Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   ख    February 11, 2023 at 18:44    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

4  GEN 1:4  और परमेश्‍वर ने उजियाले को देकि अच्छा है*; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया।
9  GEN 1:9  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूभूमि दिाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5)
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर ने सूभूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा; और परमेश्‍वर ने देकि अच्छा है।
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेड़ जिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक-एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देकि अच्छा है।
17  GEN 1:17  परमेश्‍वर ने उनको आकाश के अन्तर में इसलिएकि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,
18  GEN 1:18  तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अंधियारे से अलग करें; और परमेश्‍वर ने देकि अच्छा है।
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बड़े-बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और एक-एक जाति के उड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देकि अच्छा है।
25  GEN 1:25  इस प्रकार परमेश्‍वर ने पृथ्वी के जाति-जाति के वन-पशुओं को, और जाति-जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति-जाति के भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया; और परमेश्‍वर ने देकि अच्छा है।
26  GEN 1:26  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरूप के अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकारें।” (याकू. 3:9)
28  GEN 1:28  और परमेश्‍वर ने उनको आशीष दी; और उनसे कहा, “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुंद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकारो।”
30  GEN 1:30  और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिनमें जीवन का प्राण हैं, उन सबके ाने के लिये मैंने सब हरे-हरे छोटे पेड़ दिए हैं,” और वैसा ही हो गया।
31  GEN 1:31  तब परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया था, सबको देा, तो क्या देा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवाँ दिन हो गया। (1 तीमु. 4:4)
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर ेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था।
39  GEN 2:8  और यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर, अदन में एक वाटिका लगाई; और वहाँ आदम को जिसे उसने रचा था, दिया।
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देने में मनोहर और जिनके फल ाने में अच्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
46  GEN 2:15  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को लेकर* अदन की वाटिका में दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकीवाली करे।
47  GEN 2:16  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को यह आज्ञा दी, “तू वाटिका के किसी भी वृक्षों का फल सकता है;
48  GEN 2:17  पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न ाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल ाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा।”
50  GEN 2:19  और यहोवा परमेश्‍वर भूमि में से सब जाति के जंगली पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देे, कि वह उनका क्या-क्या नामता है; और जिस-जिस जीवित प्राणी का जो-जो नाम आदम नेवही उसका नाम हो गया।
51  GEN 2:20  अतः आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं, और आकाश के पक्षियों, और सब जाति के जंगली पशुओं के नामे; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उससे मेल सके।
57  GEN 3:1  यहोवा परमेश्‍वर ने जितने जंगली पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, “क्या सच है, कि परमेश्‍वर ने कहा, 'तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न ाना'?” (प्रका. 12:9, प्रका. 20:2)
58  GEN 3:2  स्त्री ने सर्प से कहा, “इस वाटिका के वृक्षों के फल हम सकते हैं;
59  GEN 3:3  पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्‍वर ने कहा है कि न तो तुम उसको ाना और न ही उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।”
61  GEN 3:5  वरन् परमेश्‍वर आप जानता है कि जिस दिन तुम उसका फल ाओगे उसी दिन तुम्हारी आँें ुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्‍वर के तुल्य हो जाओगे।”
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देा* कि उस वृक्ष का फल ाने में अच्छा, और देने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तोड़कर ाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी ाया। (1 तीमु. 2:14)
63  GEN 3:7  तब उन दोनों की आँें ुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़-जोड़कर लंगोट बना लिये।
67  GEN 3:11  यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? जिस वृक्ष का फल ाने को मैंने तुझे मना किया था, क्या तूने उसका फल ाया है?”
