244 | GEN 10:9 | ख़ुदावन्द के सामने वह एक शिकारी सूर्मा हुआ है, इसलिए यह मसल चली कि, “ख़ुदावन्द के सामने नमरूद सा शिकारी सूर्मा।” |
273 | GEN 11:6 | और ख़ुदावन्द ने कहा, “देखो, यह लोग सब एक हैं और इन सभों की एक ही ज़बान है। वह जो यह करने लगे हैं तो अब कुछ भी जिसका वह इरादा करें उनसे बाक़ी न छूटेगा। |
362 | GEN 15:1 | इन बातों के बाद ख़ुदावन्द का कलाम ख़्वाब में इब्रहाम पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया, “ऐ अब्राम, तू मत डर; मैं तेरी ढाल और तेरा बहुत बड़ा अज्र हूँ।” |
363 | GEN 15:2 | इब्रहाम ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तू मुझे क्या देगा? क्यूँकि मैं तो बेऔलाद जाता हूँ, और मेरे घर का मुख़्तार दमिश्क़ी इली'एलियाज़र है।” |
364 | GEN 15:3 | फिर इब्रहाम ने कहा, “देख, तूने मुझे कोई औलाद नहीं दी और देख मेरा खानाज़ाद मेरा वारिस होगा।” |
365 | GEN 15:4 | तब ख़ुदावन्द का कलाम उस पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया, “यह तेरा वारिस न होगा, बल्कि वह जो तेरे सुल्ब से पैदा होगा वही तेरा वारिस होगा।” |
369 | GEN 15:8 | और उसने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा! मैं क्यूँ कर जानूँ कि मैं उसका वारिस हूँगा?” |
390 | GEN 16:8 | और उसने कहा, “ऐ सारय की लौंडी हाजिरा, तू कहाँ से आई और किधर जाती है?” उसने कहा कि मैं अपनी बीबी सारय के पास से भाग आई हूँ। |
435 | GEN 18:10 | तब उसने कहा, “मैं फिर मौसम — ए — बहार में तेरे पास आऊँगा, और देख तेरी बीवी सारा के बेटा होगा।” उसके पीछे डेरे का दरवाज़ा था, सारा वहाँ से सुन रही थी। |
437 | GEN 18:12 | तब सारा ने अपने दिल में हँस कर कहा, ख़ुदावन्द “क्या इस क़दर उम्र — दराज़ होने पर भी मेरे लिए खु़शी हो सकती है, जबकि मेरा शौहर भी बूढ़ा है?” |
440 | GEN 18:15 | तब सारा इन्कार कर गई, कि मैं नहीं हँसी। क्यूँकि वह डरती थी, लेकिन उसने कहा, “नहीं, तू ज़रूर हँसी थी।” |
445 | GEN 18:20 | फिर ख़ुदावन्द ने फ़रमाया, “चूँकि सदूम और 'अमूरा का गुनाह बढ़ गया और उनका जुर्म निहायत संगीन हो गया है। |
449 | GEN 18:24 | शायद उस शहर में पचास रास्तबाज़ हों; “क्या तू उसे हलाक करेगा और उन पचास रास्तबाज़ों की ख़ातिर जो उसमें हों उस मक़ाम को न छोड़ेगा? |
455 | GEN 18:30 | फिर उसने कहा, “ख़ुदावन्द नाराज़ न हो तो मैं कुछ और 'अर्ज़ करूँ। शायद वहाँ तीस मिलें।” उसने कहा, “अगर मुझे वहाँ तीस भी मिलें तो भी ऐसा नहीं करूँगा।” |
