2 | GEN 1:2 | अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था। |
37 | GEN 2:6 | इसकी बजाए ज़मीन में से धुंध उठकर उस की पूरी सतह को तर करती थी। |
80 | GEN 3:24 | इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन के मशरिक़ में करूबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तलवार रखी जो इधर-उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त तक पहुँचाता था। |
156 | GEN 6:18 | लेकिन तेरे साथ मैं अहद बाँधूँगा जिसके तहत तू अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ कश्ती में जाएगा। |
172 | GEN 7:12 | चालीस दिन और चालीस रात तक मूसलाधार बारिश होती रही। |
217 | GEN 9:11 | मैं तुम्हारे साथ अहद बाँधकर वादा करता हूँ कि अब से ऐसा कभी नहीं होगा कि ज़मीन की तमाम ज़िंदगी सैलाब से ख़त्म कर दी जाएगी। अब से ऐसा सैलाब कभी नहीं आएगा जो पूरी ज़मीन को तबाह कर दे। |
227 | GEN 9:21 | अंगूर से मै बनाकर उसने इतनी पी ली कि वह नशे में धुत अपने डेरे में नंगा पड़ा रहा। |
229 | GEN 9:23 | यह सुनकर सिम और याफ़त ने अपने कंधों पर कपड़ा रखा। फिर वह उलटे चलते हुए डेरे में दाख़िल हुए और कपड़ा अपने बाप पर डाल दिया। उनके मुँह दूसरी तरफ़ मुड़े रहे ताकि बाप की बरहनगी नज़र न आए। |
315 | GEN 12:16 | फ़िरौन ने सारय की ख़ातिर अब्राम पर एहसान करके उसे भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, गधे-गधियाँ, नौकर-चाकर और ऊँट दिए। |
318 | GEN 12:19 | तूने क्यों कहा कि वह मेरी बहन है? इस धोके की बिना पर मैंने उसे घर में रख लिया ताकि उससे शादी करूँ। देख, तेरी बीवी हाज़िर है। इसे लेकर यहाँ से निकल जा!” |
360 | GEN 14:23 | कि मैं उसमें से कुछ नहीं लूँगा जो आपका है, चाहे वह धागा या जूती का तसमा ही क्यों न हो। ऐसा न हो कि आप कहें, ‘मैंने अब्राम को दौलतमंद बना दिया है।’ |
373 | GEN 15:12 | जब सूरज डूबने लगा तो अब्राम पर गहरी नींद तारी हुई। उस पर दहशत और अंधेरा ही अंधेरा छा गया। |
378 | GEN 15:17 | सूरज ग़ुरूब हुआ। अंधेरा छा गया। अचानक एक धुआँदार तनूर और एक भड़कती हुई मशाल नज़र आई और जानवरों के दो दो टुकड़ों के बीच में से गुज़रे। |
394 | GEN 16:12 | वह जंगली गधे की मानिंद होगा। उसका हाथ हर एक के ख़िलाफ़ और हर एक का हाथ उसके ख़िलाफ़ होगा। तो भी वह अपने तमाम भाइयों के सामने आबाद रहेगा।” |
400 | GEN 17:2 | मैं तेरे साथ अपना अहद बाँधूँगा और तेरी औलाद को बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा।” |
417 | GEN 17:19 | अल्लाह ने कहा, “नहीं, तेरी बीवी सारा के हाँ बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखना। मैं उसके और उस की औलाद के साथ अबदी अहद बाँधूँगा। |
429 | GEN 18:4 | अगर इजाज़त हो तो मैं कुछ पानी ले आऊँ ताकि आप अपने पाँव धोकर दरख़्त के साय में आराम कर सकें। |
431 | GEN 18:6 | इब्राहीम ख़ैमे की तरफ़ दौड़कर सारा के पास आया और कहा, “जल्दी करो! 16 किलोग्राम बेहतरीन मैदा ले और उसे गूँधकर रोटियाँ बना।” |
433 | GEN 18:8 | जब खाना तैयार था तो इब्राहीम ने उसे लेकर लस्सी और दूध के साथ अपने मेहमानों के आगे रख दिया। वह खाने लगे और इब्राहीम उनके सामने दरख़्त के साय में खड़ा रहा। |
