369 | GEN 15:8 | और उसने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा! मैं क्यूँ कर जानूँ कि मैं उसका वारिस हूँगा?” |
390 | GEN 16:8 | और उसने कहा, “ऐ सारय की लौंडी हाजिरा, तू कहाँ से आई और किधर जाती है?” उसने कहा कि मैं अपनी बीबी सारय के पास से भाग आई हूँ। |
437 | GEN 18:12 | तब सारा ने अपने दिल में हँस कर कहा, ख़ुदावन्द “क्या इस क़दर उम्र — दराज़ होने पर भी मेरे लिए खु़शी हो सकती है, जबकि मेरा शौहर भी बूढ़ा है?” |
450 | GEN 18:25 | ऐसा करना तुझ से दूर है कि नेक को बद के साथ मार डाले और नेक बद के बराबर हो जाएँ। ये तुझ से दूर है। क्या तमाम दुनिया का इन्साफ़ करने वाला इन्साफ़ न करेगा?” |
555 | GEN 22:7 | तब इस्हाक़ ने अपने बाप अब्रहाम से कहा, ऐ बाप! “उसने जवाब दिया कि ऐ मेरे बेटे, मैं हाज़िर हूँ। उसने कहा, देख, आग और लकड़ियाँ तो हैं, लेकिन सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए बर्रा कहाँ है?” |
597 | GEN 24:5 | उस नौकर ने उससे कहा, “शायद वह 'औरत इस मुल्क में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मैं तेरे बेटे को उस मुल्क में जहाँ से तू आया फिर ले जाऊँ?” |
650 | GEN 24:58 | तब उन्होंने रिब्क़ा को बुला कर उससे पूछा, “क्या तू इस आदमी के साथ जाएगी?” उसने कहा, “जाऊँगी।” |
657 | GEN 24:65 | और उसने नौकर से पूछा, “यह शख़्स कौन है जो हम से मिलने की मैदान में चला आ रहा है?” उस नौकर ने कहा, “यह मेरा आक़ा है।” तब उसने बुरक़ा लेकर अपने ऊपर डाल लिया। |
681 | GEN 25:22 | और उसके पेट में दो लड़के आपस में मुज़ाहमत करने लगे। तब उसने कहा, “अगर ऐसा ही है तो मैं जीती क्यूँ हूँ?” और वह ख़ुदावन्द से पूछने गई। |
691 | GEN 25:32 | 'ऐसौ ने कहा, “देख, मैं तो मरा जाता हूँ, पहलौठे का हक़ मेरे किस काम आएगा?” |
702 | GEN 26:9 | तब अबीमलिक ने इस्हाक़ को बुला कर कहा, “वह तो हक़ीक़त में तेरी बीवी है; फिर तूने क्यूँ कर उसे अपनी बहन बताया?” इस्हाक़ ने उससे कहा, “इसलिए कि मुझे ख़्याल हुआ कि कहीं मैं उसकी वजह से मारा न जाऊँ।” |
746 | GEN 27:18 | तब उसने बाप के पास आ कर कहा, ऐ मेरे बाप! “उसने कहा, मैं हाज़िर हूँ, तू कौन है मेरे बेटे?” |
748 | GEN 27:20 | तब इस्हाक़ ने अपने बेटे से कहा, “बेटा! तुझे यह इस क़दर जल्द कैसे मिल गया?” उसने कहा, “इसलिए कि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने मेरा काम बना दिया।” |
752 | GEN 27:24 | और उसने पूछा कि क्या तू मेरा बेटा “ऐसौ ही है?” उसने कहा, “मैं वही हूँ।” |
764 | GEN 27:36 | तब उसने कहा, “क्या उसका नाम या'क़ूब ठीक नहीं रख्खा गया? क्यूँकि उसने दोबारा मुझे धोखा दिया। उसने मेरा पहलौठे का हक़ तो ले ही लिया था, और देख, अब वह मेरी बरकत भी ले गया।” फिर उसने कहा, “क्या तूने मेरे लिए कोई बरकत नहीं रख छोड़ी है?” |
773 | GEN 27:45 | या'नी जब तक तेरे भाई का क़हर तेरी तरफ़ से ठंडा न हो, और वह उस बात को जो तूने उससे की है भूल न जाए; तब मैं तुझे वहाँ से बुलवा भेजूँगी। मैं एक ही दिन में तुम दोनों को क्यूँ खो बैठूँ?” |
