2 | GEN 1:2 | अभी तक ज़मीन वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी हुई थी जिसके ऊपर अंधेरा ही अंधेरा था। अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँडला रहा था। |
22 | GEN 1:22 | उसने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। समुंदर तुमसे भर जाए। इसी तरह परिंदे ज़मीन पर तादाद में बढ़ जाएँ।” |
28 | GEN 1:28 | अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर हुकूमत करो।” |
72 | GEN 3:16 | फिर रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं तेरी तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब तेरे बच्चे होंगे तो तू शदीद दर्द का शिकार होगी। तू अपने शौहर की तमन्ना करेगी लेकिन वह तुझ पर हुकूमत करेगा।” |
78 | GEN 3:22 | उसने कहा, “इनसान हमारी मानिंद हो गया है, वह अच्छे और बुरे का इल्म रखता है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर ज़िंदगी बख़्शनेवाले दरख़्त के फल से ले और उससे खाकर हमेशा तक ज़िंदा रहे।” |
84 | GEN 4:4 | हाबील ने भी नज़राना पेश किया, लेकिन उसने अपनी भेड़-बकरियों के कुछ पहलौठे उनकी चरबी समेत चढ़ाए। हाबील का नज़राना रब को पसंद आया, |
139 | GEN 6:1 | दुनिया में लोगों की तादाद बढ़ने लगी। उनके हाँ बेटियाँ पैदा हुईं। |
177 | GEN 7:17 | चालीस दिन तक तूफ़ानी सैलाब जारी रहा। पानी चढ़ा तो उसने कश्ती को ज़मीन पर से उठा लिया। |
178 | GEN 7:18 | पानी ज़ोर पकड़कर बहुत बढ़ गया, और कश्ती उस पर तैरने लगी। |
184 | GEN 7:24 | सैलाब डेढ़ सौ दिन तक ज़मीन पर ग़ालिब रहा। |
193 | GEN 8:9 | लेकिन कबूतर को कहीं भी बैठने की जगह न मिली, क्योंकि अब तक पूरी ज़मीन पर पानी ही पानी था। वह कश्ती और नूह के पास वापस आ गया, और नूह ने अपना हाथ बढ़ाया और कबूतर को पकड़कर अपने पास कश्ती में रख लिया। |
201 | GEN 8:17 | जितने भी जानवर साथ हैं उन्हें निकाल दे, ख़ाह परिंदे हों, ख़ाह ज़मीन पर फिरने या रेंगनेवाले जानवर। वह दुनिया में फैल जाएँ, नसल बढ़ाएँ और तादाद में बढ़ते जाएँ।” |
207 | GEN 9:1 | फिर अल्लाह ने नूह और उसके बेटों को बरकत देकर कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए। |
213 | GEN 9:7 | अब फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया में फैल जाओ।” |
233 | GEN 9:27 | अल्लाह करे कि याफ़त की हुदूद बढ़ जाएँ। याफ़त सिम के डेरों में रहे और कनान उसका ग़ुलाम हो।” |
269 | GEN 11:2 | मशरिक़ की तरफ़ बढ़ते बढ़ते वह सिनार के एक मैदान में पहुँचकर वहाँ आबाद हुए। |
301 | GEN 12:2 | मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा, तुझे बरकत दूँगा और तेरे नाम को बहुत बढ़ाऊँगा। तू दूसरों के लिए बरकत का बाइस होगा। |
347 | GEN 14:10 | इस वादी में तारकोल के मुतअद्दिद गढ़े थे। जब बाग़ी बादशाह शिकस्त खाकर भागने लगे तो सदूम और अमूरा के बादशाह इन गढ़ों में गिर गए जबकि बाक़ी तीन बादशाह बचकर पहाड़ी इलाक़े में फ़रार हुए। |
