Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   ू    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

8  GEN 1:8  और परमेश्‍वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकारसरा दिन हो गया।
9  GEN 1:9  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए औरखी मि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5)
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर नेखी मि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
22  GEN 1:22  परमेश्‍वर ने यह कहकर उनको आशीष दी*, “फलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।”
24  GEN 1:24  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से एक-एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात् घरेल पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वन पशु, जाति-जाति के अनुसार उत्‍पन्‍न हों,” और वैसा ही हो गया।
25  GEN 1:25  इस प्रकार परमेश्‍वर ने पृथ्वी के जाति-जाति के वन-पशुओं को, और जाति-जाति के घरेल पशुओं को, और जाति-जाति केमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
26  GEN 1:26  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरके अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेल पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” (याक. 3:9)
27  GEN 1:27  तब परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने स्वरके अनुसार उत्‍पन्‍न किया, अपने ही स्वरके अनुसार परमेश्‍वर ने उसको उत्‍पन्‍न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। (मत्ती 19:4, मर. 10:6, प्रेरि. 17:29, 1 कुरि. 11:7, कुलु. 3:10,1, तीमु. 2:13)
28  GEN 1:28  और परमेश्‍वर ने उनको आशीष दी; और उनसे कहा, “फलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुंद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।”
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधामि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, औरमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था।
37  GEN 2:6  लेकिन कुहरा पृथ्वी से उठता था जिससे सारीमि सिंच जाती थी।
38  GEN 2:7  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम कोमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वासँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया। (1 कुरि. 15:45)
39  GEN 2:8  और यहोवा परमेश्‍वर नेर्व की ओर, अदन में एक वाटिका लगाई; और वहाँ आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया।
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर नेमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
44  GEN 2:13  औरसरी नदी का नाम गीहोन है; यह वही है जोके सारे देश को घेरे हुए है।
45  GEN 2:14  और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह वही है जो अश्शकेर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।
47  GEN 2:16  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को यह आज्ञा दी, “त वाटिका के किसी भी वृक्षों का फल खा सकता है;
48  GEN 2:17  पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा।”
50  GEN 2:19  और यहोवा परमेश्‍वरमि में से सब जाति के जंगली पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे, कि वह उनका क्या-क्या नाम रखता है; और जिस-जिस जीवित प्राणी का जो-जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।
51  GEN 2:20  अतः आदम ने सब जाति के घरेल पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के जंगली पशुओं के नाम रखे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उससे मेल खा सके।
57  GEN 3:1  यहोवा परमेश्‍वर ने जितने जंगली पशु बनाए थे, उन सब में सर्पर्त था, और उसने स्त्री से कहा, “क्या सच है, कि परमेश्‍वर ने कहा, 'तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना'?” (प्रका. 12:9, प्रका. 20:2)
59  GEN 3:3  पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्‍वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न ही उसकोना, नहीं तो मर जाओगे।”
63  GEN 3:7  तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालहुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़कर लंगोट बना लिये।
65  GEN 3:9  तब यहोवा परमेश्‍वर ने पुकारकर आदम सेछा, “त कहाँ है?”
67  GEN 3:11  यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “किसने तुझे बताया कि नंगा है? जिस वृक्ष का फल खाने को मैंने तुझे मना किया था, क्याने उसका फल खाया है?”
68  GEN 3:12  आदम ने कहा, “जिस स्त्री कोने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैंने खाया।”
69  GEN 3:13  तब यहोवा परमेश्‍वर ने स्त्री से कहा, “तने यह क्या किया है?” स्त्री ने कहा, “सर्प ने मुझे बहका दिया, तब मैंने खाया।” (रोम. 7:11, 2 कुरि. 11:3, 1 तीमु. 2:14)
70  GEN 3:14  तब यहोवा परमेश्‍वर ने सर्प से कहा, “तने जो यह किया है इसलिए सब घरेल पशुओं, और सब जंगली पशुओं से अधिक श्रापित है; पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा;
71  GEN 3:15  और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्‍पन्‍न करँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और उसकी एड़ी को डसेगा।”
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; पीड़ित होकर बच्चे उत्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
73  GEN 3:17  और आदम से उसने कहा, “तने जो अपनी पत्‍नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि उसे न खाना, उसकोने खाया है, इसलिएमि तेरे कारण श्रापित है। उसकी उपज जीवन भर दुःख के साथ खाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
74  GEN 3:18  और वह तेरे लिये काँटे और ऊँटकटारे उगाएगी, और खेत की उपज खाएगा;
75  GEN 3:19  और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि उसी में से निकाला गया है, मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।”
76  GEN 3:20  आदम ने अपनी पत्‍नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब कीलमाता वही हुई।
79  GEN 3:23  इसलिए यहोवा परमेश्‍वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह उसमि पर खेती करे जिसमें से वह बनाया गया था।
80  GEN 3:24  इसलिए आदम को उसने निकाल दिया* और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका केर्व की ओर करबों को, और चारों ओरमनेवाली अग्निमय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।
82  GEN 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैनमि की खेती करनेवाला किसान बना।
83  GEN 4:3  कुछ दिनों के पश्चात् कैन यहोवा के पासमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया। (यह. 1:11)
86  GEN 4:6  तब यहोवा ने कैन से कहा, “त क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुँह पर उदासी क्यों छा गई है?