456 | GEN 18:31 | फिर उसने कहा, “देखिए! मैंने ख़ुदावन्द से बात करने की हिम्मत की; शायद वहाँ बीस मिलें।” उसने कहा, “मैं बीस के लिए भी उसे बर्बाद नहीं करूँगा।” |
457 | GEN 18:32 | तब उसने कहा, “ख़ुदावन्द नाराज़ न हो तो मैं एक बार और कुछ 'अर्ज़ करूँ; शायद वहाँ दस मिलें।” उसने कहा, “मैं दस के लिए भी उसे बर्बाद नहीं करूँगा।” |
460 | GEN 19:2 | और कहा, “ऐ मेरे ख़ुदावन्द, अपने ख़ादिम के घर तशरीफ़ ले चलिए और रात भर आराम कीजिए और अपने पाँव धोइये और सुबह उठ कर अपनी राह लीजिए।” और उन्होंने कहा, “नहीं, हम चौक ही में रात काट लेंगे।” |
467 | GEN 19:9 | उन्होंने कहा, यहाँ से हट जा! “फिर कहने लगे, कि यह शख़्स हमारे बीच क़याम करने आया था और अब हुकूमत जताता है; इसलिए हम तेरे साथ उनसे ज़्यादा बद सलूकी करेंगे।” तब वह उस आदमी या'नी लूत पर पिल पड़े और नज़दीक आए ताकि किवाड़ तोड़ डालें। |
475 | GEN 19:17 | और यूँ हुआ कि जब वह उनको बाहर निकाल लाए तो उसने कहा, “अपनी जान बचाने को भाग; न तो पीछे मुड़ कर देखना न कहीं मैदान में ठहरना; उस पहाड़ को चला जा, ऐसा न हो कि तू हलाक हो जाए।” |
502 | GEN 20:6 | और ख़ुदा ने उसे ख़्वाब में कहा, “हाँ, मैं जानता हूँ कि तूने अपने सच्चे दिल से यह किया, और मैंने भी तुझे रोका कि तू मेरा गुनाह न करे; इसी लिए मैंने तुझे उसको छूने न दिया। |
531 | GEN 21:17 | और ख़ुदा ने उस लड़के की आवाज़ सुनी और ख़ुदा के फ़रिश्ता ने आसमान से हाजिरा को पुकारा और उससे कहा, “ऐ हाजिरा, तुझ को क्या हुआ? मत डर, क्यूँकि ख़ुदा ने उस जगह से जहाँ लड़का पड़ा है उसकी आवाज़ सुन ली है। |
538 | GEN 21:24 | तब अब्रहाम ने कहा, “मैं क़सम खाऊँगा।” |
540 | GEN 21:26 | अबीमलिक ने कहा, “मुझे ख़बर नहीं कि किसने यह काम किया, और तूने भी मुझे नहीं बताया, न मैंने आज से पहले इसके बारे में कुछ सुना।” |
549 | GEN 22:1 | इन बातों के बाद यूँ हुआ कि ख़ुदा ने अब्रहाम को आज़माया और उसे कहा, ऐ अब्रहाम! “उसने कहा, मैं हाज़िर हूँ।” |
553 | GEN 22:5 | तब अब्रहाम ने अपने जवानों से कहा, “तुम यहीं गधे के पास ठहरो, मैं और यह लड़का दोनों ज़रा वहाँ तक जाते हैं, और सिज्दा करके फिर तुम्हारे पास लौट आएँगे।” |
555 | GEN 22:7 | तब इस्हाक़ ने अपने बाप अब्रहाम से कहा, ऐ बाप! “उसने जवाब दिया कि ऐ मेरे बेटे, मैं हाज़िर हूँ। उसने कहा, देख, आग और लकड़ियाँ तो हैं, लेकिन सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए बर्रा कहाँ है?” |
556 | GEN 22:8 | अब्रहाम ने कहा, “ऐ मेरे बेटे ख़ुदा ख़ुद ही अपने लिए सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए बर्रा मुहय्या कर लेगा।” तब वह दोनों आगे चलते गए। |
