Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   Number:Number-Number,    February 25, 2023 at 00:21    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

3268  LEV 18:16  अपनी भाभी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे भाई ही का तन है। (मत्ती 14:3-4, मर. 6:18)
3300  LEV 19:18  बदला न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूँ। (मत्ती 5:43, मत्ती 19:19, मत्ती 22:39, मर. 12:31-33, लूका 10:27, रोम. 12:19, रोम. 13:9, गला. 5:14, याकूब. 2:8)
3364  LEV 21:18  कोई क्यों न हो, जिसमें दोष हो, वह समीप न आए, चाहे वह अंधा हो, चाहे लँगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अधिक अंग हों, (लैव्य. 22:19-25, लैव्य. 22:23)
4436  NUM 23:19  परमेश्‍वर मनुष्य नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उसे पूरा न करे? (रोम. 9:6-2, तीमु. 2:13)
4696  NUM 31:30  फिर इस्राएलियों के आधे में से, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियाँ, क्या किसी प्रकार का पशु हो, पचास के पीछे एक लेकर यहोवा के निवास की रखवाली करनेवाले लेवियों को दे।” (गिनती. 31:42-47, गिनती. 3:7-8, 25, 31, 36)
5472  DEU 21:23  तो वह शव रात को वृक्ष पर टँगी न रहे*, अवश्य उसी दिन उसे मिट्टी देना, क्योंकि जो लटकाया गया हो वह परमेश्‍वर की ओर से श्रापित ठहरता है; इसलिए जो देश तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरा भाग करके देता है उस भूमि को अशुद्ध न करना। (मत्ती 27:57-58, प्रेरि. 5:30)
6620  JDG 4:19  तब सीसरा ने उससे कहा, “मुझे प्यास लगी है, मुझे थोड़ा पानी पिला।” तब उसने दूध की कुप्पी खोलकर उसे दूध पिलाया, और उसको ओढ़ा दिया। (न्या. 5:25-26, उत्प. 24:43)
7214  RUT 4:22  और ओबेद से यिशै, और यिशै से दाऊद उत्‍पन्‍न हुआ। (मत्ती 1:4-6, लूका 3:31-32)
8199  2SA 7:16  वरन् तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे सामने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।'” (भज. 89:36-37, लूका 1:32,33)
9502  1KI 22:19  मीकायाह ने कहा, “इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन! मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके पास दाहिने बांयें खड़ी हुई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है। (प्रका. 4:2, प्रका. 4:9-10, प्रका. 5:1, 7,13, प्रका. 6:16, प्रका. 7:10, प्रका. 7:15, प्रका. 19:4, प्रका. 21:5)
10879  1CH 17:11  जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी और तुझे अपने पितरों के संग जाना पड़ेगा, तब मैं तेरे बाद तेरे वंश को जो तेरे पुत्रों में से होगा, खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूँगा। (1 राजा. 2:10-11, 2 शमू. 7:12)
12966  JOB 5:11  इसी रीति वह नम्र लोगों को ऊँचे स्थान पर बैठाता है, और शोक का पहरावा पहने हुए लोग ऊँचे पर पहुँचकर बचते हैं। (लूका 1:52-53, याकू. 4:10)
14028  PSA 8:7  तूने उसे अपने हाथों के कार्यों पर प्रभुता दी है; तूने उसके पाँव तले सब कुछ कर दिया है*। (1 कुरि. 15:27, इफि. 1:22, इब्रा. 2:6-8, प्रेरि. 17:31)
14309  PSA 27:7  हे यहोवा, मेरा शब्द सुन, मैं पुकारता हूँ, तू मुझ पर दया कर और मुझे उत्तर दे। (भज. 130:2-4, भज. 13:3)
