393 | GEN 16:11 | रब के फ़रिश्ते ने मज़ीद कहा, “तू उम्मीद से है। एक बेटा पैदा होगा। उसका नाम इसमाईल यानी ‘अल्लाह सुनता है’ रख, क्योंकि रब ने मुसीबत में तेरी आवाज़ सुनी। |
395 | GEN 16:13 | रब के उसके साथ बात करने के बाद हाजिरा ने उसका नाम अत्ताएल-रोई यानी ‘तू एक माबूद है जो मुझे देखता है’ रखा। उसने कहा, “क्या मैंने वाक़ई उसके पीछे देखा है जिसने मुझे देखा है?” |
396 | GEN 16:14 | इसलिए उस जगह के कुएँ का नाम ‘बैर-लही-रोई’ यानी ‘उस ज़िंदा हस्ती का कुआँ जो मुझे देखता है’ पड़ गया। वह क़ादिस और बरद के दरमियान वाक़े है। |
403 | GEN 17:5 | अब से तू अब्राम यानी ‘अज़ीम बाप’ नहीं कहलाएगा बल्कि तेरा नाम इब्राहीम यानी ‘बहुत क़ौमों का बाप’ होगा। क्योंकि मैंने तुझे बहुत क़ौमों का बाप बना दिया है। |
417 | GEN 17:19 | अल्लाह ने कहा, “नहीं, तेरी बीवी सारा के हाँ बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखना। मैं उसके और उस की औलाद के साथ अबदी अहद बाँधूँगा। |
517 | GEN 21:3 | इब्राहीम ने अपने इस बेटे का नाम इसहाक़ यानी ‘वह हँसता है’ रखा। |
545 | GEN 21:31 | इसलिए उस जगह का नाम बैर-सबा यानी ‘क़सम का कुआँ’ रखा गया, क्योंकि वहाँ उन दोनों मर्दों ने क़सम खाई। |
685 | GEN 25:26 | इसके बाद दूसरा बच्चा पैदा हुआ। वह एसौ की एड़ी पकड़े हुए निकला, इसलिए उसका नाम याक़ूब यानी ‘एड़ी पकड़नेवाला’ रखा गया। उस वक़्त इसहाक़ 60 साल का था। |
715 | GEN 26:22 | वहाँ से जाकर उसने एक तीसरा कुआँ खुदवाया। इस दफ़ा कोई झगड़ा न हुआ, इसलिए उसने उसका नाम रहोबोत यानी ‘खुली जगह’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “रब ने हमें खुली जगह दी है, और अब हम मुल्क में फलें-फूलेंगे।” |
793 | GEN 28:19 | उसने मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले साथवाले शहर का नाम लूज़ था)। |
828 | GEN 29:32 | लियाह हामिला हुई और उसके बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “रब ने मेरी मुसीबत देखी है और अब मेरा शौहर मुझे प्यार करेगा।” उसने उसका नाम रूबिन यानी ‘देखो एक बेटा’ रखा। |
829 | GEN 29:33 | वह दुबारा हामिला हुई। एक और बेटा पैदा हुआ। उसने कहा, “रब ने सुना कि मुझसे नफ़रत की जाती है, इसलिए उसने मुझे यह भी दिया है।” उसने उसका नाम शमौन यानी ‘रब ने सुना है’ रखा। |
837 | GEN 30:6 | राख़िल ने कहा, “अल्लाह ने मेरे हक़ में फ़ैसला दिया है। उसने मेरी दुआ सुनकर मुझे बेटा दे दिया है।” उसने उसका नाम दान यानी ‘किसी के हक़ में फ़ैसला करनेवाला’ रखा। |
839 | GEN 30:8 | राख़िल ने कहा, “मैंने अपनी बहन से सख़्त कुश्ती लड़ी है, लेकिन जीत गई हूँ।” उसने उसका नाम नफ़ताली यानी ‘कुश्ती में मुझसे जीता गया’ रखा। |
855 | GEN 30:24 | रब मुझे एक और बेटा दे।” उसने उसका नाम यूसुफ़ यानी ‘वह और दे’ रखा। |
882 | GEN 31:8 | जब मामूँ लाबन कहते थे, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धब्बे हों वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धब्बे ही थे। जब उन्होंने कहा, ‘जिन जानवरों के जिस्म पर धारियाँ होंगी वही आपको उजरत के तौर पर मिलेंगे’ तो तमाम भेड़-बकरियों के ऐसे बच्चे पैदा हुए जिनके जिस्मों पर धारियाँ ही थीं। |