559 | GEN 22:11 | तब ख़ुदावन्द के फ़रिश्ता ने उसे आसमान से पुकारा, कि ऐ अब्रहाम, ऐ अब्रहाम! उसने कहा, “मैं हाज़िर हूँ।” |
564 | GEN 22:16 | “ख़ुदावन्द फ़रमाता है, चूँकि तूने यह काम किया कि अपने बेटे की भी जो तेरा इकलौता है दरेग न रख्खा; इसलिए मैंने भी अपनी ज़ात की क़सम खाई है कि |
583 | GEN 23:11 | “ऐ मेरे ख़ुदावन्द! यूँ न होगा, बल्कि मेरी सुन! मैं यह खेत तुझे देता हूँ, और वह ग़ार भी जो उसमें है तुझे दिए देता हूँ। यह मैं अपनी क़ौम के लोगों के सामने तुझे देता हूँ, तू अपने मुर्दे को दफ़्न कर।” |
587 | GEN 23:15 | “ऐ मेरे ख़ुदावन्द, मेरी बात सुन; यह ज़मीन चाँदी की चार सौ मिस्काल की है इसलिए मेरे और तेरे बीच यह है क्या? तब अपना मुर्दा दफ़न कर।” |
597 | GEN 24:5 | उस नौकर ने उससे कहा, “शायद वह 'औरत इस मुल्क में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मैं तेरे बेटे को उस मुल्क में जहाँ से तू आया फिर ले जाऊँ?” |
604 | GEN 24:12 | और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मेरे आक़ा अब्रहाम के खुदा, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ के आज तू मेरा काम बना दे, और मेरे आक़ा अब्रहाम पर करम कर। |
610 | GEN 24:18 | उसने कहा, पीजिए साहब; “और फ़ौरन घड़े को हाथ पर उतार उसे पानी पिलाया। |
619 | GEN 24:27 | और कहा, “ख़ुदावन्द मेरे आक़ा अब्रहाम का ख़ुदा मुबारक हो, जिसने मेरे आक़ा को अपने करम और सच्चाई से महरूम नहीं रख्खा और मुझे तो ख़ुदावन्द ठीक राह पर चलाकर मेरे आक़ा के भाइयों के घर लाया।” |
623 | GEN 24:31 | तब उससे कहा, “ऐ, तू जो ख़ुदावन्द की तरफ़ से मुबारक है। अन्दर चल, बाहर क्यूँ खड़ा है? मैंने घर को और ऊँटों के लिए भी जगह को तैयार कर लिया है।” |
649 | GEN 24:57 | उन्होंने कहा, “हम लड़की को बुलाकर पूछते हैं कि वह क्या कहती है।” |
650 | GEN 24:58 | तब उन्होंने रिब्क़ा को बुला कर उससे पूछा, “क्या तू इस आदमी के साथ जाएगी?” उसने कहा, “जाऊँगी।” |
652 | GEN 24:60 | और उन्होंने रिब्क़ा को दुआ दी और उससे कहा, “ऐ हमारी बहन, तू लाखों की माँ हो और तेरी नसल अपने कीना रखने वालों के फाटक की मालिक हो।” |
657 | GEN 24:65 | और उसने नौकर से पूछा, “यह शख़्स कौन है जो हम से मिलने की मैदान में चला आ रहा है?” उस नौकर ने कहा, “यह मेरा आक़ा है।” तब उसने बुरक़ा लेकर अपने ऊपर डाल लिया। |
681 | GEN 25:22 | और उसके पेट में दो लड़के आपस में मुज़ाहमत करने लगे। तब उसने कहा, “अगर ऐसा ही है तो मैं जीती क्यूँ हूँ?” और वह ख़ुदावन्द से पूछने गई। |
