Wildebeest analysis examples for:   hin-hin2017   ड    February 11, 2023 at 18:44    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  पृथ्वी बेौल और सुनसाऩी थी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्‍वर का आत्मा जल के ऊपर मण्राता था। (2 कुरि. 4:6)
11  GEN 1:11  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पे़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें,” और वैसा ही हो गया। (1 कुरि. 15:38)
12  GEN 1:12  इस प्रकार पृथ्वी से हरी घास, और छोटे-छोटे पेजिनमें अपनी-अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक-एक की जाति के अनुसार उन्हीं में होते हैं उगें; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
16  GEN 1:16  तब परमेश्‍वर ने दो़ी ज्योतियाँ बनाईं; उनमें से़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया; और तारागण को भी बनाया।
20  GEN 1:20  फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में़ें।”
21  GEN 1:21  इसलिए परमेश्‍वर ने जाति-जाति के़े-ब़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते-फिरते हैं जिनसे जल बहुत ही भर गया और एक-एक जाति के़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की; और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।
29  GEN 1:29  फिर परमेश्‍वर ने उनसे कहा, “सुनो, जितने बीजवाले छोटे-छोटे पेसारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं, वे सब मैंने तुमको दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं; (रोम. 14:2)
30  GEN 1:30  और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं, जिनमें जीवन का प्राण हैं, उन सबके खाने के लिये मैंने सब हरे-हरे छोटे पेदिए हैं,” और वैसा ही हो गया।
36  GEN 2:5  तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेउगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था।
52  GEN 2:21  तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को गहरी नींद में ाल दिया, और जब वह सो गया तब उसने उसकी एक पसली निकालकर उसकी जगह माँस भर दिया। (1 कुरि. 11:8)
54  GEN 2:23  तब आदम ने कहा, “अब यह मेरीियों में कीऔर मेरे माँस में का माँस है; इसलिए इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।”
55  GEN 2:24  इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छो़कर अपनी पत्‍नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे। (मत्ती 19:5, मर. 10:7,8, इफि. 5:31)
62  GEN 3:6  अतः जब स्त्री ने देखा* कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है, तब उसने उसमें से तो़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था और उसने भी खाया। (1 तीमु. 2:14)
63  GEN 3:7  तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जो़-जो़कर लंगोट बना लिये।
64  GEN 3:8  तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंसमय वाटिका में फिरता था, उसका शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्‍नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्‍वर से छिप गए।
66  GEN 3:10  उसने कहा, “मैं तेरा शब्द वाटिका में सुनकर गया, क्योंकि मैं नंगा था;* इसलिए छिप गया।”
71  GEN 3:15  और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्‍पन्‍न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल ालेगा, और तू उसकी़ी को सेगा।”
72  GEN 3:16  फिर स्त्री से उसने कहा, “मैं तेरी पी़ा और तेरे गर्भवती होने के दुःख को बहुत बढ़ाऊँगा; तू पी़ित होकर बच्चे उत्‍पन्‍न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (1 कुरि. 11:3, इफि. 5:22, कुलु. 3:18)
77  GEN 3:21  और यहोवा परमेश्‍वर ने आदम और उसकी पत्‍नी के लिये चम़े के वस्‍त्र बनाकर उनको पहना दिए।
78  GEN 3:22  फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिए अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोकर खा ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14, 19, उत्प. 3:24, प्रका. 2:7)
82  GEN 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, हाबिल तो भे़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करनेवाला किसान बना।
84  GEN 4:4  और हाबिल भी अपनी भे़-बकरियों के कई एक पहलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई;* तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, (इब्रा. 11:4)
92  GEN 4:12  चाहे तू भूमि पर खेती करे, तो भी उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और तू पृथ्वी पर भटकने वाला और भगो़ा होगा।”
93  GEN 4:13  तब कैन ने यहोवा से कहा, “मेरा दण् असहनीय है।
94  GEN 4:14  देख, तूने आज के दिन मुझे भूमि पर से निकाला है और मैं तेरी दृष्टि कीमें रहूँगा और पृथ्वी पर भटकने वाला और भगो़ा रहूँगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मेरी हत्‍या करेगा।”
95  GEN 4:15  इस कारण यहोवा ने उससे कहा, “जो कोई कैन की हत्‍या करेगा उससे सात गुणा पलटा लिया जाएगा।” और यहोवा ने कैन के लिये एक चिन्ह ठहराया ऐसा न हो कि कोई उसे पाकर मार ाले।
135  GEN 5:29  उसने यह कहकर उसका नाम नूह रखा, कि “यहोवा ने जो पृथ्वी को श्राप दिया है, उसके विषय यह़का हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, हमें शान्ति देगा।”
149  GEN 6:11  उस समय पृथ्वी परमेश्‍वर की दृष्टि में बिगगई* थी, और उपद्रव से भर गई थी।
150  GEN 6:12  और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा कि वह बिग़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी-अपनी चाल-चलन बिगाली थी।
151  GEN 6:13  तब परमेश्‍वर ने नूह से कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिए मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर ालूँगा।
152  GEN 6:14  इसलिए तू गोपेर वृक्ष की लक़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना।
153  GEN 6:15  इस ढंग से तू उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौ़ाई पचास हाथ, और ऊँचाई तीस हाथ की हो।
154  GEN 6:16  जहाज में एक खि़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण् बनाना।
162  GEN 7:2  सब जाति के शुद्ध पशुओं में से तो तू सात-सात जो़े, अर्थात् नर और मादा लेना: पर जो पशु शुद्ध नहीं हैं, उनमें से दो-दो लेना, अर्थात् नर और मादा:
163  GEN 7:3  और आकाश के पक्षियों में से भी, सात-सात जो़े, अर्थात् नर और मादा लेना, कि उनका वंश बचकर सारी पृथ्वी के ऊपर बना रहे।
171  GEN 7:11  जब नूह की आयु के छः सौवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्रहवाँ दिन आया; उसी दिऩे गहरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोखे खुल गए।
174  GEN 7:14  और उनके संग एक-एक जाति के सब जंगली पशु, और एक-एक जाति के सब घरेलू पशु, और एक-एक जाति के सब पृथ्वी पर रेंगनेवाले, और एक-एक जाति के सब़नेवाले पक्षी, जहाज में गए।
179  GEN 7:19  जल पृथ्वी पर अत्यन्त बढ़ गया, यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने़े-ब़े पहाथे, सब ूब गए।
180  GEN 7:20  जल तो पन्द्रह हाथ ऊपर बढ़ गया, और पहाभी ूब गए।
188  GEN 8:4  सातवें महीने के सत्रहवें दिन को, जहाज अरारात नामक पहापर टिक गया।
189  GEN 8:5  और जल दसवें महीने तक घटता चला गया, और दसवें महीने के पहले दिन को, पहा़ों की चोटियाँ दिखाई दीं।
190  GEN 8:6  फिर ऐसा हुआ कि चालीस दिन के पश्चात् नूह ने अपने बनाए हुए जहाज की खि़की को खोलकर,
191  GEN 8:7  एक कौआ़ा दिया: जब तक जल पृथ्वी पर से सूख न गया, तब तक कौआ इधर-उधर फिरता रहा।
192  GEN 8:8  फिर उसने अपने पास से एक कबूतरी को भी़ा दिया कि देखे कि जल भूमि से घट गया कि नहीं।
194  GEN 8:10  तब और सात दिन तक ठहरकर, उसने उसी कबूतरी को जहाज में से फिऱा दिया।
196  GEN 8:12  फिर उसने सात दिन और ठहरकर उसी कबूतरी को़ा दिया; और वह उसके पास फिर कभी लौटकर न आई।
206  GEN 8:22  अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात, निरन्तर होते चले जाएँगे।”
208  GEN 9:2  तुम्हारा और भय पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और भूमि पर के सब रेंगनेवाले जन्तुओं, और समुद्र की सब मछलियों पर बना रहेगा वे सब तुम्हारे वश में कर दिए जाते हैं।
209  GEN 9:3  सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसे तुमको हरे-हरे छोटे पेदिए थे, वैसे ही तुम्हें सब कुछ देता हूँ। (उत्प. 1:29-30)
229  GEN 9:23  तब शेम और येपेत दोनों ने कप़ा लेकर अपने कंधों पर रखा और पीछे की ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया और वे अपना मुख पीछे किए हुए थे इसलिए उन्होंने अपने पिता को नंगा न देखा।
247  GEN 10:12  और नीनवे और कालह के बीच जो रेसेन है, उसे भी बसाया;़ा नगर यही है।
265  GEN 10:30  इनके रहने का स्थान मेशा से लेकर सपारा, जो पूर्व में एक पहाहै, उसके मार्ग तक हुआ।
271  GEN 11:4  फिर उन्होंने कहा, “आओ, हम एक नगर और एक मीनार बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हमको सारी पृथ्वी पर फैलना़े।”
274  GEN 11:7  इसलिए आओ, हम उतर कर उनकी भाषा में़ी ़ब़ी ालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सके।”
275  GEN 11:8  इस प्रकार यहोवा ने उनको वहाँ से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया*; और उन्होंने उस नगर का बनाना छोदिया।
276  GEN 11:9  इस कारण उस नगर का नाम बाबेल़ा; क्योंकि सारी पृथ्वी की भाषा में जो़ब़ी है, वह यहोवा ने वहीं ाली, और वहीं से यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया।
300  GEN 12:1  यहोवा ने अब्राम से कहा*, “अपने देश, और अपनी जन्म-भूमि, और अपने पिता के घर को छो़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। (प्रेरि. 7:3, इब्रा 11:8)
301  GEN 12:2  और मैं तुझ से एक़ी जाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूँगा, और तेरा नाम महान करूँगा, और तू आशीष का मूल होगा।
302  GEN 12:3  और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूँगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं श्राप दूँगा; और भूमंके सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे।” (प्रेरि. 3:25, गला 3:8)
307  GEN 12:8  फिर वहाँ से आगे बढ़कर, वह उस पहापर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में़ा किया जिसके पश्चिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर आई है; और वहाँ भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की।
309  GEN 12:10  उस देश में अकाल़ा: इसलिए अब्राम मिस्र देश को चला गया कि वहाँ परदेशी होकर रहे क्योंकि देश में भयंकर अकाल़ा था।
311  GEN 12:12  और जब मिस्री तुझे देखेंगे, तब कहेंगे, ‘यह उसकी पत्‍नी है,’ इसलिए वे मुझको तो मार ालेंगे, पर तुझको जीवित रख लेंगे।
315  GEN 12:16  और फ़िरौन ने उसके कारण अब्राम की भलाई की; और उसको भे़-बकरी, गाय-बैल, दास-दासियाँ, गदहे-गदहियाँ, और ऊँट मिले।
316  GEN 12:17  तब यहोवा ने फ़िरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्‍नी सारै के कारण़ी-ब़ी विपत्तियाँ ाली*।
320  GEN 13:1  तब अब्राम अपनी पत्‍नी, और अपनी सारी सम्पत्ति लेकर, लूत को भी संग लिये हुए, मिस्र को छो़कर कनान के दक्षिण देश में आया।
321  GEN 13:2  अब्राम भे़-बकरी, गाय-बैल, और सोने-चाँदी का़ा धनी था।
322  GEN 13:3  फिर वह दक्षिण देश से चलकर, बेतेल के पास उसी स्थान को पहुँचा, जहाँ पहले उसने अपना तम्बू़ा किया था, जो बेतेल और आई के बीच में है।
324  GEN 13:5  लूत के पास भी, जो अब्राम के साथ चलता था, भे़-बकरी, गाय-बैल, और तम्बू थे।
326  GEN 13:7  सो अब्राम, और लूत की भे़-बकरी, और गाय-बैल के चरवाहों में झग़ा हुआ। उस समय कनानी, और परिज्जी लोग, उस देश में रहते थे।
327  GEN 13:8  तब अब्राम लूत से कहने लगा, “मेरे और तेरे बीच, और मेरे और तेरे चरवाहों के बीच में झग़ा न होने पाए; क्योंकि हम लोग भाई बन्धु हैं।
331  GEN 13:12  अब्राम तो कनान देश में रहा, पर लूत उस तराई के नगरों में रहने लगा*; और अपना तम्बू सदोम के निकट़ा किया।
332  GEN 13:13  सदोम के लोग यहोवा की दृष्टि में़े दुष्ट और पापी थे।
336  GEN 13:17  उठ, इस देश की लम्बाई और चौ़ाई में चल फिर; क्योंकि मैं उसे तुझी को दूँगा।”
337  GEN 13:18  इसके पश्चात् अब्राम अपना तम्बू उखा़कर, मम्रे के बांज वृक्षों के बीच जो हेब्रोन में थे, जाकर रहने लगा, और वहाँ भी यहोवा की एक वेदी बनाई।
343  GEN 14:6  और सेईर नामक पहामें होरियों को, मारते-मारते उस एल्पारान तक जो जंगल के पास है, पहुँच गए।
347  GEN 14:10  सिद्दीम नामक तराई में जहाँ लसार मिट्टी के्ढे ही्ढे थे; सदोम और गमोरा के राजा भागते-भागते उनमें गिऱे, और जो बचे वे पहापर भाग गए।