Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   Word?”    February 25, 2023 at 01:29    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

57  GEN 3:1  साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
65  GEN 3:9  रब ख़ुदा ने पुकारकर कहा, “आदम, तू कहाँ है?”
67  GEN 3:11  उसने पूछा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?”
69  GEN 3:13  अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तूने यह क्यों किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।”
89  GEN 4:9  तब रब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?”
369  GEN 15:8  अब्राम ने पूछा, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, मैं किस तरह जानूँ कि इस मुल्क पर क़ब्ज़ा करूँगा?”
390  GEN 16:8  उसने कहा, “सारय की लौंडी हाजिरा, तू कहाँ से आ रही है और कहाँ जा रही है?” हाजिरा ने जवाब दिया, “मैं अपनी मालिकन सारय से फ़रार हो रही हूँ।”
395  GEN 16:13  रब के उसके साथ बात करने के बाद हाजिरा ने उसका नाम अत्ताएल-रोई यानी ‘तू एक माबूद है जो मुझे देखता है’ रखा। उसने कहा, “क्या मैंने वाक़ई उसके पीछे देखा है जिसने मुझे देखा है?”
434  GEN 18:9  उन्होंने पूछा, “तेरी बीवी सारा कहाँ है?” उसने जवाब दिया, “ख़ैमे में।”
450  GEN 18:25  यह कैसे हो सकता है कि तू बेक़ुसूरों को शरीरों के साथ हलाक कर दे? यह तो नामुमकिन है कि तू नेक और शरीर लोगों से एक जैसा सुलूक करे। क्या लाज़िम नहीं कि पूरी दुनिया का मुंसिफ़ इनसाफ़ करे?”
453  GEN 18:28  लेकिन हो सकता है कि सिर्फ़ 45 रास्तबाज़ उसमें हों। क्या तू फिर भी उन पाँच लोगों की कमी के सबब से पूरे शहर को तबाह करेगा?” उसने कहा, “अगर मुझे 45 भी मिल जाएँ तो उसे बरबाद नहीं करूँगा।”
454  GEN 18:29  इब्राहीम ने अपनी बात जारी रखी, “और अगर सिर्फ़ 40 नेक लोग हों तो?” रब ने कहा, “मैं उन 40 के सबब से उन्हें छोड़ दूँगा।”
456  GEN 18:31  इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ कि मैंने रब से बात करने की जुर्रत की है। अगर सिर्फ़ 20 पाए जाएँ?” रब ने कहा, “मैं 20 के सबब से शहर को बरबाद करने से बाज़ रहूँगा।”
506  GEN 20:10  आपने यह क्यों किया?”
543  GEN 21:29  अबीमलिक ने पूछा, “आपने यह क्यों किया?”
555  GEN 22:7  इसहाक़ बोला, “अब्बू!” इब्राहीम ने कहा, “जी बेटा।” “अब्बू, आग और लकड़ियाँ तो हमारे पास हैं, लेकिन क़ुरबानी के लिए भेड़ या बकरी कहाँ है?”
597  GEN 24:5  उसके नौकर ने कहा, “शायद वह औरत मेरे साथ यहाँ आना न चाहे। क्या मैं इस सूरत में आपके बेटे को उस वतन में वापस ले जाऊँ जिससे आप निकले हैं?”
615  GEN 24:23  उसने पूछा, “आप किसकी बेटी हैं? क्या उसके हाँ इतनी जगह है कि हम वहाँ रात गुज़ार सकें?”
650  GEN 24:58  उन्होंने रिबक़ा को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू अभी इस आदमी के साथ जाना चाहती है?” उसने कहा, “जी, मैं जाना चाहती हूँ।”
657  GEN 24:65  नौकर से पूछा, “वह आदमी कौन है जो मैदान में हमसे मिलने आ रहा है?” नौकर ने कहा, “मेरा मालिक है।” यह सुनकर रिबक़ा ने चादर लेकर अपने चेहरे को ढाँप लिया।
681  GEN 25:22  उसके पेट में बच्चे एक दूसरे से ज़ोर-आज़माई करने लगे तो वह रब से पूछने गई, “अगर यह मेरी हालत रहेगी तो फिर मैं यहाँ तक क्यों पहुँच गई हूँ?”
