4424 | NUM 23:7 | तब बिलाम ने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, “बालाक ने मुझे आराम से, अर्थात् मोआब के राजा ने मुझे पूर्व के पहाड़ों से बुलवा भेजा: 'आ, मेरे लिये याकूब को श्राप दे, आ, इस्राएल को धमकी दे!' |
5680 | DEU 28:67 | तेरे मन में जो भय बना रहेगा, और तेरी आँखों को जो कुछ दिखता रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, 'सांझ कब होगी!' और सांझ को आह मारकर कहेगा, 'भोर कब होगा!' |
9358 | 1KI 18:14 | फिर अब तू कहता है, 'जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिय्याह मिला है!' तब वह मुझे घात करेगा।” |
19061 | JER 2:27 | वे काठ से कहते हैं, 'तू मेरा पिता है,' और पत्थर से कहते हैं, 'तूने मुझे जन्म दिया है।' इस प्रकार उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं पीठ ही फेरी है; परन्तु विपत्ति के समय वे कहते हैं, 'उठकर हमें बचा!' |
19101 | JER 4:5 | यहूदा में प्रचार करो और यरूशलेम में यह सुनाओ: “पूरे देश में नरसिंगा फूँको; गला खोलकर ललकारो और कहो, 'आओ, हम इकट्ठे हों और गढ़वाले नगरों में जाएँ!' |
19175 | JER 6:17 | मैंने तुम्हारे लिये पहरुए बैठाकर कहा, 'नरसिंगे का शब्द ध्यान से सुनना!' पर उन्होंने कहा, 'हम न सुनेंगे।' |
19541 | JER 22:18 | इसलिए योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यहोवा यह कहता है: “जैसे लोग इस रीति से कहकर रोते हैं, 'हाय मेरे भाई, हाय मेरी बहन!' इस प्रकार कोई 'हाय मेरे प्रभु,' या 'हाय तेरा वैभव,' कहकर उसके लिये विलाप न करेगा। |
19578 | JER 23:25 | मैंने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कहकर झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, 'मैंने स्वप्न देखा है, स्वप्न!' |
19783 | JER 31:23 | इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यह कहता है “जब मैं यहूदी बन्दियों को उनके देश के नगरों में लौटाऊँगा, तब उनमें यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगाः 'हे धर्मभरे वासस्थान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे!' |
19855 | JER 33:11 | इन्हीं में हर्ष और आनन्द का शब्द, दुल्हे-दुल्हन का शब्द, और इस बात के कहनेवालों का शब्द फिर सुनाई पड़ेगा : 'सेनाओं के यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि यहोवा भला है, और उसकी करुणा सदा की है!' और यहोवा के भवन में धन्यवाद-बलि लानेवालों का भी शब्द सुनाई देगा; क्योंकि मैं इस देश की दशा पहले के समान ज्यों की त्यों कर दूँगा, यहोवा का यही वचन है। |
20480 | LAM 3:57 | जब मैंने तुझे पुकारा, तब तूने मुझसे कहा, 'मत डर!' |
22480 | AMO 4:1 | “हे बाशान की गायों, यह वचन सुनो, तुम जो सामरिया पर्वत पर हो, जो कंगालों पर अंधेर करतीं, और दरिद्रों को कुचल डालती हो, और अपने-अपने पति से कहती हो, 'ला, दे हम पीएँ!' |