Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   व    February 25, 2023 at 01:29    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  अभी तक ज़मीन ीरान और ख़ाली थी। गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था।
9  GEN 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
11  GEN 1:11  फिर उसने कहा, “ज़मीन हरियापैदा करे, ऐसे पौदे जो बीज रखते हों और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते हों।” ऐसा ही हुआ।
12  GEN 1:12  ज़मीन ने हरियापैदा की, ऐसे पौदे जो अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
16  GEN 1:16  अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलाउसने सितारों को भी बनाया।
17  GEN 1:17  उसने उन्हें आसमान पर रखा ताकि दुनिया को रौशन करें,
21  GEN 1:21  अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानबनाए, पानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
23  GEN 1:23  शाम हुई, फिर सुबह। यों पाँचाँ दिन गुज़र गया।
24  GEN 1:24  अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर क़िस्म के जानदार पैदा करे :ेशी, रेंगनेाले और जंगली जानर।” ऐसा ही हुआ।
25  GEN 1:25  अल्लाह ने हर क़िस्म केेशी, रेंगनेाले और जंगली जानबनाए। उसने देखा कि यह अच्छा है।
26  GEN 1:26  अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनी सूरत पर बनाएँ, हमसे मुशाबहत रखे। तमाम जानरों पर हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों पर,के परिंदों पर,ेशियों पर, जंगली जानरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेाले जानदारों पर।”
28  GEN 1:28  अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों,के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेाले जानदारों पर हुकूमत करो।”
30  GEN 1:30  इस तरह मैं तमाम जानरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है यह खा सकता है, ख़ाह ज़मीन पर चलने-फिरनेाला जानर, का परिंदा या ज़मीन पर रेंगनेाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ।
31  GEN 1:31  अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि बहुत अच्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया।
33  GEN 2:2  सातें दिन अल्लाह का सारा काम तकमील को पहुँचा। इससे फ़ारिग़ होकर उसने आराम किया।
34  GEN 2:3  अल्लाह ने सातें दिन को बरकत दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिग़ होकर आराम किया।
36  GEN 2:5  तो शुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। जह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।
38  GEN 2:7  फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दम फूँका तो जीती जान हुआ।
41  GEN 2:10  अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबपाशी करता था। हाँ से बहकर चार शाख़ों में तक़सीम हुआ।
42  GEN 2:11  पहली शाख़ का नाम फ़ीसून है। मुल्के-हीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं।
46  GEN 2:15  रब ख़ुदा ने पहले आदमी को बाग़े-अदन में रखा ताकि उस की बाग़बानी और हिफ़ाज़त करे।
50  GEN 2:19  रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर चलने-फिरनेाले जानऔरके परिंदे बनाए थे। अब उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानको आदम की तरफ़ से नाम मिल गया।
51  GEN 2:20  आदमी ने तमामेशियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला।
52  GEN 2:21  तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसलियों में से एक निकालकर उस की जगह गोश्त भर दिया।
54  GEN 2:23  उसे देखकर पुकार उठा,ाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि नर से निकाली गई है।”
55  GEN 2:24  इसलिए मर्द अपने माँ-बाप को छोड़कर अपनी बीके साथ पैस्त हो जाता है, और दोनों एक हो जाते हैं।
57  GEN 3:1  साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेाले उन तमाम जानरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने ाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
58  GEN 3:2  औरत नेाब दिया, “हरगिज़ नहीं। हम बाग़ का हर फल खा सकते हैं,
59  GEN 3:3  सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से गुरेज़ करना है जो बाग़ के बीच में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसे छूना भी नहीं, रना तुम यक़ीनन मर जाओगे।”
62  GEN 3:6  औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि उसके साथ था। उसने भी खा लिया।
64  GEN 3:8  शाम के क़्त जब ठंडीचलने लगी तो उन्होंने रब ख़ुदा को बाग़ में चलते-फिरते सुना। डर के मारे दरख़्तों के पीछे छुप गए।
66  GEN 3:10  आदम नेाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ। इसलिए मैं छुप गया।”