682 | GEN 25:23 | ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “दो क़ौमें तेरे पेट में हैं, और दो क़बीले तेरे बत्न से निकलते ही अलग — अलग हो जाएँगे। और एक क़बीला दूसरे क़बीले से ताक़तवर होगा, और बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा।” |
689 | GEN 25:30 | और 'ऐसौ ने या'क़ूब से कहा, “यह जो लाल — लाल है मुझे खिला दे, क्यूँकि मैं बे — दम हो रहा हूँ।” इसी लिए उसका नाम अदोम भी हो गया। |
690 | GEN 25:31 | तब या'क़ूब ने कहा, “तू आज अपने पहलौठे का हक़ मेरे हाथ बेच दे।” |
691 | GEN 25:32 | 'ऐसौ ने कहा, “देख, मैं तो मरा जाता हूँ, पहलौठे का हक़ मेरे किस काम आएगा?” |
702 | GEN 26:9 | तब अबीमलिक ने इस्हाक़ को बुला कर कहा, “वह तो हक़ीक़त में तेरी बीवी है; फिर तूने क्यूँ कर उसे अपनी बहन बताया?” इस्हाक़ ने उससे कहा, “इसलिए कि मुझे ख़्याल हुआ कि कहीं मैं उसकी वजह से मारा न जाऊँ।” |
703 | GEN 26:10 | अबीमलिक ने कहा, “तूने हम से क्या किया? यूँ तो आसानी से इन लोगों में से कोई तेरी बीवी के साथ मुबाश्रत कर लेता, और तू हम पर इल्ज़ाम लाता।” |
721 | GEN 26:28 | उन्होंने कहा, “हम ने ख़ूब सफ़ाई से देखा कि ख़ुदावन्द तेरे साथ है, तब हम ने कहा कि हमारे और तेरे बीच क़सम हो जाए और हम तेरे साथ 'अहद करें, |
729 | GEN 27:1 | जब इस्हाक़ ज़ईफ़ हो गया, और उसकी आँखें ऐसी धुन्धला गई कि उसे दिखाई न देता था तो उसने अपने बड़े बेटे 'ऐसौ को बुलाया और कहा, ऐ मेरे बेटे! “उसने कहा, मैं हाज़िर हूँ।” |
739 | GEN 27:11 | तब या'क़ूब ने अपनी माँ रिब्क़ा से कहा, “देख, मेरे भाई 'ऐसौ के जिस्म पर बाल हैं और मेरा जिस्म साफ़ है। |
741 | GEN 27:13 | उसकी माँ ने उसे कहा, “ऐ मेरे बेटे! तेरी ला'नत मुझ पर आए; तू सिर्फ़ मेरी बात मान और जाकर वह बच्चे मुझे ला दे।” |
746 | GEN 27:18 | तब उसने बाप के पास आ कर कहा, ऐ मेरे बाप! “उसने कहा, मैं हाज़िर हूँ, तू कौन है मेरे बेटे?” |
747 | GEN 27:19 | या'क़ूब ने अपने बाप से कहा, “मैं तेरा पहलौठा बेटा 'ऐसौ हूँ। मैंने तेरे कहने के मुताबिक़ किया है; इसलिए ज़रा उठ और बैठ कर मेरे शिकार का गोश्त खा, ताकि तू दिल से मुझे दुआ दे।” |
748 | GEN 27:20 | तब इस्हाक़ ने अपने बेटे से कहा, “बेटा! तुझे यह इस क़दर जल्द कैसे मिल गया?” उसने कहा, “इसलिए कि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने मेरा काम बना दिया।” |
749 | GEN 27:21 | तब इस्हाक़ ने या'क़ूब से कहा, “ऐ मेरे बेटे, ज़रा नज़दीक आ कि मैं तुझे टटोलूँ कि तू मेरा ही बेटा 'ऐसौ है या नहीं।” |