370 | GEN 15:9 | जवाब में रब ने कहा, “मेरे हुज़ूर एक तीन-साला गाय, एक तीन-साला बकरी और एक तीन-साला मेंढा ले आ। एक क़ुम्री और एक कबूतर का बच्चा भी ले आना।” |
392 | GEN 16:10 | मैं तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि उसे गिना नहीं जा सकेगा।” |
400 | GEN 17:2 | मैं तेरे साथ अपना अहद बाँधूँगा और तेरी औलाद को बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा।” |
418 | GEN 17:20 | मैं इसमाईल के सिलसिले में भी तेरी दरख़ास्त पूरी करूँगा। मैं उसे भी बरकत देकर फलने फूलने दूँगा और उस की औलाद बहुत ही ज़्यादा बढ़ा दूँगा। वह बारह रईसों का बाप होगा, और मैं उस की मारिफ़त एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा। |
428 | GEN 18:3 | उसने कहा, “मेरे आक़ा, अगर मुझ पर आपके करम की नज़र है तो आगे न बढ़ें बल्कि कुछ देर अपने बंदे के घर ठहरें। |
430 | GEN 18:5 | साथ साथ मैं आपके लिए थोड़ा-बहुत खाना भी ले आऊँ ताकि आप तक़वियत पाकर आगे बढ़ सकें। मुझे यह करने दें, क्योंकि आप अपने ख़ादिम के घर आ गए हैं।” उन्होंने कहा, “ठीक है। जो कुछ तूने कहा है वह कर।” |
436 | GEN 18:11 | दोनों मियाँ-बीवी बूढ़े हो चुके थे और सारा उस उम्र से गुज़र चुकी थी जिसमें औरतों के बच्चे पैदा होते हैं। |
437 | GEN 18:12 | इसलिए सारा अंदर ही अंदर हँस पड़ी और सोचा, “यह कैसे हो सकता है? क्या जब मैं बुढ़ापे के बाइस घिसे-फटे लिबास की मानिंद हूँ तो जवानी के जोबन का लुत्फ़ उठाऊँ? और मेरा शौहर भी बूढ़ा है।” |
462 | GEN 19:4 | वह अभी सोने के लिए लेटे नहीं थे कि शहर के जवानों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों ने लूत के घर को घेर लिया। |
467 | GEN 19:9 | उन्होंने कहा, “रास्ते से हट जा! देखो, यह शख़्स जब हमारे पास आया था तो अजनबी था, और अब यह हम पर हाकिम बनना चाहता है। अब तेरे साथ उनसे ज़्यादा बुरा सुलूक करेंगे।” वह उसे मजबूर करते करते दरवाज़े को तोड़ने के लिए आगे बढ़े। |
469 | GEN 19:11 | उन्होंने छोटों से लेकर बड़ों तक बाहर के तमाम आदमियों को अंधा कर दिया, और वह दरवाज़े को ढूँडते ढूँडते थक गए। |
489 | GEN 19:31 | एक दिन बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, “अब्बू बूढ़ा है और यहाँ कोई मर्द है नहीं जिसके ज़रीए हमारे बच्चे पैदा हो सकें। |
516 | GEN 21:2 | वह हामिला हुई और बेटा पैदा हुआ। ऐन उस वक़्त बूढ़े इब्राहीम के हाँ बेटा पैदा हुआ जो अल्लाह ने मुक़र्रर करके उसे बताया था। |
521 | GEN 21:7 | इससे पहले कौन इब्राहीम से यह कहने की जुर्रत कर सकता था कि सारा अपने बच्चों को दूध पिलाएगी? और अब मेरे हाँ बेटा पैदा हुआ है, अगरचे इब्राहीम बूढ़ा हो गया है।” |
556 | GEN 22:8 | इब्राहीम ने जवाब दिया, “अल्लाह ख़ुद क़ुरबानी के लिए जानवर मुहैया करेगा, बेटा।” वह आगे बढ़ गए। |