921 | GEN 31:47 | लाबन ने उसका नाम यजर-शाहदूथा रखा जबकि याक़ूब ने जल-एद रखा। दोनों नामों का मतलब ‘गवाही का ढेर’ है यानी वह ढेर जो गवाही देता है। |
923 | GEN 31:49 | उसका एक और नाम मिसफ़ाह यानी ‘पहरेदारों का मीनार’ भी रखा गया। क्योंकि लाबन ने कहा, “रब हम पर पहरा दे जब हम एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। |
931 | GEN 32:3 | उन्हें देखकर उसने कहा, “यह अल्लाह की लशकरगाह है।” उसने उस मक़ाम का नाम महनायम यानी ‘दो लशकरगाहें’ रखा। |
957 | GEN 32:29 | आदमी ने कहा, “अब से तेरा नाम याक़ूब नहीं बल्कि इसराईल यानी ‘वह अल्लाह से लड़ता है’ होगा। क्योंकि तू अल्लाह और आदमियों के साथ लड़कर ग़ालिब आया है।” |
1019 | GEN 35:7 | याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाकर मक़ाम का नाम बैतेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा। क्योंकि वहाँ अल्लाह ने अपने आपको उस पर ज़ाहिर किया था जब वह अपने भाई से फ़रार हो रहा था। |
1020 | GEN 35:8 | वहाँ रिबक़ा की दाया दबोरा मर गई। वह बैतेल के जुनूब में बलूत के दरख़्त के नीचे दफ़न हुई, इसलिए उसका नाम अल्लोन-बकूत यानी ‘रोने का बलूत का दरख़्त’ रखा गया। |
1030 | GEN 35:18 | लेकिन वह दम तोड़नेवाली थी, और मरते मरते उसने उसका नाम बिन-ऊनी यानी ‘मेरी मुसीबत का बेटा’ रखा। लेकिन उसके बाप ने उसका नाम बिनयमीन यानी ‘दहने हाथ या ख़ुशक़िसमती का बेटा’ रखा। |
1247 | GEN 41:51 | उसने पहले का नाम मनस्सी यानी ‘जो भुला देता है’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “अल्लाह ने मेरी मुसीबत और मेरे बाप का घराना मेरी याददाश्त से निकाल दिया है।” |
1248 | GEN 41:52 | दूसरे का नाम उसने इफ़राईम यानी ‘दुगना फलदार’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “अल्लाह ने मुझे मेरी मुसीबत के मुल्क में फलने फूलने दिया है।” |
1518 | GEN 50:11 | जब मक़ामी कनानियों ने अतद के खलियान पर मातम का यह नज़ारा देखा तो उन्होंने कहा, “यह तो मातम का बहुत बड़ा इंतज़ाम है जो मिसरी करवा रहे हैं।” इसलिए उस जगह का नाम अबील-मिसरीम यानी ‘मिसरियों का मातम’ पड़ गया। |
1565 | EXO 2:10 | जब बच्चा बड़ा हुआ तो उस की माँ उसे फ़िरौन की बेटी के पास ले गई, और वह उसका बेटा बन गया। फ़िरौन की बेटी ने उसका नाम मूसा यानी ‘निकाला गया’ रखकर कहा, “मैं उसे पानी से निकाल लाई हूँ।” |
1577 | EXO 2:22 | सफ़्फ़ूरा के बेटा पैदा हुआ तो मूसा ने कहा, “इसका नाम जैरसोम यानी ‘अजनबी मुल्क में परदेसी’ हो, क्योंकि मैं अजनबी मुल्क में परदेसी हूँ।” |
1628 | EXO 4:26 | तब अल्लाह ने मूसा को छोड़ दिया। सफ़्फ़ूरा ने उसे ख़तने के बाइस ही ‘ख़ूनी दूल्हा’ कहा था। |
1991 | EXO 17:7 | उसने उस जगह का नाम मस्सा और मरीबा यानी ‘आज़माना और झगड़ना’ रखा, क्योंकि वहाँ इसराईली बुड़बुड़ाए और यह पूछकर रब को आज़माया कि क्या रब हमारे दरमियान है कि नहीं? |
1999 | EXO 17:15 | उस वक़्त मूसा ने क़ुरबानगाह बनाकर उसका नाम ‘रब मेरा झंडा है’ रखा। |
2003 | EXO 18:3 | यितरो मूसा के दोनों बेटों को भी साथ लाया। पहले बेटे का नाम जैरसोम यानी ‘अजनबी मुल्क में परदेसी’ था, क्योंकि जब वह पैदा हुआ तो मूसा ने कहा था, “मैं अजनबी मुल्क में परदेसी हूँ।” |
2004 | EXO 18:4 | दूसरे बेटे का नाम इलियज़र यानी ‘मेरा ख़ुदा मददगार है’ था, क्योंकि जब वह पैदा हुआ तो मूसा ने कहा था, “मेरे बाप के ख़ुदा ने मेरी मदद करके मुझे फ़िरौन की तलवार से बचाया है।” |
