Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   च    February 11, 2023 at 18:44    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

4  GEN 1:4  और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि्छा है*; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया।
6  GEN 1:6  फिर परमेश्‍वर ने कहा*, “जल के बी एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।”
7  GEN 1:7  तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर करके उसके नीके जल और उसके ऊपर के जल को अलग-अलग किया; और वैसा ही हो गया।
9  GEN 1:9  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीका जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। (2 पत. 3:5)
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा; और परमेश्‍वर ने देखा कि्छा है।
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेड़ जिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक-एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देखा कि्छा है।
14  GEN 1:14  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियों हों; और वे िन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों;
18  GEN 1:18  तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अंधियारे से अलग करें; और परमेश्‍वर ने देखा कि्छा है।
19  GEN 1:19  तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार ौथा दिन हो गया।
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बड़े-बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो लते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और एक-एक जाति के उड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि्छा है।
23  GEN 1:23  तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पाँवाँ दिन हो गया।
25  GEN 1:25  इस प्रकार परमेश्‍वर ने पृथ्वी के जाति-जाति के वन-पशुओं को, और जाति-जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति-जाति के भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया; और परमेश्‍वर ने देखा कि्छा है।
31  GEN 1:31  तब परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया था, सबको देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवाँ दिन हो गया। (1 तीमु. 4:4)
34  GEN 2:3  और परमेश्‍वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि उसमें उसने सृष्टि कीना के अपने सारे काम से विश्राम लिया।
37  GEN 2:6  लेकिन कुहरा पृथ्वी से उठता था जिससे सारी भूमि सिं जाती थी।
38  GEN 2:7  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को भूमि की मिट्टी सेा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया। (1 कुरि. 15:45)
39  GEN 2:8  और यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर, अदन में एक वाटिका लगाई; और वहाँ आदम को जिसे उसनेथा, रख दिया।
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में्छे हैं, उगाए, और वाटिका के बी में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
41  GEN 2:10  उस वाटिका को सींने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहाँ से आगे बहकर ार नदियों में बँट गई। (प्रका. 22:2)
45  GEN 2:14  और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और ौथी नदी का नाम फरात है।
49  GEN 2:18  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना्छा नहीं*; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उसके लिये उपयुक्‍त होगा।” (1 कुरि. 11:9)
50  GEN 2:19  और यहोवा परमेश्‍वर भूमि में से सब जाति के जंगली पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों कोकर आदम के पास ले आया कि देखे, कि वह उनका क्या-क्या नाम रखता है; और जिस-जिस जीवित प्राणी का जो-जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया।
57  GEN 3:1  यहोवा परमेश्‍वर ने जितने जंगली पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, “क्या है, कि परमेश्‍वर ने कहा, 'तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना'?” (प्रका. 12:9, प्रका. 20:2)
59  GEN 3:3  पर जो वृक्ष वाटिका के बी में है, उसके फल के विषय में परमेश्‍वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न ही उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।”
60  GEN 3:4  तब सर्प ने स्त्री से कहा, “तुम निश्न मरोगे
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि उस वृक्ष का फल खाने में्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये ाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी खाया। (1 तीमु. 2:14)
64  GEN 3:8  तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, उसका शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्‍नी वाटिका के वृक्षों के बी यहोवा परमेश्‍वर से छिप गए।
70  GEN 3:14  तब यहोवा परमेश्‍वर ने सर्प से कहा, “तूने जो यह किया है इसलिए तू सब घरेलू पशुओं, और सब जंगली पशुओं से अधिक श्रापित है; तू पेट के बल ला करेगा, और जीवन भर मिट्टी ाटता रहेगा;
71  GEN 3:15  और मैं तेरे और इस स्त्री के बी में, और तेरे वंश और इसके वंश के बी में बैर उत्‍पन्‍न करूँगा, वह तेरे सिर को कुडालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पीड़ित होकरउत्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
77  GEN 3:21  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम और उसकी पत्‍नी के लिये मड़े के वस्‍त्र बनाकर उनको पहना दिए।
80  GEN 3:24  इसलिए आदम को उसने निकाल दिया* और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और ारों ओर घूमनेवाली अग्निमय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।
82  GEN 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, हाबिल तो भेड़-बकरियों का रवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करनेवाला किसान बना।
83  GEN 4:3  कुछ दिनों के पश्ात् कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया। (यहू. 1:11)
84  GEN 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहलौठेभेंट ढ़ाने ले आया और उनकी र्बी भेंट ढ़ाई;* तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)
