Wildebeest analysis examples for:   urd-urd   औ    February 25, 2023 at 01:28    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  ज़मीन वीरान सुनसान थी गहराओ के ऊपर अँधेरा था: ख़ुदा की रूह पानी की सतह पर जुम्बिश करती थी।
3  GEN 1:3  ख़ुदा ने कहा कि रोशनी हो जा, रोशनी हो गई।
4  GEN 1:4  ख़ुदा ने देखा कि रोशनी अच्छी है, ख़ुदा ने रोशनी को अँधेरे से जुदा किया।
5  GEN 1:5  ख़ुदा ने रोशनी को तो दिन कहा अँधेरे को रात। शाम हुई सुबह हुई तब पहला दिन हुआ।
6  GEN 1:6  ख़ुदा ने कहा कि पानियों के बीच फ़ज़ा हो ताकि पानी, पानी से जुदा हो जाए।
7  GEN 1:7  फिर ख़ुदा ने फ़ज़ा को बनाया फ़ज़ा के नीचे के पानी को फ़ज़ा के ऊपर के पानी से जुदा किया; ऐसा ही हुआ।
8  GEN 1:8  ख़ुदा ने फ़ज़ा को आसमान कहा। शाम हुई सुबह हुई — तब दूसरा दिन हुआ।
9  GEN 1:9  ख़ुदा ने कहा कि आसमान के नीचे का पानी एक जगह जमा हो कि ख़ुश्की नज़र आए, ऐसा ही हुआ।
10  GEN 1:10  ख़ुदा ने ख़ुश्की को ज़मीन कहा जो पानी जमा हो गया था उसको समुन्दर; ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
11  GEN 1:11  ख़ुदा ने कहा कि ज़मीन घास बीजदार बूटियों को, फलदार दरख़्तों को जो अपनी — अपनी क़िस्म के मुताबिक़ फलें जो ज़मीन पर अपने आप ही में बीज रख्खें उगाए ऐसा ही हुआ।
12  GEN 1:12  तब ज़मीन ने घास, बूटियों को, जो अपनी — अपनी क़िस्म के मुताबिक़ बीज रख्खें फलदार दरख़्तों को जिनके बीज उन की क़िस्म के मुताबिक़ उनमें हैं उगाया; ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
13  GEN 1:13  शाम हुई सुबह हुई — तब तीसरा दिन हुआ।
14  GEN 1:14  ख़ुदा ने कहा कि फ़लक पर सितारे हों कि दिन को रात से अलग करें; वह निशान ज़मानो दिनों बरसों के फ़र्क़ के लिए हों।
15  GEN 1:15  वह फ़लक पर रोशनी के लिए हों कि ज़मीन पर रोशनी डालें, ऐसा ही हुआ।
16  GEN 1:16  फिर ख़ुदा ने दो बड़े चमकदार सितारे बनाए; एक बड़ा चमकदार सितारा, कि दिन पर हुक्म करे एक छोटा चमकदार सितारा कि रात पर हुक्म करे उसने सितारों को भी बनाया।
17  GEN 1:17  ख़ुदा ने उनको फ़लक पर रख्खा कि ज़मीन पर रोशनी डालें,
18  GEN 1:18  दिन पर रात पर हुक्म करें, उजाले को अन्धेरे से जुदा करें; ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
19  GEN 1:19  शाम हुई सुबह हुई — तब चौथा दिन हुआ।
20  GEN 1:20  ख़ुदा ने कहा कि पानी जानदारों को कसरत से पैदा करे, परिन्दे ज़मीन के ऊपर फ़ज़ा में उड़ें।
21  GEN 1:21  ख़ुदा ने बड़े बड़े दरियाई जानवरों को, हर क़िस्म के जानदार को जो पानी से बकसरत पैदा हुए थे, उनकी क़िस्म के मुताबिक़ हर क़िस्म के परिन्दों को उनकी क़िस्म के मुताबिक़, पैदा किया; ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