2481 | EXO 33:7 | उस वक़्त मूसा ने ख़ैमा लेकर उसे कुछ फ़ासले पर ख़ैमागाह के बाहर लगा दिया। उसने उसका नाम ‘मुलाक़ात का ख़ैमा’ रखा। जो भी रब की मरज़ी दरियाफ़्त करना चाहता वह ख़ैमागाह से निकलकर वहाँ जाता। |
4059 | NUM 11:34 | चुनाँचे मक़ाम का नाम क़ब्रोत-हत्तावा यानी ‘लालच की क़ब्रें’ रखा गया, क्योंकि वहाँ उन्होंने उन लोगों को दफ़न किया जो गोश्त के लालच में आ गए थे। |
4092 | NUM 13:16 | मूसा ने इन्हीं बारह आदमियों को मुल्क का जायज़ा लेने के लिए भेजा। उसने होसेअ का नाम यशुअ यानी ‘रब नजात है’ में बदल दिया। |
4355 | NUM 21:14 | इसका ज़िक्र किताब ‘रब की जंगें’ में भी है, “वाहेब जो सूफ़ा में है, दरियाए-अरनोन की वादियाँ |
4761 | NUM 32:41 | मनस्सी के एक आदमी बनाम याईर ने उस इलाक़े में कुछ बस्तियों पर क़ब्ज़ा करके उन्हें हव्वोत-याईर यानी ‘याईर की बस्तियाँ’ का नाम दिया। |
5939 | JOS 5:3 | चुनाँचे यशुअ ने पत्थर की छुरियाँ बनाकर एक जगह पर इसराईलियों का ख़तना करवाया जिसका नाम बाद में ‘ख़तना पहाड़’ रखा गया। |
6606 | JDG 4:5 | और वह ‘दबोरा के खजूर’ के पास रहती थी जो इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े में रामा और बैतेल के दरमियान था। इस दरख़्त के साय में वह इसराईलियों के मामलात के फ़ैसले किया करती थी। |
6680 | JDG 6:24 | वहीं जिदौन ने रब के लिए क़ुरबानगाह बनाई और उसका नाम ‘रब सलामत है’ रखा। यह आज तक अबियज़र के ख़ानदान के शहर उफ़रा में मौजूद है। |
6688 | JDG 6:32 | चूँकि जिदौन ने बाल की क़ुरबानगाह गिरा दी थी इसलिए उसका नाम यरुब्बाल यानी ‘बाल उससे लड़े’ पड़ गया। |
6721 | JDG 7:25 | और उन्होंने दो मिदियानी सरदारों को पकड़कर उनके सर क़लम कर दिए। सरदारों के नाम ओरेब और ज़एब थे, और जहाँ उन्हें पकड़ा गया उन जगहों के नाम ‘ओरेब की चटान’ और ‘ज़एब का अंगूर का रस निकालनेवाला हौज़’ पड़ गया। इसके बाद वह दुबारा मिदियानियों का ताक़्क़ुब करने लगे। दरियाए-यरदन को पार करने पर उनकी मुलाक़ात जिदौन से हुई, और उन्होंने दोनों सरदारों के सर उसके सुपुर्द कर दिए। |
7234 | 1SA 1:20 | इलक़ाना और हन्ना के बेटा पैदा हुआ। हन्ना ने उसका नाम समुएल यानी ‘उसका नाम अल्लाह है’ रखा, क्योंकि उसने कहा, “मैंने उसे रब से माँगा।” |
7320 | 1SA 4:21 | क्योंकि वह अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने और सुसर और शौहर की मौत के बाइस निहायत बेदिल हो गई थी। उसने कहा, “बेटे का नाम यकबोद यानी ‘जलाल कहाँ रहा’ है, क्योंकि अल्लाह के संदूक़ के छिन जाने से अल्लाह का जलाल इसराईल से जाता रहा है।” |
7366 | 1SA 7:12 | इस फ़तह की याद में समुएल ने मिसफ़ाह और शेन के दरमियान एक बड़ा पत्थर नसब कर दिया। उसने पत्थर का नाम अबन-अज़र यानी ‘मदद का पत्थर’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “यहाँ तक रब ने हमारी मदद की है।” |
7753 | 1SA 20:21 | फिर मैं लड़के को तीरों को ले आने के लिए भेज दूँगा। अगर मैं उसे बता दूँ, ‘तीर उरली तरफ़ पड़े हैं, उन्हें जाकर ले आओ’ तो आप ख़ौफ़ खाए बग़ैर छुपने की जगह से निकलकर मेरे पास आ सकेंगे। रब की हयात की क़सम, इस सूरत में कोई ख़तरा नहीं होगा। |
