Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   *    February 11, 2023 at 18:44    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

3  GEN 1:3  तब परमेश्‍वर ने कहा, “उजियाला हो*,” तो उजियाला हो गया।
4  GEN 1:4  और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है*; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया।
6  GEN 1:6  फिर परमेश्‍वर ने कहा*, “जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।”
22  GEN 1:22  परमेश्‍वर ने यह कहकर उनको आशीष दी*, “फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।”
26  GEN 1:26  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरूप के अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” (याकू. 3:9)
33  GEN 2:2  और परमेश्‍वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया, और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।* (इब्रा. 4:4)
46  GEN 2:15  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को लेकर* अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रखवाली करे।
49  GEN 2:18  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं*; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उसके लिये उपयुक्‍त होगा।” (1 कुरि. 11:9)
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी खाया। (1 तीमु. 2:14)
66  GEN 3:10  उसने कहा, “मैं तेरा शब्द वाटिका में सुनकर डर गया, क्योंकि मैं नंगा था;* इसलिए छिप गया।”
80  GEN 3:24  इसलिए आदम को उसने निकाल दिया* और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली अग्निमय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।
84  GEN 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई;* तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)
91  GEN 4:11  इसलिए अब भूमि जिसने तेरे भाई का लहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुँह खोला है, उसकी ओर से तू श्रापित* है।
108  GEN 5:2  उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें आशीष दी, और उनकी सृष्टि के दिन उनका नाम आदम रखा*(मत्ती 19:4, मर. 10:6)
128  GEN 5:22  मतूशेलह के जन्म के पश्चात् हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा,* और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
145  GEN 6:7  तब यहोवा ने कहा, “मैं मनुष्य को जिसकी मैंने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूँगा;* क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूँगा, क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूँ।”
147  GEN 6:9  नूह की वंशावली यह है। नूह* धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्‍वर ही के साथ-साथ चलता रहा।
149  GEN 6:11  उस समय पृथ्वी परमेश्‍वर की दृष्टि में बिगड़ गई* थी, और उपद्रव से भर गई थी।
156  GEN 6:18  परन्तु तेरे संग मैं वाचा बाँधता हूँ;* इसलिए तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।
181  GEN 7:21  और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या जंगली पशु, और पृथ्वी पर सब चलनेवाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी में बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुष्य मर गए।*