561 | GEN 22:13 | अचानक इब्राहीम को एक मेंढा नज़र आया जिसके सींग गुंजान झाड़ियों में फँसे हुए थे। इब्राहीम ने उसे ज़बह करके अपने बेटे की जगह क़ुरबानी के तौर पर जला दिया। |
593 | GEN 24:1 | इब्राहीम अब बहुत बूढ़ा हो गया था। रब ने उसे हर लिहाज़ से बरकत दी थी। |
628 | GEN 24:36 | जब मेरे मालिक की बीवी बूढ़ी हो गई थी तो उसके बेटा पैदा हुआ था। इब्राहीम ने उसे अपनी पूरी मिलकियत दे दी है। |
657 | GEN 24:65 | नौकर से पूछा, “वह आदमी कौन है जो मैदान में हमसे मिलने आ रहा है?” नौकर ने कहा, “मेरा मालिक है।” यह सुनकर रिबक़ा ने चादर लेकर अपने चेहरे को ढाँप लिया। |
706 | GEN 26:13 | और वह अमीर हो गया। उस की दौलत बढ़ती गई, और वह निहायत दौलतमंद हो गया। |
729 | GEN 27:1 | इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े बेटे को बुलाकर कहा, “बेटा।” एसौ ने जवाब दिया, “जी, मैं हाज़िर हूँ।” |
730 | GEN 27:2 | इसहाक़ ने कहा, “मैं बूढ़ा हो गया हूँ और ख़ुदा जाने कब मर जाऊँ। |
786 | GEN 28:12 | जब वह सो रहा था तो ख़ाब में एक सीढ़ी देखी जो ज़मीन से आसमान तक पहुँचती थी। फ़रिश्ते उस पर चढ़ते और उतरते नज़र आते थे। |
799 | GEN 29:3 | वहाँ पानी पिलाने का यह तरीक़ा था कि पहले चरवाहे तमाम रेवड़ों का इंतज़ार करते और फिर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा देते थे। पानी पिलाने के बाद वह पत्थर को दुबारा मुँह पर रख देते थे। |
804 | GEN 29:8 | उन्होंने जवाब दिया, “पहले ज़रूरी है कि तमाम रेवड़ यहाँ पहुँचें। तब ही पत्थर को लुढ़काकर एक तरफ़ हटाया जाएगा और हम रेवड़ों को पानी पिलाएँगे।” |
806 | GEN 29:10 | जब याक़ूब ने राख़िल को मामूँ लाबन के रेवड़ के साथ आते देखा तो उसने कुएँ के पास जाकर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा दिया और भेड़-बकरियों को पानी पिलाया। |
860 | GEN 30:29 | याक़ूब ने कहा, “आप जानते हैं कि मैंने किस तरह आपके लिए काम किया, कि मेरे वसीले से आपके मवेशी कितने बढ़ गए हैं। |
861 | GEN 30:30 | जो थोड़ा-बहुत मेरे आने से पहले आपके पास था वह अब बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। रब ने मेरे काम से आपको बहुत बरकत दी है। अब वह वक़्त आ गया है कि मैं अपने घर के लिए कुछ करूँ।” |
884 | GEN 31:10 | अब ऐसा हुआ कि हैवानों की मस्ती के मौसम में मैंने एक ख़ाब देखा। उसमें जो मेंढे और बकरे भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे थे उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ थीं। |
886 | GEN 31:12 | फ़रिश्ते ने कहा, ‘अपनी नज़र उठाकर उस पर ग़ौर कर जो हो रहा है। वह तमाम मेंढे और बकरे जो भेड़-बकरियों से मिलाप कर रहे हैं उनके जिस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धारियाँ हैं। मैं यह ख़ुद करवा रहा हूँ, क्योंकि मैंने वह सब कुछ देख लिया है जो लाबन ने तेरे साथ किया है। |