691  GEN 25:32  एसौ ने कहा, “मैं तो भूक से मर रहा हूँ, पहलौठे का हक़ मेरे किस काम का?”
702  GEN 26:9  उसने इसहाक़ को बुलाकर कहा, “वह तो आपकी बीवी है! आपने क्यों कहा कि मेरी बहन है?” इसहाक़ ने जवाब दिया, “मैंने सोचा कि अगर मैं बताऊँ कि यह मेरी बीवी है तो लोग मुझे क़त्ल कर देंगे।”
720  GEN 26:27  इसहाक़ ने पूछा, “आप क्यों मेरे पास आए हैं? आप तो मुझसे नफ़रत रखते हैं। क्या आपने मुझे अपने दरमियान से ख़ारिज नहीं किया था?”
746  GEN 27:18  याक़ूब ने अपने बाप के पास जाकर कहा, “अब्बू जी।” इसहाक़ ने कहा, “जी, बेटा। तू कौन है?”
748  GEN 27:20  इसहाक़ ने पूछा, “बेटा, तुझे यह शिकार इतनी जल्दी किस तरह मिल गया?” उसने जवाब दिया, “रब आपके ख़ुदा ने उसे मेरे सामने से गुज़रने दिया।”
752  GEN 27:24  तो भी उसने दुबारा पूछा, “क्या तू वाक़ई मेरा बेटा एसौ है?” याक़ूब ने जवाब दिया, “जी, मैं वही हूँ।”
760  GEN 27:32  इसहाक़ ने पूछा, “तू कौन है?” उसने जवाब दिया, “मैं आपका बड़ा बेटा एसौ हूँ।”
764  GEN 27:36  एसौ ने कहा, “उसका नाम याक़ूब ठीक ही रखा गया है, क्योंकि अब उसने मुझे दूसरी बार धोका दिया है। पहले उसने पहलौठे का हक़ मुझसे छीन लिया और अब मेरी बरकत भी ज़बरदस्ती ले ली। क्या आपने मेरे लिए कोई बरकत महफ़ूज़ नहीं रखी?”
765  GEN 27:37  लेकिन इसहाक़ ने कहा, “मैंने उसे तेरा हुक्मरान और उसके तमाम भाइयों को उसके ख़ादिम बना दिया है। मैंने उसे अनाज और अंगूर का रस मुहैया किया है। अब मुझे बता बेटा, क्या कुछ रह गया है जो मैं तुझे दूँ?”
773  GEN 27:45  जब उसका ग़ुस्सा ठंडा हो जाएगा और वह तुम्हारे उसके साथ किए गए सुलूक को भूल जाएगा, तब मैं इत्तला दूँगी कि तुम वहाँ से वापस आ सकते हो। मैं क्यों एक ही दिन में तुम दोनों से महरूम हो जाऊँ?”
800  GEN 29:4  याक़ूब ने चरवाहों से पूछा, “मेरे भाइयो, आप कहाँ के हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “हारान के।”
801  GEN 29:5  उसने पूछा, “क्या आप नहूर के पोते लाबन को जानते हैं?” उन्होंने कहा, “जी हाँ।”
802  GEN 29:6  उसने पूछा, “क्या वह ख़ैरियत से है?” उन्होंने कहा, “जी, वह ख़ैरियत से है। देखो, उधर उस की बेटी राख़िल रेवड़ लेकर आ रही है।”
803  GEN 29:7  याक़ूब ने कहा, “अभी तो शाम तक बहुत वक़्त बाक़ी है। रेवड़ों को जमा करने का वक़्त तो नहीं है। आप क्यों उन्हें पानी पिलाकर दुबारा चरने नहीं देते?”
811  GEN 29:15  फिर लाबन याक़ूब से कहने लगा, “बेशक आप मेरे रिश्तेदार हैं, लेकिन आपको मेरे लिए काम करने के बदले में कुछ मिलना चाहिए। मैं आपको कितने पैसे दूँ?”
821  GEN 29:25  जब सुबह हुई तो याक़ूब ने देखा कि लियाह ही मेरे पास है। उसने लाबन के पास जाकर कहा, “यह आपने मेरे साथ क्या किया है? क्या मैंने राख़िल के लिए काम नहीं किया? आपने मुझे धोका क्यों दिया?”