460 | GEN 19:2 | उसने कहा, “साहबो, अपने बंदे के घर तशरीफ़ लाएँ ताकि अपने पाँव धोकर रात को ठहरें और फिर कल सुबह-सवेरे उठकर अपना सफ़र जारी रखें।” उन्होंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारेंगे।” |
469 | GEN 19:11 | उन्होंने छोटों से लेकर बड़ों तक बाहर के तमाम आदमियों को अंधा कर दिया, और वह दरवाज़े को ढूँडते ढूँडते थक गए। |
482 | GEN 19:24 | तब रब ने आसमान से सदूम और अमूरा पर गंधक और आग बरसाई। |
486 | GEN 19:28 | जब उसने नीचे सदूम, अमूरा और पूरी वादी की तरफ़ नज़र की तो वहाँ से भट्टे का-सा धुआँ उठ रहा था। |
490 | GEN 19:32 | आओ, हम अब्बू को मै पिलाएँ। जब वह नशे में धुत हो तो हम उसके साथ हमबिसतर होकर अपने लिए औलाद पैदा करें ताकि हमारी नसल क़ायम रहे।” |
492 | GEN 19:34 | अगले दिन बड़ी बहन ने छोटी बहन से कहा, “पिछली रात मैं अब्बू से हमबिसतर हुई। आओ, आज रात को हम उसे दुबारा मै पिलाएँ। जब वह नशे में धुत हो तो तुम उसके साथ हमबिसतर होकर अपने लिए औलाद पैदा करना ताकि हमारी नसल क़ायम रहे।” |
509 | GEN 20:13 | फिर जब अल्लाह ने होने दिया कि मैं अपने बाप के घराने से निकलकर इधर-उधर फिरूँ तो मैंने अपनी बीवी से कहा, ‘मुझ पर यह मेहरबानी कर कि जहाँ भी हम जाएँ मेरे बारे में कह देना कि वह मेरा भाई है’।” |
521 | GEN 21:7 | इससे पहले कौन इब्राहीम से यह कहने की जुर्रत कर सकता था कि सारा अपने बच्चों को दूध पिलाएगी? और अब मेरे हाँ बेटा पैदा हुआ है, अगरचे इब्राहीम बूढ़ा हो गया है।” |
522 | GEN 21:8 | इसहाक़ बड़ा होता गया। जब उसका दूध छुड़ाया गया तो इब्राहीम ने उसके लिए बड़ी ज़ियाफ़त की। |
528 | GEN 21:14 | इब्राहीम सुबह-सवेरे उठा। उसने रोटी और पानी की मशक हाजिरा के कंधों पर रखकर उसे लड़के के साथ घर से निकाल दिया। हाजिरा चलते चलते बैर-सबा के रेगिस्तान में इधर-उधर फिरने लगी। |
537 | GEN 21:23 | अब मुझसे अल्लाह की क़सम खाएँ कि आप मुझे और मेरी आलो-औलाद को धोका नहीं देंगे। मुझ पर और इस मुल्क पर जिसमें आप परदेसी हैं वही मेहरबानी करें जो मैंने आप पर की है।” |
541 | GEN 21:27 | तब इब्राहीम ने अबीमलिक को भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल दिए, और दोनों ने एक दूसरे के साथ अहद बाँधा। |
546 | GEN 21:32 | यों उन्होंने बैर-सबा में एक दूसरे से अहद बाँधा। फिर अबीमलिक और फ़ीकुल फ़िलिस्तियों के मुल्क वापस चले गए। |
551 | GEN 22:3 | सुबह-सवेरे इब्राहीम उठा और अपने गधे पर ज़ीन कसा। उसने अपने साथ दो नौकरों और अपने बेटे इसहाक़ को लिया। फिर वह क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ी काटकर उस जगह की तरफ़ रवाना हुआ जो अल्लाह ने उसे बताई थी। |
553 | GEN 22:5 | उसने नौकरों से कहा, “यहाँ गधे के पास ठहरो। मैं लड़के के साथ वहाँ जाकर परस्तिश करूँगा। फिर हम तुम्हारे पास वापस आ जाएंगे।” |
554 | GEN 22:6 | इब्राहीम ने क़ुरबानी को जलाने के लिए लकड़ियाँ इसहाक़ के कंधों पर रख दीं और ख़ुद छुरी और आग जलाने के लिए अंगारों का बरतन उठाया। दोनों चल दिए। |
557 | GEN 22:9 | चलते चलते वह उस मक़ाम पर पहुँचे जो अल्लाह ने उस पर ज़ाहिर किया था। इब्राहीम ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाई और उस पर लकड़ियाँ तरतीब से रख दीं। फिर उसने इसहाक़ को बाँधकर लकड़ियों पर रख दिया |
