Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   ू    February 25, 2023 at 01:29    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह कापानी के ऊपर मँडला रहा था।
8  GEN 1:8  अल्लाह ने गुंबद को आसमान का नाम दिया। शाम हुई, फिर सुबह। योंसरा दिन गुज़र गया।
9  GEN 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए ताकिसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
16  GEN 1:16  अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं,रज जो बड़ा था दिन पर हुकमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया।
18  GEN 1:18  दिन और रात पर हुकमत करें और रौशनी और तारीकी में इम्तियाज़ पैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
21  GEN 1:21  अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, पानी की तमाम दीगर मख़लक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
22  GEN 1:22  उसने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फलो और तादाद में बढ़ते जाओ। समुंदर तुमसे भर जाए। इसी तरह परिंदे ज़मीन पर तादाद में बढ़ जाएँ।”
26  GEN 1:26  अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनीरत पर बनाएँ, वह हमसे मुशाबहत रखे। वह तमाम जानवरों पर हुकमत करे, समुंदर की मछलियों पर, हवा के परिंदों पर, मवेशियों पर, जंगली जानवरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर।”
27  GEN 1:27  यों अल्लाह ने इनसान को अपनीरत पर बनाया, अल्लाह कीरत पर। उसने उन्हें मर्द और औरत बनाया।
28  GEN 1:28  अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर हुकमत करो।”
29  GEN 1:29  अल्लाह ने उनसे मज़ीद कहा, “तमाम बीजदार पौदे और फलदार दरख़्त तुम्हारे ही हैं। मैं उन्हें तुमको खाने के लिए देताँ।
30  GEN 1:30  इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देताँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन पर चलने-फिरनेवाला जानवर, हवा का परिंदा या ज़मीन पर रेंगनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ।
34  GEN 2:3  अल्लाह ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे मख़ससो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिग़ होकर आराम किया।
36  GEN 2:5  तो शुर में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।
37  GEN 2:6  इसकी बजाए ज़मीन में से धुंध उठकर उस कीरी सतह को तर करती थी।
38  GEN 2:7  फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दमँका तो वह जीती जान हुआ।
40  GEN 2:9  रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्तनिकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकिसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।
42  GEN 2:11  पहली शाख़ का नाम फ़ीसहै। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना,गल काँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं।
44  GEN 2:13  सरी का नाम जैहहै जोको घेरे हुए बहती है।
45  GEN 2:14  तीसरी का नाम दिजला है जो असके मशरिक़ को जाती है और चौथी का नाम फ़ुरात है।
49  GEN 2:18  रब ख़ुदा ने कहा, “अच्छा नहीं कि आदमी अकेला रहे। मैं उसके लिए एक मुनासिब मददगार बनाताँ।”
50  GEN 2:19  रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले जानवर और हवा के परिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालहो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल गया।
57  GEN 3:1  साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत सेछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
59  GEN 3:3  सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से गुरेज़ करना है जो बाग़ के बीच में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसेना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओगे।”
63  GEN 3:7  लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालहुआ कि हम नंगे हैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं।
65  GEN 3:9  रब ख़ुदा ने पुकारकर कहा, “आदम, कहाँ है?”
66  GEN 3:10  आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगाँ। इसलिए मैं छुप गया।”
67  GEN 3:11  उसनेछा, “किसने तुझे बताया कि नंगा है? क्याने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?”
68  GEN 3:12  आदम ने कहा, “जो औरतने मेरे साथ रहने के लिए दी है उसने मुझे फल दिया। इसलिए मैंने खा लिया।”
69  GEN 3:13  अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तने यह क्यों किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।”
70  GEN 3:14  रब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चँकि ने यह किया, इसलिए तमाम मवेशियों और जंगली जानवरों में लानती है। उम्र-भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक चाटेगा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी पैदा करँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। वह तेरे सर को कुचल डालेगी जबकि उस की एड़ी पर काटेगा।”
72  GEN 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो शदीद दर्द का शिकार होगी। अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकमत करेगा।”
73  GEN 3:17  आदम से उसने कहा, “तने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मशक़्क़त करनी पड़ेगी।
74  GEN 3:18  तेरे लिए वह ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँकि उससे अपनी ख़ुराक भी हासिल करेगा।
75  GEN 3:19  पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेगा। मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएगा, क्योंकि उसी से लिया गया है। ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएगा।”
80  GEN 3:24  इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन के मशरिक़ में करबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तलवार रखी जो इधर-उधरमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त तक पहुँचाता था।
