2 | GEN 1:2 | अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था। |
3 | GEN 1:3 | फिर अल्लाह ने कहा, “रौशनी हो जाए” तो रौशनी पैदा हो गई। |
5 | GEN 1:5 | अल्लाह ने रौशनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। शाम हुई, फिर सुबह। यों पहला दिन गुज़र गया। |
8 | GEN 1:8 | अल्लाह ने गुंबद को आसमान का नाम दिया। शाम हुई, फिर सुबह। यों दूसरा दिन गुज़र गया। |
13 | GEN 1:13 | शाम हुई, फिर सुबह। यों तीसरा दिन गुज़र गया। |
16 | GEN 1:16 | अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया। |
19 | GEN 1:19 | शाम हुई, फिर सुबह। यों चौथा दिन गुज़र गया। |
23 | GEN 1:23 | शाम हुई, फिर सुबह। यों पाँचवाँ दिन गुज़र गया। |
31 | GEN 1:31 | अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया। |
32 | GEN 2:1 | यों आसमानो-ज़मीन और उनकी तमाम चीज़ों की तख़लीक़ मुकम्मल हुई। |
51 | GEN 2:20 | आदमी ने तमाम मवेशियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला। |
53 | GEN 2:22 | पसली से उसने औरत बनाई और उसे आदमी के पास ले आया। |
54 | GEN 2:23 | उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।” |
57 | GEN 3:1 | साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?” |
63 | GEN 3:7 | लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंगे हैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं। |
76 | GEN 3:20 | आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा यानी ज़िंदगी रखा, क्योंकि बाद में वह तमाम ज़िंदों की माँ बन गई। |
82 | GEN 4:2 | बाद में क़ाबील का भाई हाबील पैदा हुआ। हाबील भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया जबकि क़ाबील खेतीबाड़ी करने लगा। |
88 | GEN 4:8 | एक दिन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, “आओ, हम बाहर खुले मैदान में चलें।” और जब वह खुले मैदान में थे तो क़ाबील ने अपने भाई हाबील पर हमला करके उसे मार डाला। |
89 | GEN 4:9 | तब रब ने क़ाबील से पूछा, “तेरा भाई हाबील कहाँ है?” क़ाबील ने जवाब दिया, “मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की देख-भाल करना मेरी ज़िम्मादारी है?” |
90 | GEN 4:10 | रब ने कहा, “तूने क्या किया है? तेरे भाई का ख़ून ज़मीन में से पुकारकर मुझसे फ़रियाद कर रहा है। |
91 | GEN 4:11 | इसलिए तुझ पर लानत है और ज़मीन ने तुझे रद्द किया है, क्योंकि ज़मीन को मुँह खोलकर तेरे हाथ से क़त्ल किए हुए भाई का ख़ून पीना पड़ा। |
97 | GEN 4:17 | क़ाबील की बीवी हामिला हुई। बेटा पैदा हुआ जिसका नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने एक शहर तामीर किया और अपने बेटे की ख़ुशी में उसका नाम हनूक रखा। |
98 | GEN 4:18 | हनूक का बेटा ईराद था, ईराद का बेटा महूयाएल, महूयाएल का बेटा मतूसाएल और मतूसाएल का बेटा लमक था। |
101 | GEN 4:21 | याबल का भाई यूबल था। उस की नसल के लोग सरोद और बाँसरी बजाते थे। |
104 | GEN 4:24 | एक आदमी ने मुझे ज़ख़मी किया तो मैंने उसे मार डाला। एक लड़के ने मेरे चोट लगाई तो मैंने उसे क़त्ल कर दिया। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा, लेकिन जो लमक को क़त्ल करे उससे सतत्तर गुना बदला लिया जाएगा।” |
139 | GEN 6:1 | दुनिया में लोगों की तादाद बढ़ने लगी। उनके हाँ बेटियाँ पैदा हुईं। |
143 | GEN 6:5 | रब ने देखा कि इनसान निहायत बिगड़ गया है, कि उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई की तरफ़ मायल रहते हैं। |
149 | GEN 6:11 | लेकिन दुनिया अल्लाह की नज़र में बिगड़ी हुई और ज़ुल्मो-तशद्दुद से भरी हुई थी। |