14759  PSA 53:4  वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बिगड़ गए; कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं। (भज. 14:1-3, रोम. 3:10-12)
14885  PSA 62:11  अत्याचार करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पत्ति बढ़े, तो भी उस पर मन न लगाना। (मत्ती 19:21-22, 1 तीमु. 6:17)
14913  PSA 65:3  हे प्रार्थना के सुननेवाले! सब प्राणी तेरे ही पास आएँगे। (प्रेरि. 10:34-35, यह 66:23)
14947  PSA 67:3  जिससे तेरी गति पृथ्वी पर, और तेरा किया हुआ उद्धार सारी जातियों में जाना जाए। (लूका 2:30-31, तीतु. 2:11)
15175  PSA 78:4  उन्हें हम उनकी सन्तान से गुप्त न रखेंगे, परन्तु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ्य और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगे। (व्य. 4:9, यहो. 4:6-7, इफि. 6:4)
15848  PSA 109:25  मेरी तो उन लोगों से नामधराई होती है; जब वे मुझे देखते, तब सिर हिलाते हैं। (इब्रा. 10:12-13, लूका 20:42-43)
15855  PSA 110:1  मेरे प्रभु से यहोवा की वाणी यह है, “तू मेरे दाहिने ओर बैठ, जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न कर दूँ।” (इब्रा. 10:12-13, लूका 20:42-43)
17611  SNG 1:4  मुझे खींच ले; हम तेरे पीछे दौड़ेंगे। राजा मुझे अपने महल में ले आया है। हम तुझ में मगन और आनन्दित होंगे; हम दाखमधु से अधिक तेरे प्रेम की चर्चा करेंगे; वे ठीक ही तुझ से प्रेम रखती हैं। (होशे 11:4, फिली. 3:1-12, भज. 45:14)
17639  SNG 2:15  जो छोटी लोमड़ियाँ दाख की बारियों को बिगाड़ती हैं, उन्हें पकड़ ले, क्योंकि हमारी दाख की बारियों में फूल लगे हैं।” (भज. 80:8-13, यहे. 13:4)
17957  ISA 11:3  ओर उसको यहोवा का भय सुगन्ध—सा भाएगा। वह मुँह देखा न्याय न करेगा और न अपने कानों के सुनने के अनुसार निर्णय करेगा; (यूह. 8:15-16, यूह. 7:24)
18441  ISA 37:19  और उनके देवताओं को आग में झोंका है; क्योंकि वे ईश्वर न थे, वे केवल मनुष्यों की कारीगरी, काठ और पत्थर ही थे; इस कारण वे उनको नाश कर सके। (भज. 115:4-8, गला. 4:8)
18530  ISA 41:9  तू जिसे मैंने पृथ्वी के दूर-दूर देशों से लिया और पृथ्वी की छोर से बुलाकर यह कहा, “तू मेरा दास है, मैंने तुझे चुना है और त्यागा नहीं;” (भज. 107:2-3, भज. 94:14, मत्ती 2:18-2)
18560  ISA 42:10  हे समुद्र पर चलनेवालों, हे समुद्र के सब रहनेवालों, हे द्वीपों, तुम सब अपने रहनेवालों समेत यहोवा के लिये नया गीत गाओ और पृथ्वी की छोर से उसकी स्तुति करो। (भज. 96:1-3, भज. 97:1)
18571  ISA 42:21  यहोवा को अपनी धार्मिकता के निमित्त ही यह भाया है कि व्यवस्था की बड़ाई अधिक करे। (मत्ती 5:17-18, रोम. 7:12,10:4)
18585  ISA 43:10  यहोवा की वाणी है, “तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैंने इसलिए चुना है कि समझकर मेरा विश्वास करो और यह जान लो कि मैं वही हूँ। मुझसे पहले कोई परमेश्‍वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा। (यूह. 1:7-8, यशा. 45:6)
18628  ISA 44:25  मैं झूठे लोगों के कहे हुए चिन्हों को व्यर्थ कर देता और भावी कहनेवालों को बावला कर देता हूँ; जो बुद्धिमानों को पीछे हटा देता और उनकी पंडिताई को मूर्खता बनाता हूँ; (अय्यू. 5:12-14, 1 कुरि. 1:20)
