2 | GEN 1:2 | अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था। |
6 | GEN 1:6 | अल्लाह ने कहा, “पानी के दरमियान एक ऐसा गुंबद पैदा हो जाए जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो जाए।” |
7 | GEN 1:7 | ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो गया। |
72 | GEN 3:16 | फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।” |
74 | GEN 3:18 | तेरे लिए वह ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँकि तू उससे अपनी ख़ुराक भी हासिल करेगा। |
93 | GEN 4:13 | क़ाबील ने कहा, “मेरी सज़ा निहायत सख़्त है। मैं इसे बरदाश्त नहीं कर पाऊँगा। |
153 | GEN 6:15 | उस की लंबाई 450 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट हो। |
155 | GEN 6:17 | मैं पानी का इतना बड़ा सैलाब लाऊँगा कि वह ज़मीन के तमाम जानदारों को हलाक कर डालेगा। ज़मीन पर सब कुछ फ़ना हो जाएगा। |
164 | GEN 7:4 | एक हफ़ते के बाद मैं चालीस दिन और चालीस रात मुतवातिर बारिश बरसाऊँगा। इससे मैं तमाम जानदारों को रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा, अगरचे मैं ही ने उन्हें बनाया है।” |
179 | GEN 7:19 | आख़िरकार पानी इतना ज़्यादा हो गया कि तमाम ऊँचे पहाड़ भी उसमें छुप गए, |
180 | GEN 7:20 | बल्कि सबसे ऊँची चोटी पर पानी की गहराई 20 फ़ुट थी। |
205 | GEN 8:21 | यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिल बचपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा। |
258 | GEN 10:23 | अराम के बेटे ऊज़, हूल, जतर और मस थे। |
262 | GEN 10:27 | हदूराम, ऊज़ाल, दिक़ला, |
263 | GEN 10:28 | ऊबाल, अबीमाएल, सबा, |
285 | GEN 11:18 | फ़लज 30 साल का था जब रऊ पैदा हुआ। |
287 | GEN 11:20 | रऊ 32 साल का था जब सरूज पैदा हुआ। |
295 | GEN 11:28 | अपने बाप तारह की ज़िंदगी में ही हारान कसदियों के ऊर में इंतक़ाल कर गया जहाँ वह पैदा भी हुआ था। |
298 | GEN 11:31 | तारह कसदियों के ऊर से रवाना होकर मुल्के-कनान की तरफ़ सफ़र करने लगा। उसके साथ उसका बेटा अब्राम, उसका पोता लूत यानी हारान का बेटा और उस की बहू सारय थे। जब वह हारान पहुँचे तो वहाँ आबाद हो गए। |
300 | GEN 12:1 | रब ने अब्राम से कहा, “अपने वतन, अपने रिश्तेदारों और अपने बाप के घर को छोड़कर उस मुल्क में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। |
301 | GEN 12:2 | मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा, तुझे बरकत दूँगा और तेरे नाम को बहुत बढ़ाऊँगा। तू दूसरों के लिए बरकत का बाइस होगा। |
315 | GEN 12:16 | फ़िरौन ने सारय की ख़ातिर अब्राम पर एहसान करके उसे भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, गधे-गधियाँ, नौकर-चाकर और ऊँट दिए। |
328 | GEN 13:9 | क्या ज़रूरत है कि हम मिलकर रहें जबकि तू आसानी से इस मुल्क की किसी और जगह रह सकता है। बेहतर है कि तू मुझसे अलग होकर कहीं और रहे। अगर तू बाएँ हाथ जाए तो मैं दाएँ हाथ जाऊँगा, और अगर तू दाएँ हाथ जाए तो मैं बाएँ हाथ जाऊँगा।” |
368 | GEN 15:7 | फिर रब ने उससे कहा, “मैं रब हूँ जो तुझे कसदियों के ऊर से यहाँ ले आया ताकि तुझे यह मुल्क मीरास में दे दूँ।” |
392 | GEN 16:10 | मैं तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि उसे गिना नहीं जा सकेगा।” |