185  GEN 8:1  परन्तु परमेश्‍वर ने नूह और जितने जंगली पशु और घरेलू पशु उसके संग जहाज में थे, उन सभी की सुधि ली:* और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर पवन बहाई, और जल घटने लगा।
204  GEN 8:20  तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई;* और सब शुद्ध पशुओं, और सब शुद्ध पक्षियों में से, कुछ-कुछ लेकर वेदी पर होमबलि चढ़ाया।
207  GEN 9:1  फिर परमेश्‍वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी* और उनसे कहा, “फूलो-फलो और बढ़ो और पृथ्वी में भर जाओ।
210  GEN 9:4  पर माँस को प्राण समेत अर्थात् लहू समेत तुम न खाना।* (व्य. 12:23)
223  GEN 9:17  फिर परमेश्‍वर ने नूह से कहा, “जो वाचा मैंने पृथ्वी भर के सब प्राणियों के साथ बाँधी है, उसका चिन्ह यही है*।”
237  GEN 10:2  येपेत के पुत्र*: गोमेर, मागोग, मादै, यावान, तूबल, मेशेक और तीरास हुए।
241  GEN 10:6  फिर हाम के पुत्र*: कूश, मिस्र, पूत और कनान हुए।
275  GEN 11:8  इस प्रकार यहोवा ने उनको वहाँ से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया*; और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड़ दिया।
297  GEN 11:30  सारै तो बाँझ थी*; उसके सन्तान न हुई।
300  GEN 12:1  यहोवा ने अब्राम से कहा*, “अपने देश, और अपनी जन्म-भूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। (प्रेरि. 7:3, इब्रा 11:8)
314  GEN 12:15  और मिस्र के राजा फ़िरौन के हाकिमों ने उसको देखकर फ़िरौन के सामने उसकी प्रशंसा की: इसलिए वह स्त्री फ़िरौन के महल में पहुँचाई गई*
316  GEN 12:17  तब यहोवा ने फ़िरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्‍नी सारै के कारण बड़ी-बड़ी विपत्तियाँ डाली*
331  GEN 13:12  अब्राम तो कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा*; और अपना तम्बू सदोम के निकट खड़ा किया।
333  GEN 13:14  जब लूत अब्राम से अलग हो गया तब उसके पश्चात् यहोवा ने अब्राम से कहा,* “आँख उठाकर जिस स्थान पर तू है वहाँ से उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम, चारों ओर दृष्टि कर।
355  GEN 14:18  तब शालेम का राजा मलिकिसिदक,* जो परमप्रधान परमेश्‍वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया।
360  GEN 14:23  उसकी मैं यह शपथ खाता हूँ,* कि जो कुछ तेरा है उसमें से न तो मैं एक सूत, और न जूती का बन्धन, न कोई और वस्तु लूँगा; कि तू ऐसा न कहने पाए, कि अब्राम मेरे ही कारण धनी हुआ।
363  GEN 15:2  अब्राम ने कहा, “हे प्रभु यहोवा, मैं तो सन्तानहीन* हूँ, और मेरे घर का वारिस यह दमिश्कवासी एलीएजेर होगा, अतः तू मुझे क्या देगा?”
367  GEN 15:6  उसने यहोवा पर विश्वास किया;* और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना। (रोम. 4:3)
378  GEN 15:17  और ऐसा हुआ कि जब सूर्य अस्त हो गया* और घोर अंधकार छा गया, तब एक अँगीठी जिसमें से धुआँ उठता था और एक जलती हुई मशाल दिखाई दी जो उन टुकड़ों के बीच में से होकर निकल गई।
384  GEN 16:2  सारै ने अब्राम से कहा, “देख, यहोवा ने तो मेरी कोख बन्द कर रखी है* इसलिए मैं तुझ से विनती करती हूँ कि तू मेरी दासी के पास जा; सम्भव है कि मेरा घर उसके द्वारा बस जाए।” सारै की यह बात अब्राम ने मान ली।
392  GEN 16:10  और यहोवा के दूत ने उससे कहा, “मैं तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊँगा,* यहाँ तक कि बहुतायत के कारण उसकी गिनती न हो सकेगी।”
