Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   छ    February 11, 2023 at 18:44    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

4  GEN 1:4  और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्है*; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया।
10  GEN 1:10  और परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्है।
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले ोटे-ोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें,” और वैसा ही हो गया। (1 कुरि. 15:38)
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और ोटे-ोटे पेड़ जिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक-एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्है।
16  GEN 1:16  तब परमेश्‍वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं; उनमें से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और ोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया; और तारागण को भी बनाया।
18  GEN 1:18  तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अंधियारे से अलग करें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्है।
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के बड़े-बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और एक-एक जाति के उड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्है।
25  GEN 1:25  इस प्रकार परमेश्‍वर ने पृथ्वी के जाति-जाति के वन-पशुओं को, और जाति-जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति-जाति के भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्है।
26  GEN 1:26  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “हम मनुष्य* को अपने स्वरूप के अनुसार* अपनी समानता में बनाएँ; और वे समुद्र कीलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।” (याकू. 3:9)
28  GEN 1:28  और परमेश्‍वर ने उनको आशीष दी; और उनसे कहा, “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुंद्र कीलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।”
29  GEN 1:29  फिर परमेश्‍वर ने उनसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले ोटे-ोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं; (रोम. 14:2)
30  GEN 1:30  और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिनमें जीवन का प्राण हैं, उन सबके खाने के लिये मैंने सब हरे-हरे ोटे पेड़ दिए हैं,” और वैसा ही हो गया।
31  GEN 1:31  तब परमेश्‍वर ने जो कु बनाया था, सबको देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार ठवाँ दिन हो गया। (1 तीमु. 4:4)
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई ोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था।
40  GEN 2:9  और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्हैं, उगाए, और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। (प्रका. 2:7, प्रका. 22:14)
49  GEN 2:18  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्नहीं*; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उसके लिये उपयुक्‍त होगा।” (1 कुरि. 11:9)
55  GEN 2:24  इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को ोड़कर अपनी पत्‍नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे। (मत्ती 19:5, मर. 10:7,8, इफि. 5:31)
59  GEN 3:3  पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्‍वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न ही उसको ूना, नहीं तो मर जाओगे।”
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्ा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी खाया। (1 तीमु. 2:14)
64  GEN 3:8  तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, उसका शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्‍नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्‍वर से िप गए।
65  GEN 3:9  तब यहोवा परमेश्‍वर ने पुकारकर आदम से पूा, “तू कहाँ है?”
66  GEN 3:10  उसने कहा, “मैं तेरा शब्द वाटिका में सुनकर डर गया, क्योंकि मैं नंगा था;* इसलिए िप गया।”
83  GEN 4:3  कु दिनों के पश्चात् कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कु भेंट ले आया। (यहू. 1:11)
85  GEN 4:5  परन्तु कैन और उसकी भेंट को उसने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुँह पर उदासी गई।
86  GEN 4:6  तब यहोवा ने कैन से कहा, “तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुँह पर उदासी क्यों गई है?
87  GEN 4:7  यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर िपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तुझे उस पर प्रभुता करनी है।”
88  GEN 4:8  तब कैन ने अपने भाई हाबिल से कु कहा; और जब वे मैदान में थे, तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़कर उसकी हत्‍या कर दी।
89  GEN 4:9  तब यहोवा ने कैन से पूा, “तेरा भाई हाबिल कहाँ है?” उसने कहा, “मालूम नहीं; क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?”