800 | GEN 29:4 | तब या'क़ूब ने उनसे कहा, “ऐ मेरे भाइयों, तुम कहाँ के हो?” उन्होंने कहा, “हम हारान के हैं।” |
802 | GEN 29:6 | उसने पूछा, “क्या वह ख़ैरियत से है?” उन्होंने कहा, “ख़ैरियत से है, और वह देख, उसकी बेटी राख़िल भेड़ बकरियों के साथ चली आती है।” |
811 | GEN 29:15 | तब लाबन ने या'क़ूब से कहा, “चूँकि तू मेरा रिश्तेदार है, तो क्या इसलिए लाज़िम है कि तू मेरी ख़िदमत मुफ़्त करे? इसलिए मुझे बता कि तेरी मजदुरी क्या होगी?” |
833 | GEN 30:2 | तब या'क़ूब का क़हर राख़िल पर भड़का और उस ने कहा, “क्या मैं ख़ुदा की जगह हूँ जिसने तुझ को औलाद से महरूम रख्खा है?” |
846 | GEN 30:15 | उसने कहा, “क्या ये छोटी बात है कि तूने मेरे शौहर को ले लिया, और अब क्या मेरे बेटे के मदुम गियाह भी लेना चाहती है?” राख़िल ने कहा, “बस तो आज रात वह तेरे बेटे के मदुम गियाह की ख़ातिर तेरे साथ सोएगा।” |
862 | GEN 30:31 | उसने कहा, “तुझे मैं क्या दूँ?” या'क़ूब ने कहा, “तू मुझे कुछ न देना, लेकिन अगर तू मेरे लिए एक काम कर दे तो मैं तेरी भेड़ — बकरियों को फिर चराऊँगा और उनकी निगहबानी करूँगा। |
958 | GEN 32:30 | तब या'क़ूब ने उससे कहा, “मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, तू मुझे अपना नाम बता दे।” उसने कहा, “तू मेरा नाम क्यूँ पूछता है?” और उसने उसे वहाँ बरकत दी। |
1012 | GEN 34:31 | उन्होंने कहा, “तो क्या उसे मुनासिब था कि वह हमारी बहन के साथ कसबी की तरह बर्ताव करता?” |
1099 | GEN 37:15 | और एक शख़्स ने उसे मैदान में इधर — उधर आवारा फिरते पाया; यह देख कर उस शख़्स ने उससे पूछा, “तू क्या ढूंडता है?” |
1100 | GEN 37:16 | उसने कहा, “मैं अपने भाइयों को ढूंडता हूँ। ज़रा मुझे बता दे कि वह भेड़ बकरियों को कहाँ चरा रहे हैं?” |
1116 | GEN 37:32 | और उन्होंने उस बूक़लमून क़बा को भिजवा दिया। फिर वह उसे उनके बाप के पास ले आए और कहा, “हम को यह चीज़ पड़ी मिली; अब तू पहचान कि यह तेरे बेटे की क़बा है या नहीं?” |
1138 | GEN 38:18 | उसने कहा, “तुझे रहन क्या दूँ?” उसने कहा, “अपनी मुहर और अपना बाजू बंद और अपनी लाठी जो तेरे हाथ में है।” उसने यह चीजें उसे दीं और उसके साथ मुबाश्रत की, और वह उससे हामिला हो गई। |
1141 | GEN 38:21 | तब उसने उस जगह के लोगों से पूछा, “वह कस्बी जो ऐनीम में रास्ते के बराबर बैठी थी कहाँ है?” उन्होंने कहा, यहाँ कोई कस्बी नहीं थी। |
1260 | GEN 42:7 | यूसुफ़ अपने भाइयों को देख कर उनको पहचान गया; लेकिन उसने उनके सामने अपने आप को अन्जान बना लिया और उनसे सख़्त लहजे में पूछा, “तुम कहाँ से आए हो?” उन्होंने कहा, “कना'न के मुल्क से अनाज मोल लेने को।” |
1340 | GEN 44:15 | तब यूसुफ़ ने उनसे कहा, “तुम ने यह कैसा काम किया? क्या तुम को मा'लूम नहीं कि मुझ सा आदमी ठीक फ़ाल खोलता है?” |
