1 | GEN 1:1 | इब्तिदा में अल्लाह ने आसमान और ज़मीन को बनाया। |
4 | GEN 1:4 | अल्लाह ने देखा कि रौशनी अच्छी है, और उसने रौशनी को तारीकी से अलग कर दिया। |
5 | GEN 1:5 | अल्लाह ने रौशनी को दिन का नाम दिया और तारीकी को रात का। शाम हुई, फिर सुबह। यों पहला दिन गुज़र गया। |
6 | GEN 1:6 | अल्लाह ने कहा, “पानी के दरमियान एक ऐसा गुंबद पैदा हो जाए जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो जाए।” |
7 | GEN 1:7 | ऐसा ही हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया जिससे निचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो गया। |
8 | GEN 1:8 | अल्लाह ने गुंबद को आसमान का नाम दिया। शाम हुई, फिर सुबह। यों दूसरा दिन गुज़र गया। |
10 | GEN 1:10 | अल्लाह ने ख़ुश्क जगह को ज़मीन का नाम दिया और जमाशुदा पानी को समुंदर का। और अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। |
11 | GEN 1:11 | फिर उसने कहा, “ज़मीन हरियावल पैदा करे, ऐसे पौदे जो बीज रखते हों और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते हों।” ऐसा ही हुआ। |
12 | GEN 1:12 | ज़मीन ने हरियावल पैदा की, ऐसे पौदे जो अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते और ऐसे दरख़्त जिनके फल अपनी अपनी क़िस्म के बीज रखते थे। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। |
13 | GEN 1:13 | शाम हुई, फिर सुबह। यों तीसरा दिन गुज़र गया। |
14 | GEN 1:14 | अल्लाह ने कहा, “आसमान पर रौशनियाँ पैदा हो जाएँ ताकि दिन और रात में इम्तियाज़ हो और इसी तरह मुख़्तलिफ़ मौसमों, दिनों और सालों में भी। |
15 | GEN 1:15 | आसमान की यह रौशनियाँ दुनिया को रौशन करें।” ऐसा ही हुआ। |
16 | GEN 1:16 | अल्लाह ने दो बड़ी रौशनियाँ बनाईं, सूरज जो बड़ा था दिन पर हुकूमत करने को और चाँद जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने सितारों को भी बनाया। |
17 | GEN 1:17 | उसने उन्हें आसमान पर रखा ताकि वह दुनिया को रौशन करें, |
18 | GEN 1:18 | दिन और रात पर हुकूमत करें और रौशनी और तारीकी में इम्तियाज़ पैदा करें। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। |
19 | GEN 1:19 | शाम हुई, फिर सुबह। यों चौथा दिन गुज़र गया। |
21 | GEN 1:21 | अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, पानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर क़िस्म के पर रखनेवाले जानदार भी बनाए। अल्लाह ने देखा कि यह अच्छा है। |
23 | GEN 1:23 | शाम हुई, फिर सुबह। यों पाँचवाँ दिन गुज़र गया। |
25 | GEN 1:25 | अल्लाह ने हर क़िस्म के मवेशी, रेंगनेवाले और जंगली जानवर बनाए। उसने देखा कि यह अच्छा है। |
26 | GEN 1:26 | अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को अपनी सूरत पर बनाएँ, वह हमसे मुशाबहत रखे। वह तमाम जानवरों पर हुकूमत करे, समुंदर की मछलियों पर, हवा के परिंदों पर, मवेशियों पर, जंगली जानवरों पर और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर।” |
27 | GEN 1:27 | यों अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया, अल्लाह की सूरत पर। उसने उन्हें मर्द और औरत बनाया। |
28 | GEN 1:28 | अल्लाह ने उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ। दुनिया तुमसे भर जाए और तुम उस पर इख़्तियार रखो। समुंदर की मछलियों, हवा के परिंदों और ज़मीन पर के तमाम रेंगनेवाले जानदारों पर हुकूमत करो।” |
30 | GEN 1:30 | इस तरह मैं तमाम जानवरों को खाने के लिए हरियाली देता हूँ। जिसमें भी जान है वह यह खा सकता है, ख़ाह वह ज़मीन पर चलने-फिरनेवाला जानवर, हवा का परिंदा या ज़मीन पर रेंगनेवाला क्यों न हो।” ऐसा ही हुआ। |
31 | GEN 1:31 | अल्लाह ने सब पर नज़र की तो देखा कि वह बहुत अच्छा बन गया है। शाम हुई, फिर सुबह। छटा दिन गुज़र गया। |
32 | GEN 2:1 | यों आसमानो-ज़मीन और उनकी तमाम चीज़ों की तख़लीक़ मुकम्मल हुई। |
33 | GEN 2:2 | सातवें दिन अल्लाह का सारा काम तकमील को पहुँचा। इससे फ़ारिग़ होकर उसने आराम किया। |
