Wildebeest analysis examples for:   urd-urdgvh   च    February 11, 2023 at 19:52    Script wb_pprint_html.py   by Ulf Hermjakob

4  GEN 1:4  अल्लाह ने देखा कि रौशनी्छी है, और उसने रौशनी को तारीकी से अलग कर दिया।
6  GEN 1:6  अल्लाह ने कहा, “पानी के दरमियान एक ऐसा गुंबद पैदा हो जाए जिससे निला पानी ऊपर के पानी से अलग हो जाए।”
7  GEN 1:7  ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया जिससे निला पानी ऊपर के पानी से अलग हो गया।
9  GEN 1:9  अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के नीहै वह एक जगह जमा हो जाए ताकि दूसरी तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।
10  GEN 1:10  अल्लाह ने ख़ुश्क जगह को ज़मीन का नाम दिया और जमाशुदा पानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह्छा है।
12  GEN 1:12  ज़मीन ने हरियावल पैदा की, ऐसे पौदे जो अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह्छा है।
16  GEN 1:16  अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और ाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया।
18  GEN 1:18  दिन और रात पर हुकूमत करें और रौशनी और तारीकी में इम्तियाज़ पैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह्छा है।
19  GEN 1:19  शाम हुई, फिर सुबह। यों ौथा दिन गुज़र गया।
21  GEN 1:21  अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, पानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह्छा है।
23  GEN 1:23  शाम हुई, फिर सुबह। यों पाँवाँ दिन गुज़र गया।
25  GEN 1:25  अल्लाह ने हर क़िस्म के मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर बनाए। उसने देखा कि यह्छा है।
30  GEN 1:30  इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन पर लने-फिरनेवाला जानवर, हवा का परिंदा या ज़मीन पर रेंगनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ।
31  GEN 1:31  अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया।
32  GEN 2:1  यों आसमानो-ज़मीन और उनकी तमाम ीज़ों की तख़लीक़ मुकम्मल हुई।
33  GEN 2:2  सातवें दिन अल्लाह का सारा काम तकमील को पहुँा। इससे फ़ारिग़ होकर उसने आराम किया।
40  GEN 2:9  रब ख़ुदा के हुक्म पर ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट निकले, ऐसे दरख़्त जो देखने में दिलकश और खाने के लिए्छे थे। बाग़ के बी में दो दरख़्त थे। एक का फल ज़िंदगी बख़्शता था जबकि दूसरे का फल्छे और बुरे की पहान दिलाता था।
41  GEN 2:10  अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबपाशी करता था। वहाँ से बहकर वह ार शाख़ों में तक़सीम हुआ।
45  GEN 2:14  तीसरी का नाम दिजला है जो असूर के मशरिक़ को जाती है और ौथी का नाम फ़ुरात है।
48  GEN 2:17  लेकिन जिस दरख़्त का फल्छे और बुरे की पहान दिलाता है उसका फल खाना मना है। अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरेगा।”
49  GEN 2:18  रब ख़ुदा ने कहा, “अ्छा नहीं कि आदमी अकेला रहे। मैं उसके लिए एक मुनासिब मददगार बनाता हूँ।”
50  GEN 2:19  रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर लने-फिरनेवाले जानवर और हवा के परिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल गया।
57  GEN 3:1  साँप ज़मीन पर लने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा ालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?”
