Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   प    February 25, 2023 at 01:29    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे ानी से ढकी हुई थी जिसकेअंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह ानी केमँडला रहा था।
3  GEN 1:3  फिर अल्लाह ने कहा, “रौशनी हो जाए” तो रौशनी ैदा हो गई।
5  GEN 1:5  अल्लाह ने रौशनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। शाम हुई, फिर सुबह। यों हला दिन गुज़र गया।
6  GEN 1:6  अल्लाह ने कहा,ानी के दरमियान एक ऐसा गुंबद ैदा हो जाए जिससे निचला ानी के ानी से अलग हो जाए।”
7  GEN 1:7  ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया जिससे निचला ानी के ानी से अलग हो गया।
9  GEN 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो ानी आसमान के नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
10  GEN 1:10  अल्लाह ने ख़ुश्क जगह को ज़मीन का नाम दिया और जमाशुदा ानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
11  GEN 1:11  फिर उसने कहा, “ज़मीन हरियावल ैदा करे, ऐसे ौदे जो बीज रखते हों और ऐसे दरख़्त जिनके फलनी नी क़िस्म के बीज रखते हों।” ऐसा ही हुआ।
12  GEN 1:12  ज़मीन ने हरियावल ैदा की, ऐसे ौदे जोनी नी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फलनी नी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
14  GEN 1:14  अल्लाह ने कहा, “आसमान रौशनियाँ ैदा हो जाएँ ताकि दिन और रात में इम्तियाज़ हो और इसी तरह मुख़्तलिफ़ मौसमों, दिनों और सालों में भी।
16  GEN 1:16  अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात र। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया।
17  GEN 1:17  उसने उन्हें आसमान रखा ताकि वह दुनिया को रौशन करें,
18  GEN 1:18  दिन और रात हुकूमत करें और रौशनी और तारीकी में इम्तियाज़ ैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
20  GEN 1:20  अल्लाह ने कहा,ानी आबी जानदारों से भर जाए और फ़िज़ा में रिंदे उड़ते फिरें।”
21  GEN 1:21  अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, ानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर क़िस्म के रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
22  GEN 1:22  उसने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। समुंदर तुमसे भर जाए। इसी तरह रिंदे ज़मीन तादाद में बढ़ जाएँ।”
23  GEN 1:23  शाम हुई, फिर सुबह। यों ाँचवाँ दिन गुज़र गया।
24  GEN 1:24  अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर क़िस्म के जानदार ैदा करे : मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर।” ऐसा ही हुआ।
26  GEN 1:26  अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान कोनी सूरत बनाएँ, वह हमसे मुशाबहत रखे। वह तमाम जानवरों हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों र, हवा के रिंदों र, मवेशियों र, जंगली जानवरों और ज़मीन के तमाम रेंगनेवाले जानदारों र।”
27  GEN 1:27  यों अल्लाह ने इनसान कोनी सूरत बनाया, अल्लाह की सूरत र। उसने उन्हें मर्द और औरत बनाया।
28  GEN 1:28  अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के रिंदों और ज़मीन के तमाम रेंगनेवाले जानदारों हुकूमत करो।”
29  GEN 1:29  अल्लाह ने उनसे मज़ीद कहा, “तमाम बीजदार ौदे और फलदार दरख़्त तुम्हारे ही हैं। मैं उन्हें तुमको खाने के लिए देता हूँ।
30  GEN 1:30  इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन चलने-फिरनेवाला जानवर, हवा का रिंदा या ज़मीन रेंगनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ।
31  GEN 1:31  अल्लाह ने सब नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया।
33  GEN 2:2  सातवें दिन अल्लाह का सारा काम तकमील को हुँचा। इससे फ़ारिग़ होकर उसने आराम किया।
34  GEN 2:3  अल्लाह ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसनेने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिग़ होकर आराम किया।
36  GEN 2:5  तो शुरू में झाड़ियाँ और ौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी ैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।
37  GEN 2:6  इसकी बजाए ज़मीन में से धुंध उठकर उस की ूरी सतह को तर करती थी।
40  GEN 2:9  रब ख़ुदा के हुक्म ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की हचान दिलाता था।
41  GEN 2:10  अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबाशी करता था। वहाँ से बहकर वह चार शाख़ों में तक़सीम हुआ।
42  GEN 2:11  हली शाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर ाए जाते हैं।
46  GEN 2:15  रब ख़ुदा ने हले आदमी को बाग़े-अदन में रखा ताकि वह उस की बाग़बानी और हिफ़ाज़त करे।
48  GEN 2:17  लेकिन जिस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे की हचान दिलाता है उसका फल खाना मना है। अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरेगा।”
50  GEN 2:19  रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन चलने-फिरनेवाले जानवर और हवा के रिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के ास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल गया।
51  GEN 2:20  आदमी ने तमाम मवेशियों, रिंदों और ज़मीन फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसेने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला।
52  GEN 2:21  तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब वह गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की सलियों में से एक निकालकर उस की जगह गोश्त भर दिया।
53  GEN 2:22  सली से उसने औरत बनाई और उसे आदमी के ास ले आया।
54  GEN 2:23  उसे देखकर वह ुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।”
55  GEN 2:24  इसलिए मर्दने माँ-बा को छोड़करनी बीवी के साथ ैवस्त हो जाता है, और वह दोनों एक हो जाते हैं।
57  GEN 3:1  साँ ज़मीन चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से ूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
60  GEN 3:4  साँ ने औरत से कहा, “तुम हरगिज़ न मरोगे,
62  GEN 3:6  औरत ने दरख़्त ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसनेने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।
63  GEN 3:7  लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंगे हैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के त्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं।
64  GEN 3:8  शाम के वक़्त जब ठंडी हवा चलने लगी तो उन्होंने रब ख़ुदा को बाग़ में चलते-फिरते सुना। वह डर के मारे दरख़्तों के ीछे छु गए।
65  GEN 3:9  रब ख़ुदा ने ुकारकर कहा, “आदम, तू कहाँ है?”
66  GEN 3:10  आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ। इसलिए मैं छु गया।”
67  GEN 3:11  उसने ूछा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?”
69  GEN 3:13  अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तूने यह क्यों किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँ ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।”
70  GEN 3:14  रब ख़ुदा ने साँ से कहा, “चूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमाम मवेशियों और जंगली जानवरों में लानती है। तू उम्र-भर ेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी ैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। वह तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि तू उस की एड़ी काटेगा।”
72  GEN 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तूने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ हुकूमत करेगा।”
73  GEN 3:17  आदम से उसने कहा, “तूनेनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मशक़्क़त करनी ड़ेगी।
74  GEN 3:18  तेरे लिए वह ख़ारदार ौदे और ऊँटकटारे ैदा करेगी, हालाँकि तू उससेनी ख़ुराक भी हासिल करेगा।
75  GEN 3:19  सीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी ड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि तू उसी से लिया गया है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”
76  GEN 3:20  आदम नेनी बीवी का नाम हव्वा यानी ज़िंदगी रखा, क्योंकि बाद में वह तमाम ज़िंदों की माँ बन गई।
77  GEN 3:21  रब ख़ुदा ने आदम और उस की बीवी के लिए खालों से लिबास बनाकर उन्हें हनाया।
80  GEN 3:24  इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन के मशरिक़ में करूबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तलवार रखी जो इधर-उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त तक हुँचाता था।
81  GEN 4:1  आदम हव्वा से हमबिसतर हुआ तो उनका हला बेटा क़ाबील ैदा हुआ। हव्वा ने कहा, “रब की मदद से मैंने एक मर्द हासिल किया है।”