151 | GEN 6:13 | तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैंने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उनके सबब से पूरी दुनिया ज़ुल्मो-तशद्दुद से भर गई है। चुनाँचे मैं उनको ज़मीन समेत तबाह कर दूँगा। |
153 | GEN 6:15 | उस की लंबाई 450 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट हो। |
173 | GEN 7:13 | जब बारिश शुरू हुई तो नूह, उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त, उस की बीवी और बहुएँ कश्ती में सवार हो चुके थे। |
180 | GEN 7:20 | बल्कि सबसे ऊँची चोटी पर पानी की गहराई 20 फ़ुट थी। |
181 | GEN 7:21 | ज़मीन पर रहनेवाली हर मख़लूक़ हलाक हुई। परिंदे, मवेशी, जंगली जानवर, तमाम जानदार जिनसे ज़मीन भरी हुई थी और इनसान, सब कुछ मर गया। |
182 | GEN 7:22 | ज़मीन पर हर जानदार मख़लूक़ हलाक हुई। |
186 | GEN 8:2 | ज़मीन के चश्मे और आसमान पर के पानी के दरीचे बंद हो गए, और बारिश रुक गई। |
188 | GEN 8:4 | सातवें महीने के 17वें दिन कश्ती अरारात के एक पहाड़ पर टिक गई। |
192 | GEN 8:8 | फिर नूह ने एक कबूतर छोड़ दिया ताकि पता चले कि ज़मीन पानी से निकल आई है या नहीं। |
195 | GEN 8:11 | शाम के वक़्त वह लौट आया। इस दफ़ा उस की चोंच में ज़ैतून का ताज़ा पत्ता था। तब नूह को मालूम हुआ कि ज़मीन पानी से निकल आई है। |
198 | GEN 8:14 | दूसरे महीने के 27वें दिन ज़मीन बिलकुल ख़ुश्क हो गई। |
204 | GEN 8:20 | उस वक़्त नूह ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई। उसने तमाम फिरने और उड़नेवाले पाक जानवरों में से कुछ चुनकर उन्हें ज़बह किया और क़ुरबानगाह पर पूरी तरह जला दिया। |
205 | GEN 8:21 | यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिल बचपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा। |
240 | GEN 10:5 | वह उन क़ौमों के आबा-ओ-अजदाद हैं जो साहिली इलाक़ों और जज़ीरों में फैल गईं। यह याफ़त की औलाद हैं जो अपने अपने क़बीले और मुल्क में रहते हुए अपनी अपनी ज़बान बोलते हैं। |
246 | GEN 10:11 | उस मुल्क से निकलकर वह असूर चला गया जहाँ उसने नीनवा, रहोबोत-ईर, कलह |
254 | GEN 10:19 | कि उनकी हुदूद शिमाल में सैदा से जुनूब की तरफ़ जिरार से होकर ग़ज़्ज़ा तक और वहाँ से मशरिक़ की तरफ़ सदूम, अमूरा, अदमा और ज़बोईम से होकर लसा तक थीं। |
256 | GEN 10:21 | सिम याफ़त का बड़ा भाई था। उसके भी बेटे पैदा हुए। सिम तमाम बनी इबर का बाप है। |
260 | GEN 10:25 | इबर के हाँ दो बेटे पैदा हुए। एक का नाम फ़लज यानी तक़सीम था, क्योंकि उन ऐयाम में दुनिया तक़सीम हुई। फ़लज के भाई का नाम युक़तान था। |
267 | GEN 10:32 | यह सब नूह के बेटों के क़बीले हैं, जो अपनी नसलों और क़ौमों के मुताबिक़ दर्ज किए गए हैं। सैलाब के बाद तमाम क़ौमें इन्हीं से निकलकर रूए-ज़मीन पर फैल गईं। |
270 | GEN 11:3 | तब वह एक दूसरे से कहने लगे, “आओ, हम मिट्टी से ईंटें बनाकर उन्हें आग में ख़ूब पकाएँ।” उन्होंने तामीरी काम के लिए पत्थर की जगह ईंटें और मसाले की जगह तारकोल इस्तेमाल किया। |
275 | GEN 11:8 | इस तरीक़े से रब ने उन्हें तमाम रूए-ज़मीन पर मुंतशिर कर दिया, और शहर की तामीर रुक गई। |
296 | GEN 11:29 | बाक़ी दोनों बेटों की शादी हुई। अब्राम की बीवी का नाम सारय था और नहूर की बीवी का नाम मिलकाह। मिलकाह हारान की बेटी थी, और उस की एक बहन बनाम इस्का थी। |
299 | GEN 11:32 | तारह 205 साल का था जब उसने हारान में वफ़ात पाई। |