59  GEN 3:3  सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से गुरेज़ करना है जो बाग़ के बी में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसे छूना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओगे।”
61  GEN 3:5  बल्कि अल्लाह जानता है कि जब तुम उसका फल खाओगे तो तुम्हारी आँखें खुल जाएँगी और तुम अल्लाह की मानिंद हो जाओगे, तुम जो भी्छा और बुरा है उसे जान लोगे।”
62  GEN 3:6  औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया।
63  GEN 3:7  लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंगे हैं। ुनाँउन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं।
64  GEN 3:8  शाम के वक़्त जब ठंडी हवा लने लगी तो उन्होंने रब ख़ुदा को बाग़ में लते-फिरते सुना। वह डर के मारे दरख़्तों के पीछे छुप गए।
66  GEN 3:10  आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में लते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ। इसलिए मैं छुप गया।”
70  GEN 3:14  रब ख़ुदा ने साँप से कहा,ूँकि तूने यह किया, इसलिए तू तमाम मवेशियों और जंगली जानवरों में लानती है। तू उम्र-भर पेट के बल रेंगेगा और ख़ाक ाटेगा।
71  GEN 3:15  मैं तेरे और औरत के दरमियान दुश्मनी पैदा करूँगा। उस की औलाद तेरी औलाद की दुश्मन होगी। वह तेरे सर को कुडालेगी जबकि तू उस की एड़ी पर काटेगा।”
72  GEN 3:16  फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरेहोंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।”
78  GEN 3:22  उसने कहा, “इनसान हमारी मानिंद हो गया है, वह्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त के फल से ले और उससे खाकर हमेशा तक ज़िंदा रहे।”
80  GEN 3:24  इनसान को ख़ारिज करने के बाद उसने बाग़े-अदन के मशरिक़ में करूबी फ़रिश्ते खड़े किए और साथ साथ एक आतिशी तलवार रखी जो इधर-उधर घूमती थी ताकि उस रास्ते की हिफ़ाज़त करे जो ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त तक पहुँाता था।
82  GEN 4:2  बाद में क़ाबील का भाई हाबील पैदा हुआ। हाबील भेड़-बकरियों का रवाहा बन गया जबकि क़ाबील खेतीबाड़ी करने लगा।
84  GEN 4:4  हाबील ने भी नज़राना पेश किया, लेकिन उसने अपनी भेड़-बकरियों के कुछ पहलौठे उनकी रबी समेत ढ़ाए। हाबील का नज़राना रब को पसंद आया,
87  GEN 4:7  क्या अगर तू्छी नीयत रखता है तो अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ़ नहीं देख सकेगा? लेकिन अगर्छी नीयत नहीं रखता तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बैठा है और तुझे ाहता है। लेकिन तेरा फ़र्ज़ है कि उस पर ग़ालिब आए।”
88  GEN 4:8  एक दिन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, “आओ, हम बाहर खुले मैदान में लें।” और जब वह खुले मैदान में थे तो क़ाबील ने अपने भाई हाबील पर हमला करके उसे मार डाला।
94  GEN 4:14  आज तू मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे तेरे हुज़ूर से भी छुप जाना है। मैं मफ़रूर की हैसियत से मारा मारा फिरता रहूँगा, इसलिए जिसको भी पता लेगा कि मैं कहाँ हूँ वह मुझे क़त्ल कर डालेगा।”
96  GEN 4:16  इसके बाद क़ाबील रब के हुज़ूर से ला गया और अदन के मशरिक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े में जा बसा।