418 | GEN 17:20 | मैं इसमाईल के सिलसिले में भी तेरी दरख़ास्त पूरी करूँगा। मैं उसे भी बरकत देकर फलने फूलने दूँगा और उस की औलाद बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा। वह बारह रईसों का बाप होगा, और मैं उस की मारिफ़त एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा। |
429 | GEN 18:4 | अगर इजाज़त हो तो मैं कुछ पानी ले आऊँ ताकि आप अपने पाँव धोकर दरख़्त के साय में आराम कर सकें। |
430 | GEN 18:5 | साथ साथ मैं आपके लिए थोड़ा-बहुत खाना भी ले आऊँ ताकि आप तक़वियत पाकर आगे बढ़ सकें। मुझे यह करने दें, क्योंकि आप अपने ख़ादिम के घर आ गए हैं।” उन्होंने कहा, “ठीक है। जो कुछ तूने कहा है वह कर।” |
435 | GEN 18:10 | रब ने कहा, “ऐन एक साल के बाद मैं वापस आऊँगा तो तेरी बीवी सारा के बेटा होगा।” सारा यह बातें सुन रही थी, क्योंकि वह उसके पीछे ख़ैमे के दरवाज़े के पास थी। |
437 | GEN 18:12 | इसलिए सारा अंदर ही अंदर हँस पड़ी और सोचा, “यह कैसे हो सकता है? क्या जब मैं बुढ़ापे के बाइस घिसे-फटे लिबास की मानिंद हूँ तो जवानी के जोबन का लुत्फ़ उठाऊँ? और मेरा शौहर भी बूढ़ा है।” |
439 | GEN 18:14 | क्या रब के लिए कोई काम नामुमकिन है? एक साल के बाद मुक़र्ररा वक़्त पर मैं वापस आऊँगा तो सारा के बेटा होगा।” |
477 | GEN 19:19 | तेरे बंदे को तेरी नज़रे-करम हासिल हुई है और तूने मेरी जान बचाने में बहुत मेहरबानी कर दिखाई है। लेकिन मैं पहाड़ों में पनाह नहीं ले सकता। वहाँ पहुँचने से पहले यह मुसीबत मुझ पर आन पड़ेगी और मैं हलाक हो जाऊँगा। |
527 | GEN 21:13 | लेकिन मैं इसमाईल से भी एक क़ौम बनाऊँगा, क्योंकि वह तेरा बेटा है।” |
532 | GEN 21:18 | उठ, लड़के को उठाकर उसका हाथ थाम ले, क्योंकि मैं उससे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।” |
547 | GEN 21:33 | इसके बाद इब्राहीम ने बैर-सबा में झाऊ का दरख़्त लगाया। वहाँ उसने रब का नाम लेकर उस की इबादत की जो अबदी ख़ुदा है। |
550 | GEN 22:2 | अल्लाह ने कहा, “अपने इकलौते बेटे इसहाक़ को जिसे तू प्यार करता है साथ लेकर मोरियाह के इलाक़े में चला जा। वहाँ मैं तुझे एक पहाड़ दिखाऊँगा। उस पर अपने बेटे को क़ुरबान कर दे। उसे ज़बह करके क़ुरबानगाह पर जला देना।” |
569 | GEN 22:21 | उसके पहलौठे ऊज़ के बाद बूज़, क़मुएल (अराम का बाप), |
597 | GEN 24:5 | उसके नौकर ने कहा, “शायद वह औरत मेरे साथ यहाँ आना न चाहे। क्या मैं इस सूरत में आपके बेटे को उस वतन में वापस ले जाऊँ जिससे आप निकले हैं?” |
602 | GEN 24:10 | फिर वह अपने आक़ा के दस ऊँटों पर क़ीमती तोह्फ़े लादकर मसोपुतामिया की तरफ़ रवाना हुआ। चलते चलते वह नहूर के शहर पहुँच गया। |
603 | GEN 24:11 | उसने ऊँटों को शहर के बाहर कुएँ के पास बिठाया। शाम का वक़्त था जब औरतें कुएँ के पास आकर पानी भरती थीं। |
606 | GEN 24:14 | मैं उनमें से किसी से कहूँगा, ‘ज़रा अपना घड़ा नीचे करके मुझे पानी पिलाएँ।’ अगर वह जवाब दे, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिला देती हूँ,’ तो वह वही होगी जिसे तूने अपने ख़ादिम इसहाक़ के लिए चुन रखा है। अगर ऐसा हुआ तो मैं जान लूँगा कि तूने मेरे आक़ा पर मेहरबानी की है।” |
608 | GEN 24:16 | रिबक़ा निहायत ख़ूबसूरत जवान लड़की थी, और वह कुँवारी भी थी। वह चश्मे तक उतरी, अपना घड़ा भरा और फिर वापस ऊपर आई। |