68  GEN 3:12  आदम ने कहा, “जिस स्त्री को तूने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैंने ाया।”
69  GEN 3:13  तब यहोवा परमेश्‍वर ने स्त्री से कहा, “तूने यह क्या किया है?” स्त्री ने कहा, “सर्प ने मुझे बहका दिया, तब मैंने ाया।” (रोम. 7:11, 2 कुरि. 11:3, 1 तीमु. 2:14)
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुः को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकर बच्चे उत्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
73  GEN 3:17  और आदम से उसने कहा, “तूने जो अपनी पत्‍नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैंने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न ाना, उसको तूने ाया है, इसलिए भूमि तेरे कारण श्रापित है। तू उसकी उपज जीवन भर दुः के साथ ाया करेगा; (इब्रा. 6:8)
74  GEN 3:18  और वह तेरे लिये काँटे और ऊँटकटारे उगाएगी, और तू ेत की उपज ाएगा;
75  GEN 3:19  और अपने माथे के पसीने की रोटी ाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।”
76  GEN 3:20  आदम ने अपनी पत्‍नी का नाम हव्वाा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की मूलमाता वही हुई।
78  GEN 3:22  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिए अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ कर ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14, 19, उत्प. 3:24, प्रका. 2:7)
79  GEN 3:23  इसलिए यहोवा परमेश्‍वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर ेती करे जिसमें से वह बनाया गया था।
82  GEN 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की ेती करनेवाला किसान बना।
89  GEN 4:9  तब यहोवा ने कैन से पूछा, “तेरा भाई हाबिल कहाँ है?” उसने कहा, “मालूम नहीं; क्या मैं अपने भाई कावाला हूँ?”
91  GEN 4:11  इसलिए अब भूमि जिसने तेरे भाई का लहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुँह ोला है, उसकी ओर से तू श्रापित* है।
92  GEN 4:12  चाहे तू भूमि पर ेती करे, तो भी उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और तू पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा होगा।”
94  GEN 4:14  दे, तूने आज के दिन मुझे भूमि पर से निकाला है और मैं तेरी दृष्टि की आड़ में रहूँगा और पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा रहूँगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मेरी हत्‍या करेगा।”
96  GEN 4:16  तब कैन यहोवा के सम्मु से निकल गया और नोद नामक देश में, जो अदन के पूर्व की ओर है, रहने लगा।
97  GEN 4:17  जब कैन अपनी पत्‍नी के पास गया तब वह गर्भवती हुई और हनोक को जन्म दिया; फिर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपने पुत्र के नाम पर हनोका।
105  GEN 4:25  और आदम अपनी पत्‍नी के पास फिर गया; और उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम यह कहकर शेतकि “परमेश्‍वर ने मेरे लिये हाबिल के बदले, जिसको कैन ने मारा था, एक और वंश प्रदान किया।” (उत्प. 5:3-4)
106  GEN 4:26  और शेत के भी एक पुत्र उत्‍पन्‍न हुआ और उसने उसका नाम एनोशा। उसी समय से लोग यहोवा से प्रार्थना करने लगे।
108  GEN 5:2  उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें आशीष दी, और उनकी सृष्टि के दिन उनका नाम आदमा*। (मत्ती 19:4, मर. 10:6)
109  GEN 5:3  जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा उसकी समानता में उस ही के स्वरूप के अनुसार एक पुत्र उत्‍पन्‍न हुआ। उसने उसका नाम शेता।
135  GEN 5:29  उसने यह कहकर उसका नाम नूहा, कि “यहोवा ने जो पृथ्वी को श्राप दिया है, उसके विषय यह लड़का हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, हमें शान्ति देगा।”
140  GEN 6:2  तब परमेश्‍वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देा, कि वे सुन्दर हैं; और उन्होंने जिस-जिस को चाहा उनसे ब्याह कर लिया।