102  GEN 4:22  ज़िल्ला के भी बेटा पैदा हुआ जिसका नाम तूबल-क़ाबील था। वह लोहार था। उस की नसल के लोग पीतल और लोहे की ीज़ें बनाते थे। तूबल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था।
104  GEN 4:24  एक आदमी ने मुझे ज़ख़मी किया तो मैंने उसे मार डाला। एक लड़के ने मेरे ोट लगाई तो मैंने उसे क़त्ल कर दिया। जो क़ाबील को क़त्ल करे उससे सात गुना बदला लिया जाएगा, लेकिन जो लमक को क़त्ल करे उससे सतत्तर गुना बदला लिया जाएगा।”
128  GEN 5:22  इसके बाद वह मज़ीद 300 साल अल्लाह के साथ लता रहा। उसके और बेटे-बेटियाँ भी पैदा हुए।
130  GEN 5:24  हनूक अल्लाह के साथ साथ लता था। 365 साल की उम्र में वह ग़ायब हुआ, क्योंकि अल्लाह ने उसे उठा लिया।
140  GEN 6:2  तब आसमानी हस्तियों ने देखा कि बनी नौ इनसान की बेटियाँ ख़ूबसूरत हैं, और उन्होंने उनमें से कुछ ुनकर उनसे शादी की।
145  GEN 6:7  उसने कहा, “गो मैं ही ने इनसान को ख़लक़ किया मैं उसे रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा। मैं न सिर्फ़ लोगों को बल्कि ज़मीन पर लने-फिरने और रेंगनेवाले जानवरों और हवा के परिंदों को भी हलाक कर दूँगा, क्योंकि मैं पछताता हूँ कि मैंने उनको बनाया।”
147  GEN 6:9  यह उस की ज़िंदगी का बयान है। नूह रास्तबाज़ था। उस ज़माने के लोगों में सिर्फ़ वही बेक़ुसूर था। वह अल्लाह के साथ साथ लता था।
151  GEN 6:13  तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैंने तमाम जानदारों को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उनके सबब से पूरी दुनिया ज़ुल्मो-तशद्दुद से भर गई है। ुनाँमैं उनको ज़मीन समेत तबाह कर दूँगा।
153  GEN 6:15  उस की लंबाई 450 फ़ुट, ौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँाई 45 फ़ुट हो।
154  GEN 6:16  कश्ती की छत को यों बनाना कि उसके नी18 इं खुला रहे। एक तरफ़ दरवाज़ा हो, और उस की तीन मनज़िलें हों।
157  GEN 6:19  हर क़िस्म के जानवर का एक नर और एक मादा भी अपने साथ कश्ती में ले जाना ताकि वह तेरे साथ जीतेें।
158  GEN 6:20  हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानवर और हर क़िस्म के ज़मीन पर फिरने या रेंगनेवाले जानवर दो दो होकर तेरे पास आएँगे ताकि जीते जाएँ।
163  GEN 7:3  इसी तरह हर क़िस्म के पर रखनेवालों में से सात सात नरो-मादा के जोड़े भी साथ ले जाना ताकि उनकी नसलेंरहें।
164  GEN 7:4  एक हफ़ते के बाद मैं ालीस दिन और ालीस रात मुतवातिर बारिश बरसाऊँगा। इससे मैं तमाम जानदारों को रूए-ज़मीन पर से मिटा डालूँगा, अगरमैं ही ने उन्हें बनाया है।”
167  GEN 7:7  तूफ़ानी सैलाब सेने के लिए नूह अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं के साथ कश्ती में सवार हुआ।
171  GEN 7:11  यह सब कुछ उस वक़्त हुआ जब नूह 600 साल का था। दूसरे महीने के 17वें दिन ज़मीन की गहराइयों में से तमाम श्मे फूट निकले और आसमान पर पानी के दरीखुल गए।
172  GEN 7:12  ालीस दिन और ालीस रात तक मूसलाधार बारिश होती रही।
173  GEN 7:13  जब बारिश शुरू हुई तो नूह, उसके बेटे सिम, हाम और याफ़त, उस की बीवी और बहुएँ कश्ती में सवार हो ुके थे।
175  GEN 7:15  हर क़िस्म के जानदार दो दो होकर नूह के पास आकर कश्ती में सवार हो ुके थे।
177  GEN 7:17  ालीस दिन तक तूफ़ानी सैलाब जारी रहा। पानी ढ़ा तो उसने कश्ती को ज़मीन पर से उठा लिया।