18645  ISA 45:14  यहोवा यह कहता है, “मिस्रियों की कमाई और कूशियों के व्यापार का लाभ और सबाई लोग जो डील-डौलवाले हैं, तेरे पास चले आएँगे, और तेरे ही हो जाएँगे, वे तेरे पीछे-पीछे चलेंगे; वे साँकलों में बाँधे हुए चले आएँगे और तेरे सामने दण्डवत् कर तुझसे विनती करके कहेंगे, 'निश्चय परमेश्‍वर तेरे ही साथ है और दूसरा कोई नहीं; उसके सिवाय कोई और परमेश्‍वर नहीं।'” (जक. 8:22-23, प्रका. 3:9)
18719  ISA 49:13  हे आकाश जयजयकार कर, हे पृथ्वी, मगन हो; हे पहाड़ों, गला खोलकर जयजयकार करो! क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को शान्ति दी है और अपने दीन लोगों पर दया की है। (भज. 96:11-13, यिर्म. 31:13)
18729  ISA 49:23  राजा तेरे बच्चों के निज-सेवक और उनकी रानियाँ दूध पिलाने के लिये तेरी दाइयां होंगी। वे अपनी नाक भूमि पर रगड़कर तुझे दण्डवत् करेंगे और तेरे पाँवों की धूल चाटेंगे। तब तू यह जान लेगी कि मैं ही यहोवा हूँ; मेरी बाट जोहनेवाले कभी लज्जित न होंगे।” (भज. 72:9-11, योए. 2:27)
18771  ISA 52:5  इसलिए यहोवा की यह वाणी है कि मैं अब यहाँ क्या करूँ जब कि मेरी प्रजा सेंत-मेंत हर ली गई है? यहोवा यह भी कहता है कि जो उन पर प्रभुता करते हैं वे ऊधम मचा रहे हैं, और मेरे नाम कि निन्दा लगातार दिन भर होती रहती है। (यहे. 36:20-23, रोम. 2:24)
18835  ISA 56:12  वे कहते हैं, “आओ, हम दाखमधु ले आएँ, आओ मदिरा पीकर छक जाएँ; कल का दिन भी तो आज ही के समान अत्यन्त सुहावना होगा।” (लूका 12:19-20, 1 कुरि. 15:32)
18863  ISA 58:7  क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बाँट देना, अनाथ और मारे-मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहनाना, और अपने जाति भाइयों से अपने को न छिपाना? (इब्रा. 13:2-3, नीति. 25:21,28:27, मत्ती 25:35,36)
18886  ISA 59:16  उसने देखा कि कोई भी पुरुष नहीं, और इससे अचम्भा किया कि कोई विनती करनेवाला नहीं; तब उसने अपने ही भुजबल से उद्धार किया, और अपने धर्मी होने के कारण वह सम्भल गया। (यहे. 22:30, इब्रा. 7:25, प्रका. 5:1-5, भज. 98:1)
18889  ISA 59:19  तब पश्चिम की ओर लोग यहोवा के नाम का, और पूर्व की ओर उसकी महिमा का भय मानेंगे; क्योंकि जब शत्रु महानद के समान चढ़ाई करेंगे तब यहोवा का आत्मा उसके विरुद्ध झण्डा खड़ा करेगा। (मत्ती 8:11, लूका 13:29, भज. 102:15-16, 113:3)
18930  ISA 62:6  हे यरूशलेम, मैंने तेरी शहरपनाह पर पहरूए बैठाए हैं; वे दिन-रात कभी चुप न रहेंगे। हे यहोवा को स्मरण करनेवालों, चुप न रहो, (यहे. 3:17-21, इब्रा. 13:17)
18992  ISA 66:1  यहोवा यह कहता है: “आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? (प्रेरि. 7:48-50, मत्ती 5:34,35)
19793  JER 31:33  परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। (2 कुरि. 3:3, इब्रा. 8:10-11, रोम. 11:26,27)
21846  DAN 2:19  तब वह भेद दानिय्येल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। तब दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्‍वर का यह कहकर धन्यवाद किया, (अय्यु. 33:15-16, गिन. 12:6)
22173  HOS 2:1  तो भी इस्राएलियों की गिनती समुद्र की रेत की सी हो जाएगी, जिनका मापना-गिनना अनहोना है; और जिस स्थान में उनसे यह कहा जाता था, “तुम मेरी प्रजा नहीं हो,” उसी स्थान में वे जीवित परमेश्‍वर के पुत्र कहलाएँगे। (रोम. 9:26-28, कुरि. 6:18,1 पत. 2:10)