34 | GEN 2:3 | अल्लाह ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस किया। क्योंकि उस दिन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से फ़ारिग़ होकर आराम किया। |
35 | GEN 2:4 | यह आसमानो-ज़मीन की तख़लीक़ का बयान है। जब रब ख़ुदा ने आसमानो-ज़मीन को बनाया |
36 | GEN 2:5 | तो शुरू में झाड़ियाँ और पौदे नहीं उगते थे। वजह यह थी कि अल्लाह ने बारिश का इंतज़ाम नहीं किया था। और अभी इनसान भी पैदा नहीं हुआ था कि ज़मीन की खेतीबाड़ी करता। |
38 | GEN 2:7 | फिर रब ख़ुदा ने ज़मीन से मिट्टी लेकर इनसान को तश्कील दिया और उसके नथनों में ज़िंदगी का दम फूँका तो वह जीती जान हुआ। |
39 | GEN 2:8 | रब ख़ुदा ने मशरिक़ में मुल्के-अदन में एक बाग़ लगाया। उसमें उसने उस आदमी को रखा जिसे उसने बनाया था। |
41 | GEN 2:10 | अदन में से एक दरिया निकलकर बाग़ की आबपाशी करता था। वहाँ से बहकर वह चार शाख़ों में तक़सीम हुआ। |
47 | GEN 2:16 | लेकिन रब ख़ुदा ने उसे आगाह किया, “तुझे हर दरख़्त का फल खाने की इजाज़त है। |
48 | GEN 2:17 | लेकिन जिस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे की पहचान दिलाता है उसका फल खाना मना है। अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरेगा।” |
50 | GEN 2:19 | रब ख़ुदा ने मिट्टी से ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले जानवर और हवा के परिंदे बनाए थे। अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया ताकि मालूम हो जाए कि वह उनके क्या क्या नाम रखेगा। यों हर जानवर को आदम की तरफ़ से नाम मिल गया। |
51 | GEN 2:20 | आदमी ने तमाम मवेशियों, परिंदों और ज़मीन पर फिरनेवाले जानदारों के नाम रखे। लेकिन उसे अपने लिए कोई मुनासिब मददगार न मिला। |
52 | GEN 2:21 | तब रब ख़ुदा ने उसे सुला दिया। जब वह गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसलियों में से एक निकालकर उस की जगह गोश्त भर दिया। |
53 | GEN 2:22 | पसली से उसने औरत बनाई और उसे आदमी के पास ले आया। |
54 | GEN 2:23 | उसे देखकर वह पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जैसी ही है, मेरी हड्डियों में से हड्डी और मेरे गोश्त में से गोश्त है। इसका नाम नारी रखा जाए क्योंकि वह नर से निकाली गई है।” |
56 | GEN 2:25 | दोनों, आदमी और औरत नंगे थे, लेकिन यह उनके लिए शर्म का बाइस नहीं था। |
57 | GEN 3:1 | साँप ज़मीन पर चलने-फिरनेवाले उन तमाम जानवरों से ज़्यादा चालाक था जिनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा कि बाग़ के किसी भी दरख़्त का फल न खाना?” |
58 | GEN 3:2 | औरत ने जवाब दिया, “हरगिज़ नहीं। हम बाग़ का हर फल खा सकते हैं, |
59 | GEN 3:3 | सिर्फ़ उस दरख़्त के फल से गुरेज़ करना है जो बाग़ के बीच में है। अल्लाह ने कहा कि उसका फल न खाओ बल्कि उसे छूना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओगे।” |
62 | GEN 3:6 | औरत ने दरख़्त पर ग़ौर किया कि खाने के लिए अच्छा और देखने में भी दिलकश है। सबसे दिलफ़रेब बात यह कि उससे समझ हासिल हो सकती है! यह सोचकर उसने उसका फल लेकर उसे खाया। फिर उसने अपने शौहर को भी दे दिया, क्योंकि वह उसके साथ था। उसने भी खा लिया। |
63 | GEN 3:7 | लेकिन खाते ही उनकी आँखें खुल गईं और उनको मालूम हुआ कि हम नंगे हैं। चुनाँचे उन्होंने अंजीर के पत्ते सीकर लुंगियाँ बना लीं। |
66 | GEN 3:10 | आदम ने जवाब दिया, “मैंने तुझे बाग़ में चलते हुए सुना तो डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ। इसलिए मैं छुप गया।” |
67 | GEN 3:11 | उसने पूछा, “किसने तुझे बताया कि तू नंगा है? क्या तूने उस दरख़्त का फल खाया है जिसे खाने से मैंने मना किया था?” |
68 | GEN 3:12 | आदम ने कहा, “जो औरत तूने मेरे साथ रहने के लिए दी है उसने मुझे फल दिया। इसलिए मैंने खा लिया।” |
69 | GEN 3:13 | अब रब ख़ुदा औरत से मुख़ातिब हुआ, “तूने यह क्यों किया?” औरत ने जवाब दिया, “साँप ने मुझे बहकाया तो मैंने खाया।” |