833  GEN 30:2  याक़ूब को ग़ुस्सा आया। उसने कहा, “क्या मैं अल्लाह हूँ जिसने तुझे औलाद से महरूम रखा है?”
862  GEN 30:31  लाबन ने कहा, “मैं आपको क्या दूँ?” याक़ूब ने कहा, “मुझे कुछ न दें। मैं इस शर्त पर आपकी भेड़-बकरियों की देख-भाल जारी रखूँगा कि
904  GEN 31:30  ठीक है, आप इसलिए चले गए कि अपने बाप के घर वापस जाने के बड़े आरज़ूमंद थे। लेकिन यह आपने क्या किया है कि मेरे बुत चुरा लाए हैं?”
956  GEN 32:28  आदमी ने पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने जवाब दिया, “याक़ूब।”
958  GEN 32:30  याक़ूब ने कहा, “मुझे अपना नाम बताएँ।” उसने कहा, “तू क्यों मेरा नाम जानना चाहता है?” फिर उसने याक़ूब को बरकत दी।
966  GEN 33:5  फिर एसौ ने औरतों और बच्चों को देखा। उसने पूछा, “तुम्हारे साथ यह लोग कौन हैं?” याक़ूब ने कहा, “यह आपके ख़ादिम के बच्चे हैं जो अल्लाह ने अपने करम से नवाज़े हैं।”
969  GEN 33:8  एसौ ने पूछा, “जिस जानवरों के बड़े ग़ोल से मेरी मुलाक़ात हुई उससे क्या मुराद है?” याक़ूब ने जवाब दिया, “यह तोह्फ़ा है ताकि आपका ख़ादिम आपकी नज़र में मक़बूल हो।”
976  GEN 33:15  एसौ ने कहा, “क्या मैं अपने आदमियों में से कुछ आपके पास छोड़ दूँ?” लेकिन याक़ूब ने कहा, “क्या ज़रूरत है? सबसे अहम बात यह है कि आपने मुझे क़बूल कर लिया है।”
1012  GEN 34:31  लेकिन उन्होंने कहा, “क्या यह ठीक था कि उसने हमारी बहन के साथ कसबी का-सा सुलूक किया?”
1092  GEN 37:8  उसके भाइयों ने कहा, “अच्छा, तू बादशाह बनकर हम पर हुकूमत करेगा?” उसके ख़ाबों और उस की बातों के सबब से उनकी उससे नफ़रत मज़ीद बढ़ गई।
1094  GEN 37:10  उसने यह ख़ाब अपने बाप को भी सुनाया तो उसने उसे डाँटा। उसने कहा, “यह कैसा ख़ाब है जो तूने देखा! यह कैसी बात है कि मैं, तेरी माँ और तेरे भाई आकर तेरे सामने ज़मीन तक झुक जाएँ?”
1099  GEN 37:15  वहाँ वह इधर-उधर फिरता रहा। आख़िरकार एक आदमी उससे मिला और पूछा, “आप क्या ढूँड रहे हैं?”
1114  GEN 37:30  वह अपने भाइयों के पास वापस गया और कहा, “लड़का नहीं है। अब मैं किस तरह अब्बू के पास जाऊँ?”
1116  GEN 37:32  फिर रंगदार लिबास इस ख़बर के साथ अपने बाप को भिजवा दिया कि “हमें यह मिला है। इसे ग़ौर से देखें। यह आपके बेटे का लिबास तो नहीं?”
1136  GEN 38:16  वह रास्ते से हटकर उसके पास गया और कहा, “ज़रा मुझे अपने हाँ आने दें।” (उसने नहीं पहचाना कि यह मेरी बहू है)। तमर ने कहा, “आप मुझे क्या देंगे?”