611 | GEN 24:19 | जब वह पीने से फ़ारिग़ हुआ तो रिबक़ा ने कहा, “मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आती हूँ। वह भी पूरे तौर पर अपनी प्यास बुझाएँ।” |
612 | GEN 24:20 | जल्दी से उसने अपने घड़े का पानी हौज़ में उंडेल दिया और फिर भागकर कुएँ से इतना पानी लाती रही कि तमाम ऊँटों की प्यास बुझ गई। |
614 | GEN 24:22 | ऊँट पानी पीने से फ़ारिग़ हुए तो उसने रिबक़ा को सोने की एक नथ और दो कंगन दिए। नथ का वज़न तक़रीबन 6 ग्राम था और कंगनों का 120 ग्राम। |
621 | GEN 24:29 | जब रिबक़ा के भाई लाबन ने नथ और बहन की कलाइयों में कंगनों को देखा और वह सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने रिबक़ा को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़ दौड़ा। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटों समेत वहाँ खड़ा था। |
623 | GEN 24:31 | लाबन ने कहा, “रब के मुबारक बंदे, मेरे साथ आएँ। आप यहाँ शहर के बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने अपने घर में आपके लिए सब कुछ तैयार किया है। आपके ऊँटों के लिए भी काफ़ी जगह है।” |
624 | GEN 24:32 | वह नौकर को लेकर घर पहुँचा। ऊँटों से सामान उतारा गया, और उनको भूसा और चारा दिया गया। पानी भी लाया गया ताकि इब्राहीम का नौकर और उसके आदमी अपने पाँव धोएँ। |
625 | GEN 24:33 | लेकिन जब खाना आ गया तो इब्राहीम के नौकर ने कहा, “इससे पहले कि मैं खाना खाऊँ लाज़िम है कि अपना मामला पेश करूँ।” लाबन ने कहा, “बताएँ अपनी बात।” |
627 | GEN 24:35 | रब ने मेरे आक़ा को बहुत बरकत दी है। वह बहुत अमीर बन गया है। रब ने उसे कसरत से भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, सोना-चाँदी, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे दिए हैं। |
636 | GEN 24:44 | अगर वह कहे, “पी लें, मैं आपके ऊँटों के लिए भी पानी ले आऊँगी” तो इसका मतलब यह हो कि तूने उसे मेरे आक़ा के बेटे के लिए चुन लिया है कि उस की बीवी बन जाए।’ |
638 | GEN 24:46 | जवाब में उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतारकर कहा, ‘पी लें, मैं आपके ऊँटों को भी पानी पिलाती हूँ।’ मैंने पानी पिया, और उसने ऊँटों को भी पानी पिलाया। |
648 | GEN 24:56 | लेकिन उसने उनसे कहा, “अब देर न करें, क्योंकि रब ने मुझे मेरे मिशन में कामयाबी बख़्शी है। मुझे इजाज़त दें ताकि अपने मालिक के पास वापस जाऊँ।” |
653 | GEN 24:61 | फिर रिबक़ा और उस की नौकरानियाँ उठकर ऊँटों पर सवार हुईं और इब्राहीम के नौकर के पीछे हो लीं। चुनाँचे नौकर उन्हें साथ लेकर रवाना हो गया। |
655 | GEN 24:63 | एक शाम वह निकलकर खुले मैदान में अपनी सोचों में मगन टहल रहा था कि अचानक ऊँट उस की तरफ़ आते हुए नज़र आए। |
656 | GEN 24:64 | जब रिबक़ा ने अपनी नज़र उठाकर इसहाक़ को देखा तो उसने ऊँट से उतरकर |
702 | GEN 26:9 | उसने इसहाक़ को बुलाकर कहा, “वह तो आपकी बीवी है! आपने क्यों कहा कि मेरी बहन है?” इसहाक़ ने जवाब दिया, “मैंने सोचा कि अगर मैं बताऊँ कि यह मेरी बीवी है तो लोग मुझे क़त्ल कर देंगे।” |
730 | GEN 27:2 | इसहाक़ ने कहा, “मैं बूढ़ा हो गया हूँ और ख़ुदा जाने कब मर जाऊँ। |
737 | GEN 27:9 | जाकर रेवड़ में से बकरियों के दो अच्छे अच्छे बच्चे चुन लो। फिर मैं वही लज़ीज़ खाना पकाऊँगी जो तुम्हारे अब्बू को पसंद है। |