69  GEN 3:13  अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तूने यह क्यों किया?” औरत नेाब दिया, “साँप ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।”
70  GEN 3:14  रब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमामेशियों और जंगली जानरों में लानती है। तू उम्र-भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी पैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि तू उस की एड़ी पर काटेगा।”
72  GEN 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन तुझ पर हुकूमत करेगा।”
73  GEN 3:17  आदम से उसने कहा, “तूने अपनी बीकी बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मशक़्क़त करनी पड़ेगी।
74  GEN 3:18  तेरे लिए ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँकि तू उससे अपनी ख़ुराक भी हासिल करेगा।
76  GEN 3:20  आदम ने अपनी बीका नामयानी ज़िंदगी रखा, क्योंकि बाद में तमाम ज़िंदों की माँ बन गई।
77  GEN 3:21  रब ख़ुदा ने आदम और उस की बीके लिए खालों से लिबास बनाकर उन्हें पहनाया।
78  GEN 3:22  उसने कहा, “इनसान हमारी मानिंद हो गया है, अच्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि हाथ बढ़ाकर ज़िंदगी बख़्शनेाले दरख़्त के फल से ले और उससे खाकर हमेशा तक ज़िंदा रहे।”
80  GEN 3:24  इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन के मशरिक़ में करूबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तलार रखी जो इधर-उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्शनेाले दरख़्त तक पहुँचाता था।
81  GEN 4:1  आदमसे हमबिसतर हुआ तो उनका पहला बेटा क़ाबील पैदा हुआ।ने कहा, “रब की मदद से मैंने एक मर्द हासिल किया है।”
82  GEN 4:2  बाद में क़ाबील का भाई हाबील पैदा हुआ। हाबील भेड़-बकरियों का चराहा बन गया जबकि क़ाबील खेतीबाड़ी करने लगा।
87  GEN 4:7  क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दराज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।”
88  GEN 4:8  एक दिन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, “आओ, हम बाहर खुले मैदान में चलें।” और जब खुले मैदान में थे तो क़ाबील ने अपने भाई हाबील पर हमला करके उसे मार डाला।
89  GEN 4:9  तब रब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील नेाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?”
92  GEN 4:12  अब से जब तू खेतीबाड़ी करेगा तो ज़मीन अपनी पैदाार देने से इनकार करेगी। तू मफ़रूर होकर मारा मारा फिरेगा।”
94  GEN 4:14  आज तू मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे तेरे हुज़ूर से भी छुप जाना है। मैं मफ़रूर की हैसियत से मारा मारा फिरता रहूँगा, इसलिए जिसको भी पता चलेगा कि मैं कहाँ हूँ मुझे क़त्ल कर डालेगा।”
95  GEN 4:15  लेकिन रब ने उससे कहा, “हरगिज़ नहीं। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा।” फिर रब ने उस पर एक निशान लगाया ताकि जो भी क़ाबील को देखे उसे क़त्ल न कर दे।
97  GEN 4:17  क़ाबील की बीहामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिसका नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने एक शहर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुशी में उसका नाम हनूक रखा।
99  GEN 4:19  लमक की दो बीियाँ थीं, अदा और ज़िल्ला।
100  GEN 4:20  अदा का बेटा याबल था। उस की नसल के लोग ख़ैमों में रहते औरेशी पालते थे।
102  GEN 4:22  ज़िल्ला के भी बेटा पैदा हुआ जिसका नाम तूबल-क़ाबील था। लोहार था। उस की नसल के लोग पीतल और लोहे की चीज़ें बनाते थे। तूबल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था।
103  GEN 4:23  एक दिन लमक ने अपनी बीियों से कहा, “अदा और ज़िल्ला, मेरी बात सुनो! लमक की बीियो, मेरे अलफ़ाज़ पर ग़ौर करो!
105  GEN 4:25  आदम औरका एक और बेटा पैदा हुआ।ने उसका नाम सेत रखकर कहा, “अल्लाह ने मुझे हाबील की जगह जिसे क़ाबील ने क़त्ल किया एक और बेटा बख़्शा है।”
109  GEN 5:3  आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका बेटा सेत पैदा हुआ। सेत सूरत के लिहाज़ से अपने बाप की मानिंद था, उससे मुशाबहत रखता था।
111  GEN 5:5  930 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
113  GEN 5:7  इसके बाद मज़ीद 807 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
114  GEN 5:8  912 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
116  GEN 5:10  इसके बाद मज़ीद 815 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
117  GEN 5:11  905 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
119  GEN 5:13  इसके बाद मज़ीद 840 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
120  GEN 5:14  910 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
122  GEN 5:16  इसके बाद मज़ीद 830 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।