88  GEN 4:8  तब कैन ने अपने भाई हाबिल से कुछ कहा; और जब वे मैदान में थे, तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर ढ़कर उसकी हत्‍या कर दी।
90  GEN 4:10  उसने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे भाई का लहू भूमि में से मेरी ओर िल्लाकर मेरी दुहाई दे रहा है! (इब्रा. 12:24)
92  GEN 4:12  ाहे तू भूमि पर खेती करे, तो भी उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और तू पृथ्वी पर भटकने वाला और भगोड़ा होगा।”
95  GEN 4:15  इस कारण यहोवा ने उससे कहा, “जो कोई कैन की हत्‍या करेगा उससे सात गुणा पलटा लिया जाएगा।” और यहोवा ने कैन के लिये एक िन्ह ठहराया ऐसा न हो कि कोई उसे पाकर मार डाले।
103  GEN 4:23  लेमेक ने अपनी पत्नियों से कहा, “हे आदा और हे सिल्ला मेरी सुनो; हे लेमेक की पत्नियों, मेरी बात पर कान लगाओ: मैंने एक पुरुष को जो मुझे ोट लगाता था, अर्थात् एक जवान को जो मुझे घायल करता था, घात किया है।
110  GEN 5:4  और शेत के जन्म के पश्ात् आदम आठ सौ वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
111  GEN 5:5  इस प्रकार आदम की कुल आयु नौ सौ तीस वर्ष की हुई, तत्पश्ात् वह मर गया।
112  GEN 5:6  जब शेत एक सौ पाँ वर्ष का हुआ, उससे एनोश उत्‍पन्‍न हुआ।
113  GEN 5:7  एनोश के जन्म के पश्ात् शेत आठ सौ सात वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
114  GEN 5:8  इस प्रकार शेत की कुल आयु नौ सौ बारह वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
116  GEN 5:10  केनान के जन्म के पश्ात् एनोश आठ सौ पन्द्रह वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
117  GEN 5:11  इस प्रकार एनोश की कुल आयु नौ सौ पाँ वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
119  GEN 5:13  महललेल के जन्म के पश्ात् केनान आठ सौ ालीस वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
120  GEN 5:14  इस प्रकार केनान की कुल आयु नौ सौ दस वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
122  GEN 5:16  येरेद के जन्म के पश्ात् महललेल आठ सौ तीस वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
123  GEN 5:17  इस प्रकार महललेल की कुल आयु आठ सौ पंानबे वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
125  GEN 5:19  हनोक के जन्म के पश्ात् येरेद आठ सौ वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
126  GEN 5:20  इस प्रकार येरेद की कुल आयु नौ सौ बासठ वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
128  GEN 5:22  मतूशेलह के जन्म के पश्ात् हनोक तीन सौ वर्ष तक परमेश्‍वर के साथ-साथ लता रहा,* और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
130  GEN 5:24  हनोक परमेश्‍वर के साथ-साथ लता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्‍वर ने उसे उठा लिया। (इब्रा. 11:5)
132  GEN 5:26  लेमेक के जन्म के पश्ात् मतूशेलह सात सौ बयासी वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
133  GEN 5:27  इस प्रकार मतूशेलह की कुल आयु नौ सौ उनहत्तर वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
136  GEN 5:30  नूह के जन्म के पश्ात् लेमेक पाँ सौ पंानबे वर्ष जीवित रहा, और उसके और भी बेटे-बेटियाँ उत्‍पन्‍न हुईं।
137  GEN 5:31  इस प्रकार लेमेक की कुल आयु सात सौ सतहत्तर वर्ष की हुई; तत्पश्ात् वह मर गया।
138  GEN 5:32  और नूह पाँ सौ वर्ष का हुआ; और नूह ने शेम, और हाम और येपेत को जन्म दिया।
140  GEN 6:2  तब परमेश्‍वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं; और उन्होंने जिस-जिस को ाहा उनसे ब्याह कर लिया।
142  GEN 6:4  उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्ात् जब परमेश्‍वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्‍पन्‍न हुए, वे पुत्र शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राीनकाल से प्रलित है।
143  GEN 6:5  यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विार में जो कुछ उत्‍पन्‍न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। (भज. 53:2)
147  GEN 6:9  नूह की वंशावली यह है। नूह* धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्‍वर ही के साथ-साथ लता रहा।
150  GEN 6:12  और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी-अपनी ाल-लन बिगाड़ ली थी।
153  GEN 6:15  इस ढंग से तू उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, ौड़ाई ास हाथ, और ऊँाई तीस हाथ की हो।
155  GEN 6:17  और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जल-प्रलय करके सब प्राणियों को, जिनमें जीवन का श्‍वास है, आकाश के नीसे नाश करने पर हूँ; और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएँगे।
156  GEN 6:18  परन्तु तेरे संग मैं वाबाँधता हूँ;* इसलिए तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।
163  GEN 7:3  और आकाश के पक्षियों में से भी, सात-सात जोड़े, अर्थात् नर और मादा लेना, कि उनका वंशकर सारी पृथ्वी के ऊपर बना रहे।
164  GEN 7:4  क्योंकि अब सात दिन और बीतने पर मैं पृथ्वी पर ालीस दिन और ालीस रात तक जल बरसाता रहूँगा; और जितने प्राणी मैंने बनाये हैं उन सबको भूमि के ऊपर से मिटा दूँगा।”
167  GEN 7:7  नूह अपने पुत्रों, पत्‍नी और बहुओं समेत, जल-प्रलय सेने के लिये जहाज में गया।
172  GEN 7:12  और वर्षा ालीस दिन और ालीस रात निरन्तर पृथ्वी पर होती रही।
177  GEN 7:17  पृथ्वी पर ालीस दिन तक जल-प्रलय होता रहा; और पानी बहुत बढ़ता ही गया, जिससे जहाज ऊपर को उठने लगा, और वह पृथ्वी पर से ऊँउठ गया।
181  GEN 7:21  और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या जंगली पशु, और पृथ्वी पर सब लनेवाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी में बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुष्य मर गए।*
183  GEN 7:23  और क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, जो-जो भूमि पर थे, सब पृथ्वी पर से मिट गए; केवल नूह, और जितने उसके संग जहाज में थे, वे ही गए।
184  GEN 7:24  और जल पृथ्वी पर एक सौास दिन तक प्रबल रहा।
187  GEN 8:3  और एक सौास दिन के पश्ात् जल पृथ्वी पर से लगातार घटने लगा।
189  GEN 8:5  और जल दसवें महीने तक घटता ला गया, और दसवें महीने के पहले दिन को, पहाड़ों की ोटियाँ दिखाई दीं।