1362 | GEN 45:3 | और यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं यूसुफ़ हूँ! क्या मेरा बाप अब तक ज़िन्दा है?” और उसके भाई उसे कुछ जवाब न दे सके, क्यूँकि वह उसके सामने घबरा गए। |
1424 | GEN 47:3 | और फ़िर'औन ने उसके भाइयों से पूछा, “तुम्हारा पेशा क्या है?” उन्होंने फ़िर'औन से कहा, “तेरे ख़ादिम चौपान हैं जैसे हमारे बाप दादा थे।” |
1436 | GEN 47:15 | और जब वह सारा रुपया, जो मिस्र और कनान के मुल्कों में था, ख़र्च हो गया तो मिस्री यूसुफ़ के पास आकर कहने लगे, “हम को अनाज दे; क्यूँकि रुपया तो हमारे पास रहा नहीं। हम तेरे होते हुए क्यूँ। मरें?” |
1460 | GEN 48:8 | फिर इस्राईल ने यूसुफ़ के बेटों को देख कर पूछा, “यह कौन हैं?” |
1551 | EXO 1:18 | फिर मिस्र के बादशाह ने दाइयों को बुलवा कर उनसे कहा, “तुम ने ऐसा क्यूँ किया कि लड़कों को ज़िन्दा रहने दिया?” |
1562 | EXO 2:7 | तब उसकी बहन ने फ़िर'औन की बेटी से कहा, “क्या मैं जा कर 'इब्रानी 'औरतों में से एक दाई तेरे पास बुला लाऊँ, जो तेरे लिए इस बच्चे को दूध पिलाया करे?” |
1568 | EXO 2:13 | फिर दूसरे दिन वह बाहर गया और देखा कि दो 'इब्रानी आपस में मार पीट कर रहे हैं। तब उसने उसे जिसका कु़सूर था कहा, कि “तू अपने साथी को क्यूँ मारता है?” |
1569 | EXO 2:14 | उसने कहा, “तुझे किसने हम पर हाकिम या मुन्सिफ़ मुक़र्रर किया? क्या जिस तरह तूने उस मिस्री को मार डाला, मुझे भी मार डालना चाहता है?” तब मूसा यह सोच कर डरा, “बिला शक यह राज़ खुल गया।” |
1573 | EXO 2:18 | और जब वह अपने बाप र'ऊएल के पास लौटीं तो उसने पूछा, “आज तुम इस क़दर जल्द कैसे आ गई?” |
1591 | EXO 3:11 | मूसा ने ख़ुदा से कहा, “मैं कौन हूँ जो फ़िर'औन के पास जाऊँ और बनी — इस्राईल को मिस्र से निकाल लाऊँ?” |
1593 | EXO 3:13 | तब मूसा ने ख़ुदा से कहा, “जब मैं बनी — इस्राईल के पास जाकर उनको कहूँ कि तुम्हारे बाप — दादा के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, और वह मुझे कहें कि उसका नाम क्या है? तो मैं उनको क्या बताऊँ?” |
1647 | EXO 5:14 | और बनी — इस्राईल में से जो — जो फ़िर'औन के बेगार लेने वालों की तरफ़ से इन लोगों पर सरदार मुक़र्रर हुए थे, उन पर मार पड़ी और उनसे पूछा गया, कि “क्या वजह है कि तुम ने पहले की तरह आज और कल पूरी — पूरी ईंटें नहीं बनवाई?” |
1668 | EXO 6:12 | मूसा ने ख़ुदावन्द से कहा, कि “देख, बनी — इस्राईल ने तो मेरी सुनी नहीं; तब मैं जो ना मख़्तून होंट रखता हूँ फ़िर'औन मेरी क्यूँ कर सुनेगा?” |
1785 | EXO 10:7 | तब फ़िर'औन के नौकर फ़िर'औन से कहने लगे कि “ये शख़्स कब तक हमारे लिए फन्दा बना रहेगा? इन लोगों को जाने दे ताकि वह ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इबादत करें। क्या तुझे ख़बर नहीं कि मिस्र बर्बाद हो गया?” |
1786 | EXO 10:8 | तब मूसा और हारून फ़िर'औन के पास फिर बुला लिए गए, और उसने उनको कहा, कि “'जाओ, और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इबादत करो, लेकिन वह कौन — कौन हैं जो जाएँगे?” |
