Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   ़    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  पृथ्वी बेडौल और सुनसान पडथी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्‍वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था। (2 कुरि. 4:6)
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें,” और वैसा ही हो गया। (1 कुरि. 15:38)
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेड जिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक-एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
16  GEN 1:16  तब परमेश्‍वर ने दो बडज्योतियाँ बनाईं; उनमें से बडज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया; और तारागण को भी बनाया।
20  GEN 1:20  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उडें।”
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बडे-बडजल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और एक-एक जाति के उडनेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
22  GEN 1:22  परमेश्‍वर ने यह कहकर उनको आशीष दी*, “फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढें।”
29  GEN 1:29  फिर परमेश्‍वर ने उनसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे-छोटे पेड सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं; (रोम. 14:2)
30  GEN 1:30  और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिनमें जीवन का प्राण हैं, उन सबके खाने के लिये मैंने सब हरे-हरे छोटे पेड दिए हैं,” और वैसा ही हो गया।
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था।
55  GEN 2:24  इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोडकर अपनी पत्‍नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे। (मत्ती 19:5, मर. 10:7,8, इफि. 5:31)
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तोडकर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी खाया। (1 तीमु. 2:14)
63  GEN 3:7  तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड-जोडकर लंगोट बना लिये।
71  GEN 3:15  और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्‍पन्‍न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एडको डसेगा।”
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीडऔर तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढाऊँगा; तू पीडित होकर बच्चे उत्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
77  GEN 3:21  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम और उसकी पत्‍नी के लिये चमडके वस्‍त्र बनाकर उनको पहना दिए।
78  GEN 3:22  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिए अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड कर खा ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14, 19, उत्प. 3:24, प्रका. 2:7)
82  GEN 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, हाबिल तो भेड-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करनेवाला किसान बना।
84  GEN 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड-बकरियों के कई एक पहलौठे बच्चे भेंट चढाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढाई;* तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)
88  GEN 4:8  तब कैन ने अपने भाई हाबिल से कुछ कहा; और जब वे मैदान में थे, तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढकर उसकी हत्‍या कर दी।
92  GEN 4:12  चाहे तू भूमि पर खेती करे, तो भी उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और तू पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोडहोगा।”
94  GEN 4:14  देख, तूने आज के दिन मुझे भूमि पर से निकाला है और मैं तेरी दृष्टि की आड में रहूँगा और पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोडरहूँगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मेरी हत्‍या करेगा।”
102  GEN 4:22  और सिल्ला ने भी तूबल-कैन नामक एक पुत्र को जन्म दिया: वह पीतल और लोहे के सब धारवाले हथियारों का गढनेवाला हुआ। और तूबल-कैन की बहन नामाह थी।