22  GEN 1:22  ख़ुदा ने उनको यह कह कर बरकत दी कि फलो बढ़ो इन समुन्दरों के पानी को भर दो, परिन्दे ज़मीन पर बहुत बढ़ जाएँ।
23  GEN 1:23  शाम हुई सुबह हुई — तब पाँचवाँ दिन हुआ।
24  GEN 1:24  ख़ुदा ने कहा कि ज़मीन जानदारों को, उनकी क़िस्म के मुताबिक़, चौपाये रेंगनेवाले जानदार जंगली जानवर उनकी क़िस्म के मुताबिक़ पैदा करे, ऐसा ही हुआ।
25  GEN 1:25  ख़ुदा ने जंगली जानवरों चौपायों को उनकी क़िस्म के मुताबिक़ ज़मीन के रेंगने वाले जानदारों को उनकी क़िस्म के मुताबिक़ बनाया; ख़ुदा ने देखा कि अच्छा है।
26  GEN 1:26  फिर ख़ुदा ने कहा कि हम इंसान को अपनी सूरत पर अपनी शबीह की तरह बनाएँ वह समुन्दर की मछलियों आसमान के परिन्दों चौपायों, तमाम ज़मीन सब जानदारों पर जो ज़मीन पर रेंगते हैं इख़्तियार रख्खें।
27  GEN 1:27  ख़ुदा ने इंसान को अपनी सूरत पर पैदा किया ख़ुदा की सूरत पर उसको पैदा किया — नर — ओ — नारी उनको पैदा किया।
28  GEN 1:28  ख़ुदा ने उनको बरकत दी कहा कि फलो बढ़ो ज़मीन को भर दो हुकूमत करो समुन्दर की मछलियों हवा के परिन्दों कुल जानवरों पर जो ज़मीन पर चलते हैं इख़ितयार रख्खो।
29  GEN 1:29  ख़ुदा ने कहा कि देखो, मैं तमाम रू — ए — ज़मीन की कुल बीजदार सब्ज़ी हर दरख़्त जिसमें उसका बीजदार फल हो, तुम को देता हूँ; यह तुम्हारे खाने को हों।
30  GEN 1:30  ज़मीन के कुल जानवरों के लिए, हवा के कुल परिन्दों के लिए उन सब के लिए जो ज़मीन पर रेंगने वाले हैं जिनमें ज़िन्दगी का दम है, कुल हरी बूटियाँ खाने को देता हूँ, ऐसा ही हुआ।
31  GEN 1:31  ख़ुदा ने सब पर जो उसने बनाया था नज़र की, देखा कि बहुत अच्छा है, शाम हुई सुबह हुई तब छठा दिन हुआ।
32  GEN 2:1  तब आसमान ज़मीन उनके कुल लश्कर का बनाना ख़त्म हुआ।
33  GEN 2:2  ख़ुदा ने अपने काम को, जिसे वह करता था सातवें दिन ख़त्म किया, अपने सारे काम से जिसे वह कर रहा था, सातवें दिन फ़ारिग़ हुआ।
34  GEN 2:3  ख़ुदा ने सातवें दिन को बरकत दी, उसे मुक़द्दस ठहराया; क्यूँकि उसमें ख़ुदा सारी कायनात से जिसे उसने पैदा किया बनाया फ़ारिग़ हुआ।
35  GEN 2:4  यह है आसमान ज़मीन की पैदाइश, जब वह पैदा हुए जिस दिन ख़ुदावन्द ख़ुदा ने ज़मीन आसमान को बनाया;
36  GEN 2:5  ज़मीन पर अब तक खेत का कोई पौधा न था न मैदान की कोई सब्ज़ी अब तक उगी थी, क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा ने ज़मीन पर पानी नहीं बरसाया था, न ज़मीन जोतने को कोई इंसान था।
37  GEN 2:6  बल्कि ज़मीन से कुहर उठती थी, तमाम रू — ए — ज़मीन को सेराब करती थी।
38  GEN 2:7  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने ज़मीन की मिट्टी से इंसान को बनाया उसके नथनों में ज़िन्दगी का दम फूंका इंसान जीती जान हुआ।