1882 | EXO 13:14 | और जब अगले ज़माने में तेरा बेटा तुझसे सवाल करे, कि 'यह क्या है?” तो तू उसे यह जवाब देना, 'ख़ुदावन्द हम को मिस्र से जो ग़ुलामी का घर है अपनी ताक़त से निकाल लाया। |
1955 | EXO 16:7 | और सुबह को तुम ख़ुदावन्द का जलाल देखोगे, क्यूँकि तुम जो ख़ुदावन्द पर बड़बड़ाने लगते हो उसे वह सुनता है। और हम कौन हैं जो तुम हम पर बड़बड़ाते हो?” |
1986 | EXO 17:2 | वहाँ वह लोग मूसा से झगड़ा करके कहने लगे, कि “हम को पीने को पानी दे।” मूसा ने उनसे कहा, कि “तुम मुझ से क्यूँ झगड़ते हो और ख़ुदावन्द को क्यूँ आज़माते हो?” |
1991 | EXO 17:7 | और उसने उस जगह का नाम मस्सा और मरीबा रख्खा; क्यूँकि बनी — इस्राईल ने वहाँ झगड़ा किया और यह कह कर ख़ुदावन्द का इम्तिहान किया, “ख़ुदावन्द हमारे बीच में है या नहीं?” |
2014 | EXO 18:14 | और जब मूसा के ससुर ने सब कुछ जो वह लोगों के लिए करता था देख लिया तो उससे कहा, “यह क्या काम है जो तू लोगों के लिए करता है? तू क्यूँ आप अकेला बैठता है और सब लोग सुबह से शाम तक तेरे आस — पास खड़े रहते हैं?” |
2440 | EXO 32:1 | और जब लोगों ने देखा कि मूसा ने पहाड़ से उतरने में देर लगाई तो वह हारून के पास जमा' होकर उससे कहने लगे, कि “उठ, हमारे लिए देवता बना दे जो हमारे आगे — आगे चले; क्यूँकि हम नहीं जानते कि इस मर्द मूसा को, जो हम को मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया क्या हो गया?” |
2460 | EXO 32:21 | और मूसा ने हारून से कहा, कि “इन लोगों ने तेरे साथ क्या किया था जो तूने इनको इतने बड़े गुनाह में फँसा दिया?” |
2997 | LEV 10:19 | तब हारून ने मूसा से कहा, “देख, आज ही उन्होंने अपनी ख़ता की क़ुर्बानी और अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेश कीं, और मुझ पर ऐसे — ऐसे हादसे गुज़र गए। तब अगर मैं आज ख़ता की क़ुर्बानी का गोश्त खाता तो क्या यह बात ख़ुदावन्द की नज़र में भली होती?” |
3973 | NUM 9:7 | और मूसा से कहने लगे, “हम एक लाश की वजह से नापाक हो रहे हैं; फिर भी हम और इस्राईलियों के साथ वक़्त — ए — मु'अय्यन पर ख़ुदावन्द की क़ुर्बानी पेश करने से क्यूँ रोके जाएँ?” |
4045 | NUM 11:20 | बल्कि एक महीना कामिल उसे खाते रहोगे, जब तक वह तुम्हारे नथुनों से निकलने न लगे और तुम उससे घिन न खाने लगो; क्यूँकि तुम ने ख़ुदावन्द को जो तुम्हारे बीच है छोड़ दिया, और उसके सामने यह कह — कह कर रोए हो कि हम मिस्र से क्यूँ निकल आए?” |
4047 | NUM 11:22 | इसलिए क्या भेड़बकरियों के यह रेवड़ और गाय — बैलों के झुण्ड उनकी ख़ातिर ज़बह हों कि उनके लिए बस हो? या समन्दर की सब मछलियाँ उनकी ख़ातिर इकट्ठी की जाएँ कि उन सब के लिए काफ़ी हो?” |
4062 | NUM 12:2 | वह कहने लगे, “क्या ख़ुदावन्द ने सिर्फ़ मूसा ही से बातें की हैं? क्या उसने हम से भी बातें नहीं कीं?” और ख़ुदावन्द ने यह सुना। |