22408  JOL 3:1  “उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर* अपना आत्मा उण्डेलूँगा; तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे। (प्रेरि. 2:17-21, तीतु. 3:6)
22443  AMO 1:10  इसलिए मैं सोर की शहरपनाह पर आग लगाऊँगा, और उससे उसके भवन भी भस्म हो जाएँगे।” (मत्ती 11:21-22, लूका 10:13-14) एदोम
22739  MIC 7:6  क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और बहू सास के विरुद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं। (मत्ती 10:21-35, मर. 13:12, लूका 12:53)
22753  MIC 7:20  तू याकूब के विषय में वह सच्चाई, और अब्राहम के विषय में वह करुणा पूरी करेगा, जिसकी शपथ तू प्राचीनकाल के दिनों से लेकर अब तक हमारे पितरों से खाता आया है। (लूका 1:54-55, रोम. 15:8-9)
22821  HAB 2:4  देख, उसका मन फूला हुआ है, उसका मन सीधा नहीं है; परन्तु धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा। (इब्रा. 10:37-38, 2 पत. 3:9, रोम. 1:17, गला. 3:11)
23142  ZEC 14:5  तब तुम मेरे बनाए हुए उस तराई से होकर भाग जाओगे, क्योंकि वह खड्ड आसेल तक पहुँचेगा, वरन् तुम ऐसे भागोगे जैसे उस भूकम्प के डर से भागे थे जो यहूदा के राजा उज्जियाह के दिनों में हुआ था। तब मेरा परमेश्‍वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे। (मत्ती 24:30-31, 1 थिस्स. 3:13, यहू. 1:14)
23563  MAT 12:5  या क्या तुम ने व्यवस्था में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्त के दिन मन्दिर में सब्त के दिन की विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं? (गिन. 28:9-10, यूह. 7:22-23)
24404  MRK 4:12  इसलिए कि “वे देखते हुए देखें और उन्हें दिखाई न पड़े और सुनते हुए सुनें भी और न समझें; ऐसा न हो कि वे फिरें, और क्षमा किए जाएँ।” (यशा. 6:9-10, यिर्म. 5:21)
24676  MRK 10:19  तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना*, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।’ (निर्ग. 20:12-16, रोम. 13:9)
24775  MRK 12:33  और उससे सारे मन, और सारी बुद्धि, और सारे प्राण, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना; और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमबलियों और बलिदानों से बढ़कर है।” (व्य. 6:4-5, लैव्य. 19:18, होशे 6:6)
25041  LUK 1:79  कि अंधकार और मृत्यु की छाया में बैठनेवालों को ज्योति दे, और हमारे पाँवों को कुशल के मार्ग में सीधे चलाए।” (यशा. 58:8, यशा. 60:1-2, यशा. 9:2)
25083  LUK 2:41  उसके माता-पिता प्रति वर्ष फसह के पर्व में यरूशलेम को जाया करते थे। (निर्ग. 12:24-27, व्य. 16:1-8)
25130  LUK 3:36  और वह केनान का, वह अरफक्षद का, और वह शेम का, वह नूह का, वह लेमेक‍ का, (उत्प. 11:10-26, 1 इति. 1:24-27)
25219  LUK 6:4  वह कैसे परमेश्‍वर के घर में गया, और भेंट की रोटियाँ लेकर खाई, जिन्हें खाना याजकों को छोड़ और किसी को उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दी?” (लैव्य. 24:5-9, 1 शमू. 21:6)
25250  LUK 6:35  वरन् अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो, और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। (लैव्य. 25:35-36, मत्ती 5:44-45)
