  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को यह आज्ञा दी, “तू वाटिका के किसी वृक्षों का फल खा सकता है;
48  GEN 2:17  पर ले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तून खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा।”
50  GEN 2:19  और यहोवा परमेश्‍वर ूमि में से सब जाति के जंगली पशुओं, और आकाश के सब ाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे, कि वह उनका क्या-क्या नाम रखता है; और जिस-जिस जीवित प्राणी का जो-जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।
52  GEN 2:21  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को गहरी नींद में डाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकालकर उसकी जगह माँस दिया। (1 कुरि. 11:8)
61  GEN 3:5  वरन् परमेश्‍वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, और तुम ले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्‍वर के तुल्य हो जाओगे।”
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य है, तब उसने उसमें से तोड़कर खाया; और अपने पति को दिया, जो उसके साथ था और उसने खाया। (1 तीमु. 2:14)
70  GEN 3:14  तब यहोवा परमेश्‍वर ने सर्प से कहा, “तूने जो यह किया है इसलिए तू सब घरेलू पशुओं, और सब जंगली पशुओं से अधिक श्रापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन मिट्टी चाटता रहेगा;
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्वती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बच्चे उत्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
73  GEN 3:17  और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्‍नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना, उसको तूने खाया है, इसलिए ूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
78  GEN 3:22  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “मनुष्य ले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिए अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल तोड़ कर खा ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14, 19, उत्प. 3:24, प्रका. 2:7)
79  GEN 3:23  इसलिए यहोवा परमेश्‍वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह उस ूमि पर खेती करे जिसमें से वह बनाया गया था।
80  GEN 3:24  इसलिए आदम को उसने निकाल दिया* और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली अग्निमय तलवार को नियुक्त कर दिया।
81  GEN 4:1  जब आदम अपनी पत्‍नी हव्वा के पास गया तब उसने गर्वती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, “मैंने यहोवा की सहायता से एक पुत्र को जन्म दिया है।”
82  GEN 4:2  फिर वह उसके ाई हाबिल को जन्मी, हाबिल तो ेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन ूमि की खेती करनेवाला किसान बना।
83  GEN 4:3  कुछ दिनों के पश्चात् कैन यहोवा के पास ूमि की उपज में से कुछ ेंट ले आया। (यहू. 1:11)
84  GEN 4:4  और हाबिल अपनी ेड़-बकरियों के कई एक पहलौठे बच्चे ेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी ेंट चढ़ाई;* तब यहोवा ने हाबिल और उसकी ेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)
85  GEN 4:5  परन्तु कैन और उसकी ेंट को उसने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुँह पर उदासी छा गई।
87  GEN 4:7  यदि तू ला करे, तो क्या तेरी ेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू ला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तुझे उस पर प्रुता करनी है।”
88  GEN 4:8  तब कैन ने अपने ाई हाबिल से कुछ कहा; और जब वे मैदान में थे, तब कैन ने अपने ाई हाबिल पर चढ़कर उसकी हत्‍या कर दी।
89  GEN 4:9  तब यहोवा ने कैन से पूछा, “तेरा ाई हाबिल कहाँ है?” उसने कहा, “मालूम नहीं; क्या मैं अपने ाई का रखवाला हूँ?”
90  GEN 4:10  उसने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे ाई का लहू ूमि में से मेरी ओर चिल्लाकर मेरी दुहाई दे रहा है! (इब्रा. 12:24)
91  GEN 4:11  इसलिए अब ूमि जिसने तेरे ाई का लहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुँह खोला है, उसकी ओर से तू श्रापित* है।
92  GEN 4:12  चाहे तू ूमि पर खेती करे, तो उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और तू पृथ्वी पर टकने वाला और गोड़ा होगा।”
94  GEN 4:14  देख, तूने आज के दिन मुझे ूमि पर से निकाला है और मैं तेरी दृष्टि की आड़ में रहूँगा और पृथ्वी पर टकने वाला और गोड़ा रहूँगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मेरी हत्‍या करेगा।”
97  GEN 4:17  जब कैन अपनी पत्‍नी के पास गया तब वह गर्वती हुई और हनोक को जन्म दिया; फिर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपने पुत्र के नाम पर हनोक रखा।
101  GEN 4:21  उसके ाई का नाम यूबाल था : वह उन लोगों का पिता था जो वीणा और बाँसुरी बजाते थे।
102  GEN 4:22  और सिल्ला ने तूबल-कैन नामक एक पुत्र को जन्म दिया: वह पीतल और लोहे के सब धारवाले हथियारों का गढ़नेवाला हुआ। और तूबल-कैन की बहन नामाह थी।
106  GEN 4:26  और शेत के एक पुत्र उत्‍पन्‍न हुआ और उसने उसका नाम एनोश रखा। उसी समय से लोग यहोवा से प्रार्थना करने लगे।
110  GEN 5:4  और शेत के जन्म के पश्चात् आदम आठ सौ वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
113  GEN 5:7  एनोश के जन्म के पश्चात् शेत आठ सौ सात वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
116  GEN 5:10  केनान के जन्म के पश्चात् एनोश आठ सौ पन्द्रह वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
119  GEN 5:13  महललेल के जन्म के पश्चात् केनान आठ सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
122  GEN 5:16  येरेद के जन्म के पश्चात् महललेल आठ सौ तीस वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
125  GEN 5:19  हनोक के जन्म के पश्चात् येरेद आठ सौ वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
128  GEN 5:22  मतूशेलह के जन्म के पश्चात् हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा,* और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
132  GEN 5:26  लेमेक के जन्म के पश्चात् मतूशेलह सात सौ बयासी वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
136  GEN 5:30  नूह के जन्म के पश्चात् लेमेक पाँच सौ पंचानबे वर्ष जीवित रहा, और उसके और बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
139  GEN 6:1  फिर जब मनुष्य ूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं,
141  GEN 6:3  तब यहोवा ने कहा, “मेरा आत्मा मनुष्‍य में सदा के लिए निवास न करेगा, क्योंकि मनुष्य शरीर ही है; उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।”
143  GEN 6:5  यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्‍पन्‍न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। (ज. 53:2)
149  GEN 6:11  उस समय पृथ्वी परमेश्‍वर की दृष्टि में बिगड़ गई* थी, और उपद्रव से गई थी।
151  GEN 6:13  तब परमेश्‍वर ने नूह से कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से गई है, इसलिए मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूँगा।
152  GEN 6:14  इसलिए तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और ीतर-बाहर उस पर राल लगाना।
158  GEN 6:20  एक-एक जाति के पक्षी, और एक-एक जाति के पशु, और एक-एक जाति के ूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो-दो तेरे पास आएँगे, कि तू उनको जीवित रखे।
159  GEN 6:21  और ाँति-ाँति का ोज्य पदार्थ जो खाया जाता है, उनको तू लेकर अपने पास इकट्ठा कर रखना; जो तेरे और उनके ोजन के लिये होगा।”
163  GEN 7:3  और आकाश के पक्षियों में से ी, सात-सात जोड़े, अर्थात् नर और मादा लेना, कि उनका वंश बचकर सारी पृथ्वी के ऊपर बना रहे।
164  GEN 7:4  क्योंकि अब सात दिन और बीतने पर मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक जल बरसाता रहूँगा; और जितने प्राणी मैंने बनाये हैं उन सबको ूमि के ऊपर से मिटा दूँगा।”