143  GEN 6:5  यहोवा ने देकि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्‍पन्‍न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। (भज. 53:2)
144  GEN 6:6  और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति ेदित हुआ।
147  GEN 6:9  नूह की वंशावली यह है। नूह* धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में रा था; और नूह परमेश्‍वर ही के साथ-साथ चलता रहा।
150  GEN 6:12  और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देकि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी-अपनी चाल-चलन बिगाड़ ली थी।
154  GEN 6:16  जहाज में एक िड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वारना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा ण्ड बनाना।
157  GEN 6:19  और सब जीवित प्राणियों में से, तू एक-एक जाति के दो-दो, अर्थात् एक नर और एक मादा जहाज में ले जाकर, अपने साथ जीवितना।
158  GEN 6:20  एक-एक जाति के पक्षी, और एक-एक जाति के पशु, और एक-एक जाति के भूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो-दो तेरे पास आएँगे, कि तू उनको जीविते।
159  GEN 6:21  और भाँति-भाँति का भोज्य पदार्थ जो ाया जाता है, उनको तू लेकर अपने पास इकट्ठा करना; जो तेरे और उनके भोजन के लिये होगा।”
171  GEN 7:11  जब नूह की आयु के छः सौवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्रहवाँ दिन आया; उसी दिन बड़े गहरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोुल गए।
186  GEN 8:2  गहरे समुंद्र के सोते और आकाश के झरोबंद हो गए; और उससे जो वर्षा होती थी वह भी थम गई।
189  GEN 8:5  और जल दसवें महीने तक घटता चला गया, और दसवें महीने के पहले दिन को, पहाड़ों की चोटियाँ दिाई दीं।
190  GEN 8:6  फिर ऐसा हुआ कि चालीस दिन के पश्चात् नूह ने अपने बनाए हुए जहाज की िड़की को ोलकर,
191  GEN 8:7  एक कौआ उड़ा दिया: जब तक जल पृथ्वी पर से सू न गया, तब तक कौआ इधर-उधर फिरता रहा।
192  GEN 8:8  फिर उसने अपने पास से एक कबूतरी को भी उड़ा दिया कि देकि जल भूमि से घट गया कि नहीं।
195  GEN 8:11  और कबूतरी सांझ के समय उसके पास आ गई, तो क्या देकि उसकी चोंच में जैतून का एक नया पत्ता है; इससे नूह ने जान लिया, कि जल पृथ्वी पर घट गया है।
197  GEN 8:13  नूह की आयु के छः सौ एक वर्ष के पहले महीने के पहले दिन जल पृथ्वी पर से सू गया। तब नूह ने जहाज की छत ोलकर क्या देकि धरती सू गई है।
198  GEN 8:14  और दूसरे महीने के सताईसवें दिन को पृथ्वी पूरी रीति से सू गई।
205  GEN 8:21  इस पर यहोवा ने सुदायक सुगन्ध पाकर सोचा, “मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को श्राप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्‍पन्‍न होता है वह बुरा ही होता है; तो भी जैसा मैंने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारूँगा।
210  GEN 9:4  पर माँस को प्राण समेत अर्थात् लहू समेत तुम न ाना।* (व्य. 12:23)
219  GEN 9:13  कि मैंने बादल में अपना धनुषहै, वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिन्ह होगा।
220  GEN 9:14  और जब मैं पृथ्वी पर बादल फैलाऊं तब बादल में धनुष दिाई देगा।
222  GEN 9:16  बादल में जो धनुष होगा मैं उसे देकर यह सदा की वाचा स्मरण करूँगा, जो परमेश्‍वर के और पृथ्वी पर के सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के बीच बंधी है।”
226  GEN 9:20  नूह किसानी करने लगा: और उसने दा की बारी लगाई।
227  GEN 9:21  और वह दामधु पीकर मतवाला हुआ; और अपने तम्बू के भीतर नंगा हो गया।
228  GEN 9:22  तब कनान के पिता हाम ने, अपने पिता को नंगा देा, और बाहर आकर अपने दोनों भाइयों को बता दिया।
229  GEN 9:23  तब शेम और येपेत दोनों ने कपड़ा लेकर अपने कंधों परऔर पीछे की ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया और वे अपना मु पीछे किए हुए थे इसलिए उन्होंने अपने पिता को नंगा न देा।