401  GEN 17:3  तब अब्राम मुँह के बल गिरा* और परमेश्‍वर उससे यह बातें करता गया,
410  GEN 17:12  पीढ़ी-पीढ़ी में केवल तेरे वंश ही के लोग नहीं पर जो तेरे घर में उत्‍पन्‍न हुआ हों, अथवा परदेशियों को रूपा देकर मोल लिया जाए, ऐसे सब पुरुष भी जब आठ दिन* के हों जाएँ, तब उनका खतना किया जाए।
413  GEN 17:15  फिर परमेश्‍वर ने अब्राहम से कहा, “तेरी जो पत्‍नी सारै है, उसको तू अब सारै न कहना, उसका नाम सारा* होगा।
426  GEN 18:1  अब्राहम मम्रे के बांज वृक्षों के बीच कड़ी धूप के समय तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था, तब यहोवा ने उसे दर्शन दिया*:
445  GEN 18:20  फिर यहोवा ने कहा, “सदोम और गमोरा के विरुद्ध चिल्लाहट* बढ़ गई है, और उनका पाप बहुत भारी हो गया है;
459  GEN 19:1  सांझ को वे दो दूत* सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उनको देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा; और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा;
487  GEN 19:29  और ऐसा हुआ कि जब परमेश्‍वर ने उस तराई के नगरों को, जिनमें लूत रहता था, उलट पुलट कर नाश किया, तब उसने अब्राहम को याद करके* लूत को उस घटना से बचा लिया।
503  GEN 20:7  इसलिए अब उस पुरुष की पत्‍नी को उसे लौटाए; क्योंकि वह नबी है*, और तेरे लिये प्रार्थना करेगा, और तू जीता रहेगा पर यदि तू उसको न लौटा दे तो जान रख, कि तू, और तेरे जितने लोग हैं, सब निश्चय मर जाएँगे।”
513  GEN 20:17  तब अब्राहम ने यहोवा से प्रार्थना की*, और यहोवा ने अबीमेलेक, और उसकी पत्‍नी, और दासियों को चंगा किया और वे जनने लगीं।
515  GEN 21:1  यहोवा ने जैसा कहा था वैसा ही सारा की सुधि लेकर उसके साथ अपने वचन के अनुसार किया*
523  GEN 21:9  तब सारा को मिस्री हाजिरा का पुत्र, जो अब्राहम से उत्‍पन्‍न हुआ था, हँसी करता हुआ दिखाई पड़ा।*
531  GEN 21:17  परमेश्‍वर ने उस लड़के की सुनी*; और उसके दूत ने स्वर्ग से हाजिरा को पुकारकर कहा, “हे हाजिरा, तुझे क्या हुआ? मत डर; क्योंकि जहाँ तेरा लड़का है वहाँ से उसकी आवाज परमेश्‍वर को सुन पड़ी है।
549  GEN 22:1  इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेश्‍वर ने, अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की*, “हे अब्राहम!” उसने कहा, “देख, मैं यहाँ हूँ।” (इब्रा. 11:17)
580  GEN 23:8  “यदि तुम्हारी यह इच्छा हो कि मैं अपने मृतक को गाड़कर अपनी आँख की ओट करूँ, तो मेरी प्रार्थना है, कि सोहर के पुत्र एप्रोन* से मेरे लिये विनती करो,
594  GEN 24:2  अब्राहम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था*, कहा, “अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रख;
595  GEN 24:3  और मुझसे आकाश और पृथ्वी के परमेश्‍वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा*, कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके बीच मैं रहता हूँ, किसी को न ले आएगा।
618  GEN 24:26  तब उस पुरुष ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् करके कहा*,
664  GEN 25:5  इसहाक को तो अब्राहम ने अपना सब कुछ दिया*
670  GEN 25:11  अब्राहम के मरने के पश्चात् परमेश्‍वर ने उसके पुत्र इसहाक को जो लहैरोई नामक कुएँ के पास रहता था, आशीष दी*