39  GEN 2:8  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने मशरिक़ की तरफ़ अदन में एक बाग़ लगाया इंसान को जिसे उसने बनाया था वहाँ रख्खा।
40  GEN 2:9  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने हर दरख़्त को जो देखने में ख़ुशनुमा खाने के लिए अच्छा था ज़मीन से उगाया बाग़ के बीच में ज़िन्दगी का दरख़्त भले बुरे की पहचान का दरख़्त भी लगाया।
41  GEN 2:10  अदन से एक दरिया बाग़ के सेराब करने को निकला वहाँ से चार नदियों में तक़सीम हुआ।
43  GEN 2:12  इस ज़मीन का सोना चोखा है। वहाँ मोती संग-ए-सुलेमानी भी हैं।
44  GEN 2:13  दूसरी नदी का नाम जैहून है, जो कूश की सारी ज़मीन को घेरे हुए है।
45  GEN 2:14  तीसरी नदी का नाम दिजला है जो असूर के मशरिक़ को जाती है। चौथी नदी का नाम फ़रात है।
46  GEN 2:15  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम को लेकर बाग़ — ए — 'अदन में रख्खा के उसकी बाग़वानी निगहबानी करे।
47  GEN 2:16  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम को हुक्म दिया कहा कि तू बाग़ के हर दरख़्त का फल बे रोक टोक खा सकता है।
48  GEN 2:17  लेकिन भले बुरे की पहचान के दरख़्त का कभी न खाना क्यूँकि जिस रोज़ तूने उसमें से खायेगा तू मर जायेगा।
49  GEN 2:18  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने कहा कि आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं मैं उसके लिए एक मददगार उसकी तरह बनाऊँगा।
50  GEN 2:19  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने सब जंगली जानवर हवा के सब परिन्दे मिट्टी से बनाए उनको आदम के पास लाया कि देखे कि वह उनके क्या नाम रखता है आदम ने जिस जानवर को जो कहा वही उसका नाम ठहरा।
51  GEN 2:20  आदम ने सब चौपायों हवा के परिन्दों सब जंगली जानवरों के नाम रख्खे लेकिन आदम के लिए कोई मददगार उसकी तरह न मिला।
52  GEN 2:21  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम पर गहरी नींद भेजी वह सो गया उसने उसकी पसलियों में से एक को निकाल लिया उसकी जगह गोश्त भर दिया।
53  GEN 2:22  ख़ुदावन्द ख़ुदा उस पसली से जो उसने आदम में से निकाली थी एक 'रत बना कर उसे आदम के पास लाया।
54  GEN 2:23  आदम ने कहा कि यह तो अब मेरी हड्डियों में से हड्डी, मेरे गोश्त में से गोश्त है; इसलिए वह 'रत कहलाएगी क्यूँकि वह मर्द से निकाली गई।
55  GEN 2:24  इसलिए आदमी अपने माँ बाप को छोड़ेगा अपनी बीवी से मिला रहेगा वह एक तन होंगे।
56  GEN 2:25  आदम उसकी बीवी दोनों नंगे थे शरमाते न थे।
57  GEN 3:1  साँप सब जंगली जानवरों से, जिनको ख़ुदावन्द ख़ुदा ने बनाया था चालाक था, उसने 'रत से कहा क्या वाक़'ई ख़ुदा ने कहा है, कि बाग़ के किसी दरख़्त का फल तुम न खाना?