4068 | NUM 12:8 | मैं उससे राज़ों में नहीं बल्कि आमने — सामने और सरीह तौर पर बातें करता हूँ, और उसे ख़ुदावन्द का दीदार भी नसीब होता है। इसलिए तुम को मेरे ख़ादिम मूसा की बदगोई करते ख़ौफ़ क्यूँ न आया?” |
4113 | NUM 14:4 | “फिर तो हमारी बीवियाँ और बाल बच्चे लूट का माल ठहरेंगे, क्या हमारे लिए बेहतर न होगा कि हम मिस्र को वापस चले जाएँ?” फिर वह आपस में कहने लगे, “आओ हम किसी को अपना सरदार बना लें, और मिस्र को लौट चलें।” |
4198 | NUM 16:3 | और वह मूसा और हारून के ख़िलाफ़ इकट्ठे होकर उनसे कहने लगे, “तुम्हारे तो बड़े दा'वे हो चले, क्यूँकि जमा'अत का एक — एक आदमी पाक है और ख़ुदावन्द उनके बीच रहता है। इसलिए तुम अपने आप को ख़ुदावन्द की जमा'अत से बड़ा क्यूँकर ठहराते हो?” |
4206 | NUM 16:11 | इसीलिए तू और तेरे फ़रीक़ के लोग, यह सब के सब ख़ुदावन्द के खिलाफ़ इकट्ठे हुए हैं; और हारून कौन है जो तुम उस की शिकायत करते हो?” |
4217 | NUM 16:22 | तब वह मुँह के बल गिर कर कहने लगे, “ऐ ख़ुदा, सब बशर की रूहों के ख़ुदा! क्या एक आदमी के गुनाह की वजह से तेरा क़हर सारी जमा'अत पर होगा?” |
4258 | NUM 17:28 | जो कोई ख़ुदावन्द के घर के नज़दीक जाता है, मर जाता है। तो क्या हम सब के सब हलाक ही हो जाएँगे?” |
4322 | NUM 20:10 | और मूसा और हारून ने जमा'अत को उस चट्टान के सामने इकट्ठा किया, और उसने उनसे कहा, “सुनो, ऐ बाग़ियों, क्या हम तुम्हारे लिए इसी चट्टान से पानी निकालें?” |
4385 | NUM 22:9 | और ख़ुदा ने बल'आम के पास आकर कहा, “तेरे यहाँ यह कौन आदमी हैं?” |
4404 | NUM 22:28 | तब ख़ुदावन्द ने गधी की ज़बान खोल दी और उसने बल'आम से कहा, “मैंने तेरे साथ क्या किया है कि तूने मुझे तीन बार मारा?” |
4406 | NUM 22:30 | गधी ने बल'आम से कहा, “क्या मैं तेरी वही गधी नहीं हूँ जिस पर तू अपनी सारी उम्र आज तक सवार होता आया है? क्या मैं तेरे साथ पहले कभी ऐसा करती थी?” उसने कहा, “नहीं।” |
4413 | NUM 22:37 | तब बलक़ ने बल'आम से कहा, “क्या मैंने बड़ी उम्मीद के साथ तुझे नहीं बुलवा भेजा था? फिर तू मेरे पास क्यूँ न चला आया? क्या मैं इस क़ाबिल नहीं कि तुझे 'आला मन्सब पर मुम्ताज़ करूँ?” |
4434 | NUM 23:17 | और जब वह उसके पास लौटा तो क्या देखता है, कि वह अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी कि पास मोआब के हाकिमों के साथ खड़ा है। तब बलक़ ने उससे पूछा, “ख़ुदावन्द ने क्या कहा है?” |
4443 | NUM 23:26 | बल'आम ने जवाब दिया, और बलक़ से कहा, “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा कि जो कुछ ख़ुदावन्द कहे, वही मुझे करना पड़ेगा?” |
5949 | JOS 5:13 | और जब यशू'अ यरीहू के नज़दीक था तो उस ने अपनी आँखें उठायीं और क्या देखा कि उसके मुक़ाबिल एक शख़्स हाथ में अपनी नंगी तलवार लिए खड़ा है; और यशू'अ ने उस के पास जा कर उस से कहा, “तू हमारी तरफ़ है या हमारे दुश्मनों की तरफ़?” |
5950 | JOS 5:14 | उस ने कहा, “नहीं! बल्कि मैं इस वक़्त ख़ुदावन्द के लश्कर का सरदार हो कर आया हूँ।” तब यशू'अ ने ज़मीन पर सरनगूँ हो कर सिज्दा किया और उससे कहा, “मेरे मालिक का अपने ख़ादिम से क्या इरशाद है?” |
5987 | JOS 7:9 | क्यूँकि कना'नी और इस मुल्क के सब बाशिन्दे यह सुन कर हम को घेर लेंगे, और हमारा नाम मिटा डालेंगे। फिर तू अपने बुज़ुर्ग नाम के लिए क्या करेगा?” |
6047 | JOS 9:8 | उन्होंने यशू'अ से कहा, “हम तेरे ख़ादिम हैं। तब यशू'अ ने उन से पूछा, तुम कौन हो और कहाँ से आए हो?” |
6222 | JOS 15:18 | जब वह उसके पास आई, तो उसने उस आदमी को उभारा कि वह उसके बाप से एक खेत माँगे; इसलिए वह अपने गधे पर से उतर पड़ी, तब कालिब ने उससे कहा, “तू क्या चाहती है?” |
6525 | JDG 1:14 | और जब वह उसके पास गई, तो उसने उसे सलाह दी कि वह उसके बाप से एक खेत माँगे; फिर वह अपने गधे पर से उतर पड़ी, तब कालिब ने उससे कहा, “तू क्या चाहती है?” |
6685 | JDG 6:29 | और वह आपस में कहने लगे, “किसने यह काम किया?” और जब उन्होंने तहक़ीक़ात और पूछ — ताछ की तो लोगों ने कहा, “यूआस के बेटे जिदा'ऊन ने यह काम किया है।” |
6724 | JDG 8:3 | ख़ुदा ने मिदियान के सरदार 'ओरेब और ज़ईब को तुम्हारे क़ब्ज़े में कर दिया; इसलिए तुम्हारी तरह मैं कर ही क्या सका हूँ?” जब उसने यह कहा, तो उनका गुस्सा उसकी तरफ़ से धीमा हो गया। |
6727 | JDG 8:6 | सुक्कात के सरदारों ने कहा, “क्या ज़िबह और ज़िलमना' के हाथ अब तेरे क़ब्ज़े में आ गए हैं, जो हम तेरे लश्कर को रोटियाँ दें?” |
6767 | JDG 9:11 | लेकिन अंजीर के दरख़्त ने उनसे कहा, 'क्या मैं अपनी मिठास और अच्छे अच्छे फलों को छोड़ कर दरख़्तों पर हुक्मरानी करने जाऊँ?” |
6769 | JDG 9:13 | अंगूर की बेल ने उनसे कहा, “क्या मैं अपनी मय को जो ख़ुदा और इंसान दोनों को ख़ुश करती है, छोड़ कर दरख़्तों पर हुक्मरानी करने जाऊँ?” |
6838 | JDG 11:7 | और इफ़्ताह ने जिल'आदी बुज़ुगों से कहा, “क्या तुम ने मुझ से 'अदावत करके मुझे मेरे बाप के घर से निकाल नहीं दिया? इसलिए अब जो तुम मुसीबत में पड़ गए हो तो मेरे पास क्यूँ आए?” |
6840 | JDG 11:9 | और इफ़्ताह ने जिल'आदी बुज़ुर्गों से कहा, “अगर तुम मुझे बनी 'अम्मून से लड़ने को मेरे घर ले चलो, और ख़ुदावन्द उनको मेरे हवाले कर दे, तो क्या मैं तुम्हारा हाकिम हूँगा?” |
6897 | JDG 13:11 | तब मनोहा उठ कर अपनी बीवी के पीछे पीछे चला, और उस शख़्स के पास आकर उससे कहा, “क्या तू वही शख़्स है जिसने इस 'औरत से बातें की थीं?” उसने कहा, “मैं वही हूँ।” |
6898 | JDG 13:12 | तब मनोहा ने कहा, “तेरी बातें पूरी हों, लेकिन उस लड़के का कैसा तौर — ओ — तरीक़ और क्या काम होगा?” |
6914 | JDG 14:3 | उसके माँ बाप ने उससे कहा, “क्या तेरे भाइयों की बेटियों में, या मेरी सारी क़ौम में कोई 'औरत नहीं है जो तू नामख़्तून फ़िलिस्तियों में ब्याह करने जाता है?” समसून ने अपने बाप से कहा, “उसी से मेरा ब्याह करा दे, क्यूँकि वह मुझे बहुत पसंद आती है।” |
6927 | JDG 14:16 | और समसून की बीवी उसके आगे रो कर कहने लगी, “तुझे तो मुझ से नफ़रत है, तू मुझ को प्यार नहीं करता। तूने मेरी क़ौम के लोगों से पहेली पूछी, लेकिन वह मुझे न बताई।” उसने उससे कहा, “ख़ूब! मैंने उसे अपने माँ बाप को तो बताया नहीं और तुझे बता दूँ?” |
6929 | JDG 14:18 | और उस शहर के लोगों ने सातवें दिन सूरज के डूबने से पहले उससे कहा, “शहद से मीठा और क्या होता है? और शेर से ताक़तवर और कौन है?” उसने उनसे कहा, “अगर तुम मेरी बछिया को हल में न जोतते, तो मेरी पहेली कभी न बूझते।” |
6937 | JDG 15:6 | तब फ़िलिस्तियों ने कहा, “किसने यह किया है?” लोगों ने बताया कि तिमनती के दामाद समसून ने; इसलिए कि उसने उसकी बीवी छीन कर उस के साथी को दे दी। तब फ़िलिस्तियों ने आकर उस 'औरत को और उसके बाप को आग में जला दिया। |
6941 | JDG 15:10 | और यहूदाह के लोगों ने उनसे कहा, “तुम हम पर क्यूँ चढ़ आए हो?” उन्होंने कहा, “हम समसून को बाँधने आए हैं, ताकि जैसा उसने हम से किया हम भी उससे वैसा ही करें।” |
6942 | JDG 15:11 | तब यहूदाह के तीन हज़ार आदमी ऐताम की चट्टान की दराड़ में उतर गए, और समसून से कहने लगे, “क्या तू नहीं जानता के फ़िलिस्ती हम पर हुक्मरान हैं? इसलिए तूने हम से यह क्या किया है?” उसने उनसे कहा, “जैसा उन्होंने मुझ से किया, मैंने भी उनसे वैसा ही किया।” |
6949 | JDG 15:18 | और उसको बड़ी प्यास लगी, तब उसने ख़ुदावन्द को पुकारा और कहा, “तूने अपने बन्दे के हाथ से ऐसी बड़ी रिहाई बख़्शी। अब क्या मैं प्यास से मरूँ, और नामख़्तूनों के हाथ में पडूँ?” |
6964 | JDG 16:13 | तब दलीला समसून से कहने लगी, “अब तक तो तूने मुझे धोका ही दिया और मुझ से झूट बोला; अब तो बता दे, कि तू किस चीज़ से बँध सकता है?” उसने उसे कहा, “अगर तू मेरे सिर की सातों लटें ताने के साथ बुन दे।” |
6991 | JDG 17:9 | और मीकाह ने उससे कहा, “तू कहाँ से आता है?” उसने उससे कहा, “मैं बैतलहम — ए — यहूदाह का एक लावी हूँ, और निकला हूँ कि जहाँ कहीं जगह मिले वहीं रहूँ।” |
6998 | JDG 18:3 | जब वह मीकाह के घर के पास पहुँचे, तो उस लावी जवान की आवाज़ पहचानी, पस वह उधर को मुड़ गए और उससे कहने लगे, “तुझ को यहाँ कौन लाया? तू यहाँ क्या करता है और यहाँ तेरा क्या है?” |
7013 | JDG 18:18 | जब वह मीकाह के घर में घुस कर तराशा हुआ बुत और अफ़ूद और तराफ़ीम और ढाला हुआ बुत ले आए, तो उस काहिन ने उनसे कहा, “तुम यह क्या करते हो?” |
7014 | JDG 18:19 | तब उन्होंने उसे कहा, “चुप रह, मुँह पर हाथ रख ले; और हमारे साथ चल और हमारा बाप और काहिन बन। क्या तेरे लिए एक शख़्स के घर का काहिन होना अच्छा है, या यह कि तू बनी — इस्राईल के एक क़बीले और घराने का काहिन हो?” |
7018 | JDG 18:23 | और उन्होंने बनी दान को पुकारा, तब उन्होंने उधर मुँह करके मीकाह से कहा, “तुझ को क्या हुआ जो तू इतने लोगों की जमिय'त को साथ लिए आ रहा है?” |
7019 | JDG 18:24 | उसने कहा, “तुम मेरे मा'बूदों को जिनको मैंने बनवाया, और मेरे काहिन को साथ लेकर चले आए, अब मेरे पास और क्या बाक़ी रहा? इसलिए तुम मुझ से यह क्यूँकर कहते हो कि तुझ को क्या हुआ?” |