85  GEN 4:5  मगर क़ाबील का नज़राना मंज़न हुआ। यह देखकर क़ाबील बड़े ग़ुस्से में आ गया, और उसका मुँह बिगड़ गया।
86  GEN 4:6  रब नेछा, “त ग़ुस्से में क्यों आ गया है? तेरा मुँह क्यों लटका हुआ है?
87  GEN 4:7  क्या अगर अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।”
89  GEN 4:9  तब रब ने क़ाबील सेछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?”
90  GEN 4:10  रब ने कहा, “तने क्या किया है? तेरे भाई का ख़ज़मीन में से पुकारकर मुझसे फ़रियाद कर रहा है।
91  GEN 4:11  इसलिए तुझ पर लानत है और ज़मीन ने तुझे रद्द किया है, क्योंकि ज़मीन को मुँह खोलकर तेरे हाथ से क़त्ल किए हुए भाई का ख़पीना पड़ा।
92  GEN 4:12  अब से जब खेतीबाड़ी करेगा तो ज़मीन अपनी पैदावार देने से इनकार करेगी। मफ़रहोकर मारा मारा फिरेगा।”
94  GEN 4:14  आज मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे तेरे हुज़से भी छुप जाना है। मैं मफ़रकी हैसियत से मारा मारा फिरता रहँगा, इसलिए जिसको भी पता चलेगा कि मैं कहाँवह मुझे क़त्ल कर डालेगा।”
96  GEN 4:16  इसके बाद क़ाबील रब के हुज़से चला गया और अदन के मशरिक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े में जा बसा।
97  GEN 4:17  क़ाबील की बीवी हामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिसका नाम हनरखा गया। क़ाबील ने एक शहर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुशी में उसका नाम हनरखा।
98  GEN 4:18  हनका बेटा ईराद था, ईराद का बेटा महयाएल, महयाएल का बेटा मतसाएल और मतसाएल का बेटा लमक था।
101  GEN 4:21  याबल का भाईबल था। उस की नसल के लोग सरोद और बाँसरी बजाते थे।
102  GEN 4:22  ज़िल्ला के भी बेटा पैदा हुआ जिसका नामबल-क़ाबील था। वह लोहार था। उस की नसल के लोग पीतल और लोहे की चीज़ें बनाते थे।बल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था।
106  GEN 4:26  सेत के हाँ भी बेटा पैदा हुआ। उसने उसका नाम अनरखा। उन दिनों में लोग रब का नाम लेकर इबादत करने लगे।
107  GEN 5:1  ज़ैल में आदम का नसबनामा दर्ज है। जब अल्लाह ने इनसान को ख़लक़ किया तो उसने उसे अपनीरत पर बनाया।
109  GEN 5:3  आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका बेटा सेत पैदा हुआ। सेतरत के लिहाज़ से अपने बाप की मानिंद था, वह उससे मुशाबहत रखता था।
112  GEN 5:6  सेत 105 साल का था जब उसका बेटा अनपैदा हुआ।
115  GEN 5:9  अन90 बरस का था जब उसका बेटा क़ीनान पैदा हुआ।
124  GEN 5:18  यारिद 162 साल का था जब उसका बेटा हनपैदा हुआ।
127  GEN 5:21  हन65 साल का था जब उसका बेटा मतसिलह पैदा हुआ।
130  GEN 5:24  हनअल्लाह के साथ साथ चलता था। 365 साल की उम्र में वह ग़ायब हुआ, क्योंकि अल्लाह ने उसे उठा लिया।
131  GEN 5:25  मतसिलह 187 साल का था जब उसका बेटा लमक पैदा हुआ।
135  GEN 5:29  उसने उसका नामयानी तसल्ली रखा, क्योंकि उसने उसके बारे में कहा, “हमारा खेतीबाड़ी का काम निहायत तकलीफ़देह है, इसलिए कि अल्लाह ने ज़मीन पर लानत भेजी है। लेकिन अब हम बेटे की मारिफ़त तसल्ली पाएँगे।”
138  GEN 5:32  500 साल का था जब उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त पैदा हुए।
140  GEN 6:2  तब आसमानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इनसान की बेटियाँ ख़बसरत हैं, और उन्होंने उनमें से कुछ चुनकर उनसे शादी की।
141  GEN 6:3  फिर रब ने कहा, “मेरीहमेशा के लिए इनसान में न रहे क्योंकि वह फ़ानी मख़लक़ है। अब से वह 120 साल से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहेगा।”
142  GEN 6:4  उन दिनों में और बाद में भी दुनिया में देवक़ामत अफ़राद थे जो इनसानी औरतों और उन आसमानी हस्तियों की शादियों से पैदा हुए थे। यह देवक़ामत अफ़राद क़दीम ज़माने के मशहरमा थे।
145  GEN 6:7  उसने कहा, “गो मैं ही ने इनसान को ख़लक़ किया मैं उसेए-ज़मीन पर से मिटा डालँगा। मैं न सिर्फ़ लोगों को बल्कि ज़मीन पर चलने-फिरने और रेंगनेवाले जानवरों और हवा के परिंदों को भी हलाक करँगा, क्योंकि मैं पछताताकि मैंने उनको बनाया।”
146  GEN 6:8  सिर्फ़पर रब की नज़रे-करम थी।
147  GEN 6:9  यह उस की ज़िंदगी का बयान है।रास्तबाज़ था। उस ज़माने के लोगों में सिर्फ़ वही बेक़ुसथा। वह अल्लाह के साथ साथ चलता था।
148  GEN 6:10  के तीन बेटे थे, सिम, हाम और याफ़त।
151  GEN 6:13  तब अल्लाह नेसे कहा, “मैंने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उनके सबब सेरी दुनिया ज़ुल्मो-तशद्दुद से भर गई है। चुनाँचे मैं उनको ज़मीन समेत तबाह करँगा।