607 | GEN 24:15 | वह अभी दुआ कर ही रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह बतुएल की बेटी थी (बतुएल इब्राहीम के भाई नहूर की बीवी मिलकाह का बेटा था)। |
610 | GEN 24:18 | रिबक़ा ने कहा, “जनाब, पी लें।” जल्दी से उसने अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर हाथ में पकड़ा ताकि वह पी सके। |
619 | GEN 24:27 | उसने कहा, “मेरे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद हो जिसके करम और वफ़ादारी ने मेरे आक़ा को नहीं छोड़ा। रब ने मुझे सीधा मेरे मालिक के रिश्तेदारों तक पहुँचाया है।” |
624 | GEN 24:32 | वह नौकर को लेकर घर पहुँचा। ऊँटों से सामान उतारा गया, और उनको भूसा और चारा दिया गया। पानी भी लाया गया ताकि इब्राहीम का नौकर और उसके आदमी अपने पाँव धोएँ। |
627 | GEN 24:35 | रब ने मेरे आक़ा को बहुत बरकत दी है। वह बहुत अमीर बन गया है। रब ने उसे कसरत से भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, सोना-चाँदी, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे दिए हैं। |
637 | GEN 24:45 | मैं अभी दिल में यह दुआ कर रहा था कि रिबक़ा शहर से निकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। वह चश्मे तक उतरी और अपना घड़ा भर लिया। मैंने उससे कहा, ‘ज़रा मुझे पानी पिलाएँ।’ |
638 | GEN 24:46 | जवाब में उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर कहा, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिलाती हूँ।’ मैंने पानी पिया, और उसने ऊँटों को भी पानी पिलाया। |
640 | GEN 24:48 | तब मैंने रब को सिजदा करके अपने आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद की जिसने मुझे सीधा मेरे मालिक की भतीजी तक पहुँचाया ताकि वह इसहाक़ की बीवी बन जाए। |
721 | GEN 26:28 | उन्होंने जवाब दिया, “हमने जान लिया है कि रब आपके साथ है। इसलिए हमने कहा कि हमारा आपके साथ अहद होना चाहिए। आइए हम क़सम खाकर एक दूसरे से अहद बाँधें |
729 | GEN 27:1 | इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े बेटे को बुलाकर कहा, “बेटा।” एसौ ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” |
764 | GEN 27:36 | एसौ ने कहा, “उसका नाम याक़ूब ठीक ही रखा गया है, क्योंकि अब उसने मुझे दूसरी बार धोका दिया है। पहले उसने पहलौठे का हक़ मुझसे छीन लिया और अब मेरी बरकत भी ज़बरदस्ती ले ली। क्या आपने मेरे लिए कोई बरकत महफ़ूज़ नहीं रखी?” |
776 | GEN 28:2 | अब सीधे मसोपुतामिया में अपने नाना बतुएल के घर जा और वहाँ अपने मामूँ लाबन की लड़कियों में से किसी एक से शादी कर। |
802 | GEN 29:6 | उसने पूछा, “क्या वह ख़ैरियत से है?” उन्होंने कहा, “जी, वह ख़ैरियत से है। देखो, उधर उस की बेटी राख़िल रेवड़ लेकर आ रही है।” |
813 | GEN 29:17 | लियाह की आँखें चुंधी थीं जबकि राख़िल हर तरह से ख़ूबसूरत थी। |
821 | GEN 29:25 | जब सुबह हुई तो याक़ूब ने देखा कि लियाह ही मेरे पास है। उसने लाबन के पास जाकर कहा, “यह आपने मेरे साथ क्या किया है? क्या मैंने राख़िल के लिए काम नहीं किया? आपने मुझे धोका क्यों दिया?” |