58  GEN 3:2  'रत ने साँप से कहा कि बाग़ के दरख़्तों का फल तो हम खाते हैं।
59  GEN 3:3  लेकिन जो दरख़्त बाग़ के बीच में है उसके फल के बारे में ख़ुदा ने कहा है कि तुम न तो उसे खाना न छूना वरना मर जाओगे।
60  GEN 3:4  तब साँप ने 'रत से कहा कि तुम हरगिज़ न मरोगे!
61  GEN 3:5  बल्कि ख़ुदा जानता है कि जिस दिन तुम उसे खाओगे, तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी, तुम ख़ुदा की तरह भले बुरे के जानने वाले बन जाओगे।
62  GEN 3:6  'रत ने जो देखा कि वह दरख़्त खाने के लिए अच्छा आँखों को ख़ुशनुमा मा'लूम होता है अक्ल बख़्शने के लिए ख़ूब है तो उसके फल में से लिया खाया अपने शौहर को भी दिया उसने खाया।
63  GEN 3:7  तब दोनों की आँखें खुल गई उनको मा'लूम हुआ कि वह नंगे हैं उन्होंने अंजीर के पत्तों को सी कर अपने लिए लूंगियाँ बनाई।
64  GEN 3:8  उन्होंने ख़ुदावन्द ख़ुदा की आवाज़ जो ठंडे वक़्त बाग़ में फिरता था सुनी आदम उसकी बीवी ने अपने आप को ख़ुदावन्द ख़ुदा के सामने से बाग़ के दरख़तों में छिपाया।
65  GEN 3:9  तब ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम को पुकारा उससे कहा कि तू कहाँ है?
66  GEN 3:10  उसने कहा, मैंने बाग़ में तेरी आवाज़ सुनी मैं डरा क्यूँकि मैं नंगा था मैंने अपने आप को छिपाया।
68  GEN 3:12  आदम ने कहा कि जिस 'रत को तूने मेरे साथ किया है उसने मुझे उस दरख़्त का फल दिया मैंने खाया।
69  GEN 3:13  तब ख़ुदावन्द ख़ुदा ने, 'रत से कहा कि तूने यह क्या किया? 'रत ने कहा कि साँप ने मुझ को बहकाया तो मैंने खाया।
70  GEN 3:14  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने साँप से कहा, इसलिए कि तूने यह किया तू सब चौपायों जंगली जानवरों में ला'नती ठहरा; तू अपने पेट के बल चलेगा, अपनी उम्र भर खाक चाटेगा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे 'रत के बीच तेरी नसल रत की नसल के बीच 'अदावत डालूँगा वह तेरे सिर को कुचलेगा तू उसकी एड़ी पर काटेगा।
72  GEN 3:16  फिर उसने 'रत से कहा कि मैं तेरे दर्द — ए — हम्ल को बहुत बढ़ाऊँगा तू दर्द के साथ बच्चे जनेगी तेरी रग़बत अपने शौहर की तरफ़ होगी वह तुझ पर हुकूमत करेगा।
73  GEN 3:17  आदम से उसने कहा चूँकि तूने अपनी बीवी की बात मानी उस दरख़्त का फल खाया जिस के बारे मैंने तुझे हुक्म दिया था कि उसे न खाना इसलिए ज़मीन तेरी वजह से ला'नती हुई। मशक़्क़त के साथ तू अपनी उम्र भर उसकी पैदावार खाएगा
74  GEN 3:18  वह तेरे लिए काँटे ऊँटकटारे उगाएगी तू खेत की सब्ज़ी खाएगा।
75  GEN 3:19  तू अपने मुँह के पसीने की रोटी खाएगा जब तक कि ज़मीन में तू फिर लौट न जाए इसलिए कि तू उससे निकाला गया है क्यूँकि तू ख़ाक है ख़ाक में फिर लौट जाएगा।
76  GEN 3:20  आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा रख्खा, इसलिए कि वह सब ज़िन्दों की माँ है।