750 | GEN 27:22 | और या'क़ूब अपने बाप इस्हाक़ के नज़दीक गया; और उसने उसे टटोलकर कहा, “आवाज़ तो या'क़ूब की है लेकिन हाथ 'ऐसौ के हैं।” |
752 | GEN 27:24 | और उसने पूछा कि क्या तू मेरा बेटा “ऐसौ ही है?” उसने कहा, “मैं वही हूँ।” |
753 | GEN 27:25 | तब उसने कहा, “खाना मेरे आगे ले आ, और मैं अपने बेटे के शिकार का गोश्त खाऊँगा, ताकि दिल से तुझे दुआ दूँ।” तब वह उसे उसके नज़दीक ले आया, और उसने खाया; और वह उसके लिए मय लाया और उसने पी। |
754 | GEN 27:26 | फिर उसके बाप इस्हाक़ ने उससे कहा, “ऐ मेरे बेटे! अब पास आकर मुझे चूम।” |
755 | GEN 27:27 | उसने पास जाकर उसे चूमा। तब उसने उसके लिबास की ख़शबू पाई और उसे दुआ दे कर कहा, “देखो! मेरे बेटे की महक उस खेत की महक की तरह है जिसे ख़ुदावन्द ने बरकत दी हो। |
760 | GEN 27:32 | उसके बाप इस्हाक़ ने उससे पूछा कि तू कौन है? उसने कहा, मैं तेरा पहलौठा बेटा “ऐसौ हूँ।” |
761 | GEN 27:33 | तब तो इस्हाक़ शिद्दत से काँपने लगा और उसने कहा, “फिर वह कौन था जो शिकार मार कर मेरे पास ले आया, और मैंने तेरे आने से पहले सबमें से थोड़ा — थोड़ा खाया और उसे दुआ दी? और मुबारक भी वही होगा।” |
762 | GEN 27:34 | ऐसौ अपने बाप की बातें सुनते ही बड़ी बुलन्दी और हसरतनाक आवाज़ से चिल्ला उठा, और अपने बाप से कहा, “मुझ को भी दुआ दे, ऐ मेरे बाप! मुझ को भी।” |
763 | GEN 27:35 | उसने कहा, “तेरा भाई दग़ा से आया, और तेरी बरकत ले गया।” |
764 | GEN 27:36 | तब उसने कहा, “क्या उसका नाम या'क़ूब ठीक नहीं रख्खा गया? क्यूँकि उसने दोबारा मुझे धोखा दिया। उसने मेरा पहलौठे का हक़ तो ले ही लिया था, और देख, अब वह मेरी बरकत भी ले गया।” फिर उसने कहा, “क्या तूने मेरे लिए कोई बरकत नहीं रख छोड़ी है?” |
766 | GEN 27:38 | तब 'ऐसौ ने अपने बाप से कहा, “क्या तेरे पास एक ही बरकत है, ऐ मेरे बाप? मुझे भी दुआ दे, ऐ मेरे बाप, मुझे भी।” और 'ऐसौ ज़ोर — ज़ोर से रोया। |
767 | GEN 27:39 | तब उसके बाप इस्हाक़ ने उससे कहा, “देख ज़रख्खेज़ ज़मीन में तेरा घर हो, और ऊपर से आसमान की शबनम उस पर पड़े। |
769 | GEN 27:41 | और 'ऐसौ ने या'क़ूब से, उस बरकत की वजह से जो उसके बाप ने उसे बख्शी, कीना रख्खा; और 'ऐसौ ने अपने दिल में कहा, कि “मेरे बाप के मातम के दिन नज़दीक हैं, फिर मैं अपने भाई या'क़ूब को मार डालूँगा।” |
770 | GEN 27:42 | और रिब्क़ा को उसके बड़े बेटे 'ऐसौ की यह बातें बताई गई; तब उसने अपने छोटे बेटे या'क़ूब को बुलवा कर उससे कहा, “देख, तेरा भाई 'ऐसौ तुझे मार डालने पर है, और यही सोच — सोचकर अपने को तसल्ली दे रहा है। |