773 | GEN 27:45 | जब उसका ग़ुस्सा ठंडा हो जाएगा और वह तुम्हारे उसके साथ किए गए सुलूक को भूल जाएगा, तब मैं इत्तला दूँगी कि तुम वहाँ से वापस आ सकते हो। मैं क्यों एक ही दिन में तुम दोनों से महरूम हो जाऊँ?” |
774 | GEN 27:46 | फिर रिबक़ा ने इसहाक़ से बात की, “मैं एसौ की बीवियों के सबब से अपनी ज़िंदगी से तंग हूँ। अगर याक़ूब भी इस मुल्क की औरतों में से किसी से शादी करे तो बेहतर है कि मैं पहले ही मर जाऊँ।” |
787 | GEN 28:13 | रब उसके ऊपर खड़ा था। उसने कहा, “मैं रब इब्राहीम और इसहाक़ का ख़ुदा हूँ। मैं तुझे और तेरी औलाद को यह ज़मीन दूँगा जिस पर तू लेटा है। |
789 | GEN 28:15 | मैं तेरे साथ हूँगा, तुझे महफ़ूज़ रखूँगा और आख़िरकार तुझे इस मुल्क में वापस लाऊँगा। मुमकिन ही नहीं कि मैं तेरे साथ अपना वादा पूरा करने से पहले तुझे छोड़ दूँ।” |
815 | GEN 29:19 | लाबन ने कहा, “किसी और आदमी की निसबत मुझे यह ज़्यादा पसंद है कि आप ही से उस की शादी कराऊँ।” |
832 | GEN 30:1 | लेकिन राख़िल बेऔलाद ही रही, इसलिए वह अपनी बहन से हसद करने लगी। उसने याक़ूब से कहा, “मुझे भी औलाद दें वरना मैं मर जाऊँगी।” |
834 | GEN 30:3 | राख़िल ने कहा, “यहाँ मेरी लौंडी बिलहाह है। उसके साथ हमबिसतर हों ताकि वह मेरे लिए बच्चे को जन्म दे और मैं उस की मारिफ़त माँ बन जाऊँ।” |
856 | GEN 30:25 | यूसुफ़ की पैदाइश के बाद याक़ूब ने लाबन से कहा, “अब मुझे इजाज़त दें कि मैं अपने वतन और घर को वापस जाऊँ। |
857 | GEN 30:26 | मुझे मेरे बाल-बच्चे दें जिनके एवज़ मैंने आपकी ख़िदमत की है। फिर मैं चला जाऊँगा। आप तो ख़ुद जानते हैं कि मैंने कितनी मेहनत के साथ आपके लिए काम किया है।” |
874 | GEN 30:43 | यों याक़ूब बहुत अमीर बन गया। उसके पास बहुत-से रेवड़, ग़ुलाम और लौंडियाँ, ऊँट और गधे थे। |
891 | GEN 31:17 | तब याक़ूब ने उठकर अपने बाल-बच्चों को ऊँटों पर बिठाया |
908 | GEN 31:34 | राख़िल बुतों को ऊँटों की एक काठी के नीचे छुपाकर उस पर बैठ गई थी। लाबन टटोल टटोलकर पूरे ख़ैमे में से गुज़रा लेकिन बुत न मिले। |
926 | GEN 31:52 | यह ढेर और सतून दोनों इसके गवाह हैं कि न मैं यहाँ से गुज़रकर आपको नुक़सान पहुँचाऊँगा और न आप यहाँ से गुज़रकर मुझे नुक़सान पहुँचाएँगे। |
936 | GEN 32:8 | याक़ूब घबराकर बहुत परेशान हुआ। उसने अपने साथ के तमाम लोगों, भेड़-बकरियों, गाय-बैलों और ऊँटों को दो गुरोहों में तक़सीम किया। |
941 | GEN 32:13 | तूने ख़ुद कहा था, ‘मैं तुझे कामयाबी दूँगा और तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि वह समुंदर की रेत की मानिंद बेशुमार होगी’।” |
944 | GEN 32:16 | 30 दूध देनेवाली ऊँटनियाँ बच्चों समेत, 40 गाएँ, 10 बैल, 20 गधियाँ और 10 गधे। |
1015 | GEN 35:3 | क्योंकि हमें यह जगह छोड़कर बैतेल जाना है। वहाँ मैं उस ख़ुदा के लिए क़ुरबानगाह बनाऊँगा जिसने मुसीबत के वक़्त मेरी दुआ सुनी। जहाँ भी मैं गया वहाँ वह मेरे साथ रहा है।” |
1030 | GEN 35:18 | लेकिन वह दम तोड़नेवाली थी, और मरते मरते उसने उसका नाम बिन-ऊनी यानी ‘मेरी मुसीबत का बेटा’ रखा। लेकिन उसके बाप ने उसका नाम बिनयमीन यानी ‘दहने हाथ या ख़ुशक़िसमती का बेटा’ रखा। |
1045 | GEN 36:4 | अदा का एक बेटा इलीफ़ज़ और बासमत का एक बेटा रऊएल पैदा हुआ। |
1046 | GEN 36:5 | उहलीबामा के तीन बेटे पैदा हुए, यऊस, यालाम और क़ोरह। एसौ के यह तमाम बेटे मुल्के-कनान में पैदा हुए। |