143  GEN 6:5  यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कु उत्‍पन्‍न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। (भज. 53:2)
144  GEN 6:6  और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने सेताया, और वह मन में अति खेदित हुआ।
145  GEN 6:7  तब यहोवा ने कहा, “मैं मनुष्य को जिसकी मैंने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूँगा;* क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूँगा, क्योंकि मैं उनके बनाने सेताता हूँ।”
154  GEN 6:16  जहाज में एक खिड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से उसकी बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।
166  GEN 7:6  नूह की आयु सौ वर्ष की थी, जब जल-प्रलय पृथ्वी पर आया।
171  GEN 7:11  जब नूह की आयु के सौवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्रहवाँ दिन आया; उसी दिन बड़े गहरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोखे खुल गए।
193  GEN 8:9  उस कबूतरी को अपने पैर टेकने के लिये कोई आधार न मिला, तो वह उसके पास जहाज में लौट आई: क्योंकि सारी पृथ्वी के ऊपर जल ही जल ाया था तब उसने हाथ बढ़ाकर उसे अपने पास जहाज में ले लिया।
197  GEN 8:13  नूह की आयु के सौ एक वर्ष के पहले महीने के पहले दिन जल पृथ्वी पर से सूख गया। तब नूह ने जहाज की खोलकर क्या देखा कि धरती सूख गई है।
204  GEN 8:20  तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई;* और सब शुद्ध पशुओं, और सब शुद्ध पक्षियों में से, कु-कु लेकर वेदी पर होमबलि चढ़ाया।
205  GEN 8:21  इस पर यहोवा ने सुखदायक सुगन्ध पाकर सोचा, “मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को श्राप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कु उत्‍पन्‍न होता है वह बुरा ही होता है; तो भी जैसा मैंने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारूँगा।
208  GEN 9:2  तुम्हारा डर और भय पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और भूमि पर के सब रेंगनेवाले जन्तुओं, और समुद्र की सबलियों पर बना रहेगा वे सब तुम्हारे वश में कर दिए जाते हैं।
209  GEN 9:3  सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसे तुमको हरे-हरे ोटे पेड़ दिए थे, वैसे ही तुम्हें सब कु देता हूँ। (उत्प. 1:29-30)
229  GEN 9:23  तब शेम और येपेत दोनों ने कपड़ा लेकर अपने कंधों पर रखा और पीकी ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया और वे अपना मुख पीकिए हुए थे इसलिए उन्होंने अपने पिता को नंगा न देखा।
230  GEN 9:24  जब नूह का नशा उतर गया, तब उसने जान लिया कि उसके ोटे पुत्र ने उसके साथ क्या किया है।
273  GEN 11:6  और यहोवा ने कहा, “मैं क्या देखता हूँ, कि सब एक ही दल के हैं और भाषा भी उन सब की एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम भी आरम्भ किया; और अब जो कु वे करने का यत्न करेंगे, उसमें से कु भी उनके लिये अनहोना न होगा।
275  GEN 11:8  इस प्रकार यहोवा ने उनको वहाँ से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया*; और उन्होंने उस नगर का बनाना ोड़ दिया।
300  GEN 12:1  यहोवा ने अब्राम से कहा*, “अपने देश, और अपनी जन्म-भूमि, और अपने पिता के घर को ोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। (प्रेरि. 7:3, इब्रा 11:8)
320  GEN 13:1  तब अब्राम अपनी पत्‍नी, और अपनी सारी सम्पत्ति लेकर, लूत को भी संग लिये हुए, मिस्र को ोड़कर कनान के दक्षिण देश में आया।
351  GEN 14:14  यह सुनकर कि उसका भतीजा बन्दी बना लिया गया है, अब्राम ने अपने तीन सौ अठारह प्रशिक्षित, युद्ध कौशल में निपुण दासों को लेकर जो उसके कुटुम्ब में उत्‍पन्‍न हुए थे, अस्त्र-शस्त्र धारण करके दान तक उनका पीकिया।