907 | GEN 31:33 | लाबन याक़ूब के ख़ैमे में दाख़िल हुआ और ढूँडने लगा। वहाँ से निकलकर वह लियाह के ख़ैमे में और दोनों लौंडियों के ख़ैमे में गया। लेकिन उसके बुत कहीं नज़र न आए। आख़िर में वह राख़िल के ख़ैमे में दाख़िल हुआ। |
909 | GEN 31:35 | राख़िल ने अपने बाप से कहा, “अब्बू, मुझसे नाराज़ न होना कि मैं आपके सामने खड़ी नहीं हो सकती। मैं ऐयामे-माहवारी के सबब से उठ नहीं सकती।” लाबन उसे छोड़कर ढूँडता रहा, लेकिन कुछ न मिला। |
912 | GEN 31:38 | मैं बीस साल तक आपके साथ रहा हूँ। उस दौरान आपकी भेड़-बकरियाँ बच्चों से महरूम नहीं रहीं बल्कि मैंने आपका एक मेंढा भी नहीं खाया। |
918 | GEN 31:44 | इसलिए आओ, हम एक दूसरे के साथ अहद बाँधें। इसके लिए हम यहाँ पत्थरों का ढेर लगाएँ जो अहद की गवाही देता रहे।” |
920 | GEN 31:46 | उसने अपने रिश्तेदारों से कहा, “कुछ पत्थर जमा करें।” उन्होंने पत्थर जमा करके ढेर लगा दिया। फिर उन्होंने उस ढेर के पास बैठकर खाना खाया। |
921 | GEN 31:47 | लाबन ने उसका नाम यजर-शाहदूथा रखा जबकि याक़ूब ने जल-एद रखा। दोनों नामों का मतलब ‘गवाही का ढेर’ है यानी वह ढेर जो गवाही देता है। |
922 | GEN 31:48 | लाबन ने कहा, “आज हम दोनों के दरमियान यह ढेर अहद की गवाही देता है।” इसलिए उसका नाम जल-एद रखा गया। |
925 | GEN 31:51 | यहाँ यह ढेर है जो मैंने लगा दिया है और यहाँ यह सतून भी है। |
926 | GEN 31:52 | यह ढेर और सतून दोनों इसके गवाह हैं कि न मैं यहाँ से गुज़रकर आपको नुक़सान पहुँचाऊँगा और न आप यहाँ से गुज़रकर मुझे नुक़सान पहुँचाएँगे। |
928 | GEN 31:54 | उसने पहाड़ पर एक जानवर क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाया और अपने रिश्तेदारों को खाना खाने की दावत दी। उन्होंने खाना खाकर वहीं पहाड़ पर रात गुज़ारी। |
941 | GEN 32:13 | तूने ख़ुद कहा था, ‘मैं तुझे कामयाबी दूँगा और तेरी औलाद इतनी बढ़ाऊँगा कि वह समुंदर की रेत की मानिंद बेशुमार होगी’।” |
943 | GEN 32:15 | 200 बकरियाँ, 20 बकरे, 200 भेड़ें, 20 मेंढे, |
1006 | GEN 34:25 | तीन दिन के बाद जब ख़तने के सबब से लोगों की हालत बुरी थी तो दीना के दो भाई शमौन और लावी अपनी तलवारें लेकर शहर में दाख़िल हुए। किसी को शक तक नहीं था कि क्या कुछ होगा। अंदर जाकर उन्होंने बच्चों से लेकर बूढ़ों तक तमाम मर्दों को क़त्ल कर दिया |
1023 | GEN 35:11 | अल्लाह ने यह भी उससे कहा, “मैं अल्लाह क़ादिरे-मुतलक़ हूँ। फल-फूल और तादाद में बढ़ता जा। एक क़ौम नहीं बल्कि बहुत-सी क़ौमें तुझसे निकलेंगी। तेरी औलाद में बादशाह भी शामिल होंगे। |
1087 | GEN 37:3 | याक़ूब यूसुफ़ को अपने तमाम बेटों की निसबत ज़्यादा प्यार करता था। वजह यह थी कि वह तब पैदा हुआ जब बाप बूढ़ा था। इसलिए याक़ूब ने उसके लिए एक ख़ास रंगदार लिबास बनवाया। |
1092 | GEN 37:8 | उसके भाइयों ने कहा, “अच्छा, तू बादशाह बनकर हम पर हुकूमत करेगा?” उसके ख़ाबों और उस की बातों के सबब से उनकी उससे नफ़रत मज़ीद बढ़ गई। |