25286  LUK 7:22  और उसने उनसे कहा, “जो कुछ तुम ने देखा और सुना है, जाकर यूहन्ना से कह दो; कि अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते-फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, बहरे सुनते है, और मुर्दे जिलाए जाते है, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है। (यशा. 35:5-6, यशा. 61:1)
25446  LUK 10:14  परन्तु न्याय के दिन तुम्हारी दशा से सोर और सीदोन की दशा अधिक सहने योग्य होगी। (योए. 3:4-8, जक. 9:2-4)
25450  LUK 10:18  उसने उनसे कहा, “मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देख रहा था। (प्रका. 12:7-9, यशा. 14:12)
25459  LUK 10:27  उसने उत्तर दिया, “तू प्रभु अपने परमेश्‍वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने जैसा प्रेम रख।” (मत्ती 22:37-40, व्य. 6:5, व्य. 10:12, यहो. 22:5)
25505  LUK 11:31  दक्षिण की रानी न्याय के दिन इस समय के मनुष्यों के साथ उठकर, उन्हें दोषी ठहराएगी, क्योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने को पृथ्वी की छोर से आई, और देखो यहाँ वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है। (1 राजा. 10:1-10, 2 इति. 9:1)
25593  LUK 13:6  फिर उसने यह दृष्टान्त भी कहा, “किसी की अंगूर की बारी* में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था : वह उसमें फल ढूँढ़ने आया, परन्तु न पाया। (मत्ती 21:19-20, मर. 11:12-14)
25601  LUK 13:14  इसलिए कि यीशु ने सब्त के दिन उसे अच्छा किया था*, आराधनालय का सरदार रिसियाकर लोगों से कहने लगा, “छः दिन हैं, जिनमें काम करना चाहिए, अतः उन ही दिनों में आकर चंगे हो; परन्तु सब्त के दिन में नहीं।” (निर्ग. 20:9-10, व्य. 5:13-14)
25606  LUK 13:19  वह राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपनी बारी में बोया: और वह बढ़कर पेड़ हो गया; और आकाश के पक्षियों ने उसकी डालियों पर बसेरा किया।” (मत्ती 13:31-32, यहे. 31:6, दानि. 4:21)
25746  LUK 17:26  जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। (इब्रा. 4:7, मत्ती 24:37-39, उत्प. 6:5-12)
25838  LUK 19:38  “धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है! स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)
25857  LUK 20:9  तब वह लोगों से यह दृष्टान्त कहने लगा, “किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और किसानों को उसका ठेका दे दिया और बहुत दिनों के लिये परदेश चला गया। (मर. 12:1-12, मत्ती 21:33-46)
25905  LUK 21:10  तब उसने उनसे कहा, “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा। (2 इति. 15:5-6, यशा. 19:2)
25920  LUK 21:25  “और सूरज और चाँद और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश-देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे। (भज. 46:2-3, भज. 65:7, यशा. 13:10, यशा. 24:19, यहे. 32:7, योए. 2:30)
26419  JHN 7:22  इसी कारण मूसा ने तुम्हें खतने की आज्ञा दी है, यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु पूर्वजों से चली आई है, और तुम सब्त के दिन को मनुष्य का खतना करते हो। (उत्प. 17:10-13, लैव्य. 12:3)