87  GEN 4:7  यदि भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तुझे उस पर प्रभुता करनी है।”
89  GEN 4:9  तब यहोवा ने कैन सेछा, “तेरा भाई हाबिल कहाँ है?” उसने कहा, “मालनहीं; क्या मैं अपने भाई का रखवालाँ?”
90  GEN 4:10  उसने कहा, “तने क्या किया है? तेरे भाई का लह मि में से मेरी ओर चिल्लाकर मेरी दुहाई दे रहा है! (इब्रा. 12:24)
91  GEN 4:11  इसलिए अबमि जिसने तेरे भाई का लह तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुँह खोला है, उसकी ओर से श्रापित* है।
92  GEN 4:12  चाहे मि पर खेती करे, तो भी उसकीरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा होगा।”
94  GEN 4:14  देख,ने आज के दिन मुझेमि पर से निकाला है और मैं तेरी दृष्टि की आड़ में रहँगा और पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा रहँगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मेरी हत्‍या करेगा।”
96  GEN 4:16  तब कैन यहोवा के सम्मुख से निकल गया और नोद नामक देश में, जो अदन केर्व की ओर है, रहने लगा।
98  GEN 4:18  हनोक से ईराद उत्‍पन्‍न हुआ, और ईराद से महयाएल उत्‍पन्‍न हुआ और महयाएल से मतशाएल, और मतशाएल से लेमेक उत्‍पन्‍न हुआ।
99  GEN 4:19  लेमेक ने दो स्त्रियाँ ब्याह लीं: जिनमें से एक का नाम आदा औरसरी का सिल्ला है।
100  GEN 4:20  आदा ने याबाल को जन्म दिया। वह उन लोगों का पिता था जो तम्बओं में रहते थे और पशुओं का पालन करके जीवन निर्वाह करते थे।
101  GEN 4:21  उसके भाई का नामबाल था : वह उन लोगों का पिता था जो वीणा और बाँसुरी बजाते थे।
102  GEN 4:22  और सिल्ला ने भीबल-कैन नामक एक पुत्र को जन्म दिया: वह पीतल और लोहे के सब धारवाले हथियारों का गढ़नेवाला हुआ। औरबल-कैन की बहन नामाह थी।
107  GEN 5:1  आदम की वंशावली यह है। जब परमेश्‍वर ने मनुष्य की सृष्टि की तब अपने ही स्वरमें उसको बनाया। (मत्ती 1:1, 1 कुरि. 11:7)
109  GEN 5:3  जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा उसकी समानता में उस ही के स्वरके अनुसार एक पुत्र उत्‍पन्‍न हुआ। उसने उसका नाम शेत रखा।
127  GEN 5:21  जब हनोक पैंसठ वर्ष का हुआ, तब उसने मतशेलह को जन्म दिया।
128  GEN 5:22  मतशेलह के जन्म के पश्चात् हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा,* और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
131  GEN 5:25  जब मतशेलह एक सौ सत्तासी वर्ष का हुआ, तब उसने लेमेक को जन्म दिया।
132  GEN 5:26  लेमेक के जन्म के पश्चात् मतशेलह सात सौ बयासी वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
133  GEN 5:27  इस प्रकार मतशेलह की कुल आयु नौ सौ उनहत्तर वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया।
135  GEN 5:29  उसने यह कहकर उसका नामरखा, कि “यहोवा ने जो पृथ्वी को श्राप दिया है, उसके विषय यह लड़का हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, हमें शान्ति देगा।”
136  GEN 5:30  के जन्म के पश्चात् लेमेक पाँच सौ पंचानबे वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
138  GEN 5:32  औरपाँच सौ वर्ष का हुआ; औरने शेम, और हाम और येपेत को जन्म दिया।
139  GEN 6:1  फिर जब मनुष्यमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं,
142  GEN 6:4  उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात् जब परमेश्‍वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्‍पन्‍न हुए, वे पुत्ररवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है।
145  GEN 6:7  तब यहोवा ने कहा, “मैं मनुष्य को जिसकी मैंने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटाँगा;* क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटाँगा, क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताताँ।”
146  GEN 6:8  परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टिपर बनी रही।
147  GEN 6:9  की वंशावली यह है।ह* धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; औरपरमेश्‍वर ही के साथ-साथ चलता रहा।
148  GEN 6:10  औरसे शेम, और हाम, और येपेत नामक, तीन पुत्र उत्‍पन्‍न हुए।
151  GEN 6:13  तब परमेश्‍वर नेसे कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिए मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालँगा।
152  GEN 6:14  इसलिए गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना।