Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   श    February 25, 2023 at 01:29    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

3  GEN 1:3  फिर अल्लाह ने कहा, “रौनी हो जाए” तो रौनी पैदा हो गई।
4  GEN 1:4  अल्लाह ने देखा कि रौनी अच्छी है, और उसने रौनी को तारीकी से अलग कर दिया।
5  GEN 1:5  अल्लाह ने रौनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। ाम हुई, फिर सुबह। यों पहला दिन गुज़र गया।
8  GEN 1:8  अल्लाह ने गुंबद को आसमान का नाम दिया। ाम हुई, फिर सुबह। यों दूसरा दिन गुज़र गया।
9  GEN 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ु्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
10  GEN 1:10  अल्लाह ने ख़ु्क जगह को ज़मीन का नाम दिया और जमाुदा पानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
13  GEN 1:13  ाम हुई, फिर सुबह। यों तीसरा दिन गुज़र गया।
14  GEN 1:14  अल्लाह ने कहा, “आसमान पर रौनियाँ पैदा हो जाएँ ताकि दिन और रात में इम्तियाज़ हो और इसी तरह मुख़्तलिफ़ मौसमों, दिनों और सालों में भी।
15  GEN 1:15  आसमान की यह रौनियाँ दुनिया को रौकरें।” ऐसा ही हुआ।
16  GEN 1:16  अल्लाह ने दो बड़ी रौनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया।
17  GEN 1:17  उसने उन्हें आसमान पर रखा ताकि वह दुनिया को रौकरें,
18  GEN 1:18  दिन और रात पर हुकूमत करें और रौनी और तारीकी में इम्तियाज़ पैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
19  GEN 1:19  ाम हुई, फिर सुबह। यों चौथा दिन गुज़र गया।
23  GEN 1:23  ाम हुई, फिर सुबह। यों पाँचवाँ दिन गुज़र गया।
24  GEN 1:24  अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर क़िस्म के जानदार पैदा करे : मवेी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर।” ऐसा ही हुआ।
25  GEN 1:25  अल्लाह ने हर क़िस्म के मवेी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर बनाए। उसने देखा कि यह अच्छा है।
26  GEN 1:26  अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनी सूरत पर बनाएँ, वह हमसे मुाबहत रखे। वह तमाम जानवरों पर हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों पर, हवा के परिंदों पर, मवेियों पर, जंगली जानवरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर।”
31  GEN 1:31  अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन गया है। ाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया।
36  GEN 2:5  तो ुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारि का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।
38  GEN 2:7  फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दम फूँका तो वह जीती जान हुआ।
39  GEN 2:8  रब ख़ुदा नेरिक़ में मुल्के-अदन में एक बाग़ लगाया। उसमें उसने उस आदमी को रखा जिसे उसने बनाया था।
40  GEN 2:9  रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलक और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्ता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।
41  GEN 2:10  अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबपाकरता था। वहाँ से बहकर वह चार ाख़ों में तक़सीम हुआ।
42  GEN 2:11  पहली ाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, गूगल का गूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं।
44  GEN 2:13  दूसरी का नाम जैहून है जो कू को घेरे हुए बहती है।
45  GEN 2:14  तीसरी का नाम दिजला है जो असूर केरिक़ को जाती है और चौथी का नाम फ़ुरात है।
51  GEN 2:20  आदमी ने तमाम मवेियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला।
52  GEN 2:21  तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब वह गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसलियों में से एक निकालकर उस की जगह गो्त भर दिया।
54  GEN 2:23  उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गो्त में से गो्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।”
56  GEN 2:25  दोनों, आदमी और औरत नंगे थे, लेकिन यह उनके लिए र्म का बाइस नहीं था।
62  GEN 3:6  औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलक है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने ौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।
64  GEN 3:8  ाम के वक़्त जब ठंडी हवा चलने लगी तो उन्होंने रब ख़ुदा को बाग़ में चलते-फिरते सुना। वह डर के मारे दरख़्तों के पीछे छुप गए।
70  GEN 3:14  रब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमाम मवेियों और जंगली जानवरों में लानती है। तू उम्र-भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दु्मनी पैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दु्मन होगी। वह तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि तू उस की एड़ी पर काटेगा।”
72  GEN 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू दीद दर्द का िकार होगी। तू अपने ौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।”
73  GEN 3:17  आदम से उसने कहा, “तूने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मक़्क़त करनी पड़ेगी।
78  GEN 3:22  उसने कहा, “इनसान हमारी मानिंद हो गया है, वह अच्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर ज़िंदगी बख़्नेवाले दरख़्त के फल से ले और उससे खाकर हमेतक ज़िंदा रहे।”
80  GEN 3:24  इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन केरिक़ में करूबी फ़रि्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतितलवार रखी जो इधर-उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्नेवाले दरख़्त तक पहुँचाता था।
83  GEN 4:3  कुछ देर के बाद क़ाबील ने रब को अपनी फ़सलों में से कुछ पे किया।
84  GEN 4:4  हाबील ने भी नज़राना पे किया, लेकिन उसने अपनी भेड़-बकरियों के कुछ पहलौठे उनकी चरबी समेत चढ़ाए। हाबील का नज़राना रब को पसंद आया,
93  GEN 4:13  क़ाबील ने कहा, “मेरी सज़ा निहायत सख़्त है। मैं इसे बरदा्त नहीं कर पाऊँगा।
95  GEN 4:15  लेकिन रब ने उससे कहा, “हरगिज़ नहीं। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा।” फिर रब ने उस पर एक निान लगाया ताकि जो भी क़ाबील को देखे वह उसे क़त्ल न कर दे।
96  GEN 4:16  इसके बाद क़ाबील रब के हुज़ूर से चला गया और अदन केरिक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े में जा बसा।
97  GEN 4:17  क़ाबील की बीवी हामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिसका नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने एक हर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुमें उसका नाम हनूक रखा।
100  GEN 4:20  अदा का बेटा याबल था। उस की नसल के लोग ख़ैमों में रहते और मवेपालते थे।
105  GEN 4:25  आदम और हव्वा का एक और बेटा पैदा हुआ। हव्वा ने उसका नाम सेत रखकर कहा, “अल्लाह ने मुझे हाबील की जगह जिसे क़ाबील ने क़त्ल किया एक और बेटा बख़्है।”
109  GEN 5:3  आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका बेटा सेत पैदा हुआ। सेत सूरत के लिहाज़ से अपने बाप की मानिंद था, वह उससे मुाबहत रखता था।
110  GEN 5:4  सेत की पैदाइ के बाद आदम मज़ीद 800 साल ज़िंदा रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
140  GEN 6:2  तब आसमानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इनसान की बेटियाँ ख़ूबसूरत हैं, और उन्होंने उनमें से कुछ चुनकर उनसे ादी की।
141  GEN 6:3  फिर रब ने कहा, “मेरी रूह हमेके लिए इनसान में न रहे क्योंकि वह फ़ानी मख़लूक़ है। अब से वह 120 साल से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहेगा।”
142  GEN 6:4  उन दिनों में और बाद में भी दुनिया में देवक़ामत अफ़राद थे जो इनसानी औरतों और उन आसमानी हस्तियों की ादियों से पैदा हुए थे। यह देवक़ामत अफ़राद क़दीम ज़माने केहूर सूरमा थे।
149  GEN 6:11  लेकिन दुनिया अल्लाह की नज़र में बिगड़ी हुई और ज़ुल्मो-तद्दुद से भरी हुई थी।
150  GEN 6:12  जहाँ भी अल्लाह देखता दुनिया ख़राब थी, क्योंकि तमाम जानदारों ने ज़मीन पर अपनी रवि को बिगाड़ दिया था।
151  GEN 6:13  तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैंने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उनके सबब से पूरी दुनिया ज़ुल्मो-तद्दुद से भर गई है। चुनाँचे मैं उनको ज़मीन समेत तबाह कर दूँगा।
152  GEN 6:14  अब अपने लिए सरो की लकड़ी की्ती बना ले। उसमें कमरे हों और उसे अंदर और बाहर तारकोल लगा।
154  GEN 6:16  ्ती की छत को यों बनाना कि उसके नीचे 18 इंच खुला रहे। एक तरफ़ दरवाज़ा हो, और उस की तीन मनज़िलें हों।
156  GEN 6:18  लेकिन तेरे साथ मैं अहद बाँधूँगा जिसके तहत तू अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ्ती में जाएगा।
157  GEN 6:19  हर क़िस्म के जानवर का एक नर और एक मादा भी अपने साथ्ती में ले जाना ताकि वह तेरे साथ जीते बचें।
159  GEN 6:21  जो भी ख़ुराक दरकार है उसे अपने और उनके लिए जमा करके्ती में महफ़ूज़ कर लेना।”
161  GEN 7:1  फिर रब ने नूह से कहा, “अपने घराने समेत्ती में दाख़िल हो जा, क्योंकि इस दौर के लोगों में से मैंने सिर्फ़ तुझे रास्तबाज़ पाया है।
164  GEN 7:4  एक हफ़ते के बाद मैं चालीस दिन और चालीस रात मुतवातिर बारि बरसाऊँगा। इससे मैं तमाम जानदारों को रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा, अगरचे मैं ही ने उन्हें बनाया है।”
167  GEN 7:7  तूफ़ानी सैलाब से बचने के लिए नूह अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ्ती में सवार हुआ।
169  GEN 7:9  नरो-मादा की सूरत में दो दो होकर वह नूह के पास आकर्ती में सवार हुए। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा अल्लाह ने नूह को हुक्म दिया था।
171  GEN 7:11  यह सब कुछ उस वक़्त हुआ जब नूह 600 साल का था। दूसरे महीने के 17वें दिन ज़मीन की गहराइयों में से तमाम्मे फूट निकले और आसमान पर पानी के दरीचे खुल गए।
172  GEN 7:12  चालीस दिन और चालीस रात तक मूसलाधार बारि होती रही।
173  GEN 7:13  जब बारि ुरू हुई तो नूह, उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त, उस की बीवी और बहुएँ्ती में सवार हो चुके थे।
174  GEN 7:14  उनके साथ हर क़िस्म के जंगली जानवर, मवेी, रेंगने और पर रखनेवाले जानवर थे।
175  GEN 7:15  हर क़िस्म के जानदार दो दो होकर नूह के पास आकर्ती में सवार हो चुके थे।
177  GEN 7:17  चालीस दिन तक तूफ़ानी सैलाब जारी रहा। पानी चढ़ा तो उसने्ती को ज़मीन पर से उठा लिया।
178  GEN 7:18  पानी ज़ोर पकड़कर बहुत बढ़ गया, और्ती उस पर तैरने लगी।
181  GEN 7:21  ज़मीन पर रहनेवाली हर मख़लूक़ हलाक हुई। परिंदे, मवेी, जंगली जानवर, तमाम जानदार जिनसे ज़मीन भरी हुई थी और इनसान, सब कुछ मर गया।
183  GEN 7:23  यों हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया गया। इनसान, ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर और परिंदे, सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। सिर्फ़ नूह और्ती में सवार उसके साथी बच गए।
185  GEN 8:1  लेकिन अल्लाह को नूह और तमाम जानवर याद रहे जो्ती में थे। उसने हवा चला दी जिससे पानी कम होने लगा।
186  GEN 8:2  ज़मीन के्मे और आसमान पर के पानी के दरीचे बंद हो गए, और बारि रुक गई।
188  GEN 8:4  सातवें महीने के 17वें दिन्ती अरारात के एक पहाड़ पर टिक गई।
190  GEN 8:6  चालीस दिन के बाद नूह ने्ती की खिड़की खोलकर एक कौवा छोड़ दिया, और वह उड़कर चला गया। लेकिन जब तक ज़मीन पर पानी था वह आता जाता रहा।
193  GEN 8:9  लेकिन कबूतर को कहीं भी बैठने की जगह न मिली, क्योंकि अब तक पूरी ज़मीन पर पानी ही पानी था। वह्ती और नूह के पास वापस आ गया, और नूह ने अपना हाथ बढ़ाया और कबूतर को पकड़कर अपने पास्ती में रख लिया।
195  GEN 8:11  ाम के वक़्त वह लौट आया। इस दफ़ा उस की चोंच में ज़ैतून का ताज़ा पत्ता था। तब नूह को मालूम हुआ कि ज़मीन पानी से निकल आई है।
197  GEN 8:13  जब नूह 601 साल का था तो पहले महीने के पहले दिन ज़मीन की सतह पर पानी ख़त्म हो गया। तब नूह ने्ती की छत खोल दी और देखा कि ज़मीन की सतह पर पानी नहीं है।
198  GEN 8:14  दूसरे महीने के 27वें दिन ज़मीन बिलकुल ख़ु्क हो गई।