306 | GEN 12:7 | वहाँ रब अब्राम पर ज़ाहिर हुआ और उससे कहा, “मैं तेरी औलाद को यह मुल्क दूँगा।” इसलिए उसने वहाँ रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई जहाँ वह उस पर ज़ाहिर हुआ था। |
307 | GEN 12:8 | वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ गया जो बैतेल के मशरिक़ में है। वहाँ उसने अपना ख़ैमा लगाया। मग़रिब में बैतेल था और मशरिक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम लेकर इबादत की। |
313 | GEN 12:14 | जब अब्राम मिसर पहुँचा तो वाक़ई मिसरियों ने देखा कि सारय निहायत ही ख़ूबसूरत है। |
322 | GEN 13:3 | वहाँ से जगह बजगह चलते हुए वह आख़िरकार बैतेल से होकर उस मक़ाम तक पहुँच गया जहाँ उसने शुरू में अपना डेरा लगाया था और जो बैतेल और अई के दरमियान था। |
323 | GEN 13:4 | वहाँ जहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई थी उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की। |
327 | GEN 13:8 | तब अब्राम ने लूत से बात की, “ऐसा नहीं होना चाहिए कि तेरे और मेरे दरमियान झगड़ा हो या तेरे चरवाहों और मेरे चरवाहों के दरमियान। हम तो भाई हैं। |
337 | GEN 13:18 | अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने अपने डेरे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्तों के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई। |
338 | GEN 14:1 | कनान में जंग हुई। बैरूने-मुल्क के चार बादशाहों ने कनान के पाँच बादशाहों से जंग की। बैरूने-मुल्क के बादशाह यह थे : सिनार से अमराफ़िल, इल्लासर से अरयूक, ऐलाम से किदरलाउमर और जोयम से तिदाल। |
339 | GEN 14:2 | कनान के बादशाह यह थे : सदूम से बिरा, अमूरा से बिरशा, अदमा से सिनियाब, ज़बोईम से शिमेबर और बाला यानी ज़ुग़र का बादशाह। |
343 | GEN 14:6 | और होरियों को उनके पहाड़ी इलाक़े सईर में शिकस्त दी। यों वह एल-फ़ारान तक पहुँच गए जो रेगिस्तान के किनारे पर है। |
345 | GEN 14:8 | उस वक़्त सदूम, अमूरा, अदमा, ज़बोईम और बाला यानी ज़ुग़र के बादशाह उनसे लड़ने के लिए सिद्दीम की वादी में जमा हुए। |
350 | GEN 14:13 | लेकिन एक आदमी ने जो बच निकला था इबरानी मर्द अब्राम के पास आकर उसे सब कुछ बता दिया। उस वक़्त वह ममरे के दरख़्तों के पास आबाद था। ममरे अमोरी था। वह और उसके भाई इसकाल और आनेर अब्राम के इत्तहादी थे। |
359 | GEN 14:22 | लेकिन अब्राम ने उससे कहा, “मैंने रब से क़सम खाई है, अल्लाह तआला से जो आसमानो-ज़मीन का ख़ालिक़ है |
363 | GEN 15:2 | लेकिन अब्राम ने एतराज़ किया, “ऐ रब क़ादिरे-मुतलक़, तू मुझे क्या देगा जबकि अभी तक मेरे हाँ कोई बच्चा नहीं है और इलियज़र दमिश्क़ी मेरी मीरास पाएगा। |
373 | GEN 15:12 | जब सूरज डूबने लगा तो अब्राम पर गहरी नींद तारी हुई। उस पर दहशत और अंधेरा ही अंधेरा छा गया। |
378 | GEN 15:17 | सूरज ग़ुरूब हुआ। अंधेरा छा गया। अचानक एक धुआँदार तनूर और एक भड़कती हुई मशाल नज़र आई और जानवरों के दो दो टुकड़ों के बीच में से गुज़रे। |
381 | GEN 15:20 | हित्ती, फ़रिज़्ज़ी, रफ़ाई, |
383 | GEN 16:1 | अब तक अब्राम की बीवी सारय के कोई बच्चा नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने एक मिसरी लौंडी रखी थी जिसका नाम हाजिरा था, |
386 | GEN 16:4 | अब्राम हाजिरा से हमबिसतर हुआ तो वह उम्मीद से हो गई। जब हाजिरा को यह मालूम हुआ तो वह अपनी मालिकन को हक़ीर जानने लगी। |
388 | GEN 16:6 | अब्राम ने जवाब दिया, “देखो, यह तुम्हारी लौंडी है और तुम्हारे इख़्तियार में है। जो तुम्हारा जी चाहे उसके साथ करो।” इस पर सारय उससे इतना बुरा सुलूक करने लगी कि हाजिरा फ़रार हो गई। |