1099 | GEN 37:15 | वहाँ वह इधर-उधर फिरता रहा। आख़िरकार एक आदमी उससे मिला और पूछा, “आप क्या ढूँड रहे हैं?” |
1104 | GEN 37:20 | आओ, हम उसे मार डालें और उस की लाश किसी गढ़े में फेंक दें। हम कहेंगे कि किसी वहशी जानवर ने उसे फाड़ खाया है। फिर पता चलेगा कि उसके ख़ाबों की क्या हक़ीक़त है।” |
1106 | GEN 37:22 | उसका ख़ून न करना। बेशक उसे इस गढ़े में फेंक दें जो रेगिस्तान में है, लेकिन उसे हाथ न लगाएँ।” उसने यह इसलिए कहा कि वह उसे बचाकर बाप के पास वापस पहुँचाना चाहता था। |
1108 | GEN 37:24 | यूसुफ़ को गढ़े में फेंक दिया। गढ़ा ख़ाली था, उसमें पानी नहीं था। |
1112 | GEN 37:28 | चुनाँचे जब मिदियानी ताजिर वहाँ से गुज़रे तो भाइयों ने यूसुफ़ को खींचकर गढ़े से निकाला और चाँदी के 20 सिक्कों के एवज़ बेच डाला। इसमाईली उसे लेकर मिसर चले गए। |
1113 | GEN 37:29 | उस वक़्त रूबिन मौजूद नहीं था। जब वह गढ़े के पास वापस आया तो यूसुफ़ उसमें नहीं था। यह देखकर उसने परेशानी में अपने कपड़े फाड़ डाले। |
1118 | GEN 37:34 | याक़ूब ने ग़म के मारे अपने कपड़े फाड़े और अपनी कमर से टाट ओढ़कर बड़ी देर तक अपने बेटे के लिए मातम करता रहा। |
1188 | GEN 40:15 | क्योंकि मुझे इबरानियों के मुल्क से इग़वा करके यहाँ लाया गया है, और यहाँ भी मुझसे कोई ऐसी ग़लती नहीं हुई कि मुझे इस गढ़े में फेंका जाता।” |
1291 | GEN 42:38 | लेकिन याक़ूब ने कहा, “मेरा बेटा तुम्हारे साथ जाने का नहीं। क्योंकि उसका भाई मर गया है और वह अकेला ही रह गया है। अगर उसको रास्ते में जानी नुक़सान पहुँचे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म के मारे पाताल में पहुँचाओगे।” |
1318 | GEN 43:27 | उसने उनसे ख़ैरियत दरियाफ़्त की और फिर कहा, “तुमने अपने बूढ़े बाप का ज़िक्र किया। क्या वह ठीक हैं? क्या वह अब तक ज़िंदा हैं?” |
1345 | GEN 44:20 | हमने जवाब दिया, ‘हमारा बाप है। वह बूढ़ा है। हमारा एक छोटा भाई भी है जो उस वक़्त पैदा हुआ जब हमारा बाप उम्ररसीदा था। उस लड़के का भाई मर चुका है। उस की माँ के सिर्फ़ यह दो बेटे पैदा हुए। अब वह अकेला ही रह गया है। उसका बाप उसे शिद्दत से प्यार करता है।’ |
1354 | GEN 44:29 | अगर इसको भी मुझसे ले जाने की वजह से जानी नुक़सान पहुँचे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म के मारे पाताल में पहुँचाओगे’।” |
1355 | GEN 44:30 | यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, “जनाबे-आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास जाऊँ और वह देखें कि लड़का मेरे साथ नहीं है तो वह दम तोड़ देंगे। उनकी ज़िंदगी इस क़दर लड़के की ज़िंदगी पर मुनहसिर है और वह इतने बूढ़े हैं कि हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक पहुँचा देंगे। |