791 | GEN 28:17 | और उसने डर कर कहा, “यह कैसी ख़ौफ़नाक जगह है! तो यह ख़ुदा के घर और आसमान के आसताने के अलावा और कुछ न होगा।” |
800 | GEN 29:4 | तब या'क़ूब ने उनसे कहा, “ऐ मेरे भाइयों, तुम कहाँ के हो?” उन्होंने कहा, “हम हारान के हैं।” |
802 | GEN 29:6 | उसने पूछा, “क्या वह ख़ैरियत से है?” उन्होंने कहा, “ख़ैरियत से है, और वह देख, उसकी बेटी राख़िल भेड़ बकरियों के साथ चली आती है।” |
804 | GEN 29:8 | उन्होंने कहा, “हम ऐसा नहीं कर सकते, जब तक कि सब रेवड़ जमा' न हो जाएँ। तब हम उस पत्थर को कुएँ के मुँह पर से ढलकाते हैं, और भेड़ बकरियों को पानी पिलाते हैं।” |
810 | GEN 29:14 | लाबन ने उसे कहा, “तू वाक़'ई मेरी हड्डी और मेरा गोश्त है।” फिर वह एक महीना उसके साथ रहा। |
811 | GEN 29:15 | तब लाबन ने या'क़ूब से कहा, “चूँकि तू मेरा रिश्तेदार है, तो क्या इसलिए लाज़िम है कि तू मेरी ख़िदमत मुफ़्त करे? इसलिए मुझे बता कि तेरी मजदुरी क्या होगी?” |
814 | GEN 29:18 | और या'क़ूब राख़िल पर फ़िदा था, तब उसने कहा, “तेरी छोटी बेटी राख़िल की ख़ातिर मैं सात साल तेरी खिदमत करूँगा।” |
815 | GEN 29:19 | लाबन ने कहा, “उसे ग़ैर आदमी को देने की जगह तुझी को देना बेहतर है, तू मेरे पास रह।” |
830 | GEN 29:34 | और वह फिर हामिला हुई और उसके बेटा हुआ तब उसने कहा, “अब इस बार मेरे शौहर को मुझ से लगन होगी, क्यूँकि उससे मेरे तीन बेटे हुए।” इसलिए उसका नाम लावी रख्खा गया। |
832 | GEN 30:1 | और जब राख़िल ने देखा कि या'क़ूब से उसके औलाद नहीं होती तो राख़िल को अपनी बहन पर रश्क आया, तब वह या'क़ूब से कहने लगी, “मुझे भी औलाद दे नहीं तो मैं मर जाऊँगी।” |
833 | GEN 30:2 | तब या'क़ूब का क़हर राख़िल पर भड़का और उस ने कहा, “क्या मैं ख़ुदा की जगह हूँ जिसने तुझ को औलाद से महरूम रख्खा है?” |
834 | GEN 30:3 | उसने कहा, “देख, मेरी लौंडी बिल्हाह हाज़िर है, उसके पास जा ताकि मेरे लिए उससे औलाद हो और वह औलाद मेरी ठहरे।” |
839 | GEN 30:8 | तब राख़िल ने कहा, “मैं अपनी बहन के साथ निहायत ज़ोर मार — मारकर कुश्ती लड़ी और मैंने फ़तह पाई।” इसलिए उसने उसका नाम नफ़्ताली रख्खा। |
842 | GEN 30:11 | तब लियाह ने कहा, ज़हे — किस्मत! “तब उसने उसका नाम जद्द रख्खा। |
846 | GEN 30:15 | उसने कहा, “क्या ये छोटी बात है कि तूने मेरे शौहर को ले लिया, और अब क्या मेरे बेटे के मदुम गियाह भी लेना चाहती है?” राख़िल ने कहा, “बस तो आज रात वह तेरे बेटे के मदुम गियाह की ख़ातिर तेरे साथ सोएगा।” |
856 | GEN 30:25 | और जब राख़िल से यूसुफ़ पैदा हुआ तो या'क़ूब ने लाबन से कहा, “मुझे रुख़्सत कर कि मैं अपने घर और अपने वतन को जाऊँ। |