7754 | 1SA 20:22 | लेकिन अगर मैं लड़के को बता दूँ, ‘तीर परली तरफ़ पड़े हैं’ तो आपको फ़ौरन हिजरत करनी पड़ेगी। इस सूरत में रब ख़ुद आपको यहाँ से भेज रहा होगा। |
8043 | 2SA 1:18 | उसने हिदायत दी कि यहूदाह के तमाम बाशिंदे यह गीत याद करें। गीत का नाम ‘कमान का गीत’ है और ‘याशर की किताब’ में दर्ज है। गीत यह है, |
8142 | 2SA 5:7 | तो भी दाऊद ने सिय्यून के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया जो आजकल ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। |
8144 | 2SA 5:9 | यरूशलम पर फ़तह पाने के बाद दाऊद क़िले में रहने लगा। उसने उसे ‘दाऊद का शहर’ क़रार दिया और उसके इर्दगिर्द शहर को बढ़ाने लगा। यह तामीरी काम इर्दगिर्द के चबूतरों से शुरू हुआ और होते होते क़िले तक पहुँच गया। |
8155 | 2SA 5:20 | चुनाँचे दाऊद अपने फ़ौजियों को लेकर बाल-पराज़ीम गया। वहाँ उसने फ़िलिस्तियों को शिकस्त दी। बाद में उसने गवाही दी, “जितने ज़ोर से बंद के टूट जाने पर पानी उससे फूट निकलता है उतने ज़ोर से आज रब मेरे देखते देखते दुश्मन की सफ़ों में से फूट निकला है।” चुनाँचे उस जगह का नाम बाल-पराज़ीम यानी ‘फूट निकलने का मालिक’ पड़ गया। |
8168 | 2SA 6:8 | दाऊद को बड़ा रंज हुआ कि रब का ग़ज़ब उज़्ज़ा पर यों टूट पड़ा है। उस वक़्त से उस जगह का नाम परज़-उज़्ज़ा यानी ‘उज़्ज़ा पर टूट पड़ना’ है। |
8314 | 2SA 12:25 | इसलिए उसने नातन नबी की मारिफ़त इत्तला दी कि उसका नाम यदीदियाह यानी ‘रब को प्यारा’ रखा जाए। |
8315 | 2SA 12:26 | अब तक योआब अम्मोनी दारुल-हुकूमत रब्बा का मुहासरा किए हुए था। फिर वह शहर के एक हिस्से बनाम ‘शाही शहर’ पर क़ब्ज़ा करने में कामयाब हो गया। |
8499 | 2SA 18:18 | कुछ देर पहले अबीसलूम इस ख़याल से बादशाह की वादी में अपनी याद में एक सतून खड़ा कर चुका था कि मेरा कोई बेटा नहीं है जो मेरा नाम क़ायम रखे। आज तक यह ‘अबीसलूम की यादगार’ कहलाता है। |
8576 | 2SA 20:19 | देखें, हमारा शहर इसराईल का सबसे ज़्यादा अमनपसंद और वफ़ादार शहर है। आप एक ऐसा शहर तबाह करने की कोशिश कर रहे हैं जो ‘इसराईल की माँ’ कहलाता है। आप रब की मीरास को क्यों हड़प कर लेना चाहते हैं?” |
8783 | 1KI 2:10 | फिर दाऊद मरकर अपने बापदादा से जा मिला। उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। |
8820 | 1KI 3:1 | सुलेमान फ़िरौन की बेटी से शादी करके मिसरी बादशाह का दामाद बन गया। शुरू में उस की बीवी शहर के उस हिस्से में रहती थी जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता था। क्योंकि उस वक़्त नया महल, रब का घर और शहर की फ़सील ज़ेरे-तामीर थे। |
8939 | 1KI 7:2 | उस की एक इमारत का नाम ‘लुबनान का जंगल’ था। इमारत की लंबाई 150 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई 45 फ़ुट थी। निचली मनज़िल एक बड़ा हाल था जिसके देवदार की लकड़ी के 45 सतून थे। पंद्रह पंद्रह सतूनों को तीन क़तारों में खड़ा किया गया था। सतूनों पर शहतीर थे जिन पर दूसरी मनज़िल के फ़र्श के लिए देवदार के तख़्ते लगाए गए थे। दूसरी मनज़िल के मुख़्तलिफ़ कमरे थे, और छत भी देवदार की लकड़ी से बनाई गई थी। |
8989 | 1KI 8:1 | फिर सुलेमान ने इसराईल के तमाम बुज़ुर्गों और क़बीलों और कुंबों के तमाम सरपरस्तों को अपने पास यरूशलम में बुलाया, क्योंकि रब के अहद का संदूक़ अब तक यरूशलम के उस हिस्से में था जो ‘दाऊद का शहर’ या सिय्यून कहलाता है। सुलेमान चाहता था कि क़ौम के नुमाइंदे हाज़िर हों जब संदूक़ को वहाँ से रब के घर में पहुँचाया जाए। |
