54 | GEN 2:23 | उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।” |
62 | GEN 3:6 | औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया। |
87 | GEN 4:7 | क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे चाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।” |
89 | GEN 4:9 | तब रब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?” |
103 | GEN 4:23 | एक दिन लमक ने अपनी बीवियों से कहा, “अदा और ज़िल्ला, मेरी बात सुनो! लमक की बीवियो, मेरे अलफ़ाज़ पर ग़ौर करो! |
210 | GEN 9:4 | लेकिन ख़बरदार! ऐसा गोश्त न खाना जिसमें ख़ून है, क्योंकि ख़ून में उस की जान है। |
231 | GEN 9:25 | उसने कहा, “कनान पर लानत! वह अपने भाइयों का ज़लीलतरीन ग़ुलाम होगा। |
318 | GEN 12:19 | तूने क्यों कहा कि वह मेरी बहन है? इस धोके की बिना पर मैंने उसे घर में रख लिया ताकि उससे शादी करूँ। देख, तेरी बीवी हाज़िर है। इसे लेकर यहाँ से निकल जा!” |
431 | GEN 18:6 | इब्राहीम ख़ैमे की तरफ़ दौड़कर सारा के पास आया और कहा, “जल्दी करो! 16 किलोग्राम बेहतरीन मैदा ले और उसे गूँधकर रोटियाँ बना।” |
467 | GEN 19:9 | उन्होंने कहा, “रास्ते से हट जा! देखो, यह शख़्स जब हमारे पास आया था तो अजनबी था, और अब यह हम पर हाकिम बनना चाहता है। अब तेरे साथ उनसे ज़्यादा बुरा सुलूक करेंगे।” वह उसे मजबूर करते करते दरवाज़े को तोड़ने के लिए आगे बढ़े। |
473 | GEN 19:15 | जब पौ फटने लगी तो दोनों आदमियों ने लूत को बहुत समझाया और कहा, “जल्दी कर! अपनी बीवी और दोनों बेटियों को साथ लेकर चला जा, वरना जब शहर को सज़ा दी जाएगी तो तू भी हलाक हो जाएगा।” |
549 | GEN 22:1 | कुछ अरसे के बाद अल्लाह ने इब्राहीम को आज़माया। उसने उससे कहा, “इब्राहीम!” उसने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” |
555 | GEN 22:7 | इसहाक़ बोला, “अब्बू!” इब्राहीम ने कहा, “जी बेटा।” “अब्बू, आग और लकड़ियाँ तो हमारे पास हैं, लेकिन क़ुरबानी के लिए भेड़ या बकरी कहाँ है?” |
559 | GEN 22:11 | ऐन उसी वक़्त रब के फ़रिश्ते ने आसमान पर से उसे आवाज़ दी, “इब्राहीम, इब्राहीम!” इब्राहीम ने कहा, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” |
577 | GEN 23:5 | हित्तियों ने जवाब दिया, “हमारे आक़ा, हमारी बात सुनें! आप हमारे दरमियान अल्लाह के रईस हैं। अपनी बीवी को हमारी बेहतरीन क़ब्र में दफ़न करें। हममें से कोई नहीं जो आपसे अपनी क़ब्र का इनकार करेगा।” |
583 | GEN 23:11 | “नहीं, मेरे आक़ा! मेरी बात सुनें। मैं आपको यह खेत और उसमें मौजूद ग़ार दे देता हूँ। सब जो हाज़िर हैं मेरे गवाह हैं, मैं यह आपको देता हूँ। अपनी बीवी को वहाँ दफ़न कर दें।” |
598 | GEN 24:6 | इब्राहीम ने कहा, “ख़बरदार! उसे हरगिज़ वापस न ले जाना। |
702 | GEN 26:9 | उसने इसहाक़ को बुलाकर कहा, “वह तो आपकी बीवी है! आपने क्यों कहा कि मेरी बहन है?” इसहाक़ ने जवाब दिया, “मैंने सोचा कि अगर मैं बताऊँ कि यह मेरी बीवी है तो लोग मुझे क़त्ल कर देंगे।” |