830 | GEN 29:34 | वह एक और दफ़ा हामिला हुई। तीसरा बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “अब आख़िरकार शौहर के साथ मेरा बंधन मज़बूत हो जाएगा, क्योंकि मैंने उसके लिए तीन बेटों को जन्म दिया है।” उसने उसका नाम लावी यानी बंधन रखा। |
863 | GEN 30:32 | आज मैं आपके रेवड़ में से गुज़रकर उन तमाम भेड़ों को अलग कर लूँगा जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हों या जो सफ़ेद न हों। इसी तरह मैं उन तमाम बकरियों को भी अलग कर लूँगा जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हों। यही मेरी उजरत होगी। |
864 | GEN 30:33 | आइंदा जिन बकरियों के जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे होंगे या जिन भेड़ों का रंग सफ़ेद नहीं होगा वह मेरा अज्र होंगी। जब कभी आप उनका मुआयना करेंगे तो आप मालूम कर सकेंगे कि मैं दियानतदार रहा हूँ। क्योंकि मेरे जानवरों के रंग से ही ज़ाहिर होगा कि मैंने आपका कुछ चुराया नहीं है।” |
866 | GEN 30:35 | उसी दिन लाबन ने उन बकरों को अलग कर लिया जिनके जिस्म पर धारियाँ या धब्बे थे और उन तमाम बकरियों को जिनके जिस्म पर छोटे या बड़े धब्बे थे। जिसके भी जिस्म पर सफ़ेद निशान था उसे उसने अलग कर लिया। इसी तरह उसने उन तमाम भेड़ों को भी अलग कर लिया जो पूरे तौर पर सफ़ेद न थे। फिर लाबन ने उन्हें अपने बेटों के सुपुर्द कर दिया |
868 | GEN 30:37 | याक़ूब ने सफ़ेदा, बादाम और चनार की हरी हरी शाख़ें लेकर उनसे कुछ छिलका यों उतार दिया कि उस पर सफ़ेद धारियाँ नज़र आईं। |
870 | GEN 30:39 | जब वह इन शाख़ों के सामने मिलाप करते तो जो बच्चे पैदा होते उनके जिस्म पर छोटे और बड़े धब्बे और धारियाँ होती थीं। |
871 | GEN 30:40 | फिर याक़ूब ने भेड़ के बच्चों को अलग करके अपने रेवड़ों को लाबन के उन जानवरों के सामने चरने दिया जिनके जिस्म पर धारियाँ थीं और जो सफ़ेद न थे। यों उसने अपने ज़ाती रेवड़ों को अलग कर लिया और उन्हें लाबन के रेवड़ के साथ चरने न दिया। |
874 | GEN 30:43 | यों याक़ूब बहुत अमीर बन गया। उसके पास बहुत-से रेवड़, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे थे। |
882 | GEN 31:8 | जब मामूँ लाबन कहते थे, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धब्बे हों वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धब्बे ही थे। जब उन्होंने कहा, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धारियाँ होंगी वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धारियाँ ही थीं। |
884 | GEN 31:10 | अब ऐसा हुआ कि हैवानों की मस्ती के मौसम में मैंने एक ख़ाब देखा। उसमें जो मेंढे और बकरे भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे थे उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ थीं। |
886 | GEN 31:12 | फ़रिश्ते ने कहा, ‘अपनी नज़र उठाकर उस पर ग़ौर कर जो हो रहा है। वह तमाम मेंढे और बकरे जो भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे हैं उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ हैं। मैं यह ख़ुद करवा रहा हूँ, क्योंकि मैंने वह सब कुछ देख लिया है जो लाबन ने तेरे साथ किया है। |
900 | GEN 31:26 | उसने याक़ूब से कहा, “यह आपने क्या किया है? आप मुझे धोका देकर मेरी बेटियों को क्यों जंगी क़ैदियों की तरह हाँक लाए हैं? |