9067 | 1KI 9:13 | उसने सवाल किया, “मेरे भाई, यह कैसे शहर हैं जो आपने मुझे दिए हैं?” और उसने उस इलाक़े का नाम काबूल यानी ‘कुछ भी नहीं’ रखा। यह नाम आज तक रायज है। |
9078 | 1KI 9:24 | जब फ़िरौन की बेटी यरूशलम के पुराने हिस्से बनाम ‘दाऊद का शहर’ से उस महल में मुंतक़िल हुई जो सुलेमान ने उसके लिए तामीर किया था तो वह इर्दगिर्द के चबूतरे बनवाने लगा। |
9098 | 1KI 10:16 | सुलेमान बादशाह ने 200 बड़ी और 300 छोटी ढालें बनवाईं। उन पर सोना मँढा गया। हर बड़ी ढाल के लिए तक़रीबन 7 किलोग्राम सोना इस्तेमाल हुआ और हर छोटी ढाल के लिए तक़रीबन साढ़े 3 किलोग्राम। सुलेमान ने उन्हें ‘लुबनान का जंगल’ नामी महल में महफ़ूज़ रखा। |
9103 | 1KI 10:21 | सुलेमान के तमाम प्याले सोने के थे, बल्कि ‘लुबनान का जंगल’ नामी महल में तमाम बरतन ख़ालिस सोने के थे। कोई भी चीज़ चाँदी की नहीं थी, क्योंकि सुलेमान के ज़माने में चाँदी की कोई क़दर नहीं थी। |
9152 | 1KI 11:41 | सुलेमान की ज़िंदगी और हिकमत के बारे में मज़ीद बातें ‘सुलेमान के आमाल’ की किताब में बयान की गई हैं। |
9154 | 1KI 11:43 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर उसका बेटा रहुबियाम तख़्तनशीन हुआ। |
9240 | 1KI 14:19 | बाक़ी जो कुछ यरुबियाम की ज़िंदगी के बारे में लिखा है वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उस किताब में पढ़ा जा सकता है कि वह किस तरह हुकूमत करता था और उसने कौन कौन-सी जंगें कीं। |
9250 | 1KI 14:29 | बाक़ी जो कुछ रहुबियाम बादशाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9252 | 1KI 14:31 | जब रहुबियाम मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। उस की माँ नामा अम्मोनी थी। फिर रहुबियाम का बेटा अबियाह तख़्तनशीन हुआ। |
9259 | 1KI 15:7 | बाक़ी जो कुछ अबियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9260 | 1KI 15:8 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर उसका बेटा आसा तख़्तनशीन हुआ। |
9275 | 1KI 15:23 | बाक़ी जो कुछ आसा की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उसमें उस की कामयाबियों और उसके तामीर किए गए शहरों का ज़िक्र है। बुढ़ापे में उसके पाँवों को बीमारी लग गई। |
9276 | 1KI 15:24 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यहूसफ़त उस की जगह तख़्तनशीन हुआ। |
9283 | 1KI 15:31 | बाक़ी जो कुछ नदब की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9291 | 1KI 16:5 | बाक़ी जो कुछ बाशा की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। |
9300 | 1KI 16:14 | बाक़ी जो कुछ ऐला की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9306 | 1KI 16:20 | जो कुछ ज़िमरी की हुकूमत के दौरान हुआ और जो साज़िशें उसने कीं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। |
9313 | 1KI 16:27 | बाक़ी जो कुछ उमरी की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान की गई हैं। |
9522 | 1KI 22:39 | बाक़ी जो कुछ अख़ियब की हुकूमत के दौरान हुआ वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उसमें बादशाह का तामीरकरदा हाथीदाँत का महल और वह शहर बयान किए गए हैं जिनकी क़िलाबंदी उसने की। |