703 | GEN 26:10 | अबीमलिक ने कहा, “आपने हमारे साथ कैसा सुलूक कर दिखाया! कितनी आसानी से मेरे आदमियों में से कोई आपकी बीवी से हमबिसतर हो जाता। इस तरह हम आपके सबब से एक बड़े जुर्म के क़ुसूरवार ठहरते।” |
713 | GEN 26:20 | लेकिन जिरार के चरवाहे आकर इसहाक़ के चरवाहों से झगड़ने लगे। उन्होंने कहा, “यह हमारा कुआँ है!” इसलिए उसने उस कुएँ का नाम इसक यानी झगड़ा रखा। |
736 | GEN 27:8 | अब सुनो, मेरे बेटे! जो कुछ मैं बताती हूँ वह करो। |
842 | GEN 30:11 | लियाह ने कहा, “मैं कितनी ख़ुशक़िसमत हूँ!” चुनाँचे उसने उसका नाम जद यानी ख़ुशक़िसमती रखा। |
885 | GEN 31:11 | उस ख़ाब में अल्लाह के फ़रिश्ते ने मुझसे बात की, ‘याक़ूब!’ मैंने कहा, ‘जी, मैं हाज़िर हूँ।’ |
898 | GEN 31:24 | लेकिन उस रात अल्लाह ने ख़ाब में लाबन के पास आकर उससे कहा, “ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।” |
903 | GEN 31:29 | मैं आपको बहुत नुक़सान पहुँचा सकता हूँ। लेकिन पिछली रात आपके अब्बू के ख़ुदा ने मुझसे कहा, ‘ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।’ |
938 | GEN 32:10 | फिर याक़ूब ने दुआ की, “ऐ मेरे दादा इब्राहीम और मेरे बाप इसहाक़ के ख़ुदा, मेरी दुआ सुन! ऐ रब, तूने ख़ुद मुझे बताया, ‘अपने मुल्क और रिश्तेदारों के पास वापस जा, और मैं तुझे कामयाबी दूँगा।’ |
1094 | GEN 37:10 | उसने यह ख़ाब अपने बाप को भी सुनाया तो उसने उसे डाँटा। उसने कहा, “यह कैसा ख़ाब है जो तूने देखा! यह कैसी बात है कि मैं, तेरी माँ और तेरे भाई आकर तेरे सामने ज़मीन तक झुक जाएँ?” |
1149 | GEN 38:29 | लेकिन उसने अपना हाथ वापस खींच लिया, और उसका भाई पहले पैदा हुआ। यह देखकर दाई बोल उठी, “तू किस तरह फूट निकला है!” उसने उसका नाम फ़ारस यानी फूट रखा। |
1157 | GEN 39:7 | कुछ देर के बाद उसके मालिक की बीवी की आँख उस पर लगी। उसने उससे कहा, “मेरे साथ हमबिसतर हो!” |
1162 | GEN 39:12 | फ़ूतीफ़ार की बीवी ने यूसुफ़ का लिबास पकड़कर कहा, “मेरे साथ हमबिसतर हो!” यूसुफ़ भागकर बाहर चला गया लेकिन उसका लिबास पीछे औरत के हाथ में ही रह गया। |
1164 | GEN 39:14 | तो उसने घर के नौकरों को बुलाकर कहा, “यह देखो! मेरे मालिक इस इबरानी को हमारे पास ले आए हैं ताकि वह हमें ज़लील करे। वह मेरी इसमतदरी करने के लिए मेरे कमरे में आ गया, लेकिन मैं ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी। |
1239 | GEN 41:43 | फिर उसने उसे अपने दूसरे रथ में सवार किया और लोग उसके आगे आगे पुकारते रहे, “घुटने टेको! घुटने टेको!” यों यूसुफ़ पूरे मिसर का हाकिम बना। |
1281 | GEN 42:28 | उसने अपने भाइयों से कहा, “मेरे पैसे वापस कर दिए गए हैं! वह मेरी बोरी में हैं।” यह देखकर उनके होश उड़ गए। काँपते हुए वह एक दूसरे को देखने और कहने लगे, “यह क्या है जो अल्लाह ने हमारे साथ किया है?” |