858 | GEN 30:27 | तब लाबन ने उसे कहा, “अगर मुझ पर तेरे करम की नज़र है तो यहीं रह क्यूँकि मैं जान गया हूँ कि ख़ुदावन्द ने तेरी वजह से मुझ को बरकत बख़्शी है।” |
862 | GEN 30:31 | उसने कहा, “तुझे मैं क्या दूँ?” या'क़ूब ने कहा, “तू मुझे कुछ न देना, लेकिन अगर तू मेरे लिए एक काम कर दे तो मैं तेरी भेड़ — बकरियों को फिर चराऊँगा और उनकी निगहबानी करूँगा। |
865 | GEN 30:34 | लाबन ने कहा, “मैं राज़ी हूँ, जो तू कहे वही सही।” |
888 | GEN 31:14 | तब राख़िल और लियाह ने उसे जवाब दिया, “क्या, अब भी हमारे बाप के घर में कुछ हमारा बख़रा या मीरास है? |
905 | GEN 31:31 | तब या'क़ूब ने लाबन से कहा, “इसलिए कि मैं डरा, क्यूँकि कि मैंने सोचा कि कहीं तू अपनी बेटियों को जबरन मुझ से छीन न ले। |
909 | GEN 31:35 | तब वह अपने बाप से कहने लगी, “ऐ मेरे आक़ा! तू इस बात से नाराज़ न होना कि मैं तेरे आगे उठ नहीं सकती, क्यूँकि मैं ऐसे हाल में हूँ जो 'औरतों का हुआ करता है।” तब उसने ढूंडा पर वह बुत उसको न मिले। |
920 | GEN 31:46 | और या'क़ूब ने अपने भाइयों से कहा, पत्थर जमा' करो! “उन्होंने पत्थर जमा' करके ढेर लगाया और वहीं उस ढेर के पास उन्होंने खाना खाया। |
955 | GEN 32:27 | और उसने कहा, “मुझे जाने दे क्यूँकि पौ फट चली,” या'क़ूब ने कहा, “जब तक तू मुझे बरकत न दे, मैं तुझे जाने नहीं दूँगा।” |
956 | GEN 32:28 | तब उसने उससे पूछा, तेरा क्या नाम है? उसने जवाब दिया, “या'क़ूब।” |
957 | GEN 32:29 | उसने कहा, “तेरा नाम आगे को या'क़ूब नहीं बल्कि इस्राईल होगा, क्यूँकि तूने ख़ुदा और आदमियों के साथ ज़ोर आज़माई की और ग़ालिब हुआ।” |
958 | GEN 32:30 | तब या'क़ूब ने उससे कहा, “मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, तू मुझे अपना नाम बता दे।” उसने कहा, “तू मेरा नाम क्यूँ पूछता है?” और उसने उसे वहाँ बरकत दी। |
959 | GEN 32:31 | और या'क़ूब ने उस जगह का नाम फ़नीएल रख्खा और कहा, “मैंने ख़ुदा को आमने सामने देखा, तो भी मेरी जान बची रही।” |
966 | GEN 33:5 | फिर उसने आँखें उठाई और 'औरतों और बच्चों को देखा और कहा कि यह तेरे साथ कौन हैं? उसने कहा, “यह वह बच्चे हैं जो ख़ुदा ने तेरे ख़ादिम को इनायत किए हैं।” |
970 | GEN 33:9 | तब 'ऐसौ ने कहा, “मेरे पास बहुत हैं; इसलिए ऐ मेरे भाई जो तेरा है वह तेरा ही रहे।” |
971 | GEN 33:10 | या'क़ूब ने कहा, “नहीं अगर मुझ पर तेरे करम की नज़र हुई है तो मेरा नज़राना मेरे हाथ से क़ुबूल कर, क्यूँकि मैंने तो तेरा मुँह ऐसा देखा जैसा कोई ख़ुदा का मुँह देखता है, और तू मुझ से राज़ी हुआ। |