27019  ACT 2:1  जब पिन्तेकुस्त का दिन* आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। (लैव्य. 23:15-21, व्य. 16:9-11)
27048  ACT 2:30  वह भविष्यद्वक्ता था, वह जानता था कि परमेश्‍वर ने उससे शपथ खाई है, “मैं तेरे वंश में से एक व्यक्ति को तेरे सिंहासन पर बैठाऊँगा।” (2 शमू. 7:12-13, भज. 132:11)
27102  ACT 4:11  यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना* और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। (भज. 118:22-23, दानि. 2:34, 35)
27191  ACT 7:6  और परमेश्‍वर ने यह कहा, ‘तेरी सन्तान के लोग पराये देश में परदेशी होंगे, और वे उन्हें दास बनाएँगे, और चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे।’ (उत्प. 15:13-14, निर्ग. 2:22)
27193  ACT 7:8  और उसने उससे खतने की वाचा* बाँधी; और इसी दशा में इसहाक उससे उत्‍पन्‍न हुआ; और आठवें दिन उसका खतना किया गया; और इसहाक से याकूब और याकूब से बारह कुलपति उत्‍पन्‍न हुए। (उत्प. 17:10-11, उत्प. 21:4)
27194  ACT 7:9  “और कुलपतियों ने यूसुफ से ईर्ष्या करके उसे मिस्र देश जानेवालों के हाथ बेचा; परन्तु परमेश्‍वर उसके साथ था। (उत्प. 37:11, उत्प. 37:28, उत्प. 39:2-3, उत्प. 45:4)
27199  ACT 7:14  तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब और अपने सारे कुटुम्ब को, जो पचहत्तर व्यक्ति थे, बुला भेजा। (उत्प. 45:9-11, उत्प. 45:18-19, निर्ग. 1:5, व्य. 10:22)
27201  ACT 7:16  उनके शव शेकेम में पहुँचाए जाकर उस कब्र में रखे गए, जिसे अब्राहम ने चाँदी देकर शेकेम में हमोर की सन्तान से मोल लिया था। (उत्प. 23:16-17, उत्प. 33:19, उत्प. 49:29-30, उत्प. 50:13, यहो. 24:32)
27204  ACT 7:19  उसने हमारी जाति से चतुराई करके हमारे बाप-दादों के साथ यहाँ तक बुरा व्यवहार किया, कि उन्हें अपने बालकों को फेंक देना पड़ा कि वे जीवित न रहें। (निर्ग. 1:9-10, निर्ग. 1:18, निर्ग. 1:22)
27214  ACT 7:29  यह बात सुनकर, मूसा भागा और मिद्यान देश में परदेशी होकर रहने लगा: और वहाँ उसके दो पुत्र उत्‍पन्‍न हुए। (निर्ग. 2:15-22, निर्ग. 18:3-4)
27223  ACT 7:38  यह वही है, जिस ने जंगल में मण्डली के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उससे बातें की, और हमारे पूर्वजों के साथ था, उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुँचाए। (निर्ग. 19:1-6, निर्ग. 20:1-17, व्य. 5:4-22, व्य. 9:10-11)
27224  ACT 7:39  परन्तु हमारे पूर्वजों ने उसकी मानना न चाहा; वरन् उसे ठुकराकर अपने मन मिस्र की ओर फेरे, (निर्ग. 23:20-21, गिन. 14:3-4)
27229  ACT 7:44  “साक्षी का तम्बू जंगल में हमारे पूर्वजों के बीच में था; जैसा उसने ठहराया, जिस ने मूसा से कहा, ‘जो आकार तूने देखा है, उसके अनुसार इसे बना।’ (निर्ग. 25:1-40, निर्ग. 25:40, निर्ग. 27:21, गिन. 1:50)
27230  ACT 7:45  उसी तम्बू को हमारे पूर्वजों ने पूर्वकाल से पा कर यहोशू के साथ यहाँ ले आए; जिस समय कि उन्होंने उन अन्यजातियों पर अधिकार पाया, जिन्हें परमेश्‍वर ने हमारे पूर्वजों के सामने से निकाल दिया, और वह दाऊद के समय तक रहा। (यहो. 3:14-17, यहो. 18:1, यहो. 23:9, यहो. 24:18)