77  GEN 3:21  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने आदम उसकी बीवी के लिए चमड़े के कुर्तें बना कर उनको पहनाए।
78  GEN 3:22  ख़ुदावन्द ख़ुदा ने कहा, देखो इंसान भले बुरे की पहचान में हम में से एक की तरह हो गया: अब कहीं ऐसा न हो कि वह अपना हाथ बढ़ाए ज़िन्दगी के दरख़्त से भी कुछ लेकर खाए हमेशा ज़िन्दा रहे।
80  GEN 3:24  चुनाँचे उसने आदम को निकाल दिया बाग — ए — 'अदन के मशरिक़ की तरफ़ करूबियों को चारों तरफ़ घूमने वाली शो'लाज़न तलवार को रख्खा, कि वह ज़िन्दगी के दरख़्त की राह की हिफ़ाज़त करें।
81  GEN 4:1  आदम अपनी बीवी हव्वा के पास गया, वह हामिला हुई उसके क़ाइन पैदा हुआ। तब उसने कहा, मुझे ख़ुदावन्द से एक फ़र्ज़न्द मिला।
82  GEN 4:2  फिर क़ाइन का भाई हाबिल पैदा हुआ; हाबिल भेड़ बकरियों का चरवाहा क़ाइन किसान था।
84  GEN 4:4  हाबिल भी अपनी भेड़ बकरियों के कुछ पहलौठे बच्चों का कुछ उनकी चर्बी का हदिया लाया। ख़ुदावन्द ने हाबिल को उसके हदिये को क़ुबूल किया,
85  GEN 4:5  लेकिन क़ाइन को उसके हदिये को क़ुबूल न किया। इसलिए क़ाइन बहुत ग़ुस्सा हुआ उसका मुँह बिगड़ा।
86  GEN 4:6  ख़ुदावन्द ने क़ाइन से कहा, तू क्यूँ ग़ुस्सा हुआ? तेरा मुँह क्यूँ बिगड़ा हुआ है?
87  GEN 4:7  अगर तू भला करे तो क्या तू मक़्बूल न होगा? अगर तू भला न करे तो गुनाह दरवाज़े पर दुबका बैठा है तेरा मुश्ताक़ है, लेकिन तू उस पर ग़ालिब आ।
88  GEN 4:8  क़ाइन ने अपने भाई हाबिल को कुछ कहा जब वह दोनों खेत में थे तो ऐसा हुआ कि क़ाइन ने अपने भाई हाबिल पर हमला किया उसे क़त्ल कर डाला।
91  GEN 4:11  अब तू ज़मीन की तरफ़ से ला'नती हुआ, जिसने अपना मुँह पसारा कि तेरे हाथ से तेरे भाई का ख़ून ले।
92  GEN 4:12  जब तू ज़मीन को जोतेगा, तो वह अब तुझे अपनी पैदावार न देगी ज़मीन पर तू ख़ानाख़राब आवारा होगा।
94  GEN 4:14  देख, आज तूने मुझे रू — ए — ज़मीन से निकाल दिया है, मैं तेरे सामने से ग़ायब हो जाऊँगा; ज़मीन पर खानाख़राब आवारा रहूँगा, ऐसा होगा कि जो कोई मुझे पाएगा क़त्ल कर डालेगा।
95  GEN 4:15  तब ख़ुदावन्द ने उसे कहा, नहीं, बल्कि जो क़ाइन को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा। ख़ुदावन्द ने क़ाइन के लिए एक निशान ठहराया कि कोई उसे पा कर मार न डाले।
96  GEN 4:16  इसलिए, क़ाइन ख़ुदावन्द के सामने से निकल गया अदन के मशरिक़ की तरफ़ नूद के इलाक़े में जा बसा।
97  GEN 4:17  क़ाइन अपनी बीवी के पास गया वह हामिला हुई उसके हनूक पैदा हुआ; उसने एक शहर बसाया उसका नाम अपने बेटे के नाम पर हनूक रख्खा।
98  GEN 4:18  हनूक से ईराद पैदा हुआ, ईराद से महुयाएल पैदा हुआ, महुयाएल से मतूसाएल पैदा हुआ, मत्तूसाएल से लमक पैदा हुआ।
99  GEN 4:19  लमक दो रतें ब्याह लाया: एक का नाम अदा दूसरी का नाम ज़िल्ला था।
100  GEN 4:20  अदा के याबल पैदा हुआ: वह उनका बाप था जो ख़ेमों में रहते जानवर पालते हैं।