1051 | GEN 36:10 | एसौ की बीवी अदा का एक बेटा इलीफ़ज़ था जबकि उस की बीवी बासमत का एक बेटा रऊएल था। |
1054 | GEN 36:13 | रऊएल के बेटे नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा थे। यह सब एसौ की बीवी बासमत की औलाद में शामिल थे। |
1055 | GEN 36:14 | एसौ की बीवी उहलीबामा जो अना की बेटी और सिबोन की नवासी थी के तीन बेटे यऊस, यालाम और क़ोरह थे। |
1058 | GEN 36:17 | एसौ के बेटे रऊएल से यह क़बायली सरदार निकले : नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा। यह सब एसौ की बीवी बासमत की औलाद थे। |
1059 | GEN 36:18 | एसौ की बीवी उहलीबामा यानी अना की बेटी से यह क़बायली सरदार निकले : यऊस, यालाम और क़ोरह। |
1069 | GEN 36:28 | दीसान के दो बेटे ऊज़ और अरान थे। |
1078 | GEN 36:37 | उस की मौत पर साऊल जो दरियाए-फ़ुरात पर रहोबोत शहर का था। |
1080 | GEN 36:39 | उस की मौत पर हदद जो फ़ाऊ शहर का था (बीवी का नाम महेतबेल बिंत मतरिद बिंत मेज़ाहाब था)। |
1109 | GEN 37:25 | फिर वह रोटी खाने के लिए बैठ गए। अचानक इसमाईलियों का एक क़ाफ़िला नज़र आया। वह जिलियाद से मिसर जा रहे थे, और उनके ऊँट क़ीमती मसालों यानी लादन, बलसान और मुर से लदे हुए थे। |
1114 | GEN 37:30 | वह अपने भाइयों के पास वापस गया और कहा, “लड़का नहीं है। अब मैं किस तरह अब्बू के पास जाऊँ?” |
1164 | GEN 39:14 | तो उसने घर के नौकरों को बुलाकर कहा, “यह देखो! मेरे मालिक इस इबरानी को हमारे पास ले आए हैं ताकि वह हमें ज़लील करे। वह मेरी इसमतदरी करने के लिए मेरे कमरे में आ गया, लेकिन मैं ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी। |
1165 | GEN 39:15 | जब मैं मदद के लिए ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी तो वह अपना लिबास छोड़कर भाग गया।” |
1187 | GEN 40:14 | लेकिन जब आप बहाल हो जाएँ तो मेरा ख़याल करें। मेहरबानी करके बादशाह के सामने मेरा ज़िक्र करें ताकि मैं यहाँ से रिहा हो जाऊँ। |
1190 | GEN 40:17 | सबसे ऊपरवाली टोकरी में वह तमाम चीज़ें थीं जो बादशाह की मेज़ के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन परिंदे आकर उन्हें खा रहे थे।” |
1290 | GEN 42:37 | फिर रूबिन बोल उठा, “अगर मैं उसे सलामती से आपके पास वापस न पहुँचाऊँ तो आप मेरे दो बेटों को सज़ाए-मौत दे सकते हैं। उसे मेरे सुपुर्द करें तो मैं उसे वापस ले आऊँगा।” |
1300 | GEN 43:9 | मैं ख़ुद उसका ज़ामिन हूँगा। आप मुझे उस की जान का ज़िम्मादार ठहरा सकते हैं। अगर मैं उसे सलामती से वापस न पहुँचाऊँ तो फिर मैं ज़िंदगी के आख़िर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा। |
1355 | GEN 44:30 | यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, “जनाबे-आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास जाऊँ और वह देखें कि लड़का मेरे साथ नहीं है तो वह दम तोड़ देंगे। उनकी ज़िंदगी इस क़दर लड़के की ज़िंदगी पर मुनहसिर है और वह इतने बूढ़े हैं कि हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक पहुँचा देंगे। |
1357 | GEN 44:32 | न सिर्फ़ यह बल्कि मैंने बाप से कहा, ‘मैं ख़ुद इसका ज़ामिन हूँगा। अगर मैं इसे सलामती से वापस न पहुँचाऊँ तो फिर मैं ज़िंदगी के आख़िर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा।’ |