1388 | GEN 46:1 | याक़ूब सब कुछ लेकर रवाना हुआ और बैर-सबा पहुँचा। वहाँ उसने अपने बाप इसहाक़ के ख़ुदा के हुज़ूर क़ुरबानियाँ चढ़ाईं। |
1434 | GEN 47:13 | काल इतना सख़्त था कि कहीं भी रोटी नहीं मिलती थी। मिसर और कनान में लोग निढाल हो गए। |
1448 | GEN 47:27 | इसराईली मिसर में जुशन के इलाक़े में आबाद हुए। वहाँ उन्हें ज़मीन मिली, और वह फले-फूले और तादाद में बहुत बढ़ गए। |
1456 | GEN 48:4 | कहा, ‘मैं तुझे फलने फूलने दूँगा और तेरी औलाद बढ़ा दूँगा बल्कि तुझसे बहुत-सी क़ौमें निकलने दूँगा। और मैं तेरी औलाद को यह मुल्क हमेशा के लिए दे दूँगा।’ |
1462 | GEN 48:10 | बूढ़ा होने के सबब से याक़ूब की आँखें कमज़ोर थीं। वह अच्छी तरह देख नहीं सकता था। यूसुफ़ अपने बेटों को याक़ूब के पास ले आया तो उसने उन्हें बोसा देकर गले लगाया |
1466 | GEN 48:14 | लेकिन याक़ूब ने अपना दहना हाथ बाईं तरफ़ बढ़ाकर इफ़राईम के सर पर रखा अगरचे वह छोटा था। इस तरह उसने अपना बायाँ हाथ दाईं तरफ़ बढ़ाकर मनस्सी के सर पर रखा जो बड़ा था। |
1468 | GEN 48:16 | जिस फ़रिश्ते ने एवज़ाना देकर मुझे हर नुक़सान से बचाया है वह इन्हें बरकत दे। अल्लाह करे कि इनमें मेरा नाम और मेरे बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ के नाम जीते रहें। दुनिया में इनकी औलाद की तादाद बहुत बढ़ जाए।” |
1496 | GEN 49:22 | यूसुफ़ फलदार बेल है। वह चश्मे पर लगी हुई फलदार बेल है जिसकी शाख़ें दीवार पर चढ़ गई हैं। |
1540 | EXO 1:7 | इसराईली फले-फूले और तादाद में बहुत बढ़ गए। नतीजे में वह निहायत ही ताक़तवर हो गए। पूरा मुल्क उनसे भर गया। |
1542 | EXO 1:9 | उसने अपने लोगों से कहा, “इसराईलियों को देखो। वह तादाद और ताक़त में हमसे बढ़ गए हैं। |
1543 | EXO 1:10 | आओ, हम हिकमत से काम लें, वरना वह मज़ीद बढ़ जाएंगे। ऐसा न हो कि वह किसी जंग के मौक़े पर दुश्मन का साथ देकर हमसे लड़ें और मुल्क को छोड़ जाएँ।” |
1545 | EXO 1:12 | लेकिन जितना इसराईलियों को दबाया गया उतना ही वह तादाद में बढ़ते और फैलते गए। आख़िरकार मिसरी उनसे दहशत खाने लगे, |
1553 | EXO 1:20 | चुनाँचे अल्लाह ने दाइयों को बरकत दी, और इसराईली क़ौम तादाद में बढ़कर बहुत ताक़तवर हो गई। |
1558 | EXO 2:3 | जब वह उसे और ज़्यादा न छुपा सकी तो उसने आबी नरसल से टोकरी बनाकर उस पर तारकोल चढ़ाया। फिर उसने बच्चे को टोकरी में रखकर टोकरी को दरियाए-नील के किनारे पर उगे हुए सरकंडों में रख दिया। |
1562 | EXO 2:7 | अब बच्चे की बहन फ़िरौन की बेटी के पास गई और पूछा, “क्या मैं बच्चे को दूध पिलाने के लिए कोई इबरानी औरत ढूँड लाऊँ?” |
1586 | EXO 3:6 | मैं तेरे बाप का ख़ुदा, इब्राहीम का ख़ुदा, इसहाक़ का ख़ुदा और याक़ूब का ख़ुदा हूँ।” यह सुनकर मूसा ने अपना मुँह ढाँक लिया, क्योंकि वह अल्लाह को देखने से डरा। |
1589 | EXO 3:9 | इसराईलियों की चीख़ें मुझ तक पहुँची हैं। मैंने देखा है कि मिसरी उन पर किस तरह का ज़ुल्म ढा रहे हैं। |