352  GEN 14:15  और अपने दासों के अलग-अलग दल बाँधकर रात को उन पर चढ़ाई करके उनको मार लिया और होबा तक, जो दमिश्क की उत्तर की ओर है, उनका पीकिया।
360  GEN 14:23  उसकी मैं यह शपथ खाता हूँ,* कि जो कु तेरा है उसमें से न तो मैं एक सूत, और न जूती का बन्धन, न कोई और वस्तु लूँगा; कि तू ऐसा न कहने पाए, कि अब्राम मेरे ही कारण धनी हुआ।
361  GEN 14:24  पर जो कु इन जवानों ने खा लिया है और उनका भाग जो मेरे साथ गए थे; अर्थात् आनेर, एशकोल, और मम्रे मैं नहीं लौटाऊँगा वे तो अपना-अपना भाग रख लें।”
370  GEN 15:9  यहोवा ने उससे कहा, “मेरे लिये तीन वर्ष की एकिया, और तीन वर्ष की एक बकरी, और तीन वर्ष का एक मेढ़ा, और एक पिंडुक और कबूतर का एक बच्चा ले।”
373  GEN 15:12  जब सूर्य अस्त होने लगा, तब अब्राम को भारी नींद आई; और देखो, अत्यन्त भय और महा अंधकार ने उसे लिया।
378  GEN 15:17  और ऐसा हुआ कि जब सूर्य अस्त हो गया* और घोर अंधकार गया, तब एक अँगीठी जिसमें से धुआँ उठता था और एक जलती हुई मशाल दिखाई दी जो उन टुकड़ों के बीच में से होकर निकल गई।
386  GEN 16:4  वह हाजिरा के पास गया, और वह गर्भवती हुई; जब उसने जाना कि वह गर्भवती है, तब वह अपनी स्वामिनी को अपनी दृष्टि में तुच् समझने लगी।
387  GEN 16:5  तब सारै ने अब्राम से कहा, “जो मुझ पर उपद्रव हुआ वह तेरे ही सिर पर हो। मैंने तो अपनी दासी को तेरी पत्‍नी कर दिया; पर जब उसने जाना कि वह गर्भवती है, तब वह मुझे तुच् समझने लगी, इसलिए यहोवा मेरे और तेरे बीच में न्याय करे।”
398  GEN 16:16  जब हाजिरा ने अब्राम के द्वारा इश्माएल को जन्म दिया उस समय अब्राम ियासी वर्ष का था।
432  GEN 18:7  फिर अब्राहम गाय-बैल के झुण्ड में दौड़ा, और एक कोमल और अच्ड़ा लेकर अपने सेवक को दिया, और उसने जल्दी से उसको पकाया।
433  GEN 18:8  तब उसने दही, और दूध, औरड़े का माँस, जो उसने पकवाया था, लेकर उनके आगे परोस दिया; और आप वृक्ष के तले उनके पास खड़ा रहा, और वे खाने लगे। (इब्रा. 13:2)
434  GEN 18:9  उन्होंने उससे पूा, “तेरी पत्‍नी सारा कहाँ है?” उसने कहा, “वह तो तम्बू में है।”
435  GEN 18:10  उसने कहा, “मैं वसन्त ऋतु में निश्चय तेरे पास फिर आऊँगा; और तेरी पत्‍नी सारा के एक पुत्र उत्‍पन्‍न होगा।” सारा तम्बू के द्वार पर जो अब्राहम के पीथा सुन रही थी। (रोम. 9:9)
442  GEN 18:17  तब यहोवा ने कहा, “यह जो मैं करता हूँ उसे क्या अब्राहम से िपा रखूँ?
444  GEN 18:19  क्योंकि मैं जानता हूँ, कि वह अपने पुत्रों और परिवार को जो उसके पीरह जाएँगे, आज्ञा देगा कि वे यहोवा के मार्ग में अटल बने रहें, और धर्म और न्याय करते रहें, ताकि जो कु यहोवा ने अब्राहम के विषय में कहा है उसे पूरा करे।”
449  GEN 18:24  कदाचित् उस नगर में पचास धर्मी हों तो क्या तू सचमुच उस स्थान को नाश करेगा और उन पचास धर्मियों के कारण जो उसमें हों न ोड़ेगा?
451  GEN 18:26  यहोवा ने कहा, “यदि मुझे सदोम में पचास धर्मी मिलें, तो उनके कारण उस सारे स्थान को ोड़ूँगा।”
455  GEN 18:30  फिर उसने कहा, “हे प्रभु, क्रोध न कर, तो मैं कु और कहूँ: कदाचित् वहाँ तीस मिलें।” उसने कहा, “यदि मुझे वहाँ तीस भी मिलें, तो भी ऐसा न करूँगा।”
464  GEN 19:6  तब लूत उनके पास द्वार के बाहर गया, और किवाड़ को अपने पीबन्द करके कहा,
466  GEN 19:8  सुनो, मेरी दो बेटियाँ हैं जिन्होंने अब तक पुरुष का मुँह नहीं देखा, इच्हो तो मैं उन्हें तुम्हारे पास बाहर ले आऊँ, और तुम को जैसा अच्लगे वैसा व्यवहार उनसे करो: पर इन पुरुषों से कु न करो; क्योंकि ये मेरी के तले आए हैं।”
469  GEN 19:11  और उन्होंने क्या ोटे, क्या बड़े, सब पुरुषों को जो घर के द्वार पर थे अंधेर कर दिया, अतः वे द्वार को टटोलते-टटोलते थक गए।