1138  GEN 38:18  उसने पूछा, “मैं आपको क्या दूँ?” तमर ने कहा, “अपनी मुहर और उसे गले में लटकाने की डोरी। वह लाठी भी दें जो आप पकड़े हुए हैं।” चुनाँचे यहूदाह उसे यह चीज़ें देकर उसके साथ हमबिसतर हुआ। नतीजे में तमर उम्मीद से हुई।
1141  GEN 38:21  उसने ऐनीम के बाशिंदों से पूछा, “वह कसबी कहाँ है जो यहाँ सड़क पर बैठी थी?” उन्होंने जवाब दिया, “यहाँ ऐसी कोई कसबी नहीं थी।”
1159  GEN 39:9  घर के इंतज़ाम पर उनका इख़्तियार मेरे इख़्तियार से ज़्यादा नहीं है। आपके सिवा उन्होंने कोई भी चीज़ मुझसे बाज़ नहीं रखी। तो फिर मैं किस तरह इतना ग़लत काम करूँ? मैं किस तरह अल्लाह का गुनाह करूँ?”
1180  GEN 40:7  उसने उनसे पूछा, “आज आप क्यों इतने परेशान हैं?”
1260  GEN 42:7  जब यूसुफ़ ने अपने भाइयों को देखा तो उसने उन्हें पहचान लिया लेकिन ऐसा किया जैसा उनसे नावाक़िफ़ हो और सख़्ती से उनसे बात की, “तुम कहाँ से आए हो?” उन्होंने जवाब दिया, “हम मुल्के-कनान से अनाज ख़रीदने के लिए आए हैं।”
1281  GEN 42:28  उसने अपने भाइयों से कहा, “मेरे पैसे वापस कर दिए गए हैं! वह मेरी बोरी में हैं।” यह देखकर उनके होश उड़ गए। काँपते हुए वह एक दूसरे को देखने और कहने लगे, “यह क्या है जो अल्लाह ने हमारे साथ किया है?”
1318  GEN 43:27  उसने उनसे ख़ैरियत दरियाफ़्त की और फिर कहा, “तुमने अपने बूढ़े बाप का ज़िक्र किया। क्या वह ठीक हैं? क्या वह अब तक ज़िंदा हैं?”
1340  GEN 44:15  यूसुफ़ ने कहा, “यह तुमने क्या किया है? क्या तुम नहीं जानते कि मुझ जैसा आदमी ग़ैब का इल्म रखता है?”
1362  GEN 45:3  यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं यूसुफ़ हूँ। क्या मेरा बाप अब तक ज़िंदा है?” लेकिन उसके भाई यह सुनकर इतने घबरा गए कि वह जवाब न दे सके।
1424  GEN 47:3  फ़िरौन ने भाइयों से पूछा, “तुम क्या काम करते हो?” उन्होंने जवाब दिया, “आपके ख़ादिम भेड़-बकरियों के चरवाहे हैं। यह हमारे बापदादा का पेशा था और हमारा भी है।
1429  GEN 47:8  बादशाह ने उससे पूछा, “तुम्हारी उम्र क्या है?”
1460  GEN 48:8  फिर याक़ूब ने यूसुफ़ के बेटों पर नज़र डालकर पूछा, “यह कौन हैं?”
1522  GEN 50:15  जब याक़ूब इंतक़ाल कर गया तो यूसुफ़ के भाई डर गए। उन्होंने कहा, “ख़तरा है कि अब यूसुफ़ हमारा ताक़्क़ुब करके उस ग़लत काम का बदला ले जो हमने उसके साथ किया था। फिर क्या होगा?”
1551  EXO 1:18  तब मिसर के बादशाह ने उन्हें दुबारा बुलाकर पूछा, “तुमने यह क्यों किया? तुम लड़कों को क्यों जीता छोड़ देती हो?”
1562  EXO 2:7  अब बच्चे की बहन फ़िरौन की बेटी के पास गई और पूछा, “क्या मैं बच्चे को दूध पिलाने के लिए कोई इबरानी औरत ढूँड लाऊँ?”
1568  EXO 2:13  अगले दिन भी मूसा घर से निकला। इस दफ़ा दो इबरानी मर्द आपस में लड़ रहे थे। जो ग़लती पर था उससे मूसा ने पूछा, “तुम अपने भाई को क्यों मार रहे हो?”
1569  EXO 2:14  आदमी ने जवाब दिया, “किसने आपको हम पर हुक्मरान और क़ाज़ी मुक़र्रर किया है? क्या आप मुझे भी क़त्ल करना चाहते हैं जिस तरह मिसरी को मार डाला था?” तब मूसा डर गया। उसने सोचा, “हाय, मेरा भेद खुल गया है!”