681  GEN 25:22  लड़के उसके गर्भ में आपस में लिपट कर एक दूसरे को मारने लगे*तब उसने कहा, “मेरी जो ऐसी ही दशा रहेगी तो मैं कैसे जीवित रहूँगी?” और वह यहोवा की इच्छा पूछने को गई।
690  GEN 25:31  याकूब ने कहा, “अपना पहलौठे का अधिकार* आज मेरे हाथ बेच दे।”
695  GEN 26:2  वहाँ यहोवा ने उसको दर्शन देकर* कहा, “मिस्र में मत जा; जो देश मैं तुझे बताऊँ उसी में रह।
700  GEN 26:7  जब उस स्थान के लोगों ने उसकी पत्‍नी के विषय में पूछा, तब उसने यह सोचकर कि यदि मैं उसको अपनी पत्‍नी कहूँ, तो यहाँ के लोग रिबका के कारण जो परम सुन्दरी है* मुझको मार डालेंगे, उत्तर दिया, “वह तो मेरी बहन है।”
705  GEN 26:12  फिर इसहाक ने उस देश में जोता बोया, और उसी वर्ष में सौ गुणा फल पाया*; और यहोवा ने उसको आशीष दी,
733  GEN 27:5  तब एसाव अहेर करने को मैदान में गया। जब इसहाक एसाव से यह बात कह रहा था, तब रिबका* सुन रही थी।
761  GEN 27:33  तब इसहाक ने अत्यन्त थरथर काँपते हुए कहा, “फिर वह कौन था जो अहेर करके मेरे पास ले आया था, और मैंने तेरे आने से पहले सब में से कुछ-कुछ खा लिया और उसको आशीर्वाद दिया? वरन् उसको आशीष लगी भी रहेगी।”*
792  GEN 28:18  भोर को याकूब उठा, और अपने तकिये का पत्थर लेकर उसका खम्भा* खड़ा किया, और उसके सिरे पर तेल डाल दिया।
794  GEN 28:20  याकूब ने यह मन्नत मानी, “यदि परमेश्‍वर मेरे संग रहकर* इस यात्रा में मेरी रक्षा करे, और मुझे खाने के लिये रोटी, और पहनने के लिये कपड़ा दे,
818  GEN 29:22  अतः लाबान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुलाकर इकट्ठा किया, और एक भोज दिया।*
827  GEN 29:31  जब यहोवा ने देखा कि लिआ अप्रिय हुई,* तब उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बाँझ रही।
853  GEN 30:22  परमेश्‍वर ने राहेल की भी सुधि ली,* और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली।
875  GEN 31:1  फिर लाबान के पुत्रों* की ये बातें याकूब के सुनने में आईं, “याकूब ने हमारे पिता का सब कुछ छीन लिया है, और हमारे पिता के धन के कारण उसकी यह प्रतिष्ठा है।”
888  GEN 31:14  तब राहेल और लिआ* ने उससे कहा, “क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग या अंश बचा है?
933  GEN 32:5  और उसने उन्हें यह आज्ञा दी, “मेरे प्रभु एसाव से यह कहना; कि तेरा दास* याकूब तुझ से यह कहता है, कि मैं लाबान के यहाँ परदेशी होकर अब तक रहा;
956  GEN 32:28  और उसने याकूब से पूछा, “तेरा नाम क्या है?”* उसने कहा, “याकूब।”
959  GEN 32:31  तब याकूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल* रखा; “परमेश्‍वर को आमने-सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।”
964  GEN 33:3  और आप उन सबके आगे बढ़ा और सात बार भूमि पर गिरकर दण्डवत् की,* और अपने भाई के पास पहुँचा।
978  GEN 33:17  परन्तु याकूब वहाँ से निकलकर सुक्कोत* को गया, और वहाँ अपने लिये एक घर, और पशुओं के लिये झोंपड़े बनाए। इसी कारण उस स्थान का नाम सुक्कोत पड़ा।
994  GEN 34:13  तब यह सोचकर कि शेकेम ने हमारी बहन दीना को अशुद्ध किया है, याकूब के पुत्रों ने शेकेम और उसके पिता हमोर को छल के साथ यह उत्तर दिया,*
1011  GEN 34:30  तब याकूब ने शिमोन और लेवी से कहा, “तुमने जो इस देश के निवासी कनानियों और परिज्जियों के मन में मेरे प्रति घृणा उत्‍पन्‍न कराई है, इससे तुमने मुझे संकट में डाला है,* क्योंकि मेरे साथ तो थोड़े ही लोग हैं, इसलिए अब वे इकट्ठे होकर मुझ पर चढ़ेंगे, और मुझे मार डालेंगे, तो मैं अपने घराने समेत सत्यानाश हो जाऊँगा।”