393 | GEN 16:11 | रब के फ़रिश्ते ने मज़ीद कहा, “तू उम्मीद से है। एक बेटा पैदा होगा। उसका नाम इसमाईल यानी ‘अल्लाह सुनता है’ रख, क्योंकि रब ने मुसीबत में तेरी आवाज़ सुनी। |
395 | GEN 16:13 | रब के उसके साथ बात करने के बाद हाजिरा ने उसका नाम अत्ताएल-रोई यानी ‘तू एक माबूद है जो मुझे देखता है’ रखा। उसने कहा, “क्या मैंने वाक़ई उसके पीछे देखा है जिसने मुझे देखा है?” |
396 | GEN 16:14 | इसलिए उस जगह के कुएँ का नाम ‘बैर-लही-रोई’ यानी ‘उस ज़िंदा हस्ती का कुआँ जो मुझे देखता है’ पड़ गया। वह क़ादिस और बरद के दरमियान वाक़े है। |
397 | GEN 16:15 | हाजिरा वापस गई, और उसके बेटा पैदा हुआ। अब्राम ने उसका नाम इसमाईल रखा। |
416 | GEN 17:18 | उसने अल्लाह से कहा, “हाँ, इसमाईल ही तेरे सामने जीता रहे।” |
418 | GEN 17:20 | मैं इसमाईल के सिलसिले में भी तेरी दरख़ास्त पूरी करूँगा। मैं उसे भी बरकत देकर फलने फूलने दूँगा और उस की औलाद बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा। वह बारह रईसों का बाप होगा, और मैं उस की मारिफ़त एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा। |
420 | GEN 17:22 | अल्लाह की इब्राहीम के साथ बात ख़त्म हुई, और वह उसके पास से आसमान पर चला गया। |
421 | GEN 17:23 | उसी दिन इब्राहीम ने अल्लाह का हुक्म पूरा किया। उसने घर के हर एक मर्द का ख़तना करवाया, अपने बेटे इसमाईल का भी और उनका भी जो उसके घर में रहते लेकिन उससे रिश्ता नहीं रखते थे, चाहे वह उसके घर में पैदा हुए थे या ख़रीदे गए थे। |
423 | GEN 17:25 | जबकि उसका बेटा इसमाईल 13 साल का था। |
438 | GEN 18:13 | रब ने इब्राहीम से पूछा, “सारा क्यों हँस रही है? वह क्यों कह रही है, ‘क्या वाक़ई मेरे हाँ बच्चा पैदा होगा जबकि मैं इतनी उम्ररसीदा हूँ?’ |
439 | GEN 18:14 | क्या रब के लिए कोई काम नामुमकिन है? एक साल के बाद मुक़र्ररा वक़्त पर मैं वापस आऊँगा तो सारा के बेटा होगा।” |
440 | GEN 18:15 | सारा डर गई। उसने झूट बोलकर इनकार किया, “मैं नहीं हँस रही थी।” रब ने कहा, “नहीं, तू ज़रूर हँस रही थी।” |
446 | GEN 18:21 | मैं उतरकर उनके पास जा रहा हूँ ताकि देखूँ कि यह इलज़ाम वाक़ई सच हैं जो मुझ तक पहुँचे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो मैं यह जानना चाहता हूँ।” |
460 | GEN 19:2 | उसने कहा, “साहबो, अपने बंदे के घर तशरीफ़ लाएँ ताकि अपने पाँव धोकर रात को ठहरें और फिर कल सुबह-सवेरे उठकर अपना सफ़र जारी रखें।” उन्होंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारेंगे।” |
461 | GEN 19:3 | लेकिन लूत ने उन्हें बहुत मजबूर किया, और आख़िरकार वह उसके साथ उसके घर आए। उसने उनके लिए खाना पकाया और बेख़मीरी रोटी बनाई। फिर उन्होंने खाना खाया। |
470 | GEN 19:12 | दोनों आदमियों ने लूत से कहा, “क्या तेरा कोई और रिश्तेदार इस शहर में रहता है, मसलन कोई दामाद या बेटा-बेटी? सबको साथ लेकर यहाँ से चला जा, |
471 | GEN 19:13 | क्योंकि हम यह मक़ाम तबाह करने को हैं। इसके बाशिंदों की बदी के बाइस लोगों की आहें बुलंद होकर रब के हुज़ूर पहुँच गई हैं, इसलिए उसने हमें इसको तबाह करने के लिए भेजा है।” |
477 | GEN 19:19 | तेरे बंदे को तेरी नज़रे-करम हासिल हुई है और तूने मेरी जान बचाने में बहुत मेहरबानी कर दिखाई है। लेकिन मैं पहाड़ों में पनाह नहीं ले सकता। वहाँ पहुँचने से पहले यह मुसीबत मुझ पर आन पड़ेगी और मैं हलाक हो जाऊँगा। |
482 | GEN 19:24 | तब रब ने आसमान से सदूम और अमूरा पर गंधक और आग बरसाई। |
484 | GEN 19:26 | लेकिन फ़रार होते वक़्त लूत की बीवी ने पीछे मुड़कर देखा तो वह फ़ौरन नमक का सतून बन गई। |