27231  ACT 7:46  उस पर परमेश्‍वर ने अनुग्रह किया; अतः उसने विनती की, कि मैं याकूब के परमेश्‍वर के लिये निवास स्थान बनाऊँ। (2 शमू. 7:2-16, 1 राजा. 8:17-18, 1 इति. 17:1-14, 2 इति. 6:7-8, भज. 132:5)
27232  ACT 7:47  परन्तु सुलैमान ने उसके लिये घर बनाया। (1 राजा. 6:1,2, 1 राजा. 6:14, 1 राजा. 8:19-20, 2 इति. 3:1, 2 इति. 5:1, 2 इति. 6:2, 2 इति. 6:10)
27236  ACT 7:51  “हे हठीले, और मन और कान के खतनारहित लोगों, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो। जैसा तुम्हारे पूर्वज करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो। (निर्ग. 32:9, निर्ग. 33:3-5, लैव्य. 26:41, गिन. 27:14, यशा. 63:10, यिर्म. 6:10, यिर्म. 9:26)
27342  ACT 10:14  परन्तु पतरस ने कहा, “नहीं प्रभु, कदापि नहीं; क्योंकि मैंने कभी कोई अपवित्र या अशुद्ध वस्तु नहीं खाई है।” (लैव्य. 11:1-47, यहे. 4:14)
27371  ACT 10:43  उसकी सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उसको उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी। (यशा. 33:24, यशा. 53:5-6, यिर्म. 31:34, दानि. 9:24)
27452  ACT 13:21  उसके बाद उन्होंने एक राजा माँगा; तब परमेश्‍वर ने चालीस वर्ष के लिये बिन्यामीन के गोत्र में से एक मनुष्य अर्थात् कीश के पुत्र शाऊल को उन पर राजा ठहराया। (1 शमू. 8:5,1 शमू. 8:19,1 शमू. 10:20-21, 1 शमू. 10:24, 1 शमू. 11:15)
27453  ACT 13:22  फिर उसे अलग करके दाऊद को उनका राजा बनाया; जिसके विषय में उसने गवाही दी, ‘मुझे एक मनुष्य, यिशै का पुत्र दाऊद, मेरे मन के अनुसार मिल गया है। वही मेरी सारी इच्छा पूरी करेगा।’ (1 शमू. 13:14, 1 शमू. 16:12-13, भज. 89:20, यशा. 44:28)
27454  ACT 13:23  उसी के वंश में से परमेश्‍वर ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल के पास एक उद्धारकर्ता, अर्थात् यीशु को भेजा। (2 शमू. 7:12-13, यशा. 11:1)
27529  ACT 15:18  यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।’ (आमो. 9:9-12, यशा. 45:21)
27621  ACT 17:29  अतः परमेश्‍वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं कि ईश्वरत्व, सोने या चाँदी या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। (उत्प. 1:27, यशा. 40:18-20, यशा. 44:10-17)
27623  ACT 17:31  क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा धार्मिकता से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रमाणित कर दी है।” (भज. 9:8, भज. 72:2-4, भज. 96:13, भज. 98:9, यशा. 2:4)
27756  ACT 21:24  उन्हें लेकर उसके साथ अपने आप को शुद्ध कर; और उनके लिये खर्चा दे, कि वे सिर मुँड़ाएँ। तब सब जान लेंगे, कि जो बातें उन्हें तेरे विषय में सिखाई गईं, उनकी कुछ जड़ नहीं है परन्तु तू आप भी व्यवस्था को मानकर उसके अनुसार चलता है। (गिन. 6:5, गिन. 6:13-18, गिन. 6:21)
27909  ACT 26:18  कि तू उनकी आँखें खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर*, और शैतान के अधिकार से परमेश्‍वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, विरासत पाएँ।’ (व्य. 33:3-4, यशा. 35:5-6, यशा. 42:7, यशा. 42:16, यशा. 61:1)
28018  ROM 1:20  क्योंकि उसके अनदेखे गुण*, अर्थात् उसकी सनातन सामर्थ्य और परमेश्‍वरत्व, जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं, यहाँ तक कि वे निरुत्तर हैं। (अय्यू. 12:7-9, भज. 19:1)