1014  GEN 35:2  तब याकूब ने अपने घराने से, और उन सबसे भी जो उसके संग थे, कहा, “तुम्हारे बीच में जो पराए देवता* हैं, उन्हें निकाल फेंको; और अपने-अपने को शुद्ध करो, और अपने वस्त्र बदल डालो;
1015  GEN 35:3  और आओ, हम यहाँ से निकलकर बेतेल को जाएँ; वहाँ मैं परमेश्‍वर के लिये एक वेदी बनाऊँगा,* जिसने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उसमें मेरे संग रहा।”
1022  GEN 35:10  और परमेश्‍वर ने उससे कहा, “अब तक तो तेरा नाम याकूब रहा है; पर आगे को तेरा नाम याकूब न रहेगा, तू इस्राएल कहलाएगा।”* इस प्रकार उसने उसका नाम इस्राएल रखा।
1033  GEN 35:21  फिर इस्राएल ने कूच किया, और एदेर* नामक गुम्मट के आगे बढ़कर अपना तम्बू खड़ा किया।
1048  GEN 36:7  क्योंकि उनकी सम्पत्ति इतनी हो गई थी,* कि वे इकट्ठे न रह सके; और पशुओं की बहुतायत के कारण उस देश में, जहाँ वे परदेशी होकर रहते थे, वे समा न सके।
1089  GEN 37:5  यूसुफ ने एक स्वप्न देखा,* और अपने भाइयों से उसका वर्णन किया; तब वे उससे और भी द्वेष करने लगे।
1115  GEN 37:31  तब उन्होंने यूसुफ का अंगरखा* लिया, और एक बकरे को मारकर उसके लहू में उसे डुबा दिया।
1146  GEN 38:26  यहूदा ने उन्हें पहचानकर कहा, “वह तो मुझसे कम दोषी है;* क्योंकि मैंने उसका अपने पुत्र शेला से विवाह न किया।” और उसने उससे फिर कभी प्रसंग न किया।
1152  GEN 39:2  यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; इसलिए वह भाग्यवान पुरुष हो गया।* (प्रेरि. 7:9)
1164  GEN 39:14  उस स्त्री ने अपने घर के सेवकों को बुलाकर कहा, “देखो, वह एक इब्री मनुष्य को हमारा तिरस्कार करने के लिये हमारे पास ले आया है।* वह तो मेरे साथ सोने के मतलब से मेरे पास अन्दर आया था और मैं ऊँचे स्वर से चिल्ला उठी।
1173  GEN 39:23  यूसुफ के वश में जो कुछ था उसमें से बन्दीगृह के दरोगा को कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; क्योंकि यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उसमें सफलता देता था।*
1178  GEN 40:5  मिस्र के राजा का पिलानेहारा और पकानेहारा, जो बन्दीगृह में बन्द थे, उन दोनों ने एक ही रात में, अपने-अपने होनहार के अनुसार, स्वप्न देखा।*
1196  GEN 40:23  फिर भी पिलानेहारों के प्रधान ने यूसुफ को स्मरण न रखा; परन्तु उसे भूल गया।*
1204  GEN 41:8  भोर को फ़िरौन का मन व्याकुल हुआ;* और उसने मिस्र के सब ज्योतिषियों, और पंडितों को बुलवा भेजा; और उनको अपने स्वप्न बताए; पर उनमें से कोई भी उनका फल फ़िरौन को न बता सका।
1212  GEN 41:16  यूसुफ ने फ़िरौन से कहा, “मैं तो कुछ नहीं जानता:* परमेश्‍वर ही फ़िरौन के लिये शुभ वचन देगा।”
1221  GEN 41:25  तब यूसुफ ने फ़िरौन से कहा, फ़िरौन का स्वप्न एक ही है, परमेश्‍वर जो काम करना चाहता है, उसको उसने फ़िरौन पर प्रकट किया है।*
1237  GEN 41:41  फिर फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “सुन, मैं तुझको मिस्र के सारे देश के ऊपर अधिकारी ठहरा देता हूँ।”*
1257  GEN 42:4  पर यूसुफ के भाई बिन्यामीन को याकूब ने यह सोचकर भाइयों के साथ न भेजा* कि कहीं ऐसा न हो कि उस पर कोई विपत्ति आ पड़े।
1271  GEN 42:18  तीसरे दिन यूसुफ ने उनसे कहा, “एक काम करो तब जीवित रहोगे; क्योंकि मैं परमेश्‍वर का भय मानता हूँ;*