918 | GEN 31:44 | इसलिए आओ, हम एक दूसरे के साथ अहद बाँधें। इसके लिए हम यहाँ पत्थरों का ढेर लगाएँ जो अहद की गवाही देता रहे।” |
934 | GEN 32:6 | वहाँ मुझे बैल, गधे, भेड़-बकरियाँ, ग़ुलाम और लौंडियाँ हासिल हुए हैं। अब मैं अपने मालिक को इत्तला दे रहा हूँ कि वापस आ गया हूँ और आपकी नज़रे-करम का ख़ाहिशमंद हूँ।” |
944 | GEN 32:16 | 30 दूध देनेवाली ऊँटनियाँ बच्चों समेत, 40 गाएँ, 10 बैल, 20 गधियाँ और 10 गधे। |
974 | GEN 33:13 | याक़ूब ने जवाब दिया, “मेरे मालिक, आप जानते हैं कि मेरे बच्चे नाज़ुक हैं। मेरे पास भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और उनके दूध पीनेवाले बच्चे भी हैं। अगर मैं उन्हें एक दिन के लिए भी हद से ज़्यादा हाँकूँ तो वह मर जाएंगे। |
988 | GEN 34:7 | जब याक़ूब के बेटों को दीना की इसमतदरी की ख़बर मिली तो उनके दिल रंजिश और ग़ुस्से से भर गए कि सिकम ने याक़ूब की बेटी की इसमतदरी से इसराईल की इतनी बेइज़्ज़ती की है। वह सीधे खुले मैदान से वापस आए। |
990 | GEN 34:9 | हमारे साथ रिश्ता बाँधें, हमारे बेटे-बेटियों के साथ शादियाँ कराएँ। |
1009 | GEN 34:28 | वह भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, गधे और शहर के अंदर और बाहर का सब कुछ लेकर चलते बने। |
1065 | GEN 36:24 | सिबोन के बेटे ऐयाह और अना थे। इसी अना को गरम चश्मे मिले जब वह बयाबान में अपने बाप के गधे चरा रहा था। |
1091 | GEN 37:7 | हम सब खेत में पूले बाँध रहे थे कि मेरा पूला खड़ा हो गया। आपके पूले मेरे पूले के इर्दगिर्द जमा होकर उसके सामने झुक गए।” |
1099 | GEN 37:15 | वहाँ वह इधर-उधर फिरता रहा। आख़िरकार एक आदमी उससे मिला और पूछा, “आप क्या ढूँड रहे हैं?” |
1148 | GEN 38:28 | एक बच्चे का हाथ निकला तो दाई ने उसे पकड़कर उसमें सुर्ख़ धागा बाँध दिया और कहा, “यह पहले पैदा हुआ।” |
1150 | GEN 38:30 | फिर उसका भाई पैदा हुआ जिसके हाथ में सुर्ख़ धागा बँधा हुआ था। उसका नाम ज़ारह यानी चमक रखा गया। |
1210 | GEN 41:14 | यह सुनकर फ़िरौन ने यूसुफ़ को बुलाया, और उसे जल्दी से क़ैदख़ाने से लाया गया। उसने शेव करवाकर अपने कपड़े बदले और सीधे बादशाह के हुज़ूर पहुँचा। |
1277 | GEN 42:24 | यह बातें सुनकर वह उन्हें छोड़कर रोने लगा। फिर वह सँभलकर वापस आया। उसने शमौन को चुनकर उसे उनके सामने ही बाँध लिया। |
1279 | GEN 42:26 | फिर यूसुफ़ के भाई अपने गधों पर अनाज लादकर रवाना हो गए। |
1280 | GEN 42:27 | जब वह रात के लिए किसी जगह पर ठहरे तो एक भाई ने अपने गधे के लिए चारा निकालने की ग़रज़ से अपनी बोरी खोली तो देखा कि बोरी के मुँह में उसके पैसे पड़े हैं। |
1304 | GEN 43:13 | अपने भाई को लेकर सीधे वापस पहुँचना। |
1309 | GEN 43:18 | जब उन्हें उसके घर पहुँचाया जा रहा था तो वह डरकर सोचने लगे, “हमें उन पैसों के सबब से यहाँ लाया जा रहा है जो पहली दफ़ा हमारी बोरियों में वापस किए गए थे। वह हम पर अचानक हमला करके हमारे गधे छीन लेंगे और हमें ग़ुलाम बना लेंगे।” |
1315 | GEN 43:24 | फिर उसने भाइयों को यूसुफ़ के घर में ले जाकर उन्हें पाँव धोने के लिए पानी और गधों को चारा दिया। |
1322 | GEN 43:31 | फिर वह अपना मुँह धोकर वापस आया। अपने आप पर क़ाबू पाकर उसने हुक्म दिया कि नौकर खाना ले आएँ। |