470  GEN 19:12  फिर उन अतिथियों ने लूत से पूा, “यहाँ तेरा और कौन-कौन हैं? दामाद, बेटे, बेटियाँ, और नगर में तेरा जो कोई हो, उन सभी को लेकर इस स्थान से निकल जा।
475  GEN 19:17  और ऐसा हुआ कि जब उन्होंने उनको बाहर निकाला, तब उसने कहा, “अपना प्राण लेकर भाग जा; पीकी ओर न ताकना, और तराई भर में न ठहरना; उस पहाड़ पर भाग जाना, नहीं तो तू भी भस्म हो जाएगा।”
478  GEN 19:20  देख, वह नगर ऐसा निकट है कि मैं वहाँ भाग सकता हूँ, और वह ोटा भी है। मुझे वहीं भाग जाने दे, क्या वह नगर ोटा नहीं है? और मेरा प्राण बच जाएगा।”
480  GEN 19:22  फुर्ती से वहाँ भाग जा; क्योंकि जब तक तू वहाँ न पहुँचे तब तक मैं कु न कर सकूँगा।” इसी कारण उस नगर का नाम सोअर पड़ा।
484  GEN 19:26  लूत की पत्‍नी ने जो उसके पीथी पीमुड़कर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई।
488  GEN 19:30  लूत ने सोअर को ोड़ दिया, और पहाड़ पर अपनी दोनों बेटियों समेत रहने लगा; क्योंकि वह सोअर में रहने से डरता था; इसलिए वह और उसकी दोनों बेटियाँ वहाँ एक गुफा में रहने लगे।
489  GEN 19:31  तब बड़ी बेटी ने ोटी से कहा, “हमारा पिता बूढ़ा है, और पृथ्वी भर में कोई ऐसा पुरुष नहीं जो संसार की रीति के अनुसार हमारे पास आए।
492  GEN 19:34  और ऐसा हुआ कि दूसरे दिन बड़ी ने ोटी से कहा, “देख, कल रात को मैं अपने पिता के साथ सोई; इसलिए आज भी रात को हम उसको दाखमधु पिलाएँ; तब तू जाकर उसके साथ सोना कि हम अपने पिता के द्वारा वंश उत्‍पन्‍न करें।”
493  GEN 19:35  अतः उन्होंने उस दिन भी रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, और ोटी बेटी जाकर उसके पास लेट गई; पर उसको उसके भी सोने और उठने का ज्ञान न था।
496  GEN 19:38  और ोटी भी एक पुत्र जनी, और उसका नाम बेनअम्‍मी रखा; वह अम्मोनवंशियों का जो आज तक है मूलपिता हुआ।
502  GEN 20:6  परमेश्‍वर ने उससे स्वप्न में कहा, “हाँ, मैं भी जानता हूँ कि अपने मन की खराई से तूने यह काम किया है और मैंने तुझे रोक भी रखा कि तू मेरे विरुद्ध पाप न करे; इसी कारण मैंने तुझको उसे ूने नहीं दिया।
506  GEN 20:10  फिर अबीमेलेक ने अब्राहम से पूा, “तूने क्या समझकर ऐसा काम किया?”
507  GEN 20:11  अब्राहम ने कहा, “मैंने यह सोचा था कि इस स्थान में परमेश्‍वर का कु भी भय न होगा; इसलिए ये लोग मेरी पत्‍नी के कारण मेरा घात करेंगे।
509  GEN 20:13  और ऐसा हुआ कि जब परमेश्‍वर ने मुझे अपने पिता का घर ोड़कर निकलने की आज्ञा दी, तब मैंने उससे कहा, 'इतनी कृपा तुझे मुझ पर करनी होगी कि हम दोनों जहाँ-जहाँ जाएँ वहाँ-वहाँ तू मेरे विषय में कहना कि यह मेरा भाई है'।”
522  GEN 21:8  और वह लड़का बढ़ा और उसका दूध ुड़ाया गया; और इसहाक के दूध ुड़ाने के दिन अब्राहम ने बड़ा भोज किया। (गला. 4:22, इब्रा 11:11)
529  GEN 21:15  जब थैली का जल समाप्त हो गया, तब उसने लड़के को एक झाड़ी के नीचे ोड़ दिया।
536  GEN 21:22  उन दिनों में ऐसा हुआ कि अबीमेलेक अपने सेनापति पीकोल को संग लेकर अब्राहम से कहने लगा, “जो कु तू करता है उसमें परमेश्‍वर तेरे संग रहता है;
537  GEN 21:23  इसलिए अब मुझसे यहाँ इस विषय में परमेश्‍वर की शपथ खा कि तू न तो मुझसे करेगा, और न कभी मेरे वंश से करेगा, परन्तु जैसी करुणा मैंने तुझ पर की है, वैसी ही तू मुझ पर और इस देश पर भी, जिसमें तू रहता है, करेगा।”
540  GEN 21:26  तब अबीमेलेक ने कहा, “मैं नहीं जानता कि किसने यह काम किया; और तूने भी मुझे नहीं बताया, और न मैंने आज से पहले इसके विषय में कु सुना।”
543  GEN 21:29  तब अबीमेलेक ने अब्राहम से पूा, “इन सात बच्चियों का, जो तूने अलग कर रखी हैं, क्या प्रयोजन है?”
554  GEN 22:6  तब अब्राहम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और ुरी को अपने हाथ में लिया; और वे दोनों एक साथ चल पड़े।