1385 | GEN 45:26 | उन्होंने उससे कहा, “यूसुफ़ ज़िंदा है! वह पूरे मिसर का हाकिम है।” लेकिन याक़ूब हक्का-बक्का रह गया, क्योंकि उसे यक़ीन न आया। |
1387 | GEN 45:28 | और उसने कहा, “मेरा बेटा यूसुफ़ ज़िंदा है! यही काफ़ी है। मरने से पहले मैं जाकर उससे मिलूँगा।” |
1389 | GEN 46:2 | रात को अल्लाह रोया में उससे हमकलाम हुआ। उसने कहा, “याक़ूब, याक़ूब!” याक़ूब ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” |
1436 | GEN 47:15 | जब मिसर और कनान के पैसे ख़त्म हो गए तो मिसरियों ने यूसुफ़ के पास आकर कहा, “हमें रोटी दें! हम आपके सामने क्यों मरें? हमारे पैसे ख़त्म हो गए हैं।” |
1492 | GEN 49:18 | ऐ रब, मैं तेरी ही नजात के इंतज़ार में हूँ! |
1526 | GEN 50:19 | लेकिन यूसुफ़ ने कहा, “मत डरो। क्या मैं अल्लाह की जगह हूँ? हरगिज़ नहीं! |
1569 | EXO 2:14 | आदमी ने जवाब दिया, “किसने आपको हम पर हुक्मरान और क़ाज़ी मुक़र्रर किया है? क्या आप मुझे भी क़त्ल करना चाहते हैं जिस तरह मिसरी को मार डाला था?” तब मूसा डर गया। उसने सोचा, “हाय, मेरा भेद खुल गया है!” |
1584 | EXO 3:4 | जब रब ने देखा कि मूसा झाड़ी को देखने आ रहा है तो उसने उसे झाड़ी में से पुकारा, “मूसा, मूसा!” मूसा ने कहा, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” |
1614 | EXO 4:12 | अब जा! तेरे बोलते वक़्त मैं ख़ुद तेरे साथ हूँगा और तुझे वह कुछ सिखाऊँगा जो तुझे कहना है।” |
1637 | EXO 5:4 | लेकिन मिसर के बादशाह ने इनकार किया, “मूसा और हारून, तुम लोगों को काम से क्यों रोक रहे हो? जाओ, जो काम हमने तुमको दिया है उस पर लग जाओ! |
1644 | EXO 5:11 | इसलिए ख़ुद जाओ और भूसा ढूँडकर जमा करो। लेकिन ख़बरदार! उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाते थे।” |
1651 | EXO 5:18 | अब जाओ, काम करो। तुम्हें भूसा नहीं दिया जाएगा, लेकिन ख़बरदार! उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाते थे।” |
1802 | EXO 10:24 | तब फ़िरौन ने मूसा को फिर बुलवाया और कहा, “जाओ, रब की इबादत करो! तुम अपने साथ बाल-बच्चों को भी ले जा सकते हो। सिर्फ़ अपनी भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल पीछे छोड़ देना।” |
1806 | EXO 10:28 | उसने मूसा से कहा, “दफ़ा हो जा। ख़बरदार! फिर कभी अपनी शक्ल न दिखाना, वरना तुझे मौत के हवाले कर दिया जाएगा।” |
1939 | EXO 15:18 | रब अबद तक बादशाह है!” |
1947 | EXO 15:26 | उसने कहा, “ग़ौर से रब अपने ख़ुदा की आवाज़ सुनो! जो कुछ उस की नज़र में दुरुस्त है वही करो। उसके अहकाम पर ध्यान दो और उस की तमाम हिदायात पर अमल करो। फिर मैं तुम पर वह बीमारियाँ नहीं लाऊँगा जो मिसरियों पर लाया था, क्योंकि मैं रब हूँ जो तुझे शफ़ा देता हूँ।” |
1951 | EXO 16:3 | उन्होंने कहा, “काश रब हमें मिसर में ही मार डालता! वहाँ हम कम अज़ कम जी भरकर गोश्त और रोटी तो खा सकते थे। आप हमें सिर्फ़ इसलिए रेगिस्तान में ले आए हैं कि हम सब भूके मर जाएँ।” |
