Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   ग    February 11, 2023 at 19:52    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

2  GEN 1:2  अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह हरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था।
3  GEN 1:3  फिर अल्लाह ने कहा, “रौशनी हो जाए” तो रौशनी पैदा हो ई।
4  GEN 1:4  अल्लाह ने देखा कि रौशनी अच्छी है, और उसने रौशनी को तारीकी से अल कर दिया।
5  GEN 1:5  अल्लाह ने रौशनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। शाम हुई, फिर सुबह। यों पहला दिन ुज़र या।
6  GEN 1:6  अल्लाह ने कहा, “पानी के दरमियान एक ऐसा ुंबद पैदा हो जाए जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अल हो जाए।”
7  GEN 1:7  ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा ुंबद बनाया जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अल हो या।
8  GEN 1:8  अल्लाह ने ुंबद को आसमान का नाम दिया। शाम हुई, फिर सुबह। यों दूसरा दिन ुज़र या।
9  GEN 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीचे है वह एकजमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्कनज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
10  GEN 1:10  अल्लाह ने ख़ुश्कको ज़मीन का नाम दिया और जमाशुदा पानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
13  GEN 1:13  शाम हुई, फिर सुबह। यों तीसरा दिन ुज़र या।
19  GEN 1:19  शाम हुई, फिर सुबह। यों चौथा दिन ुज़र या।
21  GEN 1:21  अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, पानी की तमाम दीमख़लूक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है।
23  GEN 1:23  शाम हुई, फिर सुबह। यों पाँचवाँ दिन ुज़र या।
24  GEN 1:24  अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर क़िस्म के जानदार पैदा करे : मवेशी, रेंनेवाले और जंली जानवर।” ऐसा ही हुआ।
25  GEN 1:25  अल्लाह ने हर क़िस्म के मवेशी, रेंनेवाले और जंली जानवर बनाए। उसने देखा कि यह अच्छा है।
26  GEN 1:26  अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनी सूरत पर बनाएँ, वह हमसे मुशाबहत रखे। वह तमाम जानवरों पर हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों पर, हवा के परिंदों पर, मवेशियों पर, जंली जानवरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंनेवाले जानदारों पर।”
28  GEN 1:28  अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंनेवाले जानदारों पर हुकूमत करो।”
30  GEN 1:30  इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन पर चलने-फिरनेवाला जानवर, हवा का परिंदा या ज़मीन पर रेंनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ।
31  GEN 1:31  अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन या है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन ुज़र या।
33  GEN 2:2  सातवें दिन अल्लाह का सारा काम तकमील को पहुँचा। इससे फ़ारिहोकर उसने आराम किया।
34  GEN 2:3  अल्लाह ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिहोकर आराम किया।
36  GEN 2:5  तो शुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहींते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता।
38  GEN 2:7  फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदका दम फूँका तो वह जीती जान हुआ।
39  GEN 2:8  रब ख़ुदा ने मशरिक़ में मुल्के-अदन में एक बााया। उसमें उसने उस आदमी को रखा जिसे उसने बनाया था।
40  GEN 2:9  रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए अच्छे थे। बाके बीच में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदबख़्शता था जबकि दूसरे का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता था।
41  GEN 2:10  अदन में से एक दरिया निकलकर बाकी आबपाशी करता था। वहाँ से बहकर वह चार शाख़ों में तक़सीम हुआ।
42  GEN 2:11  पहली शाख़ का नाम फ़ीसून है। वह मुल्के-हवीला को घेरे हुए बहती है जहाँ ख़ालिस सोना, का ूँद और अक़ीक़े-अहमर पाए जाते हैं।
46  GEN 2:15  रब ख़ुदा ने पहले आदमी को बा़े-अदन में रखा ताकि वह उस की बा़बानी और हिफ़ाज़त करे।
47  GEN 2:16  लेकिन रब ख़ुदा ने उसेाह किया, “तुझे हर दरख़्त का फल खाने की इजाज़त है।
48  GEN 2:17  लेकिन जिस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता है उसका फल खाना मना है।उसे खाए तो यक़ीनन मरेा।”
49  GEN 2:18  रब ख़ुदा ने कहा, “अच्छा नहीं कि आदमी अकेला रहे। मैं उसके लिए एक मुनासिब मददार बनाता हूँ।”
50  GEN 2:19  रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले जानवर और हवा के परिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल या।
51  GEN 2:20  आदमी ने तमाम मवेशियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददार न मिला।
52  GEN 2:21  तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब वह हरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसलियों में से एक निकालकर उस कीोश्त भर दिया।
54  GEN 2:23  उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे ोश्त में से ोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली है।”
56  GEN 2:25  दोनों, आदमी और औरत नंथे, लेकिन यह उनके लिए शर्म का बाइस नहीं था।
57  GEN 3:1  साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाके किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
58  GEN 3:2  औरत ने जवाब दिया, “हरिज़ नहीं। हम बाका हर फल खा सकते हैं,
59  GEN 3:3  सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से ुरेज़ करना है जो बाके बीच में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसे छूना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओे।”
60  GEN 3:4  साँप ने औरत से कहा, “तुम हरिज़ मरोे,
61  GEN 3:5  बल्कि अल्लाह जानता है कि जब तुम उसका फल खाओतो तुम्हारी आँखें खुल जाएँऔर तुम अल्लाह की मानिंद हो जाओे, तुम जो भी अच्छा और बुरा है उसे जान लोे।”
62  GEN 3:6  औरत ने दरख़्त पर ़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।
63  GEN 3:7  लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल ईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंहैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंियाँ बना लीं।
64  GEN 3:8  शाम के वक़्त जब ठंडी हवा चलनेतो उन्होंने रब ख़ुदा को बामें चलते-फिरते सुना। वह डर के मारे दरख़्तों के पीछे छुप ए।
66  GEN 3:10  आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बामें चलते हुए सुना तो डर या, क्योंकि मैं नंहूँ। इसलिए मैं छुप या।”
67  GEN 3:11  उसने पूछा, “किसने तुझे बताया कि तू नंहै? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?”
70  GEN 3:14  रब ख़ुदा ने साँप से कहा, “चूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमाम मवेशियों और जंली जानवरों में लानती है। तू उम्र-भर पेट के बल रेंऔर ख़ाक चाटेा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी पैदा करूँा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होी। वह तेरे सर को कुचल डालेजबकि तू उस की एड़ी पर काटेा।”
72  GEN 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होतो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँा। जब तेरे बच्चे होंतो तू शदीद दर्द का शिकार होी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेलेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेा।”
73  GEN 3:17  आदम से उसने कहा, “तूने अपनी बीवी की बात मानी और उस दरख़्त का फल खाया जिसे खाने से मैंने मना किया था। इसलिए तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हासिल करने के लिए तुझे उम्र-भर मेहनत-मशक़्क़त करनी पड़ेी।
74  GEN 3:18  तेरे लिए वह ख़ारदार पौदे और ऊँटकटारे पैदा करेी, हालाँकि तू उससे अपनी ख़ुराक भी हासिल करेा।
75  GEN 3:19  पसीना बहा बहाकर तुझे रोटी कमाने के लिए भा-दौड़ करनी पड़ेी। और यह सिलसिला मौत तक जारी रहेा। तू मेहनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट जाएा, क्योंकि तू उसी से लिया या है। तू ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में मिल जाएा।”