9529 | 1KI 22:46 | बाक़ी जो कुछ यहूसफ़त की हुकूमत के दौरान हुआ वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उस की कामयाबियाँ और जंगें सब उसमें बयान की गई हैं। |
9534 | 1KI 22:51 | जब यहूसफ़त मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यहूराम तख़्तनशीन हुआ। |
9555 | 2KI 1:18 | बाक़ी जो कुछ अख़ज़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। |
9754 | 2KI 8:23 | बाक़ी जो कुछ यहूराम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदा की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। |
9755 | 2KI 8:24 | जब यहूराम मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा अख़ज़ियाह तख़्तनशीन हुआ। |
9788 | 2KI 9:28 | उसके मुलाज़िम लाश को रथ पर रखकर यरूशलम लाए। वहाँ उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। |
9831 | 2KI 10:34 | बाक़ी जो कुछ याहू की हुकूमत के दौरान हुआ, जो उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। |
9875 | 2KI 12:22 | क़ातिलों के नाम यूज़बद बिन सिमआत और यहूज़बद बिन शूमीर थे। युआस को यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा अमसियाह तख़्तनशीन हुआ। |
9883 | 2KI 13:8 | बाक़ी जो कुछ यहुआख़ज़ की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान की गई हैं। |
9887 | 2KI 13:12 | बाक़ी जो कुछ यहुआस की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। उसमें उस की यहूदाह के बादशाह अमसियाह के साथ जंग का ज़िक्र भी है। |
9915 | 2KI 14:15 | बाक़ी जो कुछ यहुआस की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज हैं। उसमें उस की यहूदाह के बादशाह अमसियाह के साथ जंग का ज़िक्र भी है। |
9918 | 2KI 14:18 | बाक़ी जो कुछ अमसियाह की हुकूमत के दौरान हुआ वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9920 | 2KI 14:20 | उस की लाश घोड़े पर उठाकर यरूशलम लाई गई जहाँ उसे शहर के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। |
9928 | 2KI 14:28 | बाक़ी जो कुछ यरुबियाम दुवुम की हुकूमत के दौरान हुआ, जो कुछ उसने किया और जो जंगी कामयाबियाँ उसे हासिल हुईं उनका ज़िक्र ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में हुआ है। उसमें यह भी बयान किया गया है कि उसने किस तरह दमिश्क़ और हमात पर दुबारा क़ब्ज़ा कर लिया। |
9935 | 2KI 15:6 | बाक़ी जो कुछ उज़्ज़ियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9936 | 2KI 15:7 | जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यूताम तख़्तनशीन हुआ। |
9940 | 2KI 15:11 | बाक़ी जो कुछ ज़करियाह की हुकूमत के दौरान हुआ उसका ज़िक्र ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में किया गया है। |
9944 | 2KI 15:15 | बाक़ी जो कुछ सल्लूम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो साज़िशें उसने कीं वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। |
9950 | 2KI 15:21 | बाक़ी जो कुछ मनाहिम की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। |
9955 | 2KI 15:26 | बाक़ी जो कुछ फ़िक़हियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। |