2010 | EXO 18:10 | उसने कहा, “रब की तमजीद हो जिसने आपको मिसरियों और फ़िरौन के क़ब्ज़े से नजात दिलाई है। उसी ने क़ौम को ग़ुलामी से छुड़ाया है! |
2019 | EXO 18:19 | मेरी बात सुनें! मैं आपको एक मशवरा देता हूँ। अल्लाह उसमें आपकी मदद करे। लाज़िम है कि आप अल्लाह के सामने क़ौम के नुमाइंदे रहें और उनके मामलात उसके सामने पेश करें। |
2456 | EXO 32:17 | उतरते उतरते यशुअ ने लोगों का शोर सुना और मूसा से कहा, “ख़ैमागाह में जंग का शोर मच रहा है!” |
4018 | NUM 10:29 | मूसा ने अपने मिदियानी सुसर रऊएल यानी यितरो के बेटे होबाब से कहा, “हम उस जगह के लिए रवाना हो रहे हैं जिसका वादा रब ने हमसे किया है। हमारे साथ चलें! हम आप पर एहसान करेंगे, क्योंकि रब ने इसराईल पर एहसान करने का वादा किया है।” |
4030 | NUM 11:5 | मिसर में हम मछली मुफ़्त खा सकते थे। हाय, वहाँ के खीरे, तरबूज़, गंदने, प्याज़ और लहसन कितने अच्छे थे! |
4053 | NUM 11:28 | यशुअ बिन नून जो जवानी से मूसा का मददगार था बोल उठा, “मूसा मेरे आक़ा, उन्हें रोक दें!” |
4054 | NUM 11:29 | लेकिन मूसा ने जवाब दिया, “क्या तू मेरी ख़ातिर ग़ैरत खा रहा है? काश रब के तमाम लोग नबी होते और वह उन सब पर अपना रूह नाज़िल करता!” |
4111 | NUM 14:2 | सब मूसा और हारून के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाने लगे। पूरी जमात ने उनसे कहा, “काश हम मिसर या इस रेगिस्तान में मर गए होते! |
4122 | NUM 14:13 | लेकिन मूसा ने रब से कहा, “फिर मिसरी यह सुन लेंगे! क्योंकि तूने अपनी क़ुदरत से इन लोगों को मिसर से निकालकर यहाँ तक पहुँचाया है। |
4203 | NUM 16:8 | मूसा ने क़ोरह से बात जारी रखी, “ऐ लावी की औलाद, सुनो! |
4221 | NUM 16:26 | उसने जमात को आगाह किया, “इन शरीरों के ख़ैमों से दूर हो जाओ! जो कुछ भी उनके पास है उसे न छुओ, वरना तुम भी उनके साथ तबाह हो जाओगे जब वह अपने गुनाहों के बाइस हलाक होंगे।” |
4315 | NUM 20:3 | वह मूसा से यह कहकर झगड़ने लगे, “काश हम अपने भाइयों के साथ रब के सामने मर गए होते! |
4317 | NUM 20:5 | आप हमें मिसर से निकालकर उस नाख़ुशगवार जगह पर क्यों ले आए हैं? यहाँ न तो अनाज, न अंजीर, अंगूर या अनार दस्तयाब हैं। पानी भी नहीं है!” |
4322 | NUM 20:10 | और हारून के साथ जमात को चटान के सामने इकट्ठा किया। मूसा ने उनसे कहा, “ऐ बग़ावत करनेवालो, सुनो! क्या हम इस चटान में से तुम्हारे लिए पानी निकालें?” |
4358 | NUM 21:17 | उस वक़्त इसराईलियों ने यह गीत गाया, “ऐ कुएँ, फूट निकल! उसके बारे में गीत गाओ, |
4370 | NUM 21:29 | ऐ मोआब, तुझ पर अफ़सोस! ऐ कमोस देवता की क़ौम, तू हलाक हुई है। कमोस ने अपने बेटों को मफ़रूर और अपनी बेटियों को अमोरी बादशाह सीहोन की क़ैदी बना दिया है। |
4405 | NUM 22:29 | बिलाम ने जवाब दिया, “तूने मुझे बेवुक़ूफ़ बनाया है! काश मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं अभी तुझे ज़बह कर देता!” |