1573  EXO 2:18  जब लड़कियाँ अपने बाप रऊएल के पास वापस आईं तो बाप ने पूछा, “आज तुम इतनी जल्दी से क्यों वापस आ गई हो?”
1591  EXO 3:11  लेकिन मूसा ने अल्लाह से कहा, “मैं कौन हूँ कि फ़िरौन के पास जाकर इसराईलियों को मिसर से निकाल लाऊँ?”
1593  EXO 3:13  लेकिन मूसा ने एतराज़ किया, “अगर मैं इसराईलियों के पास जाकर उन्हें बताऊँ कि तुम्हारे बापदादा के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है तो वह पूछेंगे, ‘उसका नाम क्या है?’ फिर मैं उनको क्या जवाब दूँ?”
1604  EXO 4:2  जवाब में रब ने मूसा से कहा, “तूने हाथ में क्या पकड़ा हुआ है?” मूसा ने कहा, “लाठी।”
1647  EXO 5:14  जो इसराईली निगरान उन्होंने मुक़र्रर किए थे उन्हें वह पीटते और कहते रहे, “तुमने कल और आज उतनी ईंटें क्यों नहीं बनवाईं जितनी पहले बनवाते थे?”
1668  EXO 6:12  लेकिन मूसा ने एतराज़ किया, “इसराईली मेरी बात सुनना नहीं चाहते तो फ़िरौन क्यों मेरी बात माने जबकि मैं रुक रुककर बोलता हूँ?”
1686  EXO 6:30  मूसा ने एतराज़ किया, “मैं तो रुक रुककर बोलता हूँ। फ़िरौन किस तरह मेरी बात मानेगा?”
1785  EXO 10:7  इस पर दरबारियों ने फ़िरौन से बात की, “हम कब तक इस मर्द के जाल में फँसे रहें? इसराईलियों को रब अपने ख़ुदा की इबादत करने के लिए जाने दें। क्या आपको अभी तक मालूम नहीं कि मिसर बरबाद हो गया है?”
1786  EXO 10:8  तब मूसा और हारून को फ़िरौन के पास बुलाया गया। उसने उनसे कहा, “जाओ, अपने ख़ुदा की इबादत करो। लेकिन यह बताओ कि कौन कौन साथ जाएगा?”
1945  EXO 15:24  यह देखकर लोग मूसा के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाकर कहने लगे, “हम क्या पिएँ?”
1963  EXO 16:15  जब इसराईलियों ने उसे देखा तो एक दूसरे से पूछने लगे, “मन हू?” यानी “यह क्या है?” क्योंकि वह नहीं जानते थे कि यह क्या चीज़ है। मूसा ने उनको समझाया, “यह वह रोटी है जो रब ने तुम्हें खाने के लिए दी है।
1986  EXO 17:2  इसलिए वह मूसा के साथ यह कहकर झगड़ने लगे, “हमें पीने के लिए पानी दो।” मूसा ने जवाब दिया, “तुम मुझसे क्यों झगड़ रहे हो? रब को क्यों आज़मा रहे हो?”
1987  EXO 17:3  लेकिन लोग बहुत प्यासे थे। वह मूसा के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाने से बाज़ न आए बल्कि कहा, “आप हमें मिसर से क्यों लाए हैं? क्या इसलिए कि हम अपने बच्चों और रेवड़ों समेत प्यासे मर जाएँ?”
2014  EXO 18:14  जब यितरो ने यह सब कुछ देखा तो उसने पूछा, “यह क्या है जो आप लोगों के साथ कर रहे हैं? सारा दिन वह आपको घेरे रहते और आप उनकी अदालत करते रहते हैं। आप यह सब कुछ अकेले ही क्यों कर रहे हैं?”
2460  EXO 32:21  उसने हारून से पूछा, “इन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया कि तुमने उन्हें ऐसे बड़े गुनाह में फँसा दिया?”