135  GEN 5:29  उसने यह कहकर उसका नाम नूह रखा, कि “यहोवा ने जो पृथ्वी को श्राप दिया है, उसके विषय यह लडका हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, हमें शान्ति देगा।”
139  GEN 6:1  फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढने लगे, और उनके बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं,
143  GEN 6:5  यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्‍पन्‍न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। (भज. 53:2)
149  GEN 6:11  उस समय पृथ्वी परमेश्‍वर की दृष्टि में बिगड गई* थी, और उपद्रव से भर गई थी।
150  GEN 6:12  और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा कि वह बिगडहुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी-अपनी चाल-चलन बिगाड ली थी।
152  GEN 6:14  इसलिए तू गोपेर वृक्ष की लकडका एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना।
153  GEN 6:15  इस ढंग से तू उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौडाई पचास हाथ, और ऊँचाई तीस हाथ की हो।
154  GEN 6:16  जहाज में एक खिडकी बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।
162  GEN 7:2  सब जाति के शुद्ध पशुओं में से तो तू सात-सात जोडे, अर्थात् नर और मादा लेना: पर जो पशु शुद्ध नहीं हैं, उनमें से दो-दो लेना, अर्थात् नर और मादा:
163  GEN 7:3  और आकाश के पक्षियों में से भी, सात-सात जोडे, अर्थात् नर और मादा लेना, कि उनका वंश बचकर सारी पृथ्वी के ऊपर बना रहे।
171  GEN 7:11  जब नूह की आयु के छः सौवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्रहवाँ दिन आया; उसी दिन बडगहरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोखे खुल गए।
174  GEN 7:14  और उनके संग एक-एक जाति के सब जंगली पशु, और एक-एक जाति के सब घरेलू पशु, और एक-एक जाति के सब पृथ्वी पर रेंगनेवाले, और एक-एक जाति के सब उडनेवाले पक्षी, जहाज में गए।
177  GEN 7:17  पृथ्वी पर चालीस दिन तक जल-प्रलय होता रहा; और पानी बहुत बढता ही गया, जिससे जहाज ऊपर को उठने लगा, और वह पृथ्वी पर से ऊँचा उठ गया।
178  GEN 7:18  जल बढते-बढते पृथ्वी पर बहुत ही बढ गया, और जहाज जल के ऊपर-ऊपर तैरता रहा।
179  GEN 7:19  जल पृथ्वी पर अत्यन्त बढ गया, यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बडे-बडपहाड थे, सब डूब गए।
180  GEN 7:20  जल तो पन्द्रह हाथ ऊपर बढ गया, और पहाड भी डूब गए।
188  GEN 8:4  सातवें महीने के सत्रहवें दिन को, जहाज अरारात नामक पहाड पर टिक गया।
189  GEN 8:5  और जल दसवें महीने तक घटता चला गया, और दसवें महीने के पहले दिन को, पहाडों की चोटियाँ दिखाई दीं।
190  GEN 8:6  फिर ऐसा हुआ कि चालीस दिन के पश्चात् नूह ने अपने बनाए हुए जहाज की खिडकी को खोलकर,
191  GEN 8:7  एक कौआ उडदिया: जब तक जल पृथ्वी पर से सूख न गया, तब तक कौआ इधर-उधर फिरता रहा।
192  GEN 8:8  फिर उसने अपने पास से एक कबूतरी को भी उडदिया कि देखे कि जल भूमि से घट गया कि नहीं।
193  GEN 8:9  उस कबूतरी को अपने पैर टेकने के लिये कोई आधार न मिला, तो वह उसके पास जहाज में लौट आई: क्योंकि सारी पृथ्वी के ऊपर जल ही जल छाया था तब उसने हाथ बढाकर उसे अपने पास जहाज में ले लिया।
194  GEN 8:10  तब और सात दिन तक ठहरकर, उसने उसी कबूतरी को जहाज में से फिर उडदिया।
196  GEN 8:12  फिर उसने सात दिन और ठहरकर उसी कबूतरी को उडदिया; और वह उसके पास फिर कभी लौटकर न आई।
204  GEN 8:20  तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई;* और सब शुद्ध पशुओं, और सब शुद्ध पक्षियों में से, कुछ-कुछ लेकर वेदी पर होमबलि चढाया।
207  GEN 9:1  फिर परमेश्‍वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी* और उनसे कहा, “फूलो-फलो और बढऔर पृथ्वी में भर जाओ।
209  GEN 9:3  सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसे तुमको हरे-हरे छोटे पेड दिए थे, वैसे ही तुम्हें सब कुछ देता हूँ। (उत्प. 1:29-30)
213  GEN 9:7  और तुम तो फूलो-फलो और बढऔर पृथ्वी पर बहुतायत से सन्तान उत्‍पन्‍न करके उसमें भर जाओ।”
218  GEN 9:12  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जो वाचा मैं तुम्हारे साथ, और जितने जीवित प्राणी तुम्हारे संग हैं उन सबके साथ भी युग-युग की पीढियों के लिये बाँधता हूँ; उसका यह चिन्ह है:
229  GEN 9:23  तब शेम और येपेत दोनों ने कपडलेकर अपने कंधों पर रखा और पीछे की ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया और वे अपना मुख पीछे किए हुए थे इसलिए उन्होंने अपने पिता को नंगा न देखा।
234  GEN 9:28  जल-प्रलय के पश्चात् नूह साढतीन सौ वर्ष जीवित रहा।
235  GEN 9:29  इस प्रकार नूह की कुल आयु साढनौ सौ वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया।
247  GEN 10:12  और नीनवे और कालह के बीच जो रेसेन है, उसे भी बसाया; बडनगर यही है।
254  GEN 10:19  और कनानियों की सीमा सीदोन से लेकर गरार के मार्ग से होकर गाजतक और फिर सदोम और गमोरा और अदमा और सबोयीम के मार्ग से होकर लाशा तक हुआ।
265  GEN 10:30  इनके रहने का स्थान मेशा से लेकर सपारा, जो पूर्व में एक पहाड है, उसके मार्ग तक हुआ।
271  GEN 11:4  फिर उन्होंने कहा, “आओ, हम एक नगर और एक मीनार बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हमको सारी पृथ्वी पर फैलना पडे।”
274  GEN 11:7  इसलिए आओ, हम उतर कर उनकी भाषा में बडगडबडडालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सके।”
275  GEN 11:8  इस प्रकार यहोवा ने उनको वहाँ से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया*; और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड दिया।
276  GEN 11:9  इस कारण उस नगर का नाम बाबेल पडा; क्योंकि सारी पृथ्वी की भाषा में जो गडबडहै, वह यहोवा ने वहीं डाली, और वहीं से यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया।
300  GEN 12:1  यहोवा ने अब्राम से कहा*, “अपने देश, और अपनी जन्म-भूमि, और अपने पिता के घर को छोडकर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। (प्रेरि. 7:3, इब्रा 11:8)
301  GEN 12:2  और मैं तुझ से एक बडजाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूँगा, और तेरा नाम महान करूँगा, और तू आशीष का मूल होगा।
307  GEN 12:8  फिर वहाँ से आगे बढकर, वह उस पहाड पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में खडकिया जिसके पश्चिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर आई है; और वहाँ भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की।
308  GEN 12:9  और अब्राम आगे बढ करके दक्षिण देश की ओर चला गया।
309  GEN 12:10  उस देश में अकाल पडा: इसलिए अब्राम मिस्र देश को चला गया कि वहाँ परदेशी होकर रहे क्योंकि देश में भयंकर अकाल पडथा।
314  GEN 12:15  और मिस्र के राजािरौन के हाकिमों ने उसको देखकरिरौन के सामने उसकी प्रशंसा की: इसलिए वह स्त्रीिरौन के महल में पहुँचाई गई*।
315  GEN 12:16  औरिरौन ने उसके कारण अब्राम की भलाई की; और उसको भेड-बकरी, गाय-बैल, दास-दासियाँ, गदहे-गदहियाँ, और ऊँट मिले।
316  GEN 12:17  तब यहोवा नेिरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्‍नी सारै के कारण बडी-बडविपत्तियाँ डाली*।
317  GEN 12:18  तबिरौन ने अब्राम को बुलवाकर कहा, “तूने मेरे साथ यह क्या किया? तूने मुझे क्यों नहीं बताया कि वह तेरी पत्‍नी है?
319  GEN 12:20  औरिरौन ने अपने आदमियों को उसके विषय में आज्ञा दी और उन्होंने उसको और उसकी पत्‍नी को, सब सम्पत्ति समेत जो उसका था, विदा कर दिया।
320  GEN 13:1  तब अब्राम अपनी पत्‍नी, और अपनी सारी सम्पत्ति लेकर, लूत को भी संग लिये हुए, मिस्र को छोडकर कनान के दक्षिण देश में आया।
321  GEN 13:2  अब्राम भेड-बकरी, गाय-बैल, और सोने-चाँदी का बडधनी था।
322  GEN 13:3  फिर वह दक्षिण देश से चलकर, बेतेल के पास उसी स्थान को पहुँचा, जहाँ पहले उसने अपना तम्बू खडकिया था, जो बेतेल और आई के बीच में है।
324  GEN 13:5  लूत के पास भी, जो अब्राम के साथ चलता था, भेड-बकरी, गाय-बैल, और तम्बू थे।
326  GEN 13:7  सो अब्राम, और लूत की भेड-बकरी, और गाय-बैल के चरवाहों में झगडहुआ। उस समय कनानी, और परिज्जी लोग, उस देश में रहते थे।
327  GEN 13:8  तब अब्राम लूत से कहने लगा, “मेरे और तेरे बीच, और मेरे और तेरे चरवाहों के बीच में झगडन होने पाए; क्योंकि हम लोग भाई बन्धु हैं।
331  GEN 13:12  अब्राम तो कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा*; और अपना तम्बू सदोम के निकट खडकिया।