179  GEN 7:19  आख़िरकार पानी इतना ज़्यादा हो गया कि तमाम ऊँपहाड़ भी उसमें छुप गए,
180  GEN 7:20  बल्कि सबसे ऊँोटी पर पानी की गहराई 20 फ़ुट थी।
183  GEN 7:23  यों हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से मिटा दिया गया। इनसान, ज़मीन पर फिरने और रेंगनेवाले जानवर और परिंदे, सब कुछ ख़त्म कर दिया गया। सिर्फ़ नूह और कश्ती में सवार उसके साथी गए।
185  GEN 8:1  लेकिन अल्लाह को नूह और तमाम जानवर याद रहे जो कश्ती में थे। उसने हवा ला दी जिससे पानी कम होने लगा।
186  GEN 8:2  ज़मीन के श्मे और आसमान पर के पानी के दरीबंद हो गए, और बारिश रुक गई।
189  GEN 8:5  दसवें महीने के पहले दिन पानी इतना कम हो गया था कि पहाड़ों की ोटियाँ नज़र आने लगी थीं।
190  GEN 8:6  ालीस दिन के बाद नूह ने कश्ती की खिड़की खोलकर एक कौवा छोड़ दिया, और वह उड़कर ला गया। लेकिन जब तक ज़मीन पर पानी था वह आता जाता रहा।
192  GEN 8:8  फिर नूह ने एक कबूतर छोड़ दिया ताकि पता ले कि ज़मीन पानी से निकल आई है या नहीं।
195  GEN 8:11  शाम के वक़्त वह लौट आया। इस दफ़ा उस की ों में ज़ैतून का ताज़ा पत्ता था। तब नूह को मालूम हुआ कि ज़मीन पानी से निकल आई है।
202  GEN 8:18  ुनाँनूह अपने बेटों, अपनी बीवी और बहुओं समेत निकल आया।
204  GEN 8:20  उस वक़्त नूह ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई। उसने तमाम फिरने और उड़नेवाले पाक जानवरों में से कुछ ुनकर उन्हें ज़बह किया और क़ुरबानगाह पर पूरी तरह जला दिया।
205  GEN 8:21  यह क़ुरबानियाँ देखकर रब ख़ुश हुआ और अपने दिल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन पर इनसान की वजह से लानत नहीं भेजूँगा, क्योंकि उसका दिलपन ही से बुराई की तरफ़ मायल है। अब से मैं कभी इस तरह तमाम जान रखनेवाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर से नहीं मिटाऊँगा।
229  GEN 9:23  यह सुनकर सिम और याफ़त ने अपने कंधों पर कपड़ा रखा। फिर वह उलटे लते हुए डेरे में दाख़िल हुए और कपड़ा अपने बाप पर डाल दिया। उनके मुँह दूसरी तरफ़ मुड़े रहे ताकि बाप की बरहनगी नज़र न आए।
230  GEN 9:24  जब नूह होश में आया तो उसको पता ला कि सबसे छोटे बेटे ने क्या किया है।
244  GEN 10:9  रब के नज़दीक वह ज़बरदस्त शिकारी था। इसलिए आज भी किसी्छे शिकारी के बारे में कहा जाता है, “वह नमरूद की मानिंद है जो रब के नज़दीक ज़बरदस्त शिकारी था।”
246  GEN 10:11  उस मुल्क से निकलकर वह असूर ला गया जहाँ उसने नीनवा, रहोबोत-ईर, कलह
269  GEN 11:2  मशरिक़ की तरफ़ बढ़ते बढ़ते वह सिनार के एक मैदान में पहुँकर वहाँ आबाद हुए।
271  GEN 11:4  फिर वह कहने लगे, “आओ, हम अपने लिए शहर बना लें जिसमें ऐसा बुर्ज हो जो आसमान तक पहुँ जाए फिर हमारा नाम क़ायम रहेगा और हम रूए-ज़मीन पर बिखर जाने से जाएंगे।”
273  GEN 11:6  रब ने कहा, “यह लोग एक ही क़ौम हैं और एक ही ज़बान बोलते हैं। और यह सिर्फ़ उसका आग़ाज़ है जो वह करना ाहते हैं। अब से जो भी वह मिलकर करना ाहेंगे उससे उन्हें रोका नहीं जा सकेगा।
297  GEN 11:30  सारय बाँझ थी, इसलिए उसकेनहीं थे।
298  GEN 11:31  तारह कसदियों के ऊर से रवाना होकर मुल्के-कनान की तरफ़ सफ़र करने लगा। उसके साथ उसका बेटा अब्राम, उसका पोता लूत यानी हारान का बेटा और उस की बहू सारय थे। जब वह हारान पहुँतो वहाँ आबाद हो गए।