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12706 | नीज़, मैंने ध्यान दिया कि फ़सल की पहली पैदावार और क़ुरबानियों को जलाने की लकड़ी वक़्त पर रब के घर में पहुँचाई जाए। ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे याद करके मुझ पर मेहरबानी कर!। | |
16470 | जिसमें भी साँस है वह रब की सताइश करे। रब की हम्द हो!। | |
17385 | उसे उस की मेहनत का अज्र दो! शहर के दरवाज़ों में उसके काम उस की सताइश करें!। | |
17724 | ऐ मेरे महबूब, ग़ज़ाल या जवान हिरन की तरह बलसान के पहाड़ों की जानिब भाग जा!। |