2997  LEV 10:19  हारून ने मूसा को जवाब देकर कहा, “देखें, आज लोगों ने अपने लिए गुनाह की क़ुरबानी और भस्म होनेवाली क़ुरबानी रब को पेश की है जबकि मुझ पर यह आफ़त गुज़री है। अगर मैं आज गुनाह की क़ुरबानी से खाता तो क्या यह रब को अच्छा लगता?”
4047  NUM 11:22  क्या गाय-बैलों या भेड़-बकरियों को इतनी मिक़दार में ज़बह किया जा सकता है कि काफ़ी हो? अगर समुंदर की तमाम मछलियाँ उनके लिए पकड़ी जाएँ तो क्या काफ़ी होंगी?”
4062  NUM 12:2  उन्होंने पूछा, “क्या रब सिर्फ़ मूसा की मारिफ़त बात करता है? क्या उसने हमसे भी बात नहीं की?” रब ने उनकी यह बातें सुनीं।
4068  NUM 12:8  उससे मैं रूबरू हमकलाम होता हूँ। उससे मैं मुअम्मों के ज़रीए नहीं बल्कि साफ़ साफ़ बात करता हूँ। वह रब की सूरत देखता है। तो फिर तुम मेरे ख़ादिम के ख़िलाफ़ बातें करने से क्यों न डरे?”
4112  NUM 14:3  रब हमें क्यों उस मुल्क में ले जा रहा है? क्या इसलिए कि दुश्मन हमें तलवार से क़त्ल करे और हमारे बाल-बच्चों को लूट ले? क्या बेहतर नहीं होगा कि हम मिसर वापस जाएँ?”
4198  NUM 16:3  वह मिलकर मूसा और हारून के पास आकर कहने लगे, “आप हमसे ज़्यादती कर रहे हैं। पूरी जमात मख़सूसो-मुक़द्दस है, और रब उसके दरमियान है। तो फिर आप अपने आपको क्यों रब की जमात से बढ़कर समझते हैं?”
4206  NUM 16:11  अपने साथियों से मिलकर तूने हारून की नहीं बल्कि रब की मुख़ालफ़त की है। क्योंकि हारून कौन है कि तुम उसके ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाओ?”
4217  NUM 16:22  मूसा और हारून मुँह के बल गिरे और बोल उठे, “ऐ अल्लाह, तू तमाम जानों का ख़ुदा है। क्या तेरा ग़ज़ब एक ही आदमी के गुनाह के सबब से पूरी जमात पर आन पड़ेगा?”
4258  NUM 17:28  जो भी रब के मक़दिस के क़रीब आए वह मर जाएगा। क्या हम सब ही हलाक हो जाएंगे?”
4322  NUM 20:10  और हारून के साथ जमात को चटान के सामने इकट्ठा किया। मूसा ने उनसे कहा, “ऐ बग़ावत करनेवालो, सुनो! क्या हम इस चटान में से तुम्हारे लिए पानी निकालें?”
4385  NUM 22:9  रात के वक़्त अल्लाह बिलाम पर ज़ाहिर हुआ। उसने पूछा, “यह आदमी कौन हैं जो तेरे पास आए हैं?”
4404  NUM 22:28  तब रब ने गधी को बोलने दिया, और उसने बिलाम से कहा, “मैंने आपसे क्या ग़लत सुलूक किया है कि आप मुझे अब तीसरी दफ़ा पीट रहे हैं?”
4406  NUM 22:30  गधी ने बिलाम से कहा, “क्या मैं आपकी गधी नहीं हूँ जिस पर आप आज तक सवार होते रहे हैं? क्या मुझे कभी ऐसा करने की आदत थी?” उसने कहा, “नहीं।”
4413  NUM 22:37  उसने बिलाम से कहा, “क्या मैंने आपको इत्तला नहीं भेजी थी कि आप ज़रूर आएँ? आप क्यों नहीं आए? क्या आपने सोचा कि मैं आपको मुनासिब इनाम नहीं दे पाऊँगा?”
4429  NUM 23:12  बिलाम ने जवाब दिया, “क्या लाज़िम नहीं कि मैं वही कुछ बोलूँ जो रब ने बताने को कहा है?”
4434  NUM 23:17  वह वापस चला गया। बलक़ अब तक अपने सरदारों के साथ अपनी क़ुरबानी के पास खड़ा था। उसने उससे पूछा, “रब ने क्या कहा?”