4440 | NUM 23:23 | याक़ूब के घराने के ख़िलाफ़ जादूगरी नाकाम है, इसराईल के ख़िलाफ़ ग़ैबदानी बेफ़ायदा है। अब याक़ूब के घराने से कहा जाएगा, ‘अल्लाह ने कैसा काम किया है!’ |
4452 | NUM 24:5 | ऐ याक़ूब, तेरे ख़ैमे कितने शानदार हैं! ऐ इसराईल, तेरे घर कितने अच्छे हैं! |
4458 | NUM 24:11 | अब दफ़ा हो जा! अपने घर वापस भाग जा! मैंने कहा था कि बड़ा इनाम दूँगा। लेकिन रब ने तुझे इनाम पाने से रोक दिया है।” |
4915 | DEU 1:21 | देख, रब तेरे ख़ुदा ने तुझे यह मुल्क दे दिया है। अब जाकर उस पर क़ब्ज़ा कर ले जिस तरह रब तेरे बापदादा के ख़ुदा ने तुझे बताया है। मत डरना और बेदिल न हो जाना!” |
5001 | DEU 3:24 | “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तू अपने ख़ादिम को अपनी अज़मत और क़ुदरत दिखाने लगा है। क्या आसमान या ज़मीन पर कोई और ख़ुदा है जो तेरी तरह के अज़ीम काम कर सकता है? हरगिज़ नहीं! |
5003 | DEU 3:26 | लेकिन तुम्हारे सबब से रब मुझसे नाराज़ था। उसने मेरी न सुनी बल्कि कहा, “बस कर! आइंदा मेरे साथ इसका ज़िक्र न करना। |
5012 | DEU 4:6 | इन्हें मानो और इन पर अमल करो तो दूसरी क़ौमों को तुम्हारी दानिशमंदी और समझ नज़र आएगी। फिर वह इन तमाम अहकाम के बारे में सुनकर कहेंगी, “वाह, यह अज़ीम क़ौम कैसी दानिशमंद और समझदार है!” |
5039 | DEU 4:33 | तूने आग में से बोलती हुई अल्लाह की आवाज़ सुनी तो भी जीता बचा! क्या किसी और क़ौम के साथ ऐसा हुआ है? |
5081 | DEU 5:26 | क्योंकि फ़ानी इनसानों में से कौन हमारी तरह ज़िंदा ख़ुदा को आग में से बातें करते हुए सुनकर ज़िंदा रहा है? कोई भी नहीं! |
5084 | DEU 5:29 | काश उनकी सोच हमेशा ऐसी ही हो! काश वह हमेशा इसी तरह मेरा ख़ौफ़ मानें और मेरे अहकाम पर अमल करें! अगर वह ऐसा करेंगे तो वह और उनकी औलाद हमेशा कामयाब रहेंगे। |
5091 | DEU 6:3 | ऐ इसराईल, यह मेरी बातें सुन और बड़ी एहतियात से इन पर अमल कर! फिर रब तेरे ख़ुदा का वादा पूरा हो जाएगा कि तू कामयाब रहेगा और तेरी तादाद उस मुल्क में ख़ूब बढ़ती जाएगी जिसमें दूध और शहद की कसरत है। |
5092 | DEU 6:4 | सुन ऐ इसराईल! रब हमारा ख़ुदा एक ही रब है। |
5100 | DEU 6:12 | तो ख़बरदार! रब को न भूलना जो तुझे मिसर की ग़ुलामी से निकाल लाया। |
5120 | DEU 7:7 | रब ने क्यों तुम्हारे साथ ताल्लुक़ क़ायम किया और तुम्हें चुन लिया? क्या इस वजह से कि तुम तादाद में दीगर क़ौमों की निसबत ज़्यादा थे? हरगिज़ नहीं! तुम तो बहुत कम थे। |
5160 | DEU 9:1 | सुन ऐ इसराईल! आज तू दरियाए-यरदन को पार करनेवाला है। दूसरी तरफ़ तू ऐसी क़ौमों को भगा देगा जो तुझसे बड़ी और ताक़तवर हैं और जिनके शानदार शहरों की फ़सीलें आसमान से बातें करती हैं। |
5200 | DEU 10:12 | ऐ इसराईल, अब मेरी बात सुन! रब तेरा ख़ुदा तुझसे क्या तक़ाज़ा करता है? सिर्फ़ यह कि तू उसका ख़ौफ़ माने, उस की तमाम राहों पर चले, उसे प्यार करे, अपने पूरे दिलो-जान से उस की ख़िदमत करे |
5273 | DEU 12:31 | ऐसा मत कर! यह क़ौमें ऐसे घिनौने तरीक़े से पूजा करती हैं जिनसे रब नफ़रत करता है। वह अपने बच्चों को भी जलाकर अपने देवताओं को पेश करते हैं। |
5432 | DEU 20:3 | कहे, “सुन ऐ इसराईल! आज तुम अपने दुश्मन से लड़ने जा रहे हो। उनके सबब से परेशान न हो। उनसे न ख़ौफ़ खाओ, न घबराओ, |
5448 | DEU 20:19 | शहर का मुहासरा करते वक़्त इर्दगिर्द के फलदार दरख़्तों को काटकर तबाह न कर देना ख़ाह बड़ी देर भी हो जाए, वरना तू उनका फल नहीं खा सकेगा। उन्हें न काटना। क्या दरख़्त तेरे दुश्मन हैं जिनका मुहासरा करना है? हरगिज़ नहीं! |
5602 | DEU 27:15 | ‘उस पर लानत जो बुत तराशकर या ढालकर चुपके से खड़ा करे। रब को कारीगर के हाथों से बनी हुई ऐसी चीज़ से घिन है।’ जवाब में सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5603 | DEU 27:16 | फिर लावी कहें, ‘उस पर लानत जो अपने बाप या माँ की तहक़ीर करे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5604 | DEU 27:17 | ‘उस पर लानत जो अपने पड़ोसी की ज़मीन की हुदूद आगे पीछे करे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5605 | DEU 27:18 | ‘उस पर लानत जो किसी अंधे की राहनुमाई करके उसे ग़लत रास्ते पर ले जाए।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5606 | DEU 27:19 | ‘उस पर लानत जो परदेसियों, यतीमों या बेवाओं के हुक़ूक़ क़ायम न रखे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5607 | DEU 27:20 | ‘उस पर लानत जो अपने बाप की बीवी से हमबिसतर हो जाए, क्योंकि वह अपने बाप की बेहुरमती करता है।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5608 | DEU 27:21 | ‘उस पर लानत जो जानवर से जिंसी ताल्लुक़ रखे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5609 | DEU 27:22 | ‘उस पर लानत जो अपनी सगी बहन, अपने बाप की बेटी या अपनी माँ की बेटी से हमबिसतर हो जाए।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5610 | DEU 27:23 | ‘उस पर लानत जो अपनी सास से हमबिसतर हो जाए।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5611 | DEU 27:24 | ‘उस पर लानत जो चुपके से अपने हमवतन को क़त्ल कर दे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5612 | DEU 27:25 | ‘उस पर लानत जो पैसे लेकर किसी बेक़ुसूर शख़्स को क़त्ल करे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5613 | DEU 27:26 | ‘उस पर लानत जो इस शरीअत की बातें क़ायम न रखे, न इन पर अमल करे।’ सब लोग कहें, ‘आमीन!’ |
5680 | DEU 28:67 | सुबह उठकर तू कहेगा, ‘काश शाम हो!’ और शाम के वक़्त, ‘काश सुबह हो!’ क्योंकि जो कुछ तू देखेगा उससे तेरे दिल को दहशत घेर लेगी। |
5757 | DEU 31:27 | क्योंकि मैं ख़ूब जानता हूँ कि तू कितना सरकश और हटधर्म है। मेरी मौजूदगी में भी तुमने कितनी दफ़ा रब से सरकशी की। तो फिर मेरे मरने के